प्रस्तावना / Introduction –

“We more suffer in Imagination than Real Life – Seneca ” हम हमारे वास्तविक जीवन में कम और काल्पनिक दुनिया में ज्यादा भय का सामना करते है। “भय का मनोविज्ञान” यह इंसान के बचपन के पालन पोषण से यह तय होता हे की वह भय को कैसे नियंत्रित करना है, क्यूंकि हम देखते हे की अलग अलग व्यक्ती का भय का व्यवहार अलग अलग होता है। कोई इंसान काफी जेनेटिक ही डरपोक होता है तो कोई इंसान बहुत निडर होता है। इसलिए भय के मनोविज्ञान को साधारण भाषा में समझना काफी जरुरी है।

आज हमारे जीवन में हमारे नजदीकी रिश्ते , समाज तथा आर्थिक बाजार यह हमारे डर पर अभ्यास करता रहता है और इसके हिसाब से हमारे साथ बर्ताव करता है। इसलिए हमें हमारे भय को कैसे नियंत्रित करना है यह हमारी बेहतरीन जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भय यह हमारे भावनिक होने का सबूत हे और यह हमारे लिए वरदान भी हेतथा शाप भी है, बस हम इसे कैसे नियंत्रित करते हे इसपर भय का प्रभुत्व निर्भर करता है। दिखने को यह काफी साधारण शब्द लगता हे मगर इसमें काफी गहराई देखने को मिलती है।

अगर हम हमारे आस पास के लोगो का अध्ययन करे तो हर कोई खुद को निडर और दुसरो को डराना चाहता है, कोई चाहे बाड़े पैमाने पर तो कोई थोड़ी मात्रा में मगर हर एक इंसान का यही व्यवहार देखने को मिलता है। जो लोग इस जाल में फस जाते हे उनकी जिंदगी नर्क समान बन जाती है। ज्यादा निडर होना भी खतरे से खाली नहीं होता क्यूंकि कब पीछे हटना हे और परिस्थिति की गंभीरता को समझना है यह काफी जरुरी होता है। इसलिए हम इस आर्टिकल के माध्यम से “इंसान का भय” इस विषय पर अध्ययन करने की कोशिश करेंगे।

भय क्या होता है ? / What is Fear –

कुदरत ने हमें खतरे से बचने के लिए एक शक्ति दी हे जिसे हमारे पूर्वजो ने काफी प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया है, जिनको हमेशा मृत्यु का भय लगा रहता था। आज हमें मृत्यु का भय नहीं हे मगर फिर भी हम हमारे पूर्वजो से ज्यादा तनावभरा जीवन जीते है, और वास्तविक जीवन से ज्यादा हमारे काल्पनिक दुनिया में सबसे ज्यादा भय का सामना करते है। वास्तविक जीवन में ज्यादातर चीजे नहीं होती जो हम हमारे कल्पनाओ में होती है फिर भी हम दिन रात यह भय पालते है।

हमने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का निर्माण किया जो इंसान से ज्यादा क्षमता से काम करता है परन्तु उसमे और इंसान में जो सबसे महत्वपूर्ण फर्क हे वह हे इमोशंस / भावनाए जो इंसान में होती है। “भय” यह इंसान के भावना का महत्वपूर्ण हिस्सा हे जो इंसान के आतंरिक और बाहरी शरीर को सूचना देता हे की संकट की परिस्थिति में उसे शरीर को कैसे सुरक्षित रखना है। पॉलिटिशियन हमेशा भय के आधार पर अपने मतदाता को चुनाव जितने के लिए आकर्षित करता है, डॉक्टर अपने मरीज को भय के आधार पर ज्यादा खर्च करने के लिए तैयार करता है।

