Businessman hand holding red arrow up with the letters IPO on money coin stack arranged as a graph, concept of Increased investment

प्रस्तावना / Introduction –

हम आपके लिए शेयर बाजार के बारे में अलग अलग जानकारी देने के लिए शेयर मार्किट के इस सेगमेंट में आज आईपीओ के बारे में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश करेंगे। भारत में शेयर बाजार में निवेश करने का प्रमाण विकसित देशो से काफी कम हे, इसके कई कारन हे मगर सबसे महत्वपूर्ण कारन हे शेयर बाजार के बारे में जानकारी का आभाव यह है।

जो Investor शेयर बाजार में निवेश करने के लिए तैयार होते हे उनका शेयर बाजार की जानकारी का मूल स्त्रोत होता हे टेलीविज़न तथा सोशल मीडिया की जानकारी। जिसमे सही और गलत जानकारी को समझना काफी मुश्किल काम होता हे और ज्यादा निवेशक शेयर बाजार से बुरा अनुभव प्राप्त करते है। विश्वसनीय जानकारी हमें किताबे पढ़ने से मिल सकती हे मगर इतना समय देना ज्यादातर निवेशक नहीं कर सकते अथवा उन्हें पढ़ने की आदत नहीं होती।

इस आर्टिकल में हम सामान्य शेयर्स क्या होते हे और आईपीओ क्या होते हे इसके बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे। आईपीओ में निवेश करने के लिए लोग इतना आतुर क्यों रहते हे इसके कारन तथा आईपीओ की विश्लेषणात्मक वास्तविकता देने की कोशिश करेंगे।

आईपीओ क्या है / What is IPO –

आईपीओ का फूल फॉर्म अंग्रेजी में “Initial Public Offer” शेयर बाजार में प्राथमिक सार्वजानिक पेशकश जो कोई कंपनीया इन्वेस्टर्स से पैसा खड़ा करती हे और बिज़नेस को बढ़ाने के लिए जो भी नियोजन हे वह शेयर बाजार में इन्वेस्टर को दिखाती है।

जितने शेयर्स इन्वेस्टर लेते हे उतनी हिस्स्सेदारी वह उस शेयर्स में प्राप्त करते हे, जैसे सामान्य शेयर्स में होता हे वह फर्क सिर्फ इतना होता हे की यह प्राथमिक अवस्था या शुरुवात होती हे, किसी कंपनी की शेयर बाजार से पैसा इखट्टा करने की। यह आईपीओ में निवेश करने के लिए सेबी के रेगुलेशंस होते हे जिसके तहत तथा शेयर बाजार के नियमा नुसार शेयर बाजार में आईपीओ प्रदर्शित किया जाता है।

आईपीओ में निवेश करने के लिए काफी लोग उस्तुक होते हे मगर वास्तविकता में आईपीओ हमें सामान्य शेयर्स से ज्यादा कीमत पर खरीदना पड़ता है। आईपीओ खरीदने के लिए बहुत सारी पाबंदिया होती हे जिसकी वजह से बाकि शेयर की तरह इसमें हम चाहे जितना निवेश नहीं कर सकते।आईपीओ यह डिमांड और सप्लाई पर आधारित होता हे जिसपर शेयर्स का बटवारा कोटा सिस्टम से दिया जाता हे उसे कितना सब्सक्रिप्शन होगा इसपर आधारित होता है ।

आईपीओ की प्रक्रिया / IPO Process in Share Market –

जब कोई कंपनी बाजार के पैसा खड़ा करने के लिए तय करती हे अथवा कानूनी रूप से किसी कंपनी अथवा संस्था को सार्वजनिक कंपनी बनना होता हे, वह कंपनी बाजार में पहले आईपीओ लाने का निर्णय लेती है। इसके लिए सबसे पहले कंपनी इस काम के लिए कोई एक्सपर्ट संस्था को नियुक्त करती हे क्यूंकि शेयर बाजार में आईपीओ लिस्ट करने की प्रोसेस काफी जटिल होती हे।

जिसे इन्वेस्टमेंट बैंक अथवा मर्चेंट बॅंक कहा जाता हे जिसके जरिये यह आईपीओ कैसे लिस्ट होगा इसके लिए दोनों में एक एग्रीमेंट बनाया जाता हे जिसमे टर्म्स और कंडीशन तय की जाती हे जिसमे मुख्य रूप से ….

