प्रस्तावना / Introduction –
शेयर मार्किट के सेगमेंट में हम यह आर्टिकल कमोडिटी मार्किट पर विस्तृत इनफार्मेशन देने की कोशिश करेंगे जिसके बारेमे भारत में काफी कम लोगो को पता हे की ऐसा भी ट्रेडिंग बाजार होता है। कमोडिटी मार्किट में कुदरती चीजों पर ट्रेडिंग होती हे और ऐसा कहा जाता हे की आने भविष्य में यह भारत में शेयर बाजार से भी बड़ा आर्थिक मार्किट बनेगा।
कमोडिटी मार्किट के कुदरती चीजों में मुख्यता दो प्रकार के कमोडिटीज होते हे जिसमे कृषि से संबंधित कमोडिटी और हार्ड कमोडिटीज जिसमे गोल्ड तथा मेटल जैसी चीजे आती हे। भारत में आज की बात करे तो गैर कृषि बाजार में सबसे ज्यादा कमोडिटी ट्रेडिंग होती है, कृषि में कमोडिटी मार्किट विकास के लिए कृषि क्षेत्र में शिक्षा और टेक्नोलोजी का ज्ञान देना आवश्यक है ।
कृषि बाजार के लिए “एनसीडीएक्स” जैसे प्लेटफार्म बनाए गए हे जिसपर बहुत कम ट्रेडिंग होती हे और इसके बारे में काफी कम लोगो को पता है। हमारी समस्या यह हे की कृषि यह दुनिया का सबसे प्रॉफिट देने वाला बिज़नेस हे जिसे हम पारम्परिक तरीके से चलाते हे, इसलिए हम उसकी अहमियत नहीं समझते।
ऐसा कहा जाता हे की बाजार में बड़ी बड़ी कम्पनिया यह राह देख रही हे की कब यह पारम्परिक कृषि क्षेत्र ख़तम हो जाए और कब हम इसमें उतर जाए।इसलिए हम कमोडिटी मार्किट कैसे चलता हे और उसका भविष्य कैसा होगा यह हम देखेंगे। कमोडिटी मार्किट यह काफी बड़ा विषय होने के कारन इसके महत्वपूर्ण मुद्दों पर आपको बताएगे, और काफी सारी बाते रहने वाली हे जिसपर जरुरत पड़ी तो और एक आर्टिकल बनाएगे।
कमोडिटी मार्किट क्या है ? / What is Commodity Market? –
कमोडिटी मार्किट यह शेयर बाजार की तरह ही ट्रेड करता हे, परन्तु शेयर बाजार में उत्पादित की हुई वस्तुओ की कंपनियों पर ट्रेड होता हे मगर कमोडिटी मार्किट में यह इन्वेस्टमेंट कंपनियों पर नहीं होता वह सीधे वस्तुओ पर किया जाता है। जिसमे कुदरती जीतनी भी चीजे होती हे जिसकी इंसान के लिए उसका मूल्य हे अथवा उपयोगिता हे ऐसी चीजे ट्रेड की जाती है। भारत की बात करे तो कमोडिटी मार्किट में अभी ज्यादा हार्ड वस्तुए अथवा बगैर कृषि चीजों पर ज्यादा ट्रेडिंग की जाती हे उसके लिए MCX जैसे प्लेटफार्म सरकार द्वारा बनाए गए है।
कृषि क्षेत्र के लिए NCDEX जैसे प्लेटफार्म अलग से, बनाए गए हे जिसमे कृषि उत्पादित वस्तुए ट्रेड होती हे।अगर यूरोप और अमरीका की बात करे तो भारत में इसके लिए काफी कम ट्रेडिंग होती हे। कमोडिटी बाजार में दुनिया का सबसे बड़ा मार्किट बनने की क्षमता भारतीय कृषि क्षेत्र में हे मगर कॅपिटलिस्ट पॉलिसीस तथा सोशलिस्ट मॉडल इसका टकराव हमें देखने को मिलता है।
जिससे कृषि क्षेत्र में सोशलिस्ट मॉडल नहीं टिक पायेगा ऐसा दिखता हे जिससे भविष्य में कॅपिटलिस्ट कृषि क्षेत्र हमें देखने को मिले तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है, यह कितना सफल मॉडल हे यह बुद्धिजीवी लोगो के चिंतन का विषय है ।
एमसीएक्स क्या है / What is MCX –
