प्रस्तावना / Introduction –

SWIFT कोड यह अंतरराष्ट्रीय बैंको द्वारा किए जाने वाले डिजिटल व्यवहारों के लिए इस्तेमाल होने वाली एक सिस्टम हे जो SWIFT इस बेल्जियम में स्थापित संस्था द्वारा चलाई जाती है। आज हम SWIFT कोड सिस्टम का इतना महत्त्व अंतराष्ट्रीय स्थर पर क्यों हे यह जानने की कोशिश करेंगे। ऐसा कहा जाता हे की SWIFT कोड सिस्टम पर अमरीका और यूरोप का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है इसलिए राशिया तथा चीन द्वारा खुद की डिजिटल अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग व्यवहार के लिए सिस्टम बनाई गयी है।

SWIFT सिस्टम द्वारा दुनिया के १३१ देश और वह के बैंक जुड़े हुए हे इसलिए यह सिस्टम दुनिया के डिजिटल व्यवहार के लिए सबसे प्रभावी माध्यम माना जाता है। रशिया और यूक्रैन युद्ध के संकेत को देखते हुए कई दिनों से रशिया के SWIFT सिस्टम से होने वाले व्यवहार को रोकने के लिए अमरीका और यूरोप द्वारा प्रयास किए गए थे। कुछ बैंको के SWIFT कोड को प्रतिबंधित भी किया गया था मगर रशिया पर यूरोप तथा दुनिया के बहुत सारे देश ऑइल ,गैस तथा गेहू जैसे वस्तुओ के लिए निर्भर है।

इसलिए SWIFT कोड सिस्टम यह किसी भी देश पर प्रतिबन्ध लगाने के एक प्रभावशाली माध्यम है। जागतिकीकरण के इस युग में कोई भी देश पूरी तरह से अपनी जरूरते खुद से पूरी नहीं कर सकता है। इसलिए उसे अपनी कुछ जरूरते पूरी करने के लिए अंतराष्ट्रीय आयत करना पड़ता है जिसके लिए SWIFT कोड सिस्टम की जरुरत होती है। इसलिए व्यक्तिगत स्थर पर कहे अथवा किसी संस्था और देश के तौर पर कहे तो SWIFT कोड सिस्टम की जरुरत पड़ती हे इसलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण डिजिटल सिस्टम है, जिसको हम इस आर्टिकल के माध्यम से विस्तृत जानने करेंगे।

SWIFT कोड क्या है ? / What is SWIFT Code –

  • बैंक कोड ( चार शब्द – बैंक का सक्षिप्त नाम )
  • देश का कोड ( दो शब्द – देश का सक्षिप्त कोड )
  • लोकेशन कोड ( दो शब्द – बैंक का हेड ऑफिस का पता )
  • ब्रांच कोड ( तीन शब्द – बैंक का ब्रांच ऑफिस का पता )
  • Nostro (Ours) and Vostro (Yours) अकाउंट सिस्टम

SWIFT कोड को अंग्रेजी में विस्तृत रूप से “Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication” कहा जाता है जिसको BIC Code भी कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय बैंको द्वारा किए जाने वाले पैसे के व्यावहार को SWIFT कोड इस्तेमाल किया जाता है, इसमें पहले मैसेज का इस्तेमाल होता है जिस अंतरराष्ट्रीय बैंको के दरम्यान यह व्यवहार होता हे और बाद में पैसा ट्रांसफर किया जाता है। इससे पद्धती से सुरक्षित रूप से पैसे के व्यवहार अंतराष्ट्रीय बैंको के माध्यम से व्यक्ति संस्था कर सकती है।

SWIFT कोड के जरिए पैसे किस देश से आए हे यह समझने के लिए दिए जाते हे जैसे भारत में हम IFSC कोड का इस्तेमाल करते हे जिससे हमें पता चल जाता हे की बैंक कैसे राज्य की और कौनसी ब्रांच है। यह एक आधुनिक डिजिटल बैंक व्यवहार की प्रणाली हे जिसके अंतर्गत १३१ देश की बैंक सलग्न है। SWIFT कोड यह ८ अथवा ११ डिजिट का होता है जिसमे पहल चार करैक्टर यह बैंक कोड होता है उसके बाद २ करैक्टर देश का कोड होता है और आखरी कोड यह लोकेशन कोड होता है।

