प्रस्तावना /Introduction –

पिछले दो दशकों से हम राजनितिक गलियारों में ईडी और सीबीआई यह दो संस्थाओ के नाम अक्सर सुनते हे। जैसे सामान्य आदमी पुलिस को वर्दी में देखकर जैसे खौफ खाता हे वैसे ही ईडी का नाम सुनते ही भारत की शक्तिशाली बिजनेसमैन तथा राजनितिक लोगो में यह डर हमें इस संस्था के बारे में देखने को मिलता है। हमने पिछले कुछ आर्टिकल के माध्यम से शैडो इकॉनमी क्या होती हे यह हमने देखा।

भारत की जो अर्थव्यवस्था हे उससे काफी बड़ी यह शैडो इकॉनमी हे ऐसा देखा गया है। जिसका मतलब इतना काला धन भारतीय बाजार में व्यवहार में चलता हे जिससे देश को नुकसान होता है। लोग प्रभावशाली लोग सरकार का टॅक्स बचाने के लिए यह बहुत सारे व्यवहार गैरकानूनी तरीके से करते है। इसके लिए ईडी की स्थापना की गयी है। प्रवर्तन निदेशालय यह वित्त मत्रालय के अधीन काम करता हे मगर इसे काफी शक्तिया प्रदान की गयी है।

ईडी ,सीबीआई तथा NCB जैसी सस्थाओ का गलत इस्तेमाल केंद्र सरकार द्वारा किया जाता हे यह प्रादेशिक राजकीय पार्टियों का आरोप हे जो समय समय पर किया जाता है। कोर्ट द्वारा भी इसपर टिपण्णी कई बार की गई हे जो तथ्य के बिना कभी नहीं होती इसलिए इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

भारत की राजनीती की एक समस्या हे की जो भी पार्टी सत्ता पर नहीं होती वह इन संस्थाओ का दुरूपयोग होता हे ऐसा आरोप करती हे मगर यही पार्टी जब सत्ता पर होती हे तो वह इसकी स्वतंत्रता का उत्तर देती हे इसलिए ईडी के बारे में वास्तविक तरीके से विश्लेषण करना काफी जरुरी है।

प्रवर्तन निदेशालय क्या है / What is Enforcement Directorate –

यह एक स्टेचुटरी /वैधानिक संस्था हे जिसकी स्थापना १९५६ में की गई थी और अपने शुरुवाती समय में यह रिज़र्व बैंक के अधीन कार्य करती थी। आज की तरह उस समय उसका महत्त्व इतना नहीं था। विदेशी मुद्रा तथा काला धन यह इसका मुख्य कार्य हे जिसको जिसपर नियंत्रण रखना यह इसका कार्य होता है। ईडी का कार्य यह देश की आर्थिक सुरक्षा तथा शक्तिशाली लोगो पर कार्यवाही का होता हे इसलिए इसे काफी अधिकार दिए गए है।

आर्थिक मामलो में जो भी गैरकानूनी गतिविधिया होती हे इसको नियंत्रित करना तथा दण्डित करना यह इस का कार्य होता हे जिसमे यह मुख्य रूप से दो महत्वपूर्ण कानूनों के लिए कार्य करता है। इसमें मुख्य रूप से आईपीएस IRS तथा आईएएस अधिकारियो को लिया जाता हे तथा संस्था कुछ अधिकारियो के अलग तरीके से प्रशिक्षित करती हे तथा प्रमोशन के आधारपर बहुत सारे अधिकारी संस्था में लिए जाते है।

Foreign Exchange Management Act 1999 ( FEMA)
Money Laundering Act 2000 (PMLA)

इन दो कानून के प्रतिबंधित नियमो के उलंघन के लिए आर्थिक मामलो में जांच पड़ताल तथा प्रॉपर्टी जप्त करने के अधिकार इस संस्था को दिए गए है।यह संस्था संयुक्त राष्ट्र के मनी लॉन्डरिंग के नियमो को आधार बनाकर यह नियम बनाए गए हे। इसका मुख्य उद्देश्य देश में भ्रष्टाचार को ख़त्म करना तथा भारत में विदेशी मुद्रा का देश हित में सौरक्षण करना यह होता है।