“एनएससी” और “बीएससी” की तरह यह बाजार कमोडिटी मार्किट के लिए सेबी के रेगुलेशन के अंतर्गत बनाया गया प्लेटफार्म हे। जिसका मुख्यालय मुंबई में और ऑनलाइन माध्यम से इसको पुरे भारत में चलाया जाता है जिसमे मुख्य रूप से हार्ड कमोडिटी का ट्रेडिंग सबसे अधिक हे तथा कृषि कमोडिटी काफी कम मात्रा में किया जाता है। वह भी जो चीजे ख़राब नहीं हो सकती उसपर ज्यादा होती हे जैसे गेहू, दाल चावल इत्यादी।
जिसके अंदर कमोडिटी मार्किट में आने वाले सभी बगैर कृषि प्रोडक्ट्स जो कुदरती होते हे उसका ट्रेडिंग होता है। कृषि क्षेत्र के लगबघ ४० कमोडिटी पर ट्रेडिंग होती हे, पर इसका प्रमाण काफी कम है। ऐसे कमोडिटी प्रोडक्ट्स का व्यापार अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहता हे इसलिए इसकी कीमते शेयर बाजार की शेयर्स की तरह भारत के मार्किट तक मर्यादित नहीं रहती वह अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहती है।
यह मार्किट चांदी , सोना , तांबा तथा क्रूड ऑइल में दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रेड होना वाला मार्किट माना जाता है। कृषि क्षेत्र में पारम्परिक खेती करने वाले लोगो की संख्या हमारे देश में ज्यादा होने की वजह से इसके व्यापार कमोडिटी मार्किट में काफी कम होते है।
NCDEX क्या है ? /What is NCDEX? –
“NCDEX” का फूल फॉर्म है “National Commodity & Derivatives Exchange” २००३ में इसे स्थापित किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र से सम्बंधित उत्पादन का व्यापार किया जा सके। जैसे की हम जानते हे की भारत में कृषि को पारम्परिक उपजीविका का जरिया माना जाता था तथा आज वह प्रतिष्ठा का प्रतिक माना जाता हे मगर कोई उसे बिज़नेस करने का एक विकसित तरीका नहीं मानता।
अमरीका में मुख्य रूप से CME याने शिकागो मरसेन्टायल एक्सचेंज और NYMEX न्यूयॉर्क मरसेन्टायल एक्सचेंज जैसे बड़े कमोडिटी मार्किट चलाए जाते हे जहा फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में कुदरती बदलाव तथा कुदरती चक्रवात की ट्रेड किये जाते हे जिससे भविष्य में होने वाली हानी से बचा जा सके। इसलिए कॅपिटलिस्ट पॉलिसी की तरह सरकार कृषि क्षेत्र का पहले कॅपिटलायजेशन किया जायेगा।
फिर उसका कमोडिटी मार्किट में व्यापार किया जायेगा ऐसा दिख रहा हे, क्यूंकि पारम्परिक कृषि क्षेत्र यह प्रतिष्ठा तथा राजनीती का अखाडा बन कर रह गया हे। जिसको एक बिज़नेस मॉडल की तरह देखने को कोई तैयार नहीं है। इसलिए इस कमोडिटी मार्किट की स्थापना की गयी है। जिसमे कृषि क्षेत्र से जुडी सभी उत्पादन का वव्यापार हो सके मगर अभी तो इसमें काफी कम रिस्पांस देखने को मिलता है।
कमोडिटी में पैसे कैसे कमाए / How to Earn in Commodity Market –
- कमोडिटी मार्किट के निवेश करने के लिए “MCX” मार्किट और “NCDEX” मार्किट को जानना जरुरी होता हे जहा सभी प्रकार के कमोडिटी मार्किट के प्रोडक्ट्स की ट्रेडिंग होती है।
- अच्छे स्टॉक ब्रोकर हायर करना जिसका सेबी में रजिस्ट्रेशन है।
- स्टॉक ब्रॉकर से कमोडिटी ट्रेडिंग अकाउंट शुरू करके लेना।