  • दोनों में क्या डील होने वाली हे इसका विवरण
  • कितनी रकम आईपीओ से खड़ी की जाएगी
  • कितने शेयर्स बाजार में लिस्ट किये जाएगे

शेयर बाजार में कंपनी भविष्य में इस निवेश से क्या करने वाली हे इसका विवरण कंपनी कानून तथा सेबी के नियमो के नुसार करती हे जिसे रेड हियरिंग प्रॉस्पेक्टस कहते हे जिसे सेबी द्वारा वैरिफाइड किया जाता है । जैसे ही सेबी से आईपीओ को मंजूरी मिल जाती हे।

कंपनी आईपीओ लिस्टिंग की तारीख डिक्लेअर करती है जिसकी पूरी प्रोसेस तीन दिन में पूरी करनी होती है। अमरीका जैसे देशो में आज के दिन केवल एक दिन में यह प्रक्रिया पूरी की जाती हे। जिसमे शेयर का बटवारा करना तथा जिनको शेयर्स नहीं मिले हे और जिनकी बाकि रकम रह गयी हे वह वापिस कर दी जाती है।

आईपीओ का उद्देश्य / Purpose of IPO –

जैसे छोटी कम्पनिया अपने बिज़नेस को चलाने के लिए खुद कॅपिटल जमा करती हे, अगर और पैसे की जरुरत पड़े तो बैंको से तथा बाजार से व्याज पे पैसा उठाती है। पब्लिक लिस्टेड कम्पनिया शेयर बाजार में पैसा इन्वेस्टर तथा बड़ी बड़ी फाइनेंसियल संस्थाओ से शेयर्स के रूप में उठाती हे जिसके बदले वह इन्वेस्टर को कंपनी में हिस्सेदार बनाती है। इसलिए सबसे पहले कंपनी को शेयर बाजार से पैसा उठाना हे तो आईपीओ लिस्ट करना पड़ता है।

यह आईपीओ सरकारी कंपनियों का होता हे फाइनेंसियल बैंको का होता हे तथा निजी कंपनियों का होता हे जो उत्पादन , सेवा तथा टेक्नोलॉजी क्षेत्र में काम करती हे। सामान्यतः निजी कम्पनिया अपना आईपीओ ज्यादा कीमत पर बाजार में उतारती हे वही सरकारी कंपनिया अपना आईपीओ साधारण कीमत पर उतरती हे इसलिए मुख्य रूप से ऐसा देखा जाता हे की आईपीओ के भाव काफी ज्यादा होते हे।

इसलिए निजी कम्पनिया अपने हर शेयर का भाव ज्यादा रखती हे जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा भाव पर अपने शेयर्स की कीमत मिले। ८० % शेयर्स के भाव बाद में गिर जाते हे केवल २०% कम्पनिया अच्छे परफॉरमेंस पर अपने भाव मार्किट में लिस्ट होने के बाद भी बनाए रखती है। इसलिए कम्पनिया शेयर बाजार से अपने बिज़नेस से बहुत बड़े पैमाने पर कॅपिटल निर्माण करती है।

आईपीओ इंवेस्टमेंट्स और शेयर्स इन्वेस्टमेंट / IPO Investment & Shares Investment –

हम जो सामान्य रूप से शेयर बाजार में निवेश करते हे वहा बेचने वाला होता हे और खरीद ने वाला होता हे जो डिमांड और सप्लाई के नियम अनुसार शेयर्स के भाव तय करता हे और खरीद और बिक्री हो जाती है। आईपीओ से जो पैसा कंपनी को मिलता हे वह कंपनी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है।

