प्रस्तावना / Introduction –

आज हम आपके सामने नॉन गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशन याने NGO के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। इसमें NGO क्या हे और इसका उद्देश्य क्या होता हे यह जानने की कोशिश करेंगे। NGO का इतिहास क्या हे यह हम देखेंगे और जागतिक स्तर पर NGO कैसे निर्माण हुवा यह हम देखगे। ऐसा कहा जाता हे की भारत में ४०० भारतीयों पर एक NGO ऐसा प्रमाण हे फिर भी भारत में हमें प्रमुख समस्याए देखने को मिलती है।

भारत में प्रमुख समस्याए पिछले ४० सालो में काफी बदल गई ही जैसे रोटी कपड़ा और मकान यह समस्याए प्रमुख रूप से रही जिसमे शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार यह समस्याए आज के तारीख में इसमें जुड़ गई है। भारत में लगबघ ३० लाख NGO रजिस्टर्ड हे इसमें कितनी ईमानदारी की वास्तविक समस्याओ पर काम करती हे यह संशोधन का विषय है। NGO की जानकारी जनता के लिए उपलब्घ होने की जो समस्याए हे इसपर भी हम बात करेंगे।

जिस वर्ग के लिए यह NGO कार्य करते हे इनको यह क्या हे और कैसे कार्य करता हे यह बिलकुल पता नहीं हे और जो NGO चलाते हे उनको समाज की प्रमुख समस्याए क्या हे यह ज्यादातर पता नहीं होती। इसपर इन NGO के लिए विदेशो से मिलने वाला पैसा यह सामाजिक कार्य से ज्यादा एक पैसे कमाने का जरिया तो नहीं बन रहा ऐसा प्रश्न निर्माण होता हे। विदेशी सहायता को नियंत्रित करने के लिए २०२० में संसद में सरकार ने हाल ही में नया बिल लाया हे इसपर भी हम लिखने करेंगे।

भारत की टॉप ५ NGO / TOP 5 NGO in India –

१) स्माइल फाउंडेशन /Smile Foundation

यह दिल्ली की संस्था हे जिसकी स्थापना २००२ में की गई हे और यह आज अपना कार्य २५ राज्यों में कर रही है। यह संस्था मुख्य रूप से गरीब बच्चो की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कार्य करता हे तथा अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक समस्यापर कार्य करता है।

२)नन्ही कली / Nanhi Kali

यह संस्था १९९६ को आनंद महिंद्रा द्वारा स्थापित की गयी हे और इसका मुख्य उद्देश्य भारत की गरीब बेसहारा बच्चियों के लिए शिक्षा स्वास्थ्य और अच्छा जीवन जीने के लिए यह संस्था कार्य करती है।

३)गिव इंडिया फाउंडेशन / Give India Foundation

इस संस्था का मुख्य उद्देश्य भारत में कार्य कर रही NGO को आर्थिक सहायता करना यह रखा गया है। इसकी स्थापना १९९९ में की गई हे और पुरे भारत में यह संस्था विदेशी सहायता के माध्यम से तथा भारत के प्रभावशाली लोगो के माध्यम से पैसा इखट्टा करके भारत में कार्य कर रही NGO को आर्थिक सहायता करती है।

४)गूंज / Goonj

इस संस्था की स्थापना १९९९ में की गयी थी और यह दिल्ली में स्थापित की गयी NGO हे जिसका मुख्य उद्देश्य आपदा में कपड़ो की सहायता करना तथा यह संस्था आज शिक्षा स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण जरूरतों पर २३ राज्यों में अपना कार्य करती है।

५) हेल्पेज इंडिया /Helpage India –

यह संस्था १९७८ में स्थापित की गई थी जिसका प्रमुख उद्देश्य वृद्ध लोगो के लिए समाज में कार्य करना जिसमे स्वास्थ्य , रहने की जगह उपलब्ध करना ऐसे वयस्क लोगो की जीतनी भी सामाजिक समस्याए होती हे इसपर यह संस्था कार्य करती है।