SWIFT कोड के माध्यम से हम किसी भी देश में केवल १० मिनट में १३१ देशो में कहा भी पैसा भेज सकते है, जिसमे पहले मेसेज भेजा जाता हे और फिर पैसा ट्रांसफर होता है। जिससे हर व्यवहार की सुरक्षा निर्धारित होती है इसलिए SWIFT कोड पूरी दुनिया भर के देश अपना अंतरराष्ट्रीय वव्यापार करने के लिए इस्तेमाल करते है। ऐसा कहा जाता हे की अमरीका और यूरोप के देशो का इस SWIFT कोड सिस्टम पर प्रभाव हे इसलिए जभी भी किसी देश पर दबाव बनाना होता है तो उसके SWIFT कोड को प्रतिबंधित करने की धमकी दी जाती है।

SWIFT Code का इतिहास / History of SWIFT Code –

SWIFT यह एक स्वतंत्र वित्तीय संस्था हे जिसकी स्थापना १९७३ में बेल्जियम कानून के तहत हुई थी जिसमे ११००० बैंक अपने व्यवहार करती है तथा २०० देशो में कार्यरत है। यह एक मेंबर द्वारा संचालित कंपनी है जिसने इससे पहले चलाई जाने वाली टेलेक्स पद्धती को रिप्लेस किया है जो काफी समय लगता था किसी व्यवहार को पूरा होने के लिए। कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का विकास देखते हुए १९७३ में यह पद्धती काफी प्रचलित हुई है और अपने मोबाइल के माध्यम से हम केवल कुछ मिनट में अंतराष्ट्रीय व्यवहार पूरा कर सकते है।

SWIFT कंपनी का कारोबार दुनिया भर में २६ देशो जाता है और इसका मुख्य ऑफिस बेल्जियम में स्थापित किया गया है। G -10 सदस्य देशो के सेंट्रल बेंको द्वारा यह मुख्य रूप से संचालित की जाती हे जिसमे मुख्य रूप से यूरोप के देशो का प्रभाव देखने को मिलता है। SWIFT कंपनी यह शेयर्स होल्डर द्वारा संचालित होने वाली कंपनी हे जिसमे लगबघ ३५०० फर्म के प्रतिनिधि द्वारा यह होल्डिंग की गयी हे तथा SWIFT का बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स यह २५ लोगो का बना होता है।

SWIFT कंपनी का कार्यभार एग्जीक्यूटिव कमिटी द्वारा किया जाता हे जिसका प्रमुख सीईओ होता हे जो कंपनी के २६ देशो में चल रहे कार्यभार को संभालता है। २०१२ से पहले केवल जी -१० की सदस्य सेंट्रल बैंक ही SWIFT हुवा करती थी मगर २०१२ के बाद बैंक ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया ,बैंक ऑफ़ चीन और हॉंकॉंग मॉनिटरी अथॉरिटी जैसे अन्य सेंट्रल बैंक जो दुनिया के प्रमुख राष्ट्र हे इनको शामिल किया गया। भारत की रिज़र्व बैंक को भी इसमें शामिल किया गया हे और दुनिया के किसी देश पर आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने के लिए यह एक प्रभावी माध्यम के रूप में इसे इस्तेमाल किया जाता है।

SWIFT कोड कैसे कार्य करता है ? / How SWIFT Code Works –

यह एक विश्वसनीय बैंकिंग मैसेज सिस्टम हे जिसके माध्यम से अंतराष्ट्रीय स्थर पैसे व्यक्तिगत स्तर से लेकर संस्था अथवा देश के स्थर पर पैसे के व्यवहार किए जाते है। किसी का इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट यह इस डिजिटल सिस्टम पर आधारित होता है। आज के जागतिकीकरण के समय में सभी व्यवहार अंतराष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिलते हे इसलिए यह एक डिजिटल प्लेटफार्म हे जिससे पूरी दुनिया भर के २०० देशो की ११००० महत्वपूर्ण बैंक जुडी हुई है। २०२१ के आकड़ो के हिसाब से ४२ मिलियन मेसेज हर रोज SWIFT के माध्यम से भेजे जाते हे जो पिछले साल से ११ प्रतिशत बढ़ौतरी है।

यह एक ८ – ११ डिजिट का कोड सिस्टम होता हे जो देश के लिए और देश के बैंको के लिए मुहैया किया जाता है। लगबघ सभी प्रमुख देशो की सेंट्रल बैंक SWIFT कोड की सदस्य होती है। भारत की रिज़र्व बैंक भी SWIFT कोड कंपनी की सदस्य देश है जिसके माध्यम से यह सिस्टम चलाया जाता है। किसी भी देश में पैसा भेजने के लिए आपको SWIFT कोड के माध्यम से व्यवहार करने होते है, जिसमे सबसे पहले मेसेज भेजे जाते हे जो जिस देश में भेजने हे वह की सेंट्रल बैंक के पास पहले जाता हे और वहा से जिस बैंक में भेजने हे उस बैंक को पहुंच जाता है।