बाजार में मार्किट समाज के इमोशंस पर संशोधन करके ख़ुशी , लालच और भय जैसे इमोशंस का इस्तेमाल प्रॉफिट कमाने के लिए करता है। क्रिमिनल्स मारने का भय दिखाकर जीवन की सुरक्षा के बदले पैसे ऐठता है। हमारे आसपास कई सारी गतिविधिया देखने को मिलती है जो हमें हमेशा डर के माहौल में रखना चाहती है। हम हमेशा तनाव में रहते हे इसका मतलब हे की हम हमेशा किसी भय का सामना कर रहे है। हमारा अज्ञान यह हमारे भय का महत्वपूर्ण कारन होता है, जितना हम किसी जानकारी से अनभिग्न रहते है उतना हम उस चीज से डरते है।

भय का मनोविज्ञान / Fear Psychology –

स्कूल और कॉलेज में बिज़नेस कैसे खड़ा किया जाए यह सिखाने वाला प्रोफेसर किसी उद्यमी (Entrepreneur) से अलग होता है, क्यूंकि इन दोनों में जो मुलभुत फर्क होता है वह भय को नियंत्रित करने का होता हैजो उद्यमी के पास बेहतरीन होता है। किसी कंपनी का सीईओ बनना और हर साल निश्चित सैलरी लेना यह अलग बात है, मगर उसी सीईओ को कोई बिज़नेस शुरू करने के लिए कहा जाए तो वह विफल होता है । इन सभी चीजों में महत्वपूर्ण होता है इंसान का भय जो वह कैसे नियंत्रित करता है।

सफल व्यक्तियों का अगर अध्ययन करे तो वह भावनिक दृष्टी से कठोर होते है, जो लोग भावनिक दृष्टी से कठोर नहीं होते वह जीवन में सफर करते है। इसका दूसरा मतलब हे की हम हमारी भावनावो पर कंट्रोल रखना हमें समझना होगा अथवा प्रशिक्षित होना होगा तभी हम सफल बन सकते है। कुदरती तौर पर देखे तो हम अगर भय को महसूस नहीं कर सके तो हमपर होने वाले वास्तविक हमलो पर हम प्रतिक्रिया नहीं दे सकेंगे। जिससे हमारे शरीर की हानी हो सकती है, यह प्रतिक्रिया का गुन हमें हजारो सालो से हमारे पुरखो ने हमें दिया है।

हमारे पुरखे हजारो साल पहले किसी जहरीले साप से अथवा हिंसक जानवर से बचने के लिए जो प्रतिक्रिया देते थे वह आज हमें देने की जरुरत नहीं है। क्युकी हम आज सुरक्षित घर बनाना सिख गए है , हमारे यहाँ कानून व्यवस्था है जिससे कोई आपको ख़त्म नहीं कर सकता। मगर फिर भी इंसान तनावभरा जीवन जीता है और कैंसर, हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का शिकार बनता है। इसलिए इंसान का भय यह निरंतर इंसान से जुडी हुई सोच बन गयी हे जो निरंतर उसे तनाव में रखती है।

सफलता और डर का मनोविज्ञान / Success & Fear Psychology –

कोई भी सफल वकील अगर खुद किसी कानूनी मुसीबत में फस जाए तो वह दूसरा वकील कोर्ट में खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए चुनता है, ऐसा वह क्यों करता है ? सुंदर पिचाई गूगल का सीईओ है, क्या वह गूगल को रिजाइन देकर खुद की सफल कंपनी बना सकता है ? स्टीव जॉब अथवा एलोन मस्क बनना अलग बात हे और किसी कंपनी का अधिकारी बनना यह अलग बात है। वैसे तो सफलता की व्याख्या करना काफी मुश्किल काम हे मगर जो लोग अपनी सफलता शून्य से निर्माण करते हे ऐसे लोग दुनिया में काफी कम होते है।

आज जो मक़ाम कोई व्यक्ति हासिल करता है इसके लिए अलग अलग स्थर से वह यह मंजिल हासिल करता है। इन सभी लोगो में सबसे महत्वपूर्ण गुन अलग अलग तरीके से होता है, और वह हे भय पर नियंत्रण करना। जो इंसान भय से जितना ज्यादा लोहा लेता हे वह सबसे ज्यादा असफलता से सामना करता है। जिसमे थॉमस एडिसन से लेकर एलोन मस्क तक इन सभी लोगो के जीवन का अध्ययन करे तो यह लोग बहुत असफल हुए है। आर्थिक रूप से सफल होने के लिए केवल बुद्धिमान होना काफी नहीं है, निडर होना यह गुन भी महत्वपूर्ण होता है।