प्रवर्तन निदेशालय का इतिहास /History of Enforcement Directorate –

१९५६ में प्रवर्तन इकाई की स्थापना की गयी थी जो रिज़र्व बैंक के अधीन रहकर कार्य करता था। फेरा कानून जिसे Foreign Exchange Regulation Act 1947 के तहत कार्य करता था। विदेशी मुद्रा तथा लिबरल अर्थव्यवस्था यह विकसित होने से पहली की यह स्थिति थी। जिसमे आज की तरह भारत में कमाया हुवा काला धन सफ़ेद करने वाले लोगो के लिए बनाया गया था। इसके पहले डायरेक्टर अध्यक्ष संजय कुमार मिश्रा को बनाया गया था जो पहले आयकर आयुक्त थे।

१९९० के बाद भारत की अर्थव्यवस्था लिबरल होने के बाद बहुत सारे कानूनों में बदलाव किये गए जिसका अंतरराष्ट्रीय कानूनों से संबंध है। भारत के मुख्य दो कानून फेमा तथा PMLA यह कानून के अंतर्गत आने वाली गतिविधियों पर नियंत्रण रखने का महत्वपूर्ण कार्य यह प्रवर्तन निदेशालय द्वारा किया जाता है सन २००० के बाद इसको काफी शक्तिया प्रदान की गयी तथा

ईडी इस संस्था को समान्तर न्यायिक अधिकार दिए गए है जो बाकि संस्थाओ के सहयोग से अपने अधिकारों का इस्तेमाल करता है। आज के तारीख में इसका नियंत्रण सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय के माध्यम से किया जाता है। स्पेक्ट्रम घोटाला , नीरव मोदी केस , विजय माल्या केस ऐसे कई प्रसिद्द मामले ईडी के माध्यम से हमें देखने को मिलते है। सरकार के टॅक्स के माध्यम से मिलाने वाले पैसे को गलत तरीके से हवाला जैसे माध्यम से लोग विदेश पहुंचकर उसे सफ़ेद करने की कोशिश करते हे।

इन सब आर्थिक मामलो पर कड़े अधिकार का इस्तेमाल करके यह संस्था देश हित के लिए कार्य करती है। इसलिए भारत की महत्वपूर्ण संस्थाओ में इसको जाना जाता हे तथा राजनितिक और हाई प्रोफाइल केस के लिए यह संस्था काफी प्रसिद्द है।

प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई / Enforcement directorate & CBI –

दोनों ही संस्थाए इन्वेस्टीगेशन करने वाली देश की केंद्रीय संस्थाए हे मगर इसमें जो मुलभुत फर्क हे वह हे प्रवर्तन निदेशालय यह आर्थिक मामलो में होने वाली गैरकानूनी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया है। सीबीआई यह संस्था देश की महत्वपूर्ण मामलो पर होने वाली क्रिमिनल और सिविल मामलो की जांच करने के लिए यह संस्था बनाई गई है। जैसे सुशांत राजपूत मामले में देश की तीनो महत्वपूर्ण संस्थाए काम देख रही थी जिसमे NCB, सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय यह सस्थाए है।

सीबीआई का इन्वेस्टीगेशन का दायरा और उद्देश्य ईडी से काफी अलग हे और यह दोनों संस्थाए कुछ महत्वपूर्ण मामलो में साथ साथ कार्य करती है। दोनों की इन्वेस्टीगेशन करने की प्रक्रिया लगबघ समान होती हे तथा ईडी यह संस्था फोरेंसिक लैब यह खुदका होता हे जो इन्वेस्टीगेशन में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सीबीआई यह संस्था प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कार्य करती है , ईडी यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग से संचालित किया जाता है।