यह मेसेज सिस्टम सबसे सुरक्षित सिस्टम होती हे किसी भी व्यवहार को पूरा करने के लिए क्यूंकि इससे दिन भर में कितने SWIFT व्यवहार हुए हे यह पता चलता है। किसी भी व्यवहार का पहले मेसेज पहुँचता हे फिर पैसे का व्यवहार होता है इसलिए यह पेमेंट सिस्टम इससे पहले होने वाली टेलेक्स सिस्टम से काफी प्रभावी है। मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से इसे बहुत ही सरल रूप से इस्तेमाल किया जा सकता हे और बस केवल केवल कुछ ही मिनट में व्यवहार पूरा हो जाता है।

SWIFT कोड और अंतरराष्ट्रीय राजनीती / SWIFT Code & International Politics –

२०१२ तक SWIFT कोड पेमेंट सिस्टम इस संस्था में केवल जी १० इस सदस्य देशो का प्रभाव रहा है , जिससे एशियाई और अन्य बाकि देशो द्वारा यूरोपीय देशो का तथा अमरीका का SWIFT पर प्रभाव हे ऐसे आरोप होते रहे है। SWIFT द्वारा इसका खंडन बार बार किया गया हे और यह एक स्वतंत्र संस्था हे जो बेल्जियम में स्थापित की हुई संस्था है जो महत्वपूर्ण सेंट्रल बैंको द्वारा चलाई जाती है। दुनिया में जो दो विश्व युद्ध हुए हे उसमे दो विचारधारा के राजनितिक मॉडल हमने देखे है।

चीन कर रशिया जैसे देश पहले से SWIFT इस अंतरराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रहना चाहते है, इसलिए उन्होने अपनी स्वतंत्र अंतराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम तैयार की हुई हे भले आज इसको ज्यादा सदस्य देश नहीं हे मगर वह इसके प्रभाव से अपना आर्थिक गुट निर्माण करना चाहते है। SWIFT का महत्त्व कितना हे यह हम इससे अंदाजा लगा सकते हे की जब फेब्रुवारी २०२२ में यूक्रैन और रशिया का युद्ध शुरू हुवा तब सSWIFT सिस्टम के माध्यम से उनपर प्रतिबन्ध लगाने की मांग हुई है।

किसी भी देश को आर्थिक रूप से बर्बाद करने के लिए यह सिस्टम बहुत ही महत्वपूर्ण हे जिससे किसी देश से राजनितिक बात मनवाने के लिए SWIFT कोड पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है। आज सभी देशो का आयत और निर्यात यह SWIFT पेमेंट सिस्टम पर आधारित है इसलिए इसका दुरूपयोग SWIFT संस्था पर जिस देश का प्रभाव हे वह लोग कर सकते है, ऐसा कुछ देशो को लगता है।

SWIFT कोड के लिए रशिया का पर्याय/ Option for SWIFT Code of Russia –

System for Transfer of Financial Messages (STFM) यह रशिया का खुद का अंतराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर का डिजिटल पेमेंट सिस्टम २०१४ को स्तापित किया गया। सेंट्रल बैंक ऑफ़ रशिया के माध्यम से इसे SWIFT पेमेंट सिस्टम पर अमरीका का प्रभाव देखते हुए स्थापित किया गया। अंतराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर की क्रिप्टो कर्रंसी पर्यायी व्यवस्था हे जो किसी भी देश द्वारा चलाई नहीं जाती। क्रिप्टो कर्रंसी यह पूरी तरह से स्वतंत्र व्यवस्था हे और इसको सामने रखकर रूबल को क्रिप्टो कर्रंसी की तरह अंतराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिए रशिया काम कर रही है।

अमरीका और रशिया का वैचारिक और राजनितिक युद्ध पहले से ही शुरू हे जिसको हम शीत युद्ध के माध्यम से देख चुके हे, जिसमे अमरीका द्वारा रशिया को परास्त करने के बाद रशिया पुनः खुद को अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्थपित करना चाहता है। SWIFT यह डिजिटल माध्यम पर आज दुनिया के लगबघ २०० देश कार्यरत हे जिससे अमरीका और यूरोप के देशो का दुनिया के आर्थिक व्यवस्था नियंत्रण रहता है। इसको काउंटर करने के लिए रशिया द्वारा खुद की अंतराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम बनाई गयी है।