इसलिए सभी बुद्धिमान लोग अपने निर्माण किए हुए विचारो पर प्रत्यक्ष इस्तेमाल नहीं करते क्यूंकि इसमें असफल होने की संभावनाए काफी ज्यादा होती है। बुद्धिमान व्यक्ति असफल होने से सबसे ज्यादा डरता है, क्यूंकि वह अपनी इमेज समाज में एक सफल व्यक्ति की तरह रखना चाहता है। इसलिए विंस्टन चर्चिल कहते हे की “सफलता यह कोई स्थायी चीज नहीं है तथा असफलता कोई किस्मत नहीं है”। इसलिए किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए भय का मनोविज्ञान समझना काफी महत्वपूर्ण है।

भय से मुक्ती कैसे हासिल करे / How to Overcome Fear –

वैज्ञानिक अध्ययन से यह पता चला है की इंसान उम्र के ८ से १२ महीने के बच्चे यह हमारे समाज को निरिक्षण से सिखते है, जिसमे अलग अलग चीजों का अनुभव वह लेते है। जैसे आग से बचना चाहिए, उचाई से बचना चाहिए यह अनुभव वह लेते रहते है। इंसान बहुत सारे भय यह खुद महसूस अथवा अनुभव से सीखते हे तथा कुछ भय हमारे आस पास के परिवार से और समाज से सीखते है। जिसमे शेर और साप को देखकर बचना चाहिए ऐसे जेनेटिक भय हममे जेनेटिकली पिछली पीढ़ियों से हमें मिलता है ।

मेडिकल साइंस तथा मनोविज्ञान शास्त्र ने भय से मुक्ती पाने के लिए काफी सारा अध्ययन किया है जिसके लिए मस्तिष्क और हमारे शरीर के बाकि हिस्से कैसे प्रतिक्रिया देते हे इसका अध्ययन भी किया जाता है। हम मेडिकल की टेक्निकल भाषा का इस्तेमाल करने की बजाय साधारण भाषा में भय से बाहर कैसे आना है यह जानने की कोशिश करेंगे। किसी भी भय का कारन होता है हमारी काल्पनिक सोचने की शक्ति जो ज्यादातर बुरा देखती हे जिससे हमें भय निर्माण होता है।

इसलिए जब किसी भय को ख़त्म करना हो तो उसपर रैशनल तरीके से सोचकर इसके वास्तविकता में कितने बुरे परिणाम हो सकते है यह सोचना जिससे हमारी भय की तकलीफ कम होती है। कुछ भय वास्तविक होते है मगर हम यह वास्तविकता को स्वीकार करके अपने भय को नियंत्रित कर सकते है। हमारी कल्पना शक्ति जितना बुरा देखती हे उतना बुरा हमारे वास्तविक जीवन में कभी नहीं होता है, इसका प्रमाण केवल पांच प्रतिशत होता है। इसलिए हमें डर के सबसे बुरे परिणाम को सोचते हुए इसपर समाधान ढूंढना चाहिए।

भय के विविध प्रकार / Types of Various Fears –

  • मरने का भय
  • हारने का भय
  • बोलने का भय
  • परीक्षा का भय
  • उचाई का भय
  • अस्वीकृती का भय
  • पानी में डूबने का भय
  • अपनों के खोने का भय

ऊपर दिए गए जितने भी भय हमारे जहन में होते हे, इसमें पीछे हमारा भूतकाल इसके लिए कारन होता है। हम जिस परिस्थिति में जीवन जीते है वैसे ही हमारी सोच बन जाती है, जिसमे अगर हमें हारने से भय लगता है। इसका मतलब हमारे आसपास के लोग ९ – ६ नौकरी करना पसंद करते है और अगर आप बिज़नेस करना चाहते हो तो वह एक साहसी निर्णय होता है। ऐसे समाज में असफलता किसी बुरे शाप की तरह ट्रीट होती है, बगैर किसी जोखिम के नौकरी करके हर महीने तनखा लेना यही आदर्श जीवन होता हे ऐसी इस समाज की धारणा होती है।

