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प्रस्तावना / Introduction –

१९ वी सदी में पहली बार सेग्मेंड फ्राइड द्वारा हमारे मस्तिष्क पर काफी संशोधन किया गया और मस्तिष्क के रहस्य दुनिया के सामने रखे। आज जिस विषय पर हमारा आर्टिकल लिख रहे हे यह एक ब्रेन रूल के बारे में किताब जॉन मेडिना द्वारा लिखी गयी है जो एक आणविक जीववैज्ञानिक थे। जिन्होंने हमारे मस्तिष्क को विकसित करने के सिद्धांत बनाए जो इस किताब के माध्यम से हमारे सामने रखे हे, जो मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई है। इंसान की पिछले हजारो सालो की विकास की प्रक्रिया को इस सिद्धांत के द्वारा उपयोग में लाया गया है।

इंसान के विकास पर कई वैज्ञानिको ने इससे पहले अध्ययन किया हे जिसमे चार्ल्स डार्विन को हम सबसे शीर्ष पर रखते हे, मगर हमारे बुद्धि को जानने के लिए हमें सेग्मेंड फ्राइड द्वारा किए गए संशोधन को जानना जरुरी है । आज के आधुनिक टेक्नोलॉजी के युग में इतने प्रकार की जानकारी हमें उपलब्ध हे की कौनसी जानकारी को सही माने यह हमारी उलझन होती हे, मगर इसको समझने के लिए भी एक तकनीक का इस्तेमाल हम कर सकते है।

इंसान के विकास में डीएनए जैसी खोज ने इंसान के विकास को एक नयी दिशा प्रदान की गयी हे. जिससे हम हजारो सालो के इंसान के बदलाव को बड़ी आसानी से जान सकते है। कुदरती चयन का डार्विन का सिद्धांत हमने स्कूल में कई बार पढ़ा है मगर वास्तविक जीवन में इसका हमारे जीवन में कैसे परिणाम देखने को मिलता हे यह बहुत कम लोग जानते है। इसलिए लेखक इस किताब के माध्यम से इंसान के बुद्धि को कैसे इस्तेमाल करना हे तथा विकसित करना हे यह समझाया है।

जॉन मेडिना और ब्रेन रूल्स / John Medina & Brain Rules –

जॉन मेडिना ने जिव विज्ञानं में पीएचडी की हुई हे, तथा नेशनल अकादमी ऑफ़ इंजीनियरिंग सस्था द्वारा उन्हें २००४ में एफिलिएट स्कॉलर का किताब बहाल किया गया है। २००८ में उन्होंने Brian Rules – 12 Principles for Surviving & Thriving at Work , Home and School. जॉन मेडिना ने अपने जीवन का ज्यादातर समय विश्लेषण अनुसंधान सलाहकार के तौर पर गुजारा हे और हमारे मस्तिष्क के बारे में काफी अध्ययन करने के बाद यह किताब उनके द्वारा लिखी गयी हे, जो हमारे जीवन में काफी महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती है।

इंसान की मेंटल हेल्थ के बारे में लेखक ने अपनी प्रोफेशनल लाइफ में काफी अध्ययन किया है, इसी का नतीजा हे की इस किताब के जरिए लेखक ने यह १२ सिद्धांत हमारे सामने रखे है। वैसे तो जॉन मेडिना द्वारा कई सारी किताबे लिखी गयी हे मगर ब्रेन रूल्स यह किताब उनकी सबसे बेहतरीन किताब मानी जाती है। किताब में दिए गए १२ सिद्धांत सक्षिप्त में अध्ययन करने की कोशिश करेंगे जो मूल रूप से अंग्रेजी किताब है।

१) व्यायाम – व्यायाम से दिमाग की शक्ति बढाती है / Exercise Boosts Brain Power –

हमारे हजारो वर्ष पहले के पूर्वज हर दिन खाने की खोज में १०-२० किलोमीटर चलते थे और यही हमारे पूर्वजो की देन हमारे बुद्धि के तांत्रिक विकास के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित हमें मिली है। आज की जीवनशैली यह इंसान के बुद्धि के तांत्रिक विकास के लिए बाधा का कारन बनी है, इसलिए हमारे पूर्वजो की तरह हमारा हर रोज चलना तो नहीं होता मगर व्यायाम के जरियो यह खामिया दूर कर सकते है।