- एक बार ट्रेडिंग अकाउंट ओपन करने के बाद उसमे इनिशियल रकम रखनी पड़ती है जो कोई भी कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के ५ -१० % होती है ।
- ट्रेडिंग के लिए अच्छी रणनीति करना जरुरी होता हे जिससे कमोडिटी मार्जिन जो मिलता हे उसका सही इस्तेमाल कर सके।
- कमोडिटी मार्किट में स्टॉक मार्किट से पैसे कमाने के भविष्य में काफी अच्छी संभावना है।
कमोडिटी मार्किट विरुद्ध स्टॉक मार्किट / Commodity Market vs Stock Market –
ऐसा माना जाता हे की भविष्य में कमोडिटी मार्किट का भविष्य स्टॉक मार्किट से बड़ा मार्किट बनने के है। इसलिए कमोडिटी मार्किट यह केवल हार्ड कमोडिटी नहीं हे कृषि के उत्पादन भविष्य में जब कमोडिटी मार्किट में ट्रेड करेंगे तो यह भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा प्लेटफार्म होगा व्यापार का, जहा राजनीती तथा सामाजिक ढांचा यह अवरोध हे जिसकारण यह पारम्परिक कृषि से बाहर निकल नहीं रहा है।
स्टॉक मार्किट में बेचने वाला इन्वेस्टर होता हे तथा खरीदने वाला इन्वेस्टर होता हे, मगर इनसाइडर यह तीसरा पार्ट यह स्टॉक मार्किट और कमोडिटी मार्किट को अलग करता है। कमोडिटी मार्किट में उत्पादन, प्रोडक्ट होता हे और खरीद ने वाले इन्वेस्टर होते हे, इनसाइडर जैसा तीसरा घटक कमोडिटी मार्किट में नहीं होता है। स्टॉक मार्किट में तीसरा घटक शेयर बाजार को मनुपलेट कर सकता हे मगर कमोडिटी बाजार में इसके लिए कोई संभावना नहीं होती।
आज के तारीख में कमोडिटी मार्किट में हार्ड प्रोडक्ट जैसे मेटल , क्रूड ऑइल जैसे उत्पादन बेचे जाते है। स्टॉक मार्किट में उत्पादन और सेवाए देनी वाली कम्पनिया बिज़नेस के लिए पैसा खड़ा करती है और बाद में स्टॉक मार्किट में वही शेयर्स इन्वेस्टर के लिए उपलब्ध होते हे खरीदने के लिए। कमोडिटी मार्किट में कॉन्ट्रैक्ट होते हे जिसके तहत कमोडिटी के व्यवहार किये जाते है।
कमोडिटी के प्रकार / Types of Commodity –
कमोडिटी मार्किट में मुख्य रूप से दो प्रकारके कमोडिटी उत्पादन होते हे जो कुदरती होते है और वह समाज के लिए उपयोगी होते है।
- हार्ड कमोडिटीज –
किंमती धातु – गोल्ड, कॉपर, सिल्वर, प्लेटिनम
ऊर्जा /एनर्जी – क्रूड ऑइल , नेचुरल गॅस , गैसोलीन
- सॉफ्ट कमोडिटीज –
कृषि उत्पादन – सोयाबीन , गेहू ,चावल, कॉफी , मका, नमक
पशुपालन कृषि उत्पादन –
कमोडिटी मार्किट में ८० % ट्रेडिंग हार्ड कमोडिटी पर की जाती है तथा कृषि उत्पादन में गेहू, चावल, मका जैसे कुछ गिने चुने प्रोडक्ट पर ट्रेडिंग होती हे जिसका प्रमाण काफी कम हे जिसका अमरीका में तथा यूरोप में सभी कृषि प्रोडक्ट पर ट्रेडिंग होती हे तथा उसके भाव डिमांड और सप्लाई पर निर्भर होते है। नैसर्गिक आपदा के चक्रवाद जैसे घटनाओ पर फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट कमोडिटी मार्किट में किये जाते है और उसके नुकसान से बचने के प्रावधान किये जाते है।
