प्रस्तावना / Introduction –

हमने इससे पहले का आर्टिकल पढ़ा होगा जिसमे मैंने आधुनिक बिज़नेस के बारे में विस्तार से लिखा है , यहाँ हम देखेंगे शेयर बाजार कैसे काम करता हे।शेयर बाजार के बारे में इससे पहले उसका इतिहास और शेयर निवेश के फ़ण्डामेंट्स के बारे में देखा यह शेयर मार्किट के बारे में दूसरा आर्टिकल है।

विकसित देशो में शेयर बाजार में निवेश करने का लोगो का प्रतिशत बहुत ज्यादा है , भारत में यह प्रतिशत ४% प्रतिशत के पास है बाजार में लगबघ आज के दिन तक ४५% निवेश छोटे निवेशक करते है बाकि निवेश विदेशी इन्वेस्टमेंट और वित्तीय संस्थाए इनका हिस्सा है। हमारे यहाँ बैंक में फिक्स डिपाजिट करना लोग ज्यादा पसंद करते है , शेयर बाजार में निवेश को एक सट्टा मानते है। अमरीका जैसे विकसित देश में एप्पल , गूगल , माइक्रोसॉफ्ट , फेसबुक जैसी बड़ी बड़ी कम्पनिया दुनिया भर में अपना वर्चस्व प्रस्थापित कर रही है।

इसका कारन है अमरीका में शेयर मार्किट के बारे में लोगो की जागृती और विश्वास जो कानून बनाकर इन्वेस्टर को प्रोटेक्शन देता है। भारत में निवेश के बारे लोगो में जाग्रती करने की जरुरत हे जिससे शेयर बाजार में निवेश और ज्यादा बढ़ेगा। विदेशी निवेश १९९० के रिफॉर्म्स के बाद जितना बढ़ना चाहिए था उतना नहीं बढ़ा , आज यह केवल १६% प्रतिशत है।

शेयर बाजार में निवेश बढ़ना क्यों जरुरी है ? जितना शेयर बाजार में निवेश बढ़ेगा उतना कम्पनिया आपने प्रोजेक्ट्स बढ़ाएगी और उससे रोजगार उपलब्ध होंगे ऐसा साइकिल हे यह अर्थ व्यवस्था का। इसलिए आज हम यहाँ शेयर मार्किट के बारे में विस्तार से जाने गे की शेयर बाजार कैसे चलता है। क्यूंकि बहुत सारे लोगो को लगता हे की शेयर मार्किट याने केवल शेयर खरीदना और बेचना, मगर शेयर मार्किट में इक्विटी बाजार के आलावा क्या क्या होता हे यह हम आगे विस्तार से जानेगे।

सिक्योरिटीज मार्केट / Securities Market –

सिक्योरिटीज मार्किट का मतलब होता हे शेयर मार्केट से कंपनियां अपने लिए पैसा खड़ा करती हे जिसमे इक्विटी , डिबेंचर , बांड , डेरिवेटिव्स के माध्यम से। जितने भी फंड रेजिंग के स्त्रोत होते हे उस सभी माध्यम को मिलकर टर्म इस्तेमाल किया जाता है सिक्योरिटीज मार्किट।

शेयर मार्केट यह टर्म केवल एक सिक्योरिटी के लिए है इसमें बाकि निवेश भी आते है जिसमे मुख्यता कंपनी में हिस्से दारी के लिए शेयर्स होते हे तो बांड और डिबेंचर यह कर्ज के रूप में कंपनी मार्किट से खड़ा करती है।

  • इक्विटी शेयर्स
  • बॉन्ड
  • डिबेंचर
  • डेरिवेटिव्स

सिक्योरिटी मार्केट के प्रकार / Types of Security Market –

प्राइमरी मार्केट / Primary Market –

प्राइमरी मार्किट यह बाजार में कंपनी लिस्ट होने से पहले, या बांड और डिबेंचर इशू करने से पहले प्राइमरी मार्किट में सेबी के सभी प्रक्रिया को पूरा करके स्टॉक एक्सचेंज में अपना शेयर पहली बार निवेशक के लिए लाती हे इससे पहले यह शेयर्स की ट्रेडिंग नहीं की होती।