गैर सरकारी संघटन क्या है ? / What is Non Government Organization –

लोकतंत्र में संविधानिक तौर पर जो व्यवस्था समाज के हित के लिए कार्य करती हे इसे हम सरकार कहते है। NGO यह एक गैर सरकारी संघटन होता हे जो सरकार समाज के जिस समस्याओ तक पहुंच नहीं सकती वहा पर कार्य करती हे जिसमे सामाजिक विषयो को हम देख सकते है। जिसमे बच्चो की शिक्षा की समस्या , किसी बीमारी की समस्या , स्वास्थ से संबंधित समस्याए ऐसे कई विषयो पर यह NGO कार्य करती है।

  • ट्रस्ट
  • सोसाइटी
  • नॉन प्रॉफिट संघटन

ऊपर दिए गए तीन पद्धतियों से यह संघटन चलाए जाते हे इसमें सरकार द्वारा भी कई संघटन चलाए जाते हे और सरकार के उद्देश्य की पूर्ति की जाती है। निजी क्षेत्र में व्यक्तिगत स्तर पर अथवा संस्था द्वारा ऐसे संघटन चलाए जाते है। कुछ लोग खुदका पैसा लगाकर सामाजिक कार्य के लिए ऐसे संघटन चलाते हे लोग लोगो से चंदा इखट्टा करके अथवा विदेशी फण्ड से ऐसे संघटन चलाते है।

मुख्य रूप से सरकारी यंत्रणा आज के दौर में ज्यादा तर अपनी योजनाओ को पूर्ण करने के लिए ऐसे निजी संघटनो का उपयोग करते हुए हम देखते है। भारत में ज्यादातर NGO यह राजनितिक पार्टियों के अथवा राजनितिक व्यक्तियों के देखने को मिलते है। संयुक्त राष्ट्र के UN चार्टर के माध्यम से पूरी दुनिया में इसको बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके बाद पूरी दुनिया में ऐसे संघटन कार्य करते हे, विशेष रूप से विकासशील देशो में और गरीब देशो में हमें यह संस्थाए कार्य करते हुए मिलती है।

गैर सरकारी संघटन का इतिहास / History of NGO –

वैसे तो NGO जो कार्य करता हे यह सामजिक संस्था का मॉडल काफी पुराण हे मगर सही मायने में इसको NGO यह नाम यूनाइटेड नेशन के चार्टर्ड के आर्टिकल ७१ के अनुसार इसको प्रोमोट किया गया। NGO की ऐसे कोई सटीक व्याख्या नहीं की गयी मगर जो संस्था सामाजिक क्षेत्र में मानवता तथा अन्य सामाजिक समस्याओ पर बिना कुछ फायदे के कार्य करती हे ऐसी संस्थाओ को NGO कहा गया।

NGO का सबसे ज्यादा इस्तेमाल राजनितिक पार्टिया तथा ट्रेड यूनियन द्वारा पिछले शतक में काफी इस्तेमाल किया गया। मुख्य रूप से NGO की स्थापना विकसित देशो में हमें ज्यादा देखने को मिलत्ती हे जिन्होंने विकासशील और गरीब देशो में महत्वपूर्ण समस्याओ पर कार्य करने इसकी स्थापना की थी। जब से द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सभी देशो को स्वतंत्र किया गया था मगर यह सभी देश लोकतंत्र चलाने के लिए सक्षम नहीं थे उस समय इन NGO ने काफी महत्वपूर्ण निभाई है।

भारत की बात करे तो ब्रिटिश इंडिया से यह संस्थाए हमें देखने को मिलती हे जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में , महिलाए तथा बच्चो के सुरक्षा के लिए कार्य किया है। लेप्रॅसी जैसी गंभीर बीमारी के लिए भारत में यह संस्थाए चलाई गई है। सरकार द्वारा भी अपनी सामाजिक योजनाए चलाने के लिए ऐसी संस्थाओ का इस्तेमाल किया जाता है। बहुत सारी राजनितिक पार्टियों द्वारा और सरकार द्वारा ऐसे NGO बनाकर सामाजिक कार्य किये जाने लगे है।

