प्रस्तावना / Introduction –

कहा जाता हे की दुनिया में किसी भी व्यक्ती से आप डील कर रहे हो तो समझले ना आप इमोशंस से डील कर रहे हो ना की लॉजिक से इसका मतलब हैं  सब को पता होता हे के निर्णय लॉजिकल लिए जाने चाहिए । मगर ज्यादातर इंसान अपने निर्णय इमोशनली बल्कि भावनात्मक लेता है। मार्केट में ब्रांड इमोशन से तैयार किये जाते है, आज का हमारा टॉपिक हे एप्पल कंपनी जो अपने आप में सबसे पहले एक बड़ा ब्रांड वैल्यू कहलाता है।

मार्किट में लुक्सुरी प्रोडक्ट्स और ब्रांड के बारे में सब लोग जानते होंगे  और उसके मनोविज्ञान के बारे में  यह  एप्पल और उसके फाउंडर स्टीव जॉब अपने आप में मार्किट के सब से बड़े ब्रांड वैल्यू थे। वैसे तो एप्पल कंप्यूटर क्षेत्र में और बाकि इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में काम कर रही है मगर उसका सब से महत्वपूर्ण प्रोडक्ट हे जो उन्हें सबसे बड़े मक़ाम पर रखता हे वह हे उसका मोबाइल प्रोडक्ट्स जो मार्किट में सबसे महंगा होता हे, मगर फिर भी दुनिया का नंबर वन प्रोडक्ट बन जाता है।

माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल की बिज़नेस स्पर्धा कैसी रही, कैसे नोकिया २००७ तक मोबाइल मार्किट का किंग था और एकदम से गायब हो गया यह हम देखेंगे। गूगल की ऑपरेटिंग सिस्टम और एप्पल कंपनी की ऑपरेटिंग सिस्टम एक मार्किट स्पर्धा कैसे रही यह देखेंगे। आज यहाँ हम कैसे एप्पल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बना , उनकी बिज़नेस स्ट्रेटेजी क्या है यह सब विस्तार से देखेंगे।

स्टीव जॉब और एप्पल कंपनी / Steve Jobs & Apple Company-

जैसे की हमने कहा स्टीव जॉब अपने आप में एक ब्रांड वैल्यू थे भले ही वह कॉलेज ड्रॉपआउट थे मगर प्रोडक्ट कैसे बेचना हे यह वह बेहतर जानते थे। दुनिया के ऐसे फाउंडर हे जिन्हे १९८५ में अपने ही कंपनी से बेदखल किया गया था , मगर १९९७ के बाद कंपनी के बुरे हालात में उन्होंने वापस बागडौर संभाली ।उनके अंत तक कंपनी को एक ऐसे मक़ाम पर खड़ा कर दिया की आज २०११ में उनके जाने के बाद भी टीम कुक कंपनी को अच्छी तरीके से चला रहे है।

स्टीव जॉब का करिश्मा यह था की जब वह १९९७ में कंपनी में वापस आये थे तब कंपनी एक हप्ते में दिवालिया घोषित होने वाली थी , वहा से स्टीव जॉब ने कंपनी को ऊपर उठाया । टेक्नोलॉजी क्षेत्र की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनने में अपना योगदान दिया। वह अपने मातापिता के एडोप्टेड चाइल्ड थे और उनके पिताजी एक मेकानिक थे ।

इसलिए उनको इलेक्ट्रॉनिक चीजों में दिलचस्पी हुई और वह दौर था कंप्यूटर का जिस कारन उन्होंने एप्पल के फाउंडर साथी वोज़्निएक के साथ मिलकर एप्पल को निर्माण किया। जो पहले कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर काम करती थी। वोज़्निएक एक कंप्यूटर प्रोग्रामर और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर थे और स्टीव जॉब एक अच्छे विजनरी थे जो अपना प्रोडक्ट कैसे बेचना हे यह अच्छी तरह से जानते थी।

कंप्यूटर बनाने से हुई शुरुवात मोबाइल के क्रांती पर आकर रुकी जिसमे स्टीव जॉब के विज़न का बहुत बड़ा सहयोग रहा हे । क्यूंकि टच स्क्रीन मोबाइल मार्किट में लाना यह नोकिया मोबाइल के अंत की शुरुवात बना जो उस समय की मोबाइल मार्किट के दुनिया कि सबसे बड़ी कंपनी थी।