सामान्य शेयर बाजार में अप्रत्यक्ष खरीद और बिक्री होती हे उसमे कंपनी को इन व्यवहारों से कुछ आर्थिक फायदा प्रत्यक्ष रूप में नहीं होता केवल उसका मार्किट कॅपिटल मूल्य बढ़ जाता हे जिससे कंपनी का गुडविल बढ़ता है। आईपीओ इन्वेस्टमेंट से लोग ज्यादा आकर्षित होते हे क्यूंकि उसमे कम समय में ज्यादा प्रॉफिट मिलता है।

प्रत्यक्ष में आईपीओ से कुछ कम्पनिया लिस्ट होने के बाद भी अच्छा परफॉर्म करती हे बाकि ज्यादातर कम्पनिया अपने भाव स्थिर अथवा ऊपर रखने में असफल हो जाती है। आईपीओ से केवल पांच प्रतिशत लोग अच्छा खासा पैसा कमाते है और वह काफी मर्यादित होता हे क्यूंकि आईपीओ में निवेश करने के लिए मर्यादाए होती हे जो सामान्य शेयर्स खरीद ने के लिए नहीं होती।

आईपीओ निवेश की वास्तविकता / Facts of IPO Investments –

आईपीओ निवेश के लिए सेबी तथा अन्य काफी सारे रेगुलेशंस होते हे और निवेश के लिए मर्यादाए होती है, फाइनेंसियल संस्थाए , सामान्य निवेशक तथा कंपनी के अंदरूनी निवेशक इनके सभी कोटा तय किया जाता है। ज्यादातर बार जितने शेयर्स लिस्ट किये जाते हे उससे ज्यादा शेयर्स की मांग आती है जिससे सभी को उनके मनचाही संख्या में शेयर्स नहीं मिलते।

ज्यादातर कंपनियों के आईपीओ वास्तविक कीमत से काफी अधिक कीमत पर हम खरीदते हे जिससे ज्यादातर बार आईपीओ लिस्ट होने के बाद काफी गिर जाते हे। काफी बार कई सारे आईपीओ शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद आगे भी अच्छा परफॉर्म करते है।

आईपीओ में निवेश की जाने वाली राशी में मर्यादाये होती हे तथा बड़ी संस्थाए आईपीओ लिस्ट होने के बाद कुछ दिनों तक उन शेयर्स को बेच नहीं सकती। सामान्य निवेशक को यह नियम नहीं हे मगर जो लोग ऐसे आईपीओ लिस्ट होने बाद प्रॉफिट हासिल करते हे वह शेयर बाजार के पूंजी के हिसाब से काफी कम होता है।

आईपीओ की विशेषताए / Features of IPO –

  • निजी और सरकारी कंपनियों के लिए शेयर बाजार के माध्यम से सार्वजनिक तौर पर कॅपिटल उपलब्ध करने का जरिया जिसे आईपीओ कहते है।
  • एक शेयर बाजार का पैसा उपलब्ध करने का प्राथमिक तरीका होता हे जिसका पैसा कम्पनी बिज़नेस को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है।
  • आईपीओ को लिस्ट करने के लिए सेबी के नियम तथा शेयर बाजार के रेगुलेशन के अंतर्गत सभी दस्तावेज कंपनी को देने होते हे जिसका समाधान होने पर सेबी आईपीओ लिस्ट करने के लिए अनुमती देती है।
  • ज्यादातर आईपीओ यह शेयर बाजार में ओवर प्राइस होते है।
  • आईपीओ में निवेश करने के लिए निवेशकों को मर्यादाए होती हे और हर निवेशक के लिए कोटा तय किया जाता है और अगर ज्यादा मांग आती हे तो संख्या के अनुपात में शेयर्स आवंटित किये जाते हे और बाकि पैसे इन्वेस्टर को वापिस दिए जाते है।
  • आईपीओ की इस प्रक्रिया के लिए काफी समय लगता था मगर डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से यह प्रक्रिया अभी केवल तीन दिन में पूरी की जाती है।
  • आईपीओ में केवल २० % शेयर्स अच्छी कीमतों पर लिस्ट होते हे बाकि सारे शेयर्स ज्यादातर ज्यादा कीमत की वजह से तथा परफॉरमेंस पर आधारित नहीं होते इसलिए असफल हो जाते है।
  • शेयर बाजार में आईपीओ में निवेश करने के लिए काफी होड़ लगाती हे इसलिए कभी कभी १०० शेयर्स के लिए कई हजार आवेदन आते हे जिससे शेयर का आवंटन कभी मुश्किल हो जाता है।