जैसे आलू का उत्पादन यह लेज कंपनी के लिए महत्वपूर्ण हे की उसका भाव न बढे वही जो किसान उसका उत्पादन करता हे, वह चाहता हे उसका भाव निचे न गिर जाए जिससे उसको नुकसान न हो जाए। वही टमाटर उत्पादन किसान जाम बनाने वाली कंपनी के लिए उसके भाव बढ़ने से उत्पादन पर परिणाम हो सकता है।
वैसे ही किसान को उसके भाव न गिर जाए इसके लिए फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट करके दोनों खुद के व्यापार को कमोडिटी मार्किट में सुरक्षित करते है।
कमोडिटी मार्किट के फायदे / Advantages of Commodity Market –
- कमोडिटी मार्किट में ट्रेड होने वाले उत्पादन के भाव डिमांड और सप्लाई पर आधारित रहती हे जिससे अप्राकृतिक तरीकेसे होने वाले भाव पर नियंत्रण निर्माण होता है और लोग को सही कीमत पर कमोडिटी मिल जाते है ।
- हेजिंग के माध्यम से भविष्य में कीमत में होने वाले वदलाव को रिस्क मैनेजमेंट कर सकते हे जिसे स्पॉट मार्किट कहते जिसमे विरुद्ध पोजीशन फ्यूचर मार्किट में लिया जाता है।
- निर्यात करने वाले कम्पनिया अपने प्रोडक्ट को हेजिंग के कॉन्ट्रैक्ट से अपने मार्किट में अपने प्रोडक्ट के भाव को सुरक्षित कर सकते है।
- पारम्परिक बाजार में जो उत्पादक किसी भी प्रोडक्ट के भाव खुद नियंत्रित करते थे वह फ्री मार्किट की वजह से खुद को प्रस्थापित करने के लिए कमोडिटी बाजार में भाव स्थिर रखते है।
- कमोडिटी मार्किट किसानो के लिए काफी सुरक्षित माध्यम हे जिसमे कुदरत के बदलाव पर उत्पादन निर्भर होता हे जिसकी जोखिम कमोडिटी मार्केट द्वारा कम की जा सकती है।
- हेजिंग के माध्यम से कोई भी प्रोडक्ट खरीद ने के लिए कोई ब्याज देने की जरुरत नहीं होती बल्कि कमोडिटी मार्किट में ब्रोकर द्वारा क्रेडिट लिमिट की सुविधा मिल जाती है।
- स्पेकुलेटर के माध्यम से जो लोग कमोडिटी बाजार का हिस्सा नहीं होते उनका पैसा इन्वेस्टमेंट के माध्यम से बाजार में उपलब्ध होता हे जिसकी वजह से कमोडिटी मार्किट में लिक्विडिटी बढती है।
कमोडिटी मार्किट के नुकसान / Disadvantages of Commodity Market –
- कमोडिटी मार्किट में इन्वेस्टर को मिलाने वाला क्रेडिट फैसिलिटी काफी ज्यादा होती हे जिससे वह इन्वेस्टर नुकसान होने पर काफी रकम खो देता है।
- कमोडिटी मार्किट की प्रक्रिया काफी जटिल होने के कारन सामान्य किसान इसका प्रशिक्षण नहीं प्राप्त कर सकता, और कमोडिटी मार्किट का लाभ भी नहीं ले सकता।
- कमोडिटी मार्किट में किसानो के व्यतिरिक्त अन्य लोग ही ऐसे प्रोडक्ट पर पैसे कमाते है।
- कमोडिटी मार्किट में एक लॉट काफी महंगा होता हे इसलिए स्टॉक मार्किट की तरह छोटे निवेश पर यहाँ काम करना काफी मुश्किल होता है।
- कृषि उत्पादन पर भारत में ट्रेडिंग के लिए कमोडिटी मार्किट अबतक असफल रहा है।
- हार्ड कमोडिटी के प्रोडक्ट ज्यादातर अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर रहते हे जिससे भारत में इसके भाव नियंत्रित नहीं होते।
- स्टॉक मार्किट के इन्वेस्टमेंट पर बोनस शेयर्स , लाभांश जैसे अन्य फायदे मिलते हे मगर कमोडिटी मार्किट में इनकम का एक ही माध्यम होता है।
- कमोडिटी बाजार की अस्थिरता के कारन कमोडिटी मार्किट में काफी ज्यादा जोखिम होती है जिसकी वजह से इसमें एक्सपर्ट होना जरुरी होता है।
