प्रस्तावना / Introduction –

बदलती जीवन पद्धती और समाज में हो रहे बदलाव इससे वैवाहिक जीवन को सफलता पूर्वक निभाना काफी मुश्किल हो गया है। पश्चिमी देशो के मुकाबले भारत में विभक्त / डिवोर्स का प्रमाण काफी कम हे मगर इसका कारण रिश्ते में खटास नहीं हे ऐसा नहीं होता मगर समाज का दबाव शादी को टिकाए रखने के लिए ज्यादा होता हे जिससे लोग वैसे ही जिंदगी बिताते है।

यह विषय लेने के कारन हे की वैवाहिक जीवन को निभाना यह काफी समझदारी भरा काम होता है। शादी से पहले के निर्णय कैसे लेने हे तथा शादी के बाद रिलेशन कैसे संभाले यह बड़ा ही मुश्किल काम होता हे क्यूंकि भारत की बात करे तो शादी यह केवल दो व्यक्तियों का विवाह नहीं होता इसके साथ साथ दोनों के परिवार जुड़ जाते है।

इसलिए हम यहाँ देखेंगे की इन सभी रिश्तो को दो व्यक्तियों के संबंध के साथ कैसे जोड़े रखे क्यूंकि समाज में हमें पहले ऐसा देखने को मिलता था की महिलाओ को ज्यादा समझौते करने पड़ते थे मगर आज परिस्थिति बदल चुकी हे महिलाए आर्थिक दृष्टी से सक्षम होने लगी हे और जिसकारण जो समझौते पहले महिलाए कराती थी आज के दौर में वह नहीं किये जाते जिससे संबंध बिगड़ जाते है।

हम देखेंगे की यह संबंध कैसे सुधरे जा सकते है।, और इसके लिए हमें क्या करना चाहिए यह हम विस्तारसे जानने की कोशिश करेंगे।

वधु अथवा वर कैसे चुने / How to choose Bride -Groom –

हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या यह की कानूनी रूप से जाती व्यवस्था बुरी हे मगर सामाजिक स्तर पर जाती व्यवस्था के बगैर हम जी भी नहीं सकते इसलिए वर अथवा वधु चुनने के लिए हम हमारे जाती से बाहर सोच भी नहीं सकते यह सबसे बड़ी खामी है। जितना महत्व हम घर में किसी वस्तु के खरीद ने लिए संशोधन करते हे उतना संशोधन हम वधु -वर चुनने की लिए नहीं करते।

हमारे समाज का हम अध्ययन करे तो आर्थिक स्तर जिनका एकदम अच्छा हे वहा जाती देखकर विवाह नहीं किया जाता मगर जैसे जैसे हम निचे आते हे यह एकदम दृढ़ हो जाता है। इससे आज के दौर में सबसे बड़ी समस्या यह हे की अगर हमारा वधु -वर ज्यादा पढ़ा लिखा हे तो हमारे जाती में इतना पढ़ा लिखा अगर कोई नहीं मिला तो बहुत बड़ी समस्या निर्माण होती है।

इसलिए हम अपने निर्णय में समझौता करके अपने बेटे या बेटी की शादी कर देते हे और भविष्य में अगर यह समझौते पछतावे में बदल जाये तो शादी को निभाने में समस्याए निर्माण हो जाती है। इसलिए शादी के लिए वधु अथवा वर ढूंढना किसी आर्थिक निवेश को सफल बनाने जैसा मुश्किल काम होता है।

वधु -वर चुनते समय सही जानकारी निकलना बड़ा मुश्किल काम होता हे कई सारे लोग इसके लिए प्राइवेट डिटेक्टिव्स की मदत लेते हे मगर कहा जाता हे की यह विश्वास पर टिका होता हे मगर गुप्त तरीके से जानकारी लेकर भविष्य में किसी की भावनाओ को ठेस न पोहचाते हुए यह काम कर सकते है, दूसरा समय लेकर जानकारी ले सकते हे जल्दबाजी में निर्णय न ले जहा जल्दी होती हे वह धोखा होता है।

रिश्तो को समझे / Understand the Relations –

वर की फॅमिली / Groom’s Family –

जब कोई लड़की आपके घर में शादी करके आती हे तो पुराणी पीढ़िया मानती थी की सारा समझौता लड़की को करना हे। आज परिस्थिति बदल चुकी हे लड़किया पढ़ी लिखी और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होती हे इसलिए समझौता अगर दोनों तरफ से बराबर हो जाये तो किसी एक को समझौता करने की जरुरत नहीं पड़ती और सभी रिश्तो का सम्मान रहता है।

गलत को लगत कहना यह समझदारी बहुत कम लोगो में होती है, सही और गलत के बारे में बहुत सारे लोगो की व्याख्या हे की जो हमारे लोग हे वह सही हे और दूसरे लोग गलत हे इसलिए हमेशा अपने लोगो का साथ देना चाहिए , जिससे रिश्ते और ख़राब हो जाते हे और नौबत रिश्ता टूटनेतक आती है।