अगर हम आज हमारे शरीर को व्यायाम नहीं देते तो वह सही तरीके से बुद्धि के विकास के लिए बाधा निर्माण करता है। हमारे बुद्धि के विकास के लिए सही आहार मिलना काफी जरुरी होता है, जब हम हमारे शरीर को व्यायाम की आदत डालते हे तो इसका परिणाम यह शरीर और बुद्धि को सही प्रमाण में पोषण मिलता है। व्यायाम और सही आहार की आदते हमारे शरीर में नयी रक्त कोशिकाए निर्माण करने का कार्य करता है।

विटामिन और खनिज के शरीर में सही मात्रा में घुलमिल जाती है, तथा पाचन शक्ति ठीक से काम करती है। जिसतरह पहले ट्रांसपोर्टेशन के लिए ऊबड़खाबड़ रास्तो का इस्तेमाल होता था और इंसान के बुद्धि ने इसे इन रास्तो को स्मूथ बनाकर सामान की आवाजाही को आसान बना दिया था। इसी तरह व्यायाम से हमारे शरीर और बुद्धि को स्मूथ खून का प्रवाह स्वस्थ रखने में मदत करता है।

२) जीवित रहने का सिद्धांत – मानव मस्तिष्क का समय के साथ विकसित होना / Survival – The Human Brain Evolve , too –

इंसान के दो पैरो पर चलने का विकास से लेकर पका हुवा खाना खाने तक के कई सारे गतिविधियों की वजह से हमने इंसान के बुद्धिका विकास दूसरे जानवरो से काफी तेजी से हुवा है। डार्विन ने अपने चालीस साल के मानववंश के अध्ययन से जीवित रहने का सिद्धांत खोज कर निकाला है, जिससे सृष्टि का हर जिव जीवित रहने के लिए अपने शरीर में पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रहने के लिए बदलाव करता है । इंसान ने अपने बुद्धि का विकास करके समाज का निर्माण किया जो किसी भी जिव के लिए आजतक संभव नहीं हुवा है।

लेखक इस आर्टिकल के माध्यम से बुद्धि के विकास का अध्ययन करते हुए इंसान को इसका इस्तेमाल कैसे करना हे यह समझाते है। बाकि जीवो से इंसान का मस्तिष्क सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित हुवा है। शारीरिक तौर पर इंसान अपने प्राथमिक अवस्था में बाकि जानवरो से काफी कमजोर था इसलिए उसे अपने मस्तिष्क को मजबूत करना यह जीवित रहने के लिए काफी जरुरी था।

इंसान का शुरुवाती मस्तिष्क केवल शरीर की प्राथमिक अवस्था चलाने सक्षम था जो सास लेना, शिकार करना ऐसी गतिविधियों के लिए सिमित था मगर आगे जाकर वह तीन हिस्सों में विकसित हुआ जिसने खुद की भाषा का निर्माण किया जो बाकि जानवरो से काफी आधुनिक थी। दो पैरो पर चलने का उसका विकास यह इंसान के मस्तिष्क के लिए काफी महत्वपूर्ण था जिसके कारन शरीर को लगने वाली शक्ति वह अपने मस्तिष्क को देने के लिए सक्षम हुवा।

३) हर एक बुद्धि एक दूसरे से अलग है तथा अलग कार्य करती है / Wiring -Every Brain Wired Differently –

इंसानो की मस्तिष्क की रचना सभी की सामान होती हे मगर हर इंसान के मस्तिष्क की कार्य करने के प्रणाली अनोखी और यूनिक होती है। हर एक इंसान की समझने की क्षमता यह अलग अलग होती हे, तथा बुद्धि के कार्य करने के लिए वह अलग अलग हिस्से का इस्तेमाल करती है। इसमें पिछले अनुवांशिक गुन, आज कौनसे वातावरण में वह इंसान रहता है और उसकी शिक्षा किस माहौल में हुई हे ऐसे कई सारे चीजों से उसकी बुद्धि कार्य करती है।

कुदरती तौर पर हर एक इंसान के बुद्धि के सेल्स यह अलग अलग तरीके से रिस्पांस देते है इसलिए बुद्धि का अध्ययन करना यह काफी जटिल कार्य है। हर एक इंसान के बुद्धि के सेल्स यह अलग अलग तरह से विकसित होते हे जिसमे आपका आहार , आपकी शारीरिक गतिविधिया यह भी बुद्धि के विकास के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसलिए हम देखते हे की हमारी शिक्षा प्रणाली में एक ही क्लास में सभी विद्यार्थियों को एक ही प्रकार से सिखाया जाता हे मगर यह सभी विद्यार्थी अलग अलग तरीके से इस ज्ञान को ग्रहण करते है।