जब स्थानिक स्तर पर शक्तिशाली अथवा प्रभावशाली लोग किसी मामले पर प्रभाव डालने की कोशिश करते हे तथा देश की सुरक्षा के मामलो पर सीबीआई जैसी संस्था का महत्वपूर्ण कार्य होता है। ईडी यह संस्था अंतराष्ट्रीय कानून के आधार पर कार्य करती हे जो संयुक्त राष्ट्र संघ के मार्गदर्शन में बनाया गया था जो जगतीकरण के माध्यम से दुनिया से भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के उद्देश्य से बनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया के आर्थिक मामलो में कुछ बाधा निर्माण न हो जाए।

फेमा कानून और ईडी / FEMA Act & Enforcement Directorate –

फेमा यह कानून भारत में विदेशी मुद्रा का व्यवस्थापन करने गया है , इससे पहले फेरा यह कानून के अंतर्गत ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था मगर १९९० के आर्थिक संकट को देखते हुए भारत सरकार द्वारा देश के आर्थिक उद्देश्य में कई बदलाव किए गए जिसमे लिबरल पॉलिसी यह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था जिसके तहत विदेशी निवेश पर लगाए गए निर्बंध को हटाया गया और भारत का मार्किट दुनिया के लिए खोला गया।

फेमा कानून के अंतर्गत विदेशी मुद्रा के नियमन का मुख्य उद्देश्य काले धनपर नियंत्रण रखना और फेमा कानून के उलंघन के मामलो पर ईडी जैसी संस्था द्वारा कार्यवाही करना यह प्रमुख कार्य है। भारत की अर्थव्यवस्था १९९० के बाद जीतनी विकसित होनी चाहिए थी वह नहीं हो पाई हे इसका पमुख कारन हे काला धन और हवाला जैसे कारन जिसके माध्यम से भारत का पैसा विदेशो में भेजकर वहा से भारत में सफ़ेद करके भेजा जाता हे जिससे देश की मुद्रा पर इसका असर होता है।

काला धन और हवाला यह देश के विरोध में किए जाने वाले कार्य हे इसके लिए ईडी जैसी संस्था को अंतरराष्ट्रीय कानून के मॉडल को देखते हुए बनाया गया हे जिससे देश में होने वाले भ्रष्टाचार को ख़त्म किया जा सके। इसके लिए ईडी जैसी संस्था का काफी महत्वपूर्ण कार्य होता हे जो आजतक कितना कारगर साबित हुवा हे यह एक संशोधन का विषय है। क्यूंकि ईडी पर कई लोगो का आरोप हे की यह संस्था का केंद्र सरकार द्वारा केवल राजनितिक उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाता है जिससे इसका मुख्य उद्देश्य पूर्ण नहीं होता है।

काला धन प्रतिबंध कानून और ईडी / PMLA & ED –

काले धन का निर्माण करके जो संपत्ति अर्जित की जाती हे ऐसे मामलो को देखने के लिए इस कानून को २००२ में बनाया गया जो २००५ में अमल में लाया गया । जिन मामलों में काले धन के माध्यम से संपत्ति अर्जित की गयी हे ऐसे मामलो में संपत्ति जप्त करने के अधिकार ईडी को दिए गए हे तथा तीन गुना पेनल्टी चार्ज करने के अधिकार दिए गए है।

इस कानून का मुख्य उद्देश्य हे की भ्रष्टाचार को ख़त्म करना तथा भ्रष्टाचार करने वाले लोगो को कड़ी से कड़ी सजा मिले इसलिए इसके कुछ प्रावधान काफी कड़े बनाए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा ४५ को रद्द कर दिया गया जो नागरिको के मुलभुत अधिकारों को विसंगत थे। मुख्य रूप से ईडी द्वारा ऐसे कानून के माध्यम से राजनितिक प्रभाव में कार्यवाही की जाती हे ऐसे आरोप किए जाते है।