इसलिए हमारे भय यह हम जिस समाज में रहते हे इसका आईना होते है, इसमें भी कई भय यह हमारे जिंदगी में गुजरे हुए कुछ बुरे समय से निर्माण होते है। इसलिए इन सभी भय में आपको कोई भी एक भय हो सकता है जिसको ख़त्म करने के लिए अलग अलग तरह से देखना जरुरी होगा। जो इंसान अपने भय को नियंत्रित करने का हुनर सिखता है वही जीवन में सुखी रह सकता है अन्यथा वह हमेशा तनावभरा जीवन जीता है।

हमारे भय यह कुछ जेनेटिक होते हे वही कुछ पिछले बुरे अनुभवों से हमें मिलते है इसलिए हमें कुछ डर यह कुदरती तौर पर मिले होते हे जो हमारे शरीर को सुरक्षित रखने के लिए होते है। इसलिए भय अथवा डर से हमें पूरी तरह से मुक्ति चाहिए यह बिलकुल गलत धारणा है। वास्तविक जीवन में जीते समय हमें हमारे कुछ भय को लोगो से छुपाकर जीना पड़ता है, क्यूंकि लोग हमारे डर का इस्तेमाल हमें नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकते है। ९५ प्रतिशत डर यह काल्पनिक होते हे जिसे हम तनाव अथवा डिप्रेशन जैसी बीमारी कह सकते है जिसको रैशनल तरीके से ख़त्म किया जा सकता है।

भय /डर के महत्वपूर्ण कारन / Important Reasons of Fear –

हमारे सभी भय का महत्वपूर्ण कारन हमारी परवरिश तथा हमारे पिछले अनुभव पर आधारित होते है। अगर हमें भय के लक्षण जानने हो तो वह है छाती में दर्द होना , मुँह का सुखना , ठंड लगना, सांसो का प्रमाण बढ़ना , पसीना छूटना , पेट ख़राब होना , उलटी जैसा अहसास होना , सास लेने में कठिनाई होना तथा शरीर का कंपन होना यह भय के दार्शनिक लक्षण देखने को मिलते है।

हमारे जीवन में किसी भी भय का सबसे महत्वपूर्ण कारन होता हे हमारा अज्ञान जिसकी वजह से सबसे पहले हमें भय निर्माण होता है। इसके बाद दूसरा कारन होता है हमारे पिछले बुरे अनुभव जो हमने झेले है तथा तीसरा कारन होता है हम जिस समाज का हिस्सा होते है उस समाज की सामूहिक सोच कैसी है। जो समाज सामूहिक रूप से किसी चीज से डरता है तो वह डर हमारी आदत बन जाती है, चाहे वह वास्तविक हो अथवा काल्पनिक हो मगर वह भय हमारा हिस्सा बन जाता है।

हमारे बुरे अनुभव हमारी आदतों के रूप में हमारे अवचेतन मन का एक अभिन्न हिस्सा बन जाते है जिसको हमारे सोच से बाहर निकालना काफी मुश्किल होता है। इसलिए मेडिकल साइंस ने मनोविज्ञान के आधारपर इसके लिए कई चिकिस्ता पद्धती बनाई है। भारत जैसे विकासशील देश में हमें कोई मनोवैज्ञानिक बीमारी हुई हे यह पहले तो कोई स्वीकार नहीं करता है, इसपर दूसरा मनोवैज्ञानिक डॉक्टर को दिखाना यह हमें काफी अजीब चीज लगती है। इसलिए ज्यादातर लोग बिना किसी इलाज में अपने मानसिक बीमारी को वैसे हे लेकर जीवन जीते है।

मार्किट डर का इस्तेमाल प्रॉफिट कमाने के लिए कैसे करता है / How Market exploits fear Psychology for making Profit –