रशिया की भौगोलिक स्थिति ऐसी हे की वह यूरोप और एशिया से जुड़ा हुवा है , तथा रशिया का प्रभाव हमेशा रहा है १९९० के बाद रशिया के विघटन के बाद जो देश रशिया से अलग हुए उनको नाटो का सदस्य बनाकर अमरीका द्वारा रशिया को कमजोर करने की कोशिश होती रही है। इसलिए जब रशिया कोई सुरक्षा सम्बंधित कार्यवाही अपने पश्चिमी देशो पर करते हे तो उन्हें हमेशा SWIFT पेमेंट सिस्टम से निष्कासित करने की धमकी दी जाती हे जिसके चलते रशिया द्वारा खुद की STFM यह सिस्टम २०१४ में बनाया गया।

SWIFT कोड के लिए चीन का पर्याय / Option for SWIFT code of China –

Cross -Border Interbank Payment System (CIPS) यह अंतराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम संस्था २०१५ को चीन के सेंट्रल बैंक Peoples Bank of China द्वारा स्थापित किया गया है। अगले दस साल में चीन यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन के उभरने वाला राष्ट्र बनेगा जो अमरीका जैसे सुपर पावर के लिए सबसे बड़ा खतरा है। राजनितिक दृष्टी से इसका विश्लेषण करे तो चीन यह एक साम्यवादी देश हे और वह अगर दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बना तो दुनियाभर में यह सन्देश जाएगा की केवल पूंजीवादी लोकतंत्र से हम आर्थिक रूप से सफल नहीं बन सकते।

इसलिए जब से अहसास अमरीका को हुवा हे तब से चीन की आर्थिक रूप से नाकाबंदी करने अमरीका द्वारा होती रहती है। वैसे तो चीन शीत युद्ध में रशिया के साथ अमरीका से कभी नहीं लड़ा है बल्कि अमरीका की सहायता से उसने खुदका के आर्थिक मॉडल बनाया है जिसके आधारपर वह आज दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था है। SWIFT कोड के प्रभाव को देखते हुए चीन ने २०१५ को खुद अंतर्राष्ट्रीय वव्यापार करने नया स्वतंत्र पेमेंट सिस्टम तैयार किया है।

CIPS सिस्टम के माध्यम से आज HSBC, स्टैण्डर्ड चार्टर्ड जैसे महत्वपूर्ण बैंक इससे जुड़े हुए है तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड ग्रुप भी इससे जुड़ा हुवा है। रशिया और चीन मिलकर खुद ऐसी पेमेंट सिस्टम पर काम कर रहा हे जिससे SWIFT का प्रभाव दुनियाभर से कम हो और एक तरह से यह अमरीका को शह देने की चीन की रणनीति है। २०२१ तक इस संस्था के द्वारा १२ ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के व्यवहार किए गए है तथा पूरी विश्व भर से १२८० वित्तीय संस्थाए तथा १०३ देश इससे जुड़ गए है।

SWIFT कोड और भारत का नजरिया / SWIFT Code & India –

ईरान, रशिया और चीन जैसे देश के साथ व्यापार करने के लिए भारत को कई परिशानियों का सामना करना पड़ता है, उदहारण के लिए देखे तो SWIFT संस्था द्वारा जब ईरान पर प्रतिबन्ध लगाए गए थे भारत और ईरान के व्यापार पर इसका असर पड़ा था जिसके लिए भारत ने खुद की अंतराष्ट्रीय व्यापार करने के लिए नयी डिजिटल पेमेंट सिस्टम बनायीं गयी थी। इसलिए भारत खुद की स्वतंत्र पेमेंट सिस्टम को बनाया जाना चाहिए ऐसा लगता है।

क्यूंकि आज अंतरराष्ट्रीय युद्ध यह बन्दुक कम और आर्थिक प्रतिबन्ध के माध्यम से ज्यादा लडे जाते है। आज यूक्रैन और रशिया का युद्ध पिछले पांच महीने से शुरू है, जिसके कारन रशिया पर कुछ हदतक SWIFT संस्था द्वारा प्रतिबन्ध लगाए गए है। जिससे भारत और रशिया का व्यापार प्रभावित हो गया है इसलिए भारत चीन और रशिया की तरह अपना स्टैंड SWIFT पर अमरीका और यूरोप का प्रभाव को समझना होगा।