इस कानून के माध्यम से लिबरल पॉलिसी के चलते भारत की कानून व्यवस्था को ठीक करना यह संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य उद्देश्य रहा हे इसके अंतर्गत बनाए गए मॉडल कानून को भारत में बनाए गए कानून के लिए इस्तेमाल किया गया है। भ्रष्टाचार यह हमारी सबसे बड़ी समस्या रही हे और इससे देश के राजस्व विभाग को कई हजार करोड़ का हर साल नुकसान होता हे इसको रोकने के लिए इस कानून के माध्यम से ईडी संस्था द्वारा काले धन के मामलो में कार्यवाही की जाती है।

प्रवर्तन निदेशालय की विशेषताए / Features of Enforcement Directorate (ED) –

  • ईडी का व्यवस्थापकीय नियंत्रण वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है।
  • ईडी का मुख्य कार्य होता हे फेमा १९९९ और PMLA कानून २००२ के प्रावधानों का पालन हो रहा हे या नहीं इसको देखना होता है।
  • भारत में लिबरल पॉलिसी आने के बाद फेरा कानून को रद्द करके फेमा कानून बनाया गया जिसके अंतर्गत देश में होने वाले व्यवहार तथा पेमेंट्स जिसमे विसंगति को पहचानना और देश को राजस्व में हो रहे नुकसान को रोकना यह होता है।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के काला धन को रोकने के उद्देश्य में पूरी दुनिया के सदस्य देशो को एक मॉडल कानून दिया गया जिसके अंतर्गत फेमा कानून बनाया गया और ईडी का कार्य पुनर निर्धारित किया गया।
  • भारत में आ रही विदेशी मुद्रा को सुरक्षित करना तथा देश को काले धन के द्वारा होने वाले नुकसान को रोकना यह मुख्य कार्य ईडी को दिया गया।
  • ईडी यह आर्थिक मामलो में देश की सबसे बड़ी इन्वेस्टीगेशन संस्था हे इसलिए इसकी फोरेंसिक लॅब स्वतंत्र रूप से बनाई गई हे जिससे इन्वेस्टीगेशन में कोई बाधा न पहुंचे।
  • १९५६ में एनफोर्समेंट यूनिट से शुरू हुए इस संस्था को बाद में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट बनाया गया तथा रिज़र्व बैंक के अधीन होने को बदलकर वित्त मंत्रालय के अधीन बनाया गया।
  • ईडी का मुख्य कार्यालय दिल्ली में बनाया गया हे जहा ईडी के प्रमुख बैढ़ते हे तथा पूर्ण देश में पांच प्रमुख विभाग बनाए गए है।
  • मुंबई , चेन्नई ,चंडीगढ़ ,कोलकत्ता और दिल्ली यह पांच विभाग बनाए गए हे जिसको स्पेशल डायरेक्टर्स द्वारा संचलित किया जाता है।
  • क्षेत्रीय कार्यालय /जोनल ईडी ऑफिसेस को जॉइंट डायरेक्टर द्वारा संचालित किया जाता है।
  • उप क्षेत्रीय कार्यालय को डिप्टी डायरेक्टर द्वारा संचालित किया जाता है।