उस समय लक्ज़री ब्रांड में ब्लैकबेरी मोबाइल एक बहुत बड़ा ब्रांड था जो अपने की पैड के फीचर की वजह से जाना जाता था ।उस समय स्टीव जॉब ने एक स्टेटमेंट दिया था की में बिना की पैड वाला मोबाइल मार्किट में लाने वाला हु। उस समय स्टीव जॉब के इस स्टेटमेंट का मतलब कोई समझ नहीं सका लेकिन यही दौर था टच स्क्रीन मोबाइल का मार्किट में आने का याने के साल था २००७।

एप्पल कंपनी का सेटअप / Head office of Apple company –

एप्पल कंपनी मोबाइल कंपनी में एकमात्र ऐसी कंपनी हे जो अपना ऑपरेटिंग सिस्टम IOS और अपने उत्पादित किये प्रोडक्ट/HANDSET याने मोबाइल दोनों खुद के प्रोडक्ट है। मार्किट में बाकि सभी ऑपरेटिंग सिस्टम दूसरी कम्पनिया ज्यादातर गूगल के एनरोइड ऑपरेटिंग सिस्टम्स पर चलती हे याने सॉफ्टवेयर के लिए दूसरे कंपनी पर निर्भर है।

एप्पल कंपनी अपने प्रोडक्ट का उत्पादन ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन कंपनी से बनवाकर लेती हे जिसका चीन में बहुत बड़ा प्लांट हे। भारत में एप्पल प्रोडक्ट्स बहुत महंगे बिकते हे इसलिए बिज़नेस स्ट्रेटेजी के तहत उन्होंने हाल ही में भारत में एप्पल के उत्पादन तैयार करने के प्लांट बनाए हुए हे।

यह काम उनकी फॉक्सकॉन कंपनी ही देखने वाली हे इससे उन्हें अपना भारत का मार्किट शेयर बढ़ने में मदत होगी और उनके प्रोडक्ट भारत में थोड़े कम कीमत पर बेचना जिससे मार्किट शेयर बढे यह उनका फैसला था। २००७ में जब स्टीव जॉब ने मोबाइल इंडस्ट्री में उतरने का सोचा तब उन्होंने अपने पुराने कंप्यूटर इंजीनियर स्कॉट फोर्स्टल जिन्होंने एप्पल मोबाइल के ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया । स्कॉट फोर्स्टल को  काम पे लगाया और यह एप्पल की रणनीति उनके नम्बर वन होने का कारन बनी। क्यूंकि ऑपरेटिंग सिस्टम और मोबाइल याने हार्डवेयर भी एप्पल का और सॉफ्ट वेयर भी एप्पल का इसने मार्किट में एंट्री बैरियर का काम किया।

एप्पल कंपनी और सैमसंग कंपनी / Apple company & Samsung Company –

सैमसंग यह दुनिया की सबसे ज्यादा मोबाइल बेचने वाली कंपनी बन गयी हे मगर एप्पल दुनिया की सबसे ज्यादा रेवेनुए जेनरेट करने वाली भी  कंपनी बनी। हाल ही में एप्पल कंपनी दुनिया की सब से पहले ट्रिलियन डॉलर कंपनी बनी है। सैमसंग कंपनी यह साउथ कोरिया के जीडीपी में सबसे ज्यादा कंट्रीब्यूशन देती हे इससे आप अंदाजा लगा सकते हे कंपनी कितनी बड़ी है। वह इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी मानी जाती है।

एप्पल पहले कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में ज्यादा काम करती थी मगर अभी वह इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में भी धीरे धीरे काम करने लगी हे ।मगर उनके सफलता का मुख्य भाग उसके मोबाइल हैंडसेट ही रहा हे जो उनका बहुत बड़ा सक्सेस रहा है। सैमसंग और एप्पल दुनिया में मोबाइल क्षेत्र में एकदूसरे के स्पर्धक हे मगर सैमसंग भारत में अच्छा परफॉरमेंस कर रहा हे क्यूंकि इसकी रिज़नेबल कीमते।