हर चीज को सीखने के अलग तरीके होते हे जो IQ के तुलनात्मक विश्लेषण से हम यह नहीं जान सकते है। इसलिए लेखक हमारे हर मस्तिष्क के अलग विशेषता के बारे में उदहारण देकर हमें समझाना चाहते है। हमारी शिक्षा प्रणाली यह एक प्रकार के उम्र के बच्चो के लिए शिक्षा की निति बनाते हे परन्तु यह लेखक की हिसाब से गलत तरीका हे पढ़ाने का , क्यूंकि जीतनी दुनिया की जनसँख्या हे उससे अधिक मस्तिष्क के प्रकार हमें देखने को मिलते है।

४) ध्यान – हम उबाऊ चीजों पर ध्यान नहीं देते / Attention – We Dont pay attention on boring things –

हमारा मस्तिष्क भावनात्मक घटनाओ को जीवन में कभी नहीं भूलता हे, मार्किट में इस्तेहार देने की तकनीक भी इसी मुद्दों पर कार्य करती हे और अपना प्रोडक्ट बेचती है। इसलिए हमारा मस्तिष्क जो चीजे ग्रहण करनी हे वह कितनी फायदेमंद हे इससे ज्यादा वह हमारे बुद्धि को कितने जल्दी नियंत्रित करती है इस पर निर्भर होता हे और यह हमारे भावनाओ पर निर्भर होता है।

किसी ड्रग एडिक्ट अथवा शराबी को यह पता नहीं होता की जिस चीजों के लिए वह आदि हुवा हे वह उसके शरीर और मस्तिष्क को नियंत्रित कर रहा है मगर वह कुछ नहीं कर सकता। हमारे मस्तिष्क को जो चीजे अच्छी लगती हे, उसको वह ग्रहण करता हे और बाकि चीजों को इग्नोर करता है भले ही वह फायदेमंद हो या नहीं हो। हम जिस वातावरण में पले बढे होते हे वैसे ही हमारी परवरिश होती हे और सही और गलत की क्षमता को वैसे ही विकसित किया जाता है।

हमारी ध्यान लगाने की क्षमता यह हमारे पिछले अनुभव पर निर्भर रहती हे और भावनात्मक घटनाओ पर वह निर्भर होती है। शिक्षा प्रणाली में भी कई विद्यार्थीओ का ध्यान नहीं लगता इसके यही कारन हे, भले ही शिक्षा महत्वपूर्ण हे मगर वह इसपर ध्यान नहीं लगा पाते। आज के टेक्नोलॉजी के युग में इंसान का ध्यान लगाने की क्षमता और कम होती जा रही हे जिससे जितना कम समय का मनोरंजन वह देखना चाहता हे उतना छोटा वीडियो बनाया जाता है। इसलिए लेखक यहाँ हमारे ध्यान लगाने की क्षमता को कैसे बढ़ाया जा सकता है यह उदहारण के साथ बताने की कोशिश कर रहे है।

५) याद करने के लिए दोहराए / Repeat to Remember –

इंसान का मस्तिष्क यह सात प्रकार की जानकारी को केवल ३० सेकंड के लिए ध्यान में रख सकता है, इसका मतलब है हमारा मस्तिष्क सात प्रकार से जानकारी को अपने मस्तिष्क में जमा कर सकता है । हमें हमारी मेमोरी /ग्रहण करने की क्षमता को बढ़ाना हे तो हमारी जानकारी की क्षमता को बढ़ाना होता है। लेखक इसलिए यह सिद्धांत के बारे में हमें जानकारी देते हे की हमारी मेमोरी क्षमता को बढ़ाने के लिए किसी भी जानकारी को बार बार सुनना पड़ता है।

किसी भी घटना को याद रखने के लिए हमें किसी कलर, खुसबू जैसी कोई भावनात्मक चीजों के साथ मिलकर याद करना यह हमारे मेमोरी क्षमता को बढ़ाता है। लेखक ने तीसरी क्लास के बच्चो का अध्ययन अलग अलग तरीके से किया जिसमे एक क्लास में याद करने के लिए दोहराने की तकनीक का इस्तेमाल किया और दूसरी क्लास में यह नहीं किया। जिससे उन्हें यह अध्ययन हुवा की जिस क्लास में बच्चे बार बार रिपीट करने की तकनीक किसी भी अभ्यास का करते हे तो वह चीज अच्छी तरह मस्तिष्क में बस जाती है।