NGO कैसे कार्य करता है ? / How NGO Works –

NGO मुख्य रूप से तीन कानून के अंतर्गत रजिस्टर्ड किया जाता हे जिसमे

  1. Indian Trust Act 1882
  2. Society Registration Act 1860
  3. Company Act 2013
  • शिक्षा के क्षेत्र में NGO मुख्य रूप से ब्रिटिश इंडिया से कार्य करता हे जिसमे सरकार अनुदानित शिक्षा संस्थान हम जानते है।
  • प्रकृति की सुरक्षा के उद्देश्य से कई NGO भारत में चलाए जाते हे जो प्रकृति को हानि करने वाले सरकारी अथवा निजी प्रोजेक्ट को विरोध करते है।
  • स्वास्थ्य के बारे में भारत में काफी NGO चलाए जाते हे जो गरीब और काम आयवाले लोगो के लिए कम खर्च में अस्पताल मुहैया कराते है।
  • भारतीय समाज में बच्चो को और स्त्रियों को समाज का कमजोर घटक माना जाता हे इनके लिए बहुत सारी NGO कार्य करती है।
  • राजनितिक पार्टिया तथा सरकारे अपने सामाजिक उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए ऐसे संघटन स्थापित करते है।
  • ट्रस्ट स्थापित करने के लिए कम से कम दो व्यक्तियों की संख्या और सोसाइटी स्थापित करने के लिए कम से कम सात सदस्यों की जरुरत होती है।
  • धारा ८ के अनुसार कंपनी कानून के अंतर्गत कोई भी कंपनी अपनी NGO स्थापित कर सकती हे जिसमे हम देखते हे की टाटा , रिलायंस ,इनफ़ोसिस और बहुत सारी कम्पनिया इस माध्यम से यह संस्थाए स्थापित करती है।
  • NGO चलाने के लिए बड़े बड़े उद्योगपति अपना खुदका पैसा लगाते हे वही सोसाइटी कानून के अंतर्गत समाज के प्रतिष्ठित संस्था अथवा लोगो द्वारा चंदे के रूप में पैसा लेकर कुछ संस्थाए चलाई जाती है।
  • विकसित देशो की कई बड़ी बड़ी संस्थाए इसके लिए भारत के NGO को पैसा उपलब्ध करती है।
  • NGO यह संस्थाए धार्मिक ,सामाजिक तथा किसी विशिष्ट सामाजिक समस्या को लेकर कार्य करती है।
  • इन सभी संस्थाओ को हर साल अपने संस्था का ऑडिट तत्सम अधिकारी के पास करना होता है जिससे यह जानकारी समाज को उपलब्ध हो सके।

विदेशी चंदा नियामक विधेयक / Foreign Contribution Regulatory Bill 2020 –

  • भारत की ख़ुफ़िया संस्था ने एक रिपोर्ट जारी किया गया उसके अनुसार कुछ NGO विदेशी पैसे का इस्तेमाल भारत के विकास के विरोध में इस्तेमाल करती है।
  • सरकार द्वारा अलग अलग नियमो के तहत जो NGO सरकार के नियम का पालन नहीं कराती हे ऐसी चार हजार से ऊपर संस्थाओ की मान्यता रद्द कर दी गयी हे अथवा उनके अकाउंट फ्रीज कर दिए गए है। इस बिल की कुछ प्रमुख मुद्दे
  • सरकारी अधिकारी विदेशी सहायता नहीं ले सकते।
  • विदेशी सहायता के लिए अलग से एक बैंक अकाउंट खोलना होगा जो तत्सम अधिकारी द्वारा निर्धारित बैंको में खोलना होगा।
  • NGO के एडमिनिस्ट्रेशन खर्चे पर लॉक लगाया गया है जिसको
  • ५० प्रतिशत से २० प्रतिशत किया गया है।

विदेशी सहायता निधि को प्रतिबंधित करने का अधिकार –

  • रजिस्ट्रेशन के लिए पहचानपत्र देना होगा
  • सस्पेंशन पीरियड १८० दिनों के बदले ३६० दिन किया गया है।

NGO को रेगुलेट करने वाले कानून की खामियों को दूर करने के लिए २०२० में विदेशी सहायता पर नियंत्रण रखने के लिए कानून लाया गया जिसके तहत NGO की जिम्मेदारी निर्धारित करना तथा रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के नियम और सख्त करना यह प्रमुख उद्देश्य रखा गया है। ऐसा देखा गया हे की बहुत सारी NGO भ्रष्टाचार करने के लिए तथा टॅक्स की चोरी करने के लिए स्थापित किए जाते हे इसको रोक लगाने के लिए नियम कड़े कर दिए गए है, तथा समाजहित यह मुख्य उद्देश्य होना चाहिए यह निर्धारित किया गया है ।