भारत में जैसे IFSC यह कोड देश के अंतर्गत पेमेंट सिस्टम के तौर पर चलाया जाता है जिसको रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ऐसे ही SWIFT डिजिटल पेमेंट सिस्टम अंतराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल होती हे जिसका इस्तेमाल दुनिया के लगबघ २०० देशो द्वारा किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार SWIFT को पर्याय निर्माण करने की कोशिश चीन और रशिया द्वारा पहले से शुरू की गयी है, जिससे पूरी आर्थिक रूप से SWIFT के माध्यम से रखने की रणनीति को काउंटर किया जा सके।

SWIFT कोड का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of SWIFT Code –

SWIFT कोड की पेमेंट सिस्टम की वजह से पूरी दुनिया दो हिस्से में बट गयी है, चीन और रशिया का मानना हे की SWIFT का इस्तेमाल अमरीका आर्थिक रूप से एशियाई देशो पर अपना प्रभाव रखने के लिए इस्तेमाल कर रही है। SWIFT द्वारा पहले ही यह कह दिया हे पूरी तरह से एक स्वतंत्र संस्था हे और बेल्जियम में रजिस्टर्ड एक संस्था हे जो पूरी तरह से कानूनी नियमो का पालन करती है।

रशिया यूक्रैन युद्ध के कारन हमने पहले ही देखा हे की रशिया पर SWIFT द्वारा कई महत्वपूर्ण बैंको को अंतराष्ट्रीय व्यवहार करने प्रतिबंधित किया है जिससे रशिया द्वारा खुद की अंतराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम बनाना शुरू कर दिया गया है। दूसरी तरफ चीन यह देश आर्थिक विकास के दृष्टी से देखे तो अमरीका के लिए प्रतिस्पर्धी हे जो आने वाले दिनों में विकास में अमरीका को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है।

इसलिए चीन पर भी अलग अलग कारणों से अमरीका द्वारा कूटनीतिके माध्यम से राजनीती हे इसलिए चीन द्वारा खुद की अंतराष्ट्रीय पेमेंट सिस्टम बनाई गयी है। इसलिए हमें यहाँ आर्थिक युद्ध SWIFT के माध्यम से दुनियाभर के प्रमुख देशो में देखने को मिलता है। इसलिए SWIFT कोड का इस्तेमाल यूरोप और अमरीका के माध्यम से दुनिया के बाकि देशो पर आर्थिक प्रभाव रखने के लिए किया जाता है ऐसे आरोप होते है। बांग्लादेश में SWIFT कोड की सुरक्षा को पिछले दिनों तोडा गया था इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता की यह पूरी तरह से सुरक्षित है।

निष्कर्ष / Conclusion –

दुनिया की आर्थिक और राजनितिक व्यवस्था कैसे चलती है इसको जानना हो तो हमें SWIFT अंतरराष्ट्रीय डिजिटल पेमेंट सिस्टम कैसे चलती हे इसको समझना जरूरी है। पिछले कुछ दिनों से SWIFT के रशिया पर किए जाने वाले प्रतिबंद के माध्यम से यह विषय दुनिया के सामने बड़े पैमाने स्थर पर देखने को मिला है । ऐसा नहीं हे की यह पहले किसी को मालूम नहीं था मगर मीडिया के माध्यम से साधारण लोगो को इसके बारे में पहली बार पता चला है।

अगर किसी व्यक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्थर पर किसी देश में पैसे भेजने हो अथवा भारत में किसी देश से पैसे को भेजना हे तो यह पेमेंट ट्रांसफर सिस्टम इस्तेमाल साधारणतः देखने को मिलती है। भारत को इससे पहले अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के यह समस्याए निर्माण हुई है जिसमे ईरान और भारत के सबंध अच्छे हे मगर यूरोप और अमरीका के सबंध ख़राब हे जिसका खामियाजा भारत के व्यापार को भुगतना पड़ता है।

इसलिए हमने SWIFT के माध्यम से अंतराष्ट्रीय व्यापार पर कैसे प्रभाव पड़ता हे यह हमने इस आर्टिकल के माध्यम से देखने की कोशिश की है। SWIFT के माध्यम से कैसे अंतराष्ट्रीय व्यवहार किए जाते हे यह हमने जानने की कोशिश की है। SWIFT पर अमरीका और यूरोप के देशो का प्रभाव होता हे ऐसे आरोप इस संस्था पर होते रहे हे जिसका खंडन संस्था द्वारा हमेशा से होता रहा है मगर कृति में हमें यह प्रभाव देखने को मिलता है जो वैचारिक प्रभाव हे जो हमें शीत युद्ध के माध्यम से देखने को मिला था।

पैसा और संपत्ती में क्या अंतर है ?

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