कुदरत ने हमें कुछ चीजे भुलाने की क्षमता दी हे तो कुछ चीजों को याद रखने की कला भी दी है। मगर हमें इसका इस्तेमाल कैसे करना हे यह काफी जरुरी है, स्कूल में हर बच्चे की स्मरण क्षमता अलग अलग होती हे जिसके लिए अनुवांशिकता , आहार ,वह बच्चा कौनसे माहौल में पल रहा हे तथा उसके मातापिता बच्चो को कैसी शिक्षा देते हे इसपर आधारित होता है। बार बार किसी चीज को दोहराना यह हमारे स्मरणशक्ति को बढ़ाने के लिए काफी कारगर साबित होता है।

६) दोहराना याद रखे / Remember to Repeat –

हमारी याद रखने की क्षमता यह किसी एक दिन या एक साल की हमारी मेहनत नहीं होती बल्कि यह सालो साल किए हुए परिश्रम की ताकद होती हे की हमारी मेमोरी क्षमता दूसरे लोगो से काफी अच्छी बन जाती है। लेखक का ड्रीम रहा हे की स्कूली शिक्षा में जो सीखा हे उसे बार बार सीखना और वह भी स्कूली वातावरण में जिससे वह लम्बे समय तक हमारे मस्तिष्क में याद रहता है। हमारी समस्या यह होती हे की कुछ समय बात हम बहुत सारी जानकारी को भूल जाते है , इसलिए लेखक का मानना हे की इस जानकारी को लम्बे समय तक याद रखने के लिए इसे बार बार रिपीट करे।

आज जानकारी को याद रखने के लिए बहुत सारी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हम कर सकते हे, जैसे कई सारे वीडियो हेड फ़ोन के माध्यम से बार बार सुन सकते हे जो सहूलियत इससे पहली नहीं मिलती थी। मगर हमारे मस्तिष्क को याद रखने के लिए कैसे प्रैक्टिस करे यह विस्तृत रूप से उदहारण देकर लेखक इस किताब में लम्बे समय तक याद रखने की कला हमें सिखने की कोशिश करते है।

७) अच्छी नींद हमारी मस्तिष्क की सोचने की क्षमता को बढाती है / Sleep well to Think Well –

इंसान अपने हजारो सालो के विकास के कारन खुद को दुनिया का सबसे शक्तिशाली जिव बनाया है, जिसमे उसके मस्तिष्क की क्षमता बढ़ाने के लिए मिलने वाली नींद काफी जरुरी है। होमो सेपीयन यह जब नींद लेने के लिए किसी जगह रुकते थे, तो जान का जोखिम हमेशा लगा रहता था मगर इंसान को आज के युग में ऐसा जान का जोखिम नहीं हे।

इंसान ने खुद के रहने के लिए सुरक्षित जगह बनाई हे जिसे हम घर कहते है, मगर वह अपनी जिंदगी में काम की वजह से नींद को खो बैठा हे जिससे उसे कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। हार्ट अटैक जैसी बीमारिया इंसान ने अपनी जीवन में पाली हुई है। कई वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा यह सिद्ध हुवा हे की इंसान के मस्तिष्क को कार्यक्षमता से काम करने के लिए हर रोज अच्छी नींद का होना जरुरी है।

जब हम सोते हे तो हमारा मस्तिष्क कभी नहीं सोता हे वह निरंतर कार्य करता है, मगर हमारे मस्तिष्क के कुछ हिस्से को आराम की जरुरत होती हे। अगर हम यह नहीं देते तो वह पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर सकता और वह हमें यह थकान के माध्यम से यह सन्देश देते रहता है। अभी भी कई विवाद हे की इंसान को कितनी नींद लेना जरुरी हे मगर यह उम्र तथा हर एक इंसान के शारीरिक जरुरत के हिसाब से अलग अलग होती है।

नासा पायलट पर किए अध्ययन से यह पता चला हे की २६ मिनट की नींद मिलने से उनकी ३४ प्रतिशत कार्यक्षमलेखक का मानना हे की हमारा शरीर केवल ३० सेकंड के लिए तनाव सहन करने के लिए बना है उसी वक्त हमारा मस्तिष्क इसकी प्रतिक्रिया देता रहता है। ता बढ़ जाती है।