२०१० में UPA सरकार द्वारा इस कानून को रेगुलेट किया गया था जिसके बाद विदेश सहायता NGO के लिए काफी बढ़ी हे और २०२० का FCRA बिल लाने से पहले सरकार ने यह निष्कर्ष निकाले हे की बहुत सारे NGO जिस उद्देश्य के लिए यह विदेशी सहायता पहुँचती हे वह उस काम इस्तेमाल नहीं होती हे और निजी फायदे के लिए इस्तेमाल होती है। इसलिए इसपर कड़े नियमो की जरुरत सरकार को महसूस हुई हे जो इस बिल में देखने को मिलती है।

NGO कैसे शुरू करे / How to Start NGO –

  • अपने उद्देश्य को निर्धारित करे
  • NGO के लिए बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स निर्धारित करे
  • NGO के लिए नाम निर्धारित करे
  • MOA तथा AOA तैयार करे
  • NGO के लिए फंड इखट्टा करे

NGO स्थापित करने के लिए दस्तावेज / Documents for NGO Establishment –

  • MOA और AOA के हर पेज पर कम से कम तीन सदस्यों के सिग्नेचर चाहिए
  • रजिस्टर्ड ऑफिस का दस्तावेजी सबूत जिसमे लाइट बिल /सेल डीड अथवा पानी बील की कॉपी
  • हर सदस्य का एड्रेस प्रूफ और पहचान पत्र की कॉपी
  • १० रूपए के स्टाम्प पेपर पर NOC ऑफ़ ओनर्स
  • १० रूपए के स्टाम्प पेपर पर अध्यक्ष का शपथपत्र
  • सोसाइटी के सभी सदस्यों की सूचि सिग्नेचर के साथ
  • कम से कम आठ सदस्य यह अलग अलग राज्यों से होने चाहिए

गैर सरकारी संस्था का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of NGO –

  • सामाजिक स्तर पर जिन लोगो को NGO की जरुरत हे उनको यह क्या चीज हे पता नहीं हे मगर जिनको इसकी जरुरत नहीं हे वह इसका फायदा कैसे उठाना हे यह अच्छी तरह से जानते है।
  • भारत में NGO यह हर ४०० आदमियों पर एक इसतरह देखने को मिलती हे मगर जमीनी स्तर पर इसका प्रभाव बिलकुल देखने को नहीं मिलता है।
  • IB की रिपोर्ट के अनुसार कुछ NGO सरकार के विकास कार्य में बढ़ा उत्पन्न करने के लिए विदेशी फण्ड का इस्तेमाल करते हे जिससे देश के विकास में एक प्रतिशत नुकसान देखने को मिलता है।
  • NGO उद्देश्य समाज की अलग अलग समस्या का समाधान करना हे मगर बहुत सारे NGO केवल पैसे कमाने के लिए निर्माण किए जाते है।
  • बहुत सारे NGO असामाजिक अथवा समाज को क्षति पहुंचाने हेतु संघटन निर्माण किए जाते हे जिससे दिखाने के एक उद्देश्य और वास्तविक एक उद्देश्य इससे चलाए जाते है।
  • बहुत सारे NGO टॅक्स की चोरी करने हेतु और काला पैसा सफ़ेद करने हेतु ऐसे संघटन निर्माण करते है।
  • NGO के निर्माण पर राजनितिक पार्टिया तथा प्रभावशाली व्यक्तियों का इतना प्रभाव होता हे की यह किस उद्देश्य से चलाई जा रही हे यह उद्देश्य देखने को नहीं मिलता है।
  • NGO को एडमिनिस्ट्रेशन करने वाली सरकारी संस्था अपना कार्य कार्यक्षम तरीके से नहीं करती ऐसे आरोप लगाए जाते है, जिसमे ऑडिट करने के लिए भ्रष्टाचार देखने है ।
  • शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार इसके लिए NGO का समाज में कोई कार्य देखने को नहीं मिलता हे।
  • जमीनी स्तर पर लोगो को अपनी समस्या पर कौनसी NGO के पास जाना चाहिए इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होती है।
  • NGO का जो उद्देश्य होता हे वह भारत में आजतक पूरी तरह से हासिल नहीं हुवा हे और निजीकरण की पॉलिसी के बाद इसको पूरी तरह से प्रभावहीन हम देखते है।