भारत के शेयर बाजार के सफल आईपीओ / Successful IPO’s in India –

  • कोल् इंडिया (२०१०) – १५,१९९ हजार करोड़ रूपए
  • जनरल इन्शुरन्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (२०१७) – ११,२५७ हजार करोड़ रूपए
  • SBI कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज (२०२०) – १०,३४१ हजार करोड़ रूपए
  • रिलायंस पावर (२००८) – १०,१२३ हजार करोड़ रूपए
  • न्यू इंडिया अशुरन्स (२०१७) – ९,५८६ हजार करोड़ रूपए
  • झोमाटो (२०२१ ) – ९,३७५ हजार करोड़ रूपए
  • DLF (२००७) – ९,१८८ हजार करोड़ रूपए
  • HDFC स्टॅण्डर्ड लाइफ इन्शुरन्स (२०१७) – ८,६९५ हजार करोड़ रूपए
  • SBI लाइफ इन्शुरन्स (२०१७) – ८,३८९ हजार करोड़ रूपए
  • ग्लॅंड फार्मा (२०२०) – ६,४८० हजार करोड़ रूपए

आईपीओ में निवेश करना सही है ? / Is Investment in IPO is correct Decision –

यह सत्य हे की भारत में आईपीओ में निवेश करने से वह शेयर बाजार में लिस्ट होने तक काफी मुनाफा मिल सकता हे मगर इसके लिए कंपनी का काफी अभ्यास करने की जरुरत है। बड़े फाइनेंसियल इन्वेस्टर आईपीओ लिस्ट होने के तुरंत बाद शेयर्स बेच नहीं सकते मगर छोटे निवेशक बेच सकते है।

इसलिए एकदम छोटे समय के लिए फाइनेंसियल इंस्टीटूशन ज्यादा फायदा मिलने का लाभ नहीं ले सकता तथा छोटे निवेशकों के लिए अगर आईपीओ ज्यादा सब्सक्राइब हुवा हे तो काफी कम शेयर्स मिलते हे जिसमे ज्यादा मुनाफा मिलना काफी मुश्किल है। इसलिए आईपीओ में निवेश करना यह केवल एक भ्रम हे इसमें ज्यादा मुनाफा मिलने की संभावनाए कम होती है।

बड़े बड़े फाइनेंसियल इन्वेस्टर छोटे समय के इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा मुनाफा अपने बड़े कॅपिटल के ताकद पर तथा विशेषज्ञ और टेक्नोलॉजी पर कर सकती हे। सामान्य निवेशक के लिए फंडामेंटल्स पर निवेश करना सबसे बेहतर इन्वेस्टमेंट रहेगा। आईपीओ में निवेश की बात करे तो यह केवल टेलीविज़न चॅनेल तथा सोशल मीडिया द्वारा फैलाया गया एक भ्रम हे जिसका फायदा केवल और केवल कंपनी को होता है।

आईपीओ में निवेश करने की प्रक्रिया / How to Invest in IPO –

आईपीओ के शेयर्स की बिक्री सामान्यतः लॉट्स अथवा शेयर्स का एक ग्रुप बनाकर की जाती हे जिसे लॉट कहते हे और कोटा के माध्यम से इसके लिए फॉर्म्स भरे जाते हे और आईपीओ के लिए सब्स्क्रैक्शन कैसा हे उसके हिसाब से शेयर्स का आवंटन किया जाता हे। अगर आपने डिमांड किये हुए शेयर्स की संख्या आपको नहीं मिली तो बाकि रकम आपके अकाउंट में जमा की जाती है।