सरकारी कंपनिया बांड इशू करके पैसा खड़ा करती है और दूसरी कम्पनिया IPO आईपीओ के जरिये पहली बार निवेशक आकर्षित करती है , इसको प्राइमरी मार्किट कहते है।

सेकेंडरी मार्किट / Secondary Market –

प्राइमरी मार्किट में शेयर्स या बांड इशू होने के बाद वह शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हो जाते हे जो निवेशक कभी भी बाजार की उतार चढाव में वह शेयर्स और बांड खरीद सकती है।

आईपीओ क्या होता है ? / What is IPO –

यह प्राइमरी मार्किट में जब कंपनी पैसा जुटाने के लिए INTIAL PUBLIC ISSUE MARKET में लाती है तो उसकी एक प्रोसेस होती हे जो सेबी को इसके बारे सभी इनफार्मेशन देनी होती हे और बाद में वह IPO बाजार में सेबी के गाइड लाइन के तहत उसका मूल्य निर्धारित किया जाता हे ओपन करने के लिए यह पहली बार कंपनी और निवेशक का व्यवहार होता हे उसके बाद मार्केट में यह शेयर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होता है। इसके शुरुवाती निवेशक सीधा कंपनी से जुड़ जाते है।

(SEBI) सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया –

यह शेयर बाजार पर नियंत्रण रखने वाली रेगुलेटरी अथॉरिटी है जिसे १९९२ में संसद में कानून बनाकर पास किया गया था। बाजार की सभी गति विधियों पर नियंत्रण रखने का काम सेबी करता है। शेयर बाजार के लिए रूल्स और रेगुलेशन बनाता है। किसी भी कंपनी को बाजार में लिस्ट होना हो तो पहले सेबी को सभी डाक्यूमेंट्स जमा करना होता है सेबी के परमिशन के बाद कोई भी कंपनी बाजार में लिस्ट होती है।

सेबी की स्थापना से पहले कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इशू यह संस्था शेयर मार्केट पर नियंत्रण रखती थी जो कॅपिटल इशू (कंट्रोल) एक्ट १९४७ यह कानून से चलती थी। सेबी के मुख्यता तीन काम होते है। नियम बनाना , न्याय करना , और कानून के तहत शेयर बाजार कैसे चल रहा है यह देखना।

BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) –

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना १८७५ में हुई थी और यह एशिया का सबसे पुराना शेयर मार्किट है। जिस की शुरुवात मूलतः १८५० में पांच शेयर्स ब्रोकर्स ने मिलकर की थी। १९५७ भारत सरकार की मान्यता मिलने वाली पहली स्टॉक एक्सचेंज जो सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स रेगुलेशन एक्ट के तहत मिली थी।

BSE में ५७४९ कंपनियां लिस्टेड है जो बाजार से अपने कंपनी के लिए पैसा खड़ा कर चुकी है। BSE -३० यह इंडेक्स स्टॉक एक्सचेंज की मुख्य ३० कंपनियों का और S & P इंडेक्स ऐसे महत्त्व पूर्ण इंडेक्स शेयर बाजार के परफॉर्मन्स को दर्शाने के लिए बनाये गए है जिससे निवेशक बाजार की स्थिति पहचान सके।

NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ) –

देश के मुख्य दो स्टॉक एक्सचेंज में से एक NSE यह स्टॉक एक्सचेंज १९९२ अस्तित्व में आया जिसको भारत की बड़ी बैंको और इन्शुरन्स कंपनी ने फॉर्म किया था। NSE का निफ़्टी -२० यह इंडेक्स काफी प्रचलित हे जो इस स्टॉक मार्किट के मुख्य ५० कंपनी के शेयर्स के परफॉरमेंस को दर्शाता है।

NSE यह पहला शेयर मार्किट हे जिसने शेयर्स डीमैट फॉर्म में लाया और हमें यह सवाल हमेशा आता हे की हम हमेशा NSE से शेयर ट्रेडिंग क्यों करते है ? तो BSE स्टॉक मार्किट से ज्यादा अपडेट और अच्छी लिक्विडिटी यह स्टॉक मार्किट रखता हे , ट्रांसपेरन्सी के मामले में भी यह स्टॉक मार्किट बेहतर है इसलिए ब्रोकर्स को और शेयर इन्वेस्टर NSE से ट्रेडिंग करना प्रेफर करते है।