कोरोना के समय जीतनी यह बीमारी गंभीर थी इससे ज्यादा लोगो में भय निर्माण हुवा था जिसके कारन कई लोगो ने अपने प्राण गवाए है। जिसमे मीडिया का सबसे अहम् भूमिका रही है इसलिए किसी भी बीमारी के वास्तविकता के बारे में बगैर जाने किसी निर्णय पर पहुंचना जोखिमभरा हो सकता है। चाहे मेडिकल क्षेत्र हो अथवा लीगल क्षेत्र हो जितने भी पेशेवर व्यवसाय मार्किट में चलाए जाते हे वह समाज के मनोविज्ञान के आधार पर अपनी मार्केटिंग करते है। अपने प्रोडक्ट अथवा सर्विसेज लोगो को बेचना यह इन कंपनियों का काम होता है।

लोगो की भावनाओ पर यह कम्पनिया अपना प्रोडक्ट अथवा सेवा बेचती है जिसके लिए नियंत्रित कानून बनाना काफी मुश्किल काम होता है, इसलिए हमें खुद ही ऐसी चीजों के बारे में सावधान होना जरुरी है। जब हम किसी अस्पताल में कोई बीमारी का इलाज करने के लिए जाते है तो सबसे पहले वह हॉस्पिटल आपको उस बीमारी के परिणाम बताकर डराने की कोशिश करता है। इसमें ज्यादा तर लोग फस जाते है, इसके लिए तर्क संगत जानकारी हासिल करके तथा दो तीन विशेषज्ञों से सलाह लेकर हम किसी निर्णय पर पहुंच सकते है।

मार्किट में ऐसा माना जाता हे की आपका अज्ञान ही कंपनी का प्रॉफिट तय करता है, अज्ञान जितना ज्यादा होगा उतना प्रॉफिट ज्यादा होता है। इसलिए हमें हमारी सही जानकारी को हमेशा अपडेट रखना चाहिए जिससे हमारा किसी चीज के प्रति डर ख़त्म हो सके। जैसे की हमने देखा हे की वैज्ञानिक तौर पर ९५ प्रतिशत हमारा डर यह काल्पनिक होता है और केवल पांच प्रतिशत डर वास्तविक होता है जिसे हमें रैशनल तरीके से सॉल्व करना होता है। इसलिए हमें हमारे डर पर नियंत्रण रखना तथा अपने डर को लोगो से छुपाना सीखना होगा जो इसका दुरूपयोग आपको नुकसान पहुंचाने के लिए करना चाहते है।