सामान्यतः सेकेंडरी मार्किट में हम शेयर्स की खरीद और बिक्री तुरंत करते हे और आईपीओ की प्रक्रिया इससे काफी भिन्न होती इससे उपलब्ध होने वाली रकम कंपनी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है। फाइनेंसियल संस्थाओ के लिए इन्वेस्टमेंट कैसी होगी इसके नियम सेबी द्वारा तय किये जाते हे जो काफी कड़े होते है।

छोटे निवेशकों के लिए राशी तथा शेयर्स के लॉट की संख्या काफी कम होती हे तथा आईपीओ को अगर प्रतिसाद ज्यादा मिलता हे तो आपको आपके डिमांड के हिसाब से शेयर्स के लॉट्स मिलना काफी मुश्किल होता है। पहले यह प्रक्रिया आईपीओ फॉर्म भरके की जाती थी जिसके प्रक्रिया को पुरे होने के लिए १० -१५ दिन लगते थे मगर अब यह प्रक्रिया डिजिटल होने के कारन केवल तीन दिन में पूरी करनी होती है।

आईपीओ लिस्ट होने के बाद छोटे निवेशक अपने शेयर्स कभी भी बेच सकते हे मगर बड़े बड़े फाइनेंसियल इन्वेस्टर यह नहीं कर सकता, उनके लिए सेबी द्वारा एक समय सिमा तय की गयी है।

आईपीओ के लिए सेबी की नई गाइड लाइन / New Guide Lines of SEBI –

  • सेबी ने दिसंबर में आईपीओ के लिए नई गाइड लाइन डिक्लेअर की हे जिसके तहत
  • आईपीओ की प्राइस बैंड जो पहले काफी कम होती थीं उसको १०५ % बढ़ाने का निर्णय लिया हे जिससे आईपीओ के लिए अच्छी और निष्पक्ष बोली लगेगी।
  • आईपीओ का ३३% हिस्सा २ लाख से १० लाख के बिच के निजी निवेशक के लिए रखा जाएगा।
  • आईपीओ का दो तिहाई हिस्सा १० लाख के ऊपर के राशि वाले इन्वेस्टर के लिए रखा जाएगा।
  • एंकर इन्वेस्टर के लिए लॉक इन पीरियड बढ़ाया गया है जो पहले ३० दिन का था उसमे ५० % शेयर्स एंकर इन्वेस्टर बेच सकते हे और बाकि शेयर्स ९० दिन से पहले नहीं बेच सकेंगे।
  • यह सभी नियम आर्थिक वर्ष अप्रैल २०२२ से शुरू किया जाएगा।
  • प्राथमिक शेयर्स के लिए भी सेबी ने काफी बदलाव किये है।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह हमने देखा की शेयर बाजार में आईपीओ कैसे लिस्ट किये जाते हे और लोगो में आईपीओ में निवेश करने के लिए इतना महत्त्व क्यों दिया जाता है। आईपीओ के बारे में हमने ज्यादा से ज्यादा जानकारी हमने देने की कोशिश की हे जिससे आईपीओ के निवेश के बारे में जो भी भ्रम हे और जो भी सच्चाई हे यह हमने यहाँ बताने की कोशिश की है।

शेयर बाजार में प्राथमिक निवेश किसे कहते हे तथा दुय्यक निवेश किसे कहते हे यह समझाने के लिए हमने सामान्य शेयर बाजार के व्यवहार तथा आईपीओ के व्यवहार के बारे में बताया है। आईपीओ में निवेश करने के लिए हमें कैसे अभ्यास करना चाहिए यह हमने समझने की कोशिश यहाँ की है।

शेयर बाजार सेगमेंट में हम आपके लिए बारीक़ से बारीक़ जानकारी उपलब्ध करने के लिए बाध्य हे तथा आगे भी छोटी से छोटी जानकारी हम आपको राजनितिक नजरिया , आर्थिक नजरिया तथा टेक्निकल विश्लेषण के माध्यम से बताएगे।

शेयर मार्किट क्या हैं ?

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