शेयर ब्रोकर / Share Brockers –

शेयर मार्किट और निवेशक /इन्वेस्टर्स के बिच जो कंपनी या व्यक्ती काम करती हे उसे ब्रोकर कहा जाता है जो निवेशक के लिए शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करने की पूरी प्रक्रिया को सेबी की गाइड लाइन के अनुसार सेवा प्रदान करता हे और इसके बदले खुदका कमीशन लेता है।

यह ब्रोकर सेबी में रजिस्टर होता है उसकी पूरी जानकारी सेबी के पास जमा करने के बाद सेबी उस व्यक्ति या कंपनी को सेबी का रजिस्टर नंबर देती हे निवेशक के प्रतिनिधि के तौर पर शेयर मार्किट में काम करने के लिए।

सब ब्रोकर / Sub Brockers –

कभी कभी हम यह नाम भी सुनते हे जो सेबी में रजिस्टर्ड नहीं होते मगर सेबी में रजिस्टर्ड ब्रॉकर्स के लिए काम करते हे और निवेशक -ब्रोकर को साथ लाने का काम करते है। अगर आपको निवेश करना हो तो जो ब्रोकर सेबी के लिस्ट में रजिस्टर हो उसीसे अपना शेयर मार्किट डीमैट निकल के ले , सुरक्षा की दृष्टी से यह बेहतर रहता है।

शेयर बाजार के निवेशक / Investors of Share Market –

शेयर बाजार में मुख्यता छोटे निवेशक , फाइनेंस कम्पनिया , म्यूच्यूअल फंड्स , विदेशी भारतीय और विदेशी फाइनेंस संस्थाए निवेश करती है। १९९० के बाद भारत में कंपनियों को ज्यादा निवेश मिले इसलिए नरसिम्हाराव सरकार ने विदेशी निवेश को भारत में निवेश करने को आमत्रित किया मगर आज तक इसमें भारतीय शेयर बाजार में विदेशी फाइनेंस कंपनियों का निवेश केवल १६% ही हे।

भारत के छोटे निवेशक शेयर बाजार में अभी निवेश करने के लिए बहुत आते है। भारतीय लोगो की खरीद क्षमता कम होना यह भी कारन हो सकता है लोगो का बाजार में कम निवेश होने का।

म्यूच्यूअल फण्ड / Mutual Funds –

म्यूच्यूअल फण्ड यह एक निवेशक होता हे जो एक ही उद्देश्य के निवेशक की निवेश को NAV के माध्यम से रिटर्न्स देता हे , यह निवेशक डायरेक्ट शेयर बाजार में निवेश नहीं करते जैसे इक्विटी बाजार में निवेशक डीमैट अकाउंट के साथ शेयर ब्रोकर हायर करके निवेश करते है।

म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशक जिस कंपनी के म्यूच्यूअल फण्ड लेते हे वह कंपनी अपनी एक्सपर्ट टीम से म्यूच्यूअल फण्ड के लिए बाजार में निवेश करने का काम करती हे और कौन से सेगमेंट में निवेश करे यह तय करती है। सामान्य निवेशक म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना पसंद करता है , क्यूंकि उसको शेयर मार्किट का नॉलेज कम रहता है।

शेयर मार्किट की निवेश की पद्धती –

बाजार में कई शेयर ब्रोकर होते हे जो सेबी से रजिस्टर होते हे वह आपको इलेट्रॉनिक फॉर्म में शेयर मार्किट का पूरा प्रोसेस आपके कंप्यूटर लैपटॉप या मोबाइल पे मुहैया करा कर देते है। आपका बैंक अकाउंट उससे लिंक करना होता है , उस पैकेज के साथ इन्वेस्टमेंट एडवाइस सर्विसेज भी ब्रोकर आपको देता हे आप पे निर्भर होता हे वह लेना हे या नहीं।

१९९० से पहले यह पद्धति कागजी चलती थी और उसमे शेयर ट्रांसफर को बहुत वक्त लगता था मगर इंटरनेट तकनीक आने के बाद यह सुविधा बहुत ही ट्रांसपेरेंट हो गयी है।