प्रवर्तन निदेशालय का कार्य / Function of Enforcement Directorate (ED) –

  • ईडी का प्रमुख कार्य होता हे फेमा कानून १९९९ के उल्लंघन होने पर उसपर इस कानून की तहत कार्यवाही करना तथा जीतनी रकम किसी केस में हे वहा तीन गुना दंडात्मक रकम चार्ज करना।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम २००२ ( PMLA) इस कानून के अंतर्गत होने वाले अपराधों पर कार्यवाही करना।
  • PMLA कानून के अंतर्गत संबंधित प्रॉपर्टी को जप्त करना तथा क्रिमिनल मामलो पर ट्रिब्यूनल के माध्यम से मुकदमा चलाना।
  • पुराने कानून फेरा १९७३ के अंतर्गत ३१ मई २००५ तक के मामलो में होने वाले उलंघन के मामलो पर इस कानून के अंतर्गत नोटिस देना और संबंधित न्यायालय में मुकदमा चलाना ।
  • भगोड़ा आर्थिक आपराधिक अधिनियम २०१८ के तहत आर्थिक मामलो में मुकदमा दायर करना, इन्वेस्टीगेशन करना तथा अंतराष्ट्रीय कानून के तहत ऐसे केसेस को पूर्णत्व तक लेना।
  • स्मगलिंग कानून १९७४ के मामलो को फेमा १९९९ से संबंधित कानून के अंतर्गत जोड़कर दोनों कानूनों के माध्यम से मुकदमा चलाना।
  • काले धन के मामलो में विदेशो में संपत्ति को जप्त करने के लिए विदेशी देशो से कानूनी संबंध प्रस्थापित करना इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एग्रीमेंट महत्वपूर्ण होते है।
  • कई मामलो में आर्थिक ,क्रिमिनल तथा ड्रग्स से सम्बंधित मामले होते हे जिसमे सीबीआई और NCB जैसी संस्थाओ के साथ मिलकर इन्वेस्टीगेशन का कार्य करना होता है।

निष्कर्ष /Conclusion –

इसतरह से हमने देखा की ईडी कैसे कार्य करता हे तथा इसकी सरंचना कैसी होती है। ईडी द्वारा देश के कई हाई प्रोफाइल केसेस आजतक देखे गए हे जिसमे सामान्यतः स्थानिक कानून व्यवस्था ऐसे मामलो में राजनितिक दृष्टी से काफी प्रभावित होती है। इसलिए ऐसे मामलो में स्थानिक इन्वेस्टीगेशन संस्था द्वारा यह मामलों पर ज्यादातर समय कार्यवाही होना काफी मुश्किल होता हे इसलिए ईडी जैसी संस्था को केंद्रीय सरकार द्वारा बनाया गया है।

ईडी यह एक स्टेचुटरी अथॉरिटी हे जो दो महत्वपूर्ण कानून के उलंघन पर अपनी ड्यूटी निभाती है जिसमे फेमा यह विदेशी मुद्रा से सम्बंधित कानून हे तथा दूसरा महत्वपूर्ण कानून PMLA कानून जो काले धन के मामलो में उलंघन के मामलो को देखता है। इसमें मुख्य रूप से केंद्रीय कैडर अधिकारियो को नियुक्त किया जाता हे जिसमे आईएएस अधिकारी , आईपीएस अधिकारी तथा सबसे महत्वपूर्ण होते हे IRS अधिकारी जिनको टॅक्स और राजस्व मामलो में अच्छा खासा अनुभव होता हे ऐसे अधिकारियो को नियुक्त किया जाता है।

ईडी के अंतर्गत भी बहुत सारी नियुक्तियां की जाती हे जिससे यह संस्था को केंद्र सरकार द्वारा काफी शक्ति प्रदान की गई हे जो देश के काफी शक्तिशाली और प्रभावशाली लोगो पर कार्यवाही करते है। इसलिए कई बार इस संस्था पर केंद्र सरकार द्वारा दुरूपयोग किए जाने के आरोप होते रहते है। ईडी में आने वाले केसेस में बहुत कम मामलो में आखरी तक निर्णय प्रक्रिया चलती हे मतलब सबूतों के आधारपर कार्यवाही होती है ऐसे आरोप होते हे। ज्यादातर मामले राजनितिक प्रभाव से किए जाते हे ऐसा कई राजनितिक पार्टियों का आरोप है।

ईडी का बनाने का मुख्य उद्देश्य काले धन को नियंत्रित करना तथा भारत में आने वाले विदेशी मुद्रा को सुरक्षा प्रदान करना यह होता है जिससे वित्त मंत्रालय को अच्छा राजस्व मिल सके जो देशहित के लिए अच्छा है।

 

फेमा अधिनियम 1999 

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