कमोडिटी मार्किट की विशेषताए / Features of Commodity Market –
- कमोडिटी मार्किट में होने वाले व्यवहार ज्यादातर हार्ड कमोडिटी में ज्यादा होते हे, बल्कि कृषि क्षेत्र में काफी उत्पादन निकलते है जो इस प्लेटफार्म इस्तेमाल नहीं करते।
- कमोडिटी मार्किट में भारत में सबसे बड़ा व्यापार का सेंटर बनने की क्षमता हे वह स्टॉक मार्किट से भी बड़ा बाजार इस मार्किट के लिए उपलब्ध है।
- कमोडिटी मार्किट के भाव यह अंतराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर होने की वजह से सभी कमोडिटी बाजार के डिमांड और सप्लाई पर तय होते है।
- कृषि क्षेत्र में जो उत्पादन नाशवंत होते हे उनके लिए अच्छा मूल्य मिलाना ऐसे बाजार में काफी मुश्किल होता हे मगर स्पेकुलेशन तथा हेजिंग के माध्यम से वह पैसा बाजार को मिलता हे जिससे स्टोरेज का खर्चा उपलब्ध हो जाता है।
- कमोडिटी मार्किट में कृषि उत्पादन वातावरण पर निर्भर होते हे जिसको फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से सुरक्षित किया जा सकता है।
- कमोडिटी मार्किट में स्टॉक मार्किट की तरह छोटे स्तर पर खरीद नहीं होती वह बड़े स्तर पर लोट के साइज में होती है, जिसके लिए क्रेडिट लिमिट काफी ज्यादा होता है।
- जैसे इन्शुरन्स में हम भविष्य के होने वाले परिणामो को पैसे के जरिये सुरक्षित करते हे वही तरीका कमोडिटी मार्किट में हेजिंग द्वारा किये जाते है।
निष्कर्ष /Conclusion –
अमरीका में कमोडिटी मार्किट सबसे बड़े स्तर पर चलाया जाता हे और कृषि उत्पादन अमरीका में लघबघ सभी प्रोडक्ट होते हे। अमरीका एक पूंजीवादी लोकतंत्र का एक आदर्श मॉडल हे जिसपर उसकी अर्थव्यवस्था है। भारत में कमोडिटी मार्किट को सफल बनाने में अबतक कोई सरकार सफल नहीं हुई हे, इसका महत्वपूर्ण कारन पारम्परिक खेती तथा सोशलिस्ट मॉडल है ।
इसका महत्वपूर्ण कारन हमारा सोशलिस्ट स्ट्रक्चर जिसकी वजह से ज्यादातर हमारी लोकसंख्या आज भी कृषि पर निर्भर है। वह पारम्परिक तरीके से खेती करना चाहती हे वह अर्थव्यवस्था पर अपने उत्पादन को नहीं करना चाहती जिसका सबसे महत्वपूर्ण कारन हे शिक्षा का आभाव तथा कमोडिटी मार्किट को समझने के लिए प्रशिक्षण की जरुरत हे, वह किसानो को उपलब्ध नहीं होती।
उत्पादन की खरीद बिक्री करने वाले बिचोलिये इसका फायदा उठाते हे, जिससे किसानो को इसका फायदा नहीं मिलता है। अमरीका जैसे भारत के किसान आर्थिक और शिक्षा से प्रशिक्षित नहीं हे। बड़ी बड़ी कम्पनिया यह उत्पादन व्यावसायिक तौर पर निकालना चाहती हे और सरकार से पॉलिसी के माध्यम से पूरी दुनिया में शुरू हे।
इन्वेस्टर की दृष्टी से देखे तो कमोडिटी मार्किट यह स्टॉक मार्किट से बड़ा बाजार उपलब्ध होने वाला है। स्टॉक मार्किट से अच्छे रिटर्न्स इन्वेस्टर को कमोडिटी बाजार से भविष्य में मिल सकते हे और यह मार्किट अभी शुरुवाती स्तर पर है। इसमें लम्बे निवेश नहीं होते वह कॉन्ट्रैक्ट बेस व्यवहार होते है जिसके लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है।