१९३८ में बनी साउथ कोरिया की कंपनी सभी क्षेत्र में अपना काम करती हे और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। वही एप्पल कंपनी १९७६ में स्थापित हुई और मुख्यतः कंप्यूटर क्षेत्र से शुरुवात करके मोबाइल और टेक्च्नोलोजी में अग्रेसर कंपनी बनी। टेक्नोलॉजी में दोनों एक दूसरे के स्पर्धक है, मगर सैमसंग की ऑपरेटिंग सिस्टम यह गूगल की एनरोइड सिस्टम इस्तेमाल करते हे और एप्पल हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों खुद का इस्तेमाल करते है।

जब नोकिया ऑपरेटिंग सिस्टम के निर्णय में चूक गयी और बर्बाद हुई वही सैमसंग कंपनी ने २००७ में बदले हुए मार्किट के हालत देखकर तुरंत एनरोइड पर शिफ्ट होना पसंद किया जो महत्वपूर्ण निर्णय था।

एप्पल कंपनी और नोकिया कंपनी / Apple company & Nokia Company –

२००७ तक मोबाइल का मार्किट पर नोकिया छाया हुवा था मगर एप्पल के टच स्क्रीन फीचर ने मोबाइल इंडस्ट्री में एक क्रांती लायी। बाद में सभी कम्पनिया एनरोइड के माध्यम से स्मार्ट फ़ोन की और अपना रुख बदला मगर नोकिया माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम पर अड़ा रहा जो मार्किट के डिमांड पर खरा नहीं उतरा।

एप्पल कंपनी ने मोबाइल मार्किट में क्रांती लायी इसका कारन जो ऑपरेटिंग सिस्टम उसने बनाया वह कंप्यूटर सिस्टम और टेलीकम्यूनिकेशन । इसका कॉम्बिनेशन टेक्नोलॉजी था जो भविष्य में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओ के पर्याय के रूप में उभरने लगा था। नोकिया कालिंग और मैसेज के फीचर से बाहर नहीं निकला और बदले हुए मार्किट को देख न सका इसलिए मार्किट से बाहर हुवा।

यह मार्किट के सभी बड़े ब्रांड के लिए एक सिग्नल था की आपका ब्रांड वैल्यू कितना भी बड़ा हो अगर आप टेक्नोलॉजी के साथ नहीं बदलते तो आप मार्किट से बाहर निकल जाते है।

IOS और ANROID ऑपरेटिंग सिस्टम / IOS & Android system –

एप्पल का सक्सेस का कारन था उनकी ऑपरेटिंग सिस्टम IOS और गूगल के एनरोइड की वजह से मार्किट के बाकि सभी टॉप ब्रांड अपने मोबाइल बेच रहे थे। एप्पल कम्पनी की विशेषता यह थी की हार्डवेयर भी उसका खुदका था और सॉफ्टवेयर भी उसका खुदका था। एनरोइड यह ऑपरेटिंग सिस्टम्स शुरुवात को डीजीटल कैमरा के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने का प्रोजेक्ट था जो गूगल ने २००५ को खरीद लिया ।

यह दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम बना जो आज एप्पल छोड़ के सभी मोबाइल में हम देखते है। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी में गूगल एप्पल की सबसे बड़ी स्पर्धक आज के दिन बनी हुई हे क्यूंकि अगर एनरोइड एप्पल के IOS से एडवांस टेक्नोलॉजी लाता हे ।वह दिन एप्पल के लिए अंत का दिन होगा इसलिए एप्पल को हमेशा एनरोइड से दो कदम आगे रहना पड़ता हे और अपडेट एप्लीकेशन अपने मोबाइल प्रोडक्ट्स के लिए लाने पड़ते है।

एनरोइड की ऑपरेटिंग सिस्टम यह एप्पल छोड़कर लगबघ सभी महत्वपूर्ण अंतराष्ट्रीय मोबाइल ब्रांड को इस्तेमाल होता हे मगर एप्पल का ऑपरेटिंग सिस्टम यह केवल एप्पल के बनाए हुए प्रोडक्ट में ही इस्तेमाल होता हे। जिसमे कंप्यूटर, मोबाइल ,टॅब और स्मार्ट वाच जैसे प्रोडक्ट में यह इस्तेमाल होते हे। जितने भी एप्लीकेशन इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर इस्तेमाल होते हे, समय के साथ उसके अपडेट इन सभी साधनो में करने पड़ते हे जिसे इको सिस्टम कहते है।