८) तनावग्रस्त मस्तिष्क अपनी कार्यक्षमता से काम नहीं कर सकता / Stressed Brains dont Learn the same Way –

जंगलो में रहने वाला इंसान और उसका तनाव यह आज के इंसान के तनाव से काफी अलग है। पहले इंसान को हमेशा अपने जीवित रहने संघर्ष करना पड़ता था और किसी संकट के समय पर वह तनाव सहन करता था। आज का इंसान यह हमेशा तनाव महसूस करता हे भले ही वह जीवित रहने के संघर्ष से अभी नहीं लड़ रहा है परन्तु वह जीवन में सेटल रहने के लिए हमेशा स्पर्धा से संघर्ष करता रहता है।

हमारा वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं है , हमारा बॉस हमें नौकरी में बुरी तरह से बर्ताव करता है यह लम्बे समय तक चलने वाले तनाव हमने हमारी आधुनिक जीवन में पाले हुए है। जिससे निपटना यह किसी शेर से निपटने जैसा बिलकुल नहीं हे मगर वह उससे भी मुश्किल इंसान ने बनाकर रखा हे जिसका नतीजा यह हे की डिप्रेशन , आत्महत्या तथा हार्ट अटैक जैसी बीमारिया इंसान ने खुद पर निर्माण की हुई है।

हमारे मस्तिष्क का हमेशा तनाव में रहना यह हमारी मेमोरी क्षमता तथा निर्णय क्षमता पर बुरी तरह से असर डालता है। अगर यह तनाव लम्बे समय तक हमारे शरीर पर रहता हे तो वह हमारे पाचन क्षमता से लेकर रक्त वाहिनी पर बुरी तरह से असर डालता हे जिससे कई तरह की बीमारियों का सामना हमें करना पड़ता है। हमारा एक ही मस्तिष्क होता हे जिसे घर में अलग आचरण करना होता हे वही नौकरी की जगह अलग आचरण करना होता हे तथा समाज में अलग आचरण करना होता है इसलिए इसे तनाव से दूर रखकर पूर्ण कार्यक्षमता से रखना काम होता है।

९) इन्द्रियों को अधिक उत्तेजित करे / Stimulate more of the sense –

इंसान को अपने मस्तिष्क को कार्यक्षम करने के लिए अपने इन्द्रियों का इस्तेमाल काफी प्रभावी तरीके से करना होता हे जिसमे दॄष्टि , आवाज , टेस्ट , स्पर्श , जैसे इन्द्रियों का काफी महत्वपूर्ण कार्य होता है। हम किसी भी पुराणी यादो को हमारी इन्ही महत्वपूर्ण इन्द्रियों की वजह से याद रखने में सफल होते है। इसका मतलब हमारी मस्तिष्क की कार्यक्षमता यह हमारे इन्द्रियों के कार्यप्रणाली पर निर्भर होती है।

लेखक ने अपने प्रोफेशन में इसके लिए काफी अध्ययन खुद किए हे तथा दूसरे वैज्ञानिक अध्ययनोका सहारा लेकर यह सिद्धांत विकसित किया हे, जिसमे बुद्धि को विकसित करने के लिए सबसे प्रभावी इन्द्रिया कौनसी होती है। दृष्टी यह हमारे बुद्धि के विकास के लिए तथा कोई महत्वपूर्ण घटना याद रखने के लिए सबसे प्रभावी इन्द्रिय होती है। जिसका इस्तेमाल सही तरीके से करने पर कार्यक्षता से हमारी मस्तिष्क को इस्तेमाल कर सकते है।

हमारी टेस्ट करने की इन्द्रियों के माध्यम से हम हमारी पुराणी देखि हुई फिल्म को याद कर सकते हे जब हमने पॉपकॉर्न खाए थे और उसका स्वाद अभी भी हमें याद रहता है। इसलिए लेखक का मानना हे की हमारे मस्तिष्क को कार्यक्षम बनाने के लिए हमें हमारी इन्द्रियों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित करना चाहिए जिससे वह हमारे मस्तिष्क के लिए अच्छी मेमोरी रखने का काम करे।

१०) दॄष्टि हमारे सभी इन्द्रियों से प्रभावी होती है / Vision -Vision Trumps all other Sense –