भय /डर मनोविज्ञान की विशेषताए / Features Fear Psychology –

  • हमारा भय यह हमारे जेनेटिक गुणों के कारन हममे विकसित होता है जो हमारे पुरखे किसी संकट पर प्रतिक्रिया देते थे, इसलिए हमारा शरीर किसी भी संकट में हमें यह आदेश देता हे की हमें इस चीज से बचाना चाहिए।
  • भय यह हमारे शरीर के लिए बुरी चीज नहीं हे, यह भावना हमारे शरीर की सुरक्षा के लिए विकसित हुई है, फर्क सिर्फ इतना हे की हमारा मस्तिष्क हमें ऐसे काल्पनिक दुनिया में लेके जाता है जो चीजे वास्तविकता में हमारे साथ नहीं होती।
  • हमारे पिछले अनुभव जीवन में कैसे रहे है इसपर हमारे कुछ भय तैयार होते है जो घटनाए हमारे साथ वास्तविक हुई होती हे जिसके अनुभव बुरे होते है।
  • भय यह हमारा महत्पूर्ण इमोशंस है जो बाकि इमोशंस की तरह हमें इसको नियंत्रित रखना है जिसके लिए हमें हमारे मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होता है।
  • भय के लक्षण होते है शरीर कंपन होना , गला सुखना , ठण्ड लंगना, पसीना छूटना इत्यादि इसलिए यह लक्षण कुदरती तौर पर हमें जेनेटिक मिले है।
  • किसी इंसान को बिज़नेस करने का डर होता हे, वह नौकरी करना पसंद करता है। यह इसकी जेनेटिक आदत बन जाती हे किसी भी अनजान चीज से डरने की जिसके कारन यह एक्शन वह लेता है।
  • हमारा किसी चीज के प्रति अज्ञान हमारे भय का कारन बन सकता है, इसलिए उस नॉलेज को हासिल करना यह ऐसे भय को ख़त्म करने का सलूशन हो सकता है।
  • भय को रैशनल थिंकिंग से नियंत्रित किया जा सकता है, जिसके लिए किसी भी परिणाम से कितना बुरा हो सकता हे यह निर्धारित करके हम वास्तव स्वीकार करे।
  • ९५ प्रतिशत भय / डर यह काल्पनिक होते हे जो वास्तव में कभी नहीं होते जो एक भय की बीमारी के स्वरुप में हमें तकलीफ देते है जिसे तनाव , डिप्रेशन जैसी बीमारिया कह सकते है।
  • हमारे पुरखो को जंगलो में मरने का भय हमेशा लगा रहता था, आज के आधुनिक इंसान को यह मरने का भय नहीं हे परन्तु फिर उसे कैंसर और हार्ट अटैक जैसी बीमारिया तनाव की वजह से झेलनी पड़ती है।
  • मार्किट में कम्पनिया यह इंसान के भय का इस्तेमाल प्रॉफिट कमाने के लिए करती है, तथा शासक वर्ग लोगो के भय का इस्तेमाल निरंतर शासक बनने के लिए करते है।
  • जो इंसान भय को नियंत्रित करने में कामयाब होता हे वह दुनिया पर राज कर सकता है, इतना महत्वपूर्ण यह मसला है।
  • मार्किट में लोग आपके भय को ऑब्ज़र्व करके अपनी रणनीति निर्धारित करते है जिससे आपका फायदा उठा सके,इसलिए हमें हमारे डर को छुपाने का हुनर सीखना होगा ।

निष्कर्ष / Conclusion –

दुनिया में ऐसा कोई इंसान हमें नहीं मिलेगा जिसके मन में कभी आत्महत्या करने के विचार न आए हो, चाहे वह कितने भी बुद्धिजीवी हो अथवा साधारण इंसान हो। इंसान के आलावा हमारे धरती पर जितने भी जिव हे वह आत्महत्या नहीं करते वह अनजाने में अपने शरीर को संकट में डालते हे और मर जाते है। हार्ट अटैक जैसी बीमारिया इंसानो में ही पायी जाती हे जो हमारे तनाव भरे जीवन शैली का परिणाम है। हमारे पूर्वज हर समय मौत से लड़ते रहते थे तभी भी वह इतना तनाव नहीं लेते थे जितना आज का इंसान लेता है।

समाज की जो मान्यताए होती हे यह हमें तनाव का कारन बनती है, जिसे हम कभी तोड़ नहीं सकते है। इसलिए भय की व्याख्या को समझे तो एक होती हे अनुवांशिक भय तथा दूसरा होता है हमारे भूतकाल के बुरे अनुभव जिससे हम किसी चीज से डरते है। समाज में डर यह काफी महत्वपूर्ण चीज हे जिसका फायदा लोग प्रॉफिट कमाने के लिए अथवा आपको नुकसान पहुंचाने के लिए करते है। इसलिए हमें हमारे डर को छुपाना पड़ता है, जो हमारा शरीर डर का सिग्नल देता है उन इन्द्रियों पर हमें नियंत्रण हासिल करना होता है।

डर को ख़त्म करने के तरीके मेडिकल साइंस में काफी सारे है मगर भारत में मानसिक बीमारियों के लिए ज्यादा तर लोग खर्च नहीं करते या ऐसा कह सकते ही की खर्च करने की क्षमता नहीं होती। विकसित देशो में तनाव और डिप्रेशन के लिए लोग अस्पताल में इलाज करना एक साधारण बात समझते है वही भारत में यह काफी आश्चर्यकारक घटना मानते है। इस तरह से हमने यहाँ डर तथा भय कितना जरुरी हे यह देखा और वास्तव भय क्या होता है यह जानने की कोशिश हमने यहाँ की है।

शांत रहने की शक्ति क्या है ?

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