इसका मतलब होता हे की अगर आप एप्पल की एक वस्तु खरीदते हो तो आपको उसकी दूसरी इलेक्ट्रॉनिक वस्तु खरीदनी पड़ती है। इसलिए इको सिस्टम की यह रणनीति एप्पल को काफी सफलता देती है।

बिज़नेस का लाइट मॉडल मगर ज्यादा मुनाफा / Light Business Model but super Profit –

एप्पल कंपनी अपनी मोबाइल बनाने का काम चीन में ताइवान की कम्पनिया फॉक्सकॉन और TSMC को देती हे जिससे उनका बिज़नेस का रिस्क कम हो जाता हे। फॉक्सकॉन कंपनी यह मोबाइल हैंड सेट बनाती हे और TSMC यह कंपनी मोबाइल की सबसे महत्वपूर्ण पार्ट माइक्रो चिप बनाती हे। इसलिए यह दोनों प्रक्रिया के लिए अगर एप्पल निर्णय ले की खुद बनाए तो इसके लिए कंपनी को अरबो रूपए खर्च करने पड़ते और जोखिम होती वह अलग से समस्या होती।

इसलिए कंपनी केवल संशोधन पर और टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान देती हे तथा मोबाइल का डिज़ाइन और माइक्रो चिप की प्रोग्रामिंग तथा डिज़ाइन का काम देखती है। बाकि इसके उत्पादन को चीन में अमरीका से काफी कम खर्च में मोबाइल तैयार होता है। जिससे कंपनी केवल मोबाइल के डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी पर ज्यादा ध्यान देती है।

इसके बाद कंपनी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता हे प्रोडक्ट की ब्रांडिंग जिसके लिए एप्पल कंपनी दुनिया भर में एक्सपर्ट मानी जाती है। केवल अमरीका की ही नहीं बल्कि दुनिया की एक ट्रिलियन डॉलर कंपनी बनने का बहुमान कंपनी को मिला है। इसलिए कंपनी की यह लाइट बिज़नेस मॉडल की रणनीति काफी सफल रही हे और इससे कंपनी का प्रॉफिट ऑफ़ मार्जिन बढ़ता है।

एप्पल कंपनी की बिज़नेस स्ट्रेटेजीज / Business Strategies of Apple company –

जैसे की हमने देखा की एप्पल मार्किट में लोगो के लिए एक स्टेटस सिम्बल माना जाता हे और जो लोग एक बार एप्पल का मोबाइल इस्तेमाल करना शुरू करता बाद में दूसरे मोबाइल ब्रांड पे शिफ्ट नहीं होता क्यूंकि वह उसके स्टेटस के गिरने का एक सिम्बल माना जाता है।

ऐसा ब्रांड वैल्यू एप्पल ने मार्किट में बनाके रखा है , कोई भी नया एप्पल प्रोडक्ट खासकर मोबाइल मार्किट में आना होतो उसका क्रेज मार्किट में देखने को मिलता है। इसलिए यहाँ हम एप्पल की मार्केटिंग की स्ट्रेटेजी क्या हे यह जाननेकी कोशिश करेंगे।