दृष्टी कितनी महत्वपूर्ण इन्द्रिय हे यह जानने के लिए हमें कई वैज्ञानिक अध्ययनो को देखना होगा जिसमे यह सिद्ध होता हे की दृष्टी के माध्यम से हमारा मस्तिष्क कितना कार्यक्षम होता है। किसी भी जानकारी को केवल सुनने के बाद हम उसे तीन दिन बाद केवल १० प्रतिशत याद रख पाते है वही अगर इसमें हम चित्र के माध्यम से अथवा वीडियो के माध्यम से देखते हे तो यही जानकारी हम अगले तीन दिन बात ६५ प्रतिशत याद रख पाते है।

इससे हम अंदाजा लगा सकते हे की दृष्टी यह इन्द्रिया हमारे बुद्धि में जानकारी को याद रखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण इन्द्रिया है। स्कूल में हम देखते हे की छोटे बच्चो को जानकारी के साथ चित्र के माध्यम से किसी भी चीज को समझाने की कोशिश अधिक प्रभावी तरीके से की जाती है। हमारा मस्तिष्क यह पीढ़ी दर पीढ़ी इन्ही इन्द्रियों के उपयोग से विकसित हुवा हे जिसमे दृष्टी यह हमारे पूर्वजो की सबसे महत्वपूर्ण इन्द्रिया रही हे जिसने जानकारी को जल्दी समझने के लिए इस्तेमाल किया है।

जब हम किसी प्रोजेक्ट के लिए पॉवरपॉइंट के माध्यम से केवल टेक्स्ट जानकारी के माध्यम से ऑफिस में दिखाते हे वह इतना प्रभावी नहीं बनता जितना उसमे फोटोज और वीडियोस नहीं शामिल किए जाते। हमें ऐसा सवाल जरूर पड़ता होगा की क्यों दृष्टी से हम इतना प्रभावी तरीके से जानकारी को हमारे मस्तिष्क में जमा कर सकते है। इसका यही जवाब होगा की हमारे पूर्वजो ने पीढ़ी दर पीढ़ी इस क्षमता को अपने अगले पीढ़ी को विकसित तरीके से दिया हे इसलिए यह इन्द्रिया इतनी प्रभावी तरीके से हमारे मस्तिष्क के लिए कार्य करती है।

११) पुरुष और महिलाओ का मस्तिष्क रचना होती है / Male and Female Brains are different –

यह बहुत ही रोचक जानकारी हे की पुरुष और महिलाओ का मस्तिष्क काफी अलग होता है , हमें बस इतना पता होता हे की पुरुष और महिलाओ की शारीरक रचना अलग होती है मगर लेखक ने हमें एक अलग जानकारी से रूबरू किया है। महिलाओ में अपने मातापिता से X क्रोमोज़ोनेस आते हे जिससे उनका मस्तिष्क पुरुष के मुकाबले काफी काम्प्लेक्स होता है। वही पुरुष के माता से X क्रोमोज़ोनेस आता हे तथा पिता से Y क्रोमोज़ोनेस आता हे जिसमे काफी काम मात्रा में जीन्स होते है।

पुरुषो में स्किजोफ्रेनिआ यह मानसिक बीमारी देखने को मिलती हे वही महिलाओ में डिप्रेशन देखने को मिलता है। किसी भी परिस्थिति को भावनात्मक देखने का तरीका यह पुरुषो का तथा महिलाओ का काफी अलग होता है। वैज्ञानिक अध्ययनों में यह देखने को मिलता हे की पुरुष अपने तनाव की स्थिति में सबसे ज्यादा असामाजिक गतिविधियों में शामिल होता है तथा नशे की लत पुरुष ज्यादा होता है।

महिलाओ में हमें तनाव की स्थिति में पुरुषो से अलग परिणाम देखने को मिलते है जहा हमेशा डर लगना , भूख न लगाना यह लक्षण ज्यादातर महिलाओ में हमें देखने को मिलते है। इसतरह से हमने देखा की लेखक यहाँ यह सिद्धांत के माध्यम से हमें बताना चाहते हे की अपने बुद्धि को कार्यक्षम करने के लिए पुरुष और महिलाओ के लिए अलग अलग तरीके इस्तेमाल करने चाहिए क्यूंकि वह विपरीत परिस्थिति में अलग अलग तरीके से बर्ताव करने के लिए बने है।