गैर सरकारी संघटन की विशेषताए / Features of NGO –

  • UN चार्टर्ड के माध्यम से यूनाइटेड नेशन द्वारा इसको द्वितीय विश्व के बाद इसको कानून तौर पर मान्यता दी गई तथा इसका महत्त्व समझा गया।
  • भारत में मुख्य रूप से तीन तरीके से NGO चलाए जाते हे जिसमे ट्रस्ट ,सोसाइटी और नॉन प्रॉफिट संघटन के माध्यम से यह निर्माण की जाती है।
  • यूनाइटेड नेशन के माध्यम से विकासशील देशो में तथा दुनिया की गरीब देशो में सरकार सभी व्यवस्था कार्यक्षम चलाने के लिए सक्षम नहीं थी इसलिए ऐसी संस्थाओ को बढ़ावा दिया गया था।
  • NGO का मुख्य उद्देश्य समाज की प्रमुख समस्याओ पर कार्य करना और जिन विषयो तक सरकार नहीं पहुंच सकती उस विषयो पर सरकार को सहायता करना।
  • ट्रस्ट के माध्यम से कम से कम दो लोग अपनी संपत्ति का उपयोग समाज के लिए कर सकते हे और इस कानून के अंतर्गत संस्था रजिस्टर्ड कर सकते है।
  • सोसाइटी एक्ट के तहत कम से कम सात व्यक्तियों द्वारा यह NGO स्थापित की जाती हे जिसका उद्देश्य यह लिखित रूप में तत्सम अधिकारी को दिया जाता है।
  • धारा ८ के तहत कंपनी कानून नॉन प्रॉफिट कंपनी स्थापित की जाती हे जिसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक समस्या पर कार्य करना होता है।
  • NGO को तत्सम अधिकारी को अपना ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करना होता हे, ऐसा न करने पर संस्था की मान्यता रद्द की जाती है।
  • २०२० में विदेशी सहायता पर नियंत्रण रखने के लिए भारत सरकार ने FCRA बिल लाया अंतर्गत ऐसे निधि को रेगुलेट करने का उद्देश्य है।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने देखा की NGO का उद्देश्य क्या होता हे और भारत में ऐसी संस्थाए कैसे रेगुलेट की जाती है। जमीनी स्तर पर NGO क्या चीज हे और यह हमारे लिए किस काम की हे यह हमें नहीं देखने को मिलती हे मगर हर ४०० लोगो पर एक संस्था इस तरह से यह संस्थाए भारत में है। कुछ संस्था द्वारा बहुत अच्छा कार्य किया जाता हे मगर ऐसी संस्थाए बहुत कम है। ज्यादातर NGO पैसे कमाने के उद्देश्य से स्थापित की जाती है।

जिनको भारत का समाज बिलकुल पता नहीं हे अथवा जिनको समाज की कुछ पड़ी नहीं हे ऐसे लोग NGO ज्यादातर चलाते हुए हमें दिखते है। बड़ी बड़ी कम्पनिया यह संस्थाए अपने प्रॉफिट को टॅक्स से बचाने के लिए निर्माण करती हे उनका कोई सामाजिक दायित्व वह निभाना नहीं चाहती है। सरकार की जानकारी से कहे तो भारत में बहुत सारी NGO सरकार पर नियंत्रण रखने के लिए अथवा मन चाही सरकार निर्माण करने के लिए विदेशी फण्ड के माध्यम से चलाई जाती है।

NGO की पारदर्शिता का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण हे जो राजनितिक पार्टिया जानबूझकर बाहर नहीं लाना चाहती इसकी वजह से यह कानून पूरी जानकारी लोगो तक पहुंचाने में आजतक असफल रहा है। भारत जैसे विशाल देश में NGO यह बहुत प्रभावी तरीके से कार्य कर सकता हे अगर इसे ईमानदारी से चलाया जाए। इसलिए इतने सारे NGO भारत में चलाए जाते हे मगर इसका असर समाज के विकास पर बिलकुल नजर नहीं आता है। इसलिए इसे प्रभावी माध्यम से अमल में लाना यह सरकार की जिम्मेदारी हे जिससे उनका भी भार कम होने में सहायता होगी और हम आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

वैकल्पिक विवाद समाधान(ADR)

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