बुनियादी बातों और तकनीकी विश्लेषण/ Fundamentals & Technical Analysis –

शेयर बाजार में जब लोग तथा फाइनेंस कम्पनिया पैसा लगाती हे तब उन्हें कंपनी के फंडामेंटल्स तथा टेक्निकल विश्लेषण करना होता हे जिससे कंपनी के बारे अध्ययन किया जाता है। यह एक कंपनी को स्कैन करने की पद्धती मानी जाती है।

मुख्य रूप से शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले तथा निवेश करने वाले लोग तथा संस्थाए देखने को मिलती है। जो लोग निवेश करना चाहते हे उन्हें कंपनी के फंडामेंटल्स जानने की जरुरत होती हे जिससे उनकी निवेश सुरक्षित बन सके मगर टेक्निकल अनालिसिस यह बड़ी बड़ी फाइनेंस संस्थाए करती हे जिससे छोटे समय के निवेश के लिए एक कंपनी का भविष्य होता है।

टेक्निकल एनालिसिस की जरुरत लम्बे समय के लिए निवेश करने वाले लोगो को नहीं पड़ती मगर बहुत बार यह जानकारी हमें नहीं होती इसलिए मीडिया के माध्यम से तथा सोशल मीडिया द्वारा हम छोटे अवधी के लिए निवेश कर के बड़े निवेशक के सामने फस जाते है।

न्यूज़ और सरकार की पॉलिसी पर निवेश करना / Government Policies & News base Investments –

शेयर बाजार में निवेश करना तथा ट्रेडिंग करना इसपर सबसे ज्यादा परिणाम देखने को मिलता हे वह मीडिया द्वारा किसी कंपनी संबंधी न्यूज़ देना। जिससे शेयर बाजार में हम उतर चढाव देखते है यह न्यूज़ कंपनी के अंतर्गत होने वाली गतिविधि के बारे में हो सकती है अथवा बाहर कंपनी के संबंध में जीतनी घटनाए होती उसके बारे न्यूज़ देखकर बाजार में उतार चढाव देखने को मिलते है।

खेती के लिए मौसम कैसा रहेगा इसपर भी शेयर बाजार की हलचल निर्भर रहती है। अगर मौसम अच्छा हो तो हमें बाजार में तेजी देखने को मिलती हे तथा मौसम अगर ख़राब हो तो हमें बाजार में मंदी का माहौल देखने को मिलता है।

सरकार की पॉलिसी द्वारा शेयर बाजार में उतर चढ़ाव हमें देखने को मिलते हे जिसमे हर साल जो बजेट प्रसिद्द किया जाता है, जिससे काफी पॉलिसी के परिणाम हमें बाजार पर देखने को मिलते है। इसलिए निवेश अथवा ट्रेडिंग करते समय यह चीजे हमें ध्यान में रखनी पड़ती है।

राजनितिक घटनाए तथा आर्थिक परिस्थिति यह भी बाजार पर प्रभाव डालते हे इसलिए प्रोफेशनल निवेशक सस्थाए इन सारी बातो का डाटा अपने पास रखती हे तथा टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अल्गोरिद्म बनाकर बाजार में ट्रेडिंग करती हे जिसके लिए वह हजारो करोड़ रूपए लगाते है।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने शेयर मार्किट के बारे में जाना जिसमे सेबी , NSE , BSE के बारे में जाना। शेयर मार्किट का मतलब केवल इक्विटी शेयर में निवेश करना नहीं होता बल्कि डेब्ट इक्विटी भी मार्किट में इशू की जाती है।

सरकारी कम्पनिया मुख्यता जब उनके बजट में पैसा कम गिरता हे तो शेयर मार्किट में बांड इशू करके फण्ड तैयार किया जाता हे इसमें केंद्र सरकार , राज्य सरकार , लोकल अथॉरिटी जैसे म्युनिसिपल कारपोरेशन खुद के बॉन्ड बाजार में इशू करके पैसा रेज करती है।

अन्य कम्पनिया डिबेंचर इशू कराती हे जिससे कंपनी में वह निवेशक केवल बैंकर का काम करता हे मालिक नहीं बनता। हम बाकि निवेश, शेयर मार्किट में कर सकते हे बस पूर्णतः अभ्यास होना जरुरी होता है।

स्टॉक ब्रोकर कंपनी कैसे चुने ?

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