१२) हम शक्तिशाली और प्राकृतिक खोजकर्ता है / We are Powerful & Natural Explorer –

इंसानो की जानकारी हासिल करने की उस्तुकता यह हमारे विकास का महत्वपूर्ण कारन है तथा बाकि जीवो से बेहतर मस्तिष्क विकसित करने में इंसानो की पीढ़ियों ने इस गुन के माध्यम से काफी विकास किया है। जो टेक्नोलॉजिकल बदलाव हमें देखने को मिलते हे यह इंसान के जानकारी के बारे में संवेदनशील होने के कारन हमें इसका फायदा मिलता हे तथा इस पृथ्वी पर सबसे शक्तिशाली जिव बनने का सफर इंसान ने पीढ़ी दर पीढ़ी हासिल किया है।

गूगल और एप्पल जैसे टेक्नोलॉजी बेस कम्पनिया संशोधन के लिए अपने कर्मचारियों को काफी फ्रीडम देती हे जिसका नतीजा वह नए नए खोज के माध्यम से दुनिया पर राज कर रही है। सामान्य जीवन में हम अपने शैक्षिणिक जीवन तक नयी जानकारी के लिए उस्तुक रहते हे और इसके बाद के जीवन में धीरे धीरे हमारा जानकारी के बारे में उस्ताह कम होते जाता है। यही कारन हे की भारत में हमें कोई नए खोज देखने को नहीं मिलते जिससे मानव समाज को फायदा हो वही पश्चिमी देश इसके लिए काफी अग्रेसर नजर आते है।

इंसान के जीवन में कृषि क्षेत्र का निर्माण , औद्योगिक क्रांति , जानकारी और टेक्नोलॉजी का निर्माण जैसे कई सारे निर्माण यह इंसान को बाकि सारे जीवो से शक्तिशाली बनाता है। लेखक इसलिए अपने इस किताब में इस सिद्धांत के माध्यम से इंसान के इस गुन को हमें बताते है। हमारे समाज में केवल कुछ प्रतिशत लोग इस सिद्धांत का इस्तेमाल करते हे इसलिए वह हमारे समाज के लिए नयी नयी जानकारी तथा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओ का निर्माण करते है वही बाकि लोग जो बहुसंख्य हे यह सिद्धांत का इस्तेमाल अपने मस्तिष्क को विकसित करने के लिए नहीं करते है यह बताते है।

निष्कर्ष / Conclusion –

लेखक जॉन मेडिना यह एक जीववैज्ञानिक के तौर पर अपने पेशे में एक सफल व्यक्ति के तौर पर कार्य किया हे तथा इंसान के मस्तिष्क पर काफी महत्वपूर्ण संशोधन उन्होंने किया है। ब्रेन रूल्स यह किताब यह मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित हुई हे जिसके बाकि कई भाषाओ में संस्करण प्रकाशित किए गए है। यह किताब हमें क्यों पढ़नी चाहिए अगर यह सवाल हमें खुद से पूछना हो तो इसका जवाब जरूर जानना होगा।

इंसान के जीवन में अपने वैवाहिक जीवन से लेकर पारिवारिक रिश्ते तथा अपनी सार्वजनिक जीवन में कैसे खुद को सफल पूर्वक प्रस्थापित करना हे यह काफी मुश्किल काम होता है। हमने कई महान लोगो को देखा हे की वह किसी एक क्षेत्र में सफल हुए हे मगर अपने पारिवारिक जीवन में पूरी तरह से विफल रहे है। ऐसे कई घटनाओ से हमें सीखना होगा की हमें इंसान के मस्तिष्क को जानने की कितनी जरुरत है।

पहले तो हम इस जानकारी का इस्तेमाल हमारे खुद के विकास के लिए पहले कर सकते हे और इसमें बदलाव करने की कोशिश कर सकते है। हमारे पारिवारिक तथा प्रोफेशन में कैसे इस बौद्धिक शक्ति का इस्तेमाल करना हे यह इस किताब के माध्यम से हम सिख सकते है। ज्यादातर बार हम देखते हे की हम आर्थिक सफलता पर इतना ज्यादा ध्यान देते हे की हमारी भावनिक जिंदगी को पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते है जिससे हम पूरी तरह से टूट जाते है इसलिए हमें यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए जिसे सक्षिप्त में हमने यहाँ अध्ययन करने की कोशिश की है।

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