  • क्वालिटी प्रोडक्ट यह एप्पल कंपनी की सबसे महत्वपूर्ण स्ट्रेटेजी शुरू से रही हे क्यूंकि उनका प्रोडक्ट एक स्टेटस सिम्बल की तरह देखा जाता हे। इसलिए एप्पल अपने उत्पादन में हर एक चीज के गुणवत्ता पर खास ध्यान रखता है। उदहारण – मोबाइल की एल्युमीनियम बॉडी
  • शुरुवाती दिनों में एप्पल ने अपने ब्रांड को प्रोमोट करने के लिए सबसे ज्यादा पैसा लगाया इसका नतीजा आज के दौर में उनका ब्रांड ही उनके प्रोडक्ट की वैल्यू बना है।
  • एप्पल का खुदका ऑपरेटिंग सिस्टम और खुद का मोबाइल हैंडसेट यह खूबी उसे मार्किट में बाकि मोबाइल कंपनी से अलग करती है।
    उसका इको सिस्टम जो उसके हर एक प्रोडक्ट्स लिंक करता हे जो वह खुद बनाती हे इसकी वजह से आप एक बार एप्पल के सभी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने लगते हे तो उसके लिए बाकि प्रोडक्ट्स इस्तेमाल नहीं कर सकते। उदहारण -लैपटॉप और मोबाइल या डिजिटल घडी
  • एप्पल की बनाई हर एक वस्तु बाकि कंपनी के प्रोडक्ट्स से काफी महँगी होती हे फिर भी वह बिकती हे इसका कारन हे अच्छी टेक्नोलॉजी जो कस्टमर को आकर्षित करती है।
  • सुरक्षितता यह एप्पल कंपनी के मोबाइल या लैपटॉप प्रोडक्ट की खुबिया हे क्यूंकि उनकी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए इस्तेमाल होने वाले आप्लिकेशन यह दूसरे आप्लिकेशन नहीं इस्तेमाल कर सकते जैसे एनरोइड मोबाइल के लिए हम इस्तेमाल करते है , एप स्टोर यह उनकी खुदकी एप्लीकेशन सर्विस हे जिससे कस्टमर को सुरक्षितता मिलती है।
  • एप्पल की सर्विस इलेक्ट्रॉनिक मार्किट में सबसे बेहतरीन मानी जाती है और उनकी स्पर्धक कम्पनिया यह सर्विसेस कॉपी करना चाहती हे मगर जो एप्पल कंपनी सर्विस देती हे वैसी सर्विस कोई और कंपनी आजतक नहीं दे पायी है।
  • भारत में एप्पल की विक्री बाकि दुनिया की मार्किट से काफी कम हे क्यूंकि भारत में लगाने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी और GST, इसके लिए हाल ही में एप्पल ने भारत में अपने उत्पादन प्लांट शुरू किये हे। जिससे उसकी प्रोडक्शन कॉस्ट कम हो और भारत के मार्किट में उसके दाम थोड़े कम हो जाये।
  • एप्पल उसके मोबाइल अप्लीकेशन लगातार अपडेट रखती हे और वह अपडेट उसके सभी मोबाइल में उपलब्ध होते हे यह सुविधा एनरोइड मोबाइल में नहीं मिलती। क्यूंकि मोबाइल उत्पादक कंपनी वह सुविधा केवल नए प्रोडक्ट में दे सकती है।
  • एप्पल कंपनी अपनी विक्री हमेशा नियंत्रित रखती हे जिससे एप्पल के नए प्रोडक्ट के बारे में कस्टमर में उस्तुकता रहे इसलिए उनके नए प्रोडक्ट हमेशा बड़ी लॉन्चिंग के साथ आते हे और विक्री एकदम बढ़िया रहती है।
  • भारत में एप्पल एक रणनीति के तहत इ कॉमर्स प्लेटफार्म पे शुरुवात करने वाली हे जिससे उसकी प्रोडक्शन कॉस्ट और कम हो सके जैसे शाओमी जैसे प्रोडक्ट सक्सेसफुल रहे है।
  • स्टीव जॉब के बाद टीम कुक ने २०११ के बाद कंपनी को एक अलग उचाई पर लेकर आये हे और दुनिया की पहली ट्रिलियन डॉलर कंपनी बनाने का हिस्सा रहे। इससे उनकी दुनिया की ब्रांड वैल्यू काफी बड़ी हुई है और इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए हमेशा किया है।

निष्कर्ष / Conclusion –

एप्पल के बारे में कहा जाता हे की वह ईमानदारी से टैक्स नहीं पे करती मगर अमरीकी सरकार और एप्पल कंपनी में एक अलिखित करार माना जाता हे जिसके तहत एप्पल अपनी कंपनी के माध्यम से अमरीका में रोजगार उपलब्ध करने का वादा करती है। अमरीका सरकार की भी मज़बूरी यह हे की एप्पल यह अमरीका की सबसे बड़ी कंपनी हे और उसको नाराज करना उनके लिए नुकसान का सौदा हो सकता हे ।

इसलिए वह अमरीका में कंपनियों को बढ़ने की छूट देते है। एप्पल कंपनी ने कैलिफ़ोर्निया में ५ बिलियन डॉलर में बनाया हुवा उनका हेड ऑफिस यह खुद में एक एप्पल की शक्ती का अंदाजा देता है। यहाँ हमने एप्पल कंपनी का सफर देखा और उनकी सक्सेस स्टोरी देखी जिससे आप के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने में सफल रहा ऐसी आशा करता हु।

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