किसी प्रोफेशनल कौंसलर की सलाह लेना कोई बुरी बात नहीं हे वह उसमे माहिर होते हे और आपके मसले को सुलझा सकते हे, वैसे हम कई सारे चीजों पर पैसा खर्च करते हे इस कारन पर पैसा खर्च करना कोई बुरी बात नहीं हे मगर आपकी समस्या सुलझ जाए यह महत्वपूर्ण बात है।

वधु की फॅमिली / Bride’s Family –

जब कोई लड़की शादी करके अपने पती के घर जाती हे तो उसे और उसकी फॅमिली को सबसे महत्वपूर्ण मनोविज्ञान समझना चाहिए। किसी भी लड़के की शादी होने तक उस लड़के पर अपने माँ का प्रभाव हर चीज के लिए रहता हे और शादी के बात यह सब बदल जाता हे जिसको समझने के लिए वक्त लगता है।

इसलिए वधु तथा उसकी फॅमिली ने लड़के की फॅमिली तथा वर की माँ को यह वक्त देना चाहिए, जिससे दोनों रिश्तो का सम्मान रह सके। जब दोनों तरफ की फॅमिली एक दूसरे पर अपना प्रभाव रखना चाहती हे वह रिश्ते ख़राब होने की संभावना सबसे ज्यादा होती हे इसलिए इस बात को हमें समझना होगा।

हमारे फॅमिली कानून का नजरिया भी शादी बचाने का ही रहता हे इसलिए कई सारे प्रावधान हमें महिलाओ के सुरक्षा से संबंधित होते हे, इसका मतलब यह नहीं होता की वधु पक्ष इसका दुरूपयोग करके वर पक्ष से अपना बदला ले।

हमारे समाज में एक वास्तव हमें समझना होगा की जब शादिया टूटती हे तो लड़कियों को समाज में ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती हे यह वास्तव हमें समझना होगा। लड़को को दूसरी शादी करने में ज्यादा समस्याए नहीं आती मगर लड़कियों को दूसरी शादी करने में काफी समस्याओ को सामना करना पड़ता हे यह हकीकत हमें समझकर निर्णय लेने चाहिए।

अंतरजातीय जातीय विवाह / Inter caste Marriages –

केंद्र सरकार तथा राज्यों के सरकार द्वारा अंतर जातीय विवाह करने के लिए काफी योजनाए लाई जाती हे मगर इसका परिणाम समाज में ज्यादा देखने को नहीं मिलता और ज्यादा तर संघटन जातीय मजबूत करने के लिए काम करते हुए हम देखते है।

इसलिए जब कोई वधु -वर अलग जाती में शादी करते हे तो हम देखते ही की इसका परिणाम समाज में अच्छा दिखाना चाहिए मगर ऐसा नहीं होता इन लोगो के बच्चो को एक अलग ही समस्या का सामना करना पड़ता हे और एक नई जाती का निर्माण हमें देखने को मिलता हे जिसका नाम अंतर जातीय परिवार के लडके दूसरे अंतर जातीय परिवार में ही शादी करता है।

यह बहुत ही गलत धारणा का सामना करना पड़ता हे इसलिए कोई भी परिवार अंतरजातीय विवाह करने के लिए राजी नहीं होता क्यूंकि भविष्य में होने वाली समस्याए उन्हें पता है। आश्चर्य की बात यह हे की उच्चभ्रू परिवारों में यह समस्याए नहीं आती और वहा शादिया जाती देखर नहीं तो स्टेटस देखकर की जाती है।

अंतर जाती शादियों की समस्याए / Problems in Inter Caste Marriages –

अंतरजातीय शादियों में शादी को निभाना भारतीय समाज में काफी मुश्किल काम होता हे क्यूंकि दोनों में से अगर किसी एक का यह निर्णय गलत हो जाए तो उसे काफी भरी कीमत चुकानी पड़ती है। दूसरी तरफ लड़कियों को इसमें ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती हे जहा वह अपने परिवार के विरोध में जाकर शादी अगर करती हे तो जाती व्यवस्था मानने वाले परिवार ऐसे में लड़कियों के गलत निर्णय पर उन्हें अपनाने में काफी दिक्कत महसूस करते है.यह हमारे समाज की खामिया है।

कानून की तरफ से ऐसे विवाह को काफी सुरक्षा प्रदान की गई हे मगर वास्तविक समाज में ऐसे जोड़ो को काफी संघर्ष करना पड़ता हे और अगर आर्थिक रूप से वह कमजोर हो तो यह संघर्ष और भी बढ़ जाता है। इसलिए अंतर जातीय विवाह करने से पहले इन सब बातो का ध्यान रखकर आर्थिक रूप से सही मैनेजमेंट करना बहुत जरुरी होता है जिससे दोनों में से कोई भी एक दूसरे पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए।

अंतर जातीय विवाह के लिए हमारे समाज को अभी काफी विकसित होना बाकि हे क्यूंकि समाज में इसके लिए कानून तो काफी सारे अच्छे बनाए गए हे मगर वास्तविकता में इसको अमल में लाने के लिए समाज इसके विपरीत आचरण करता हे इसलिए अंतर जातीय विवाह यह अच्छी चीज हे मगर इसके लिए सामाजिक जागृती करना यह बहुत जरुरी चीज है।

भारतीय समाज और पश्चिमी देशो का प्रभाव / Influence of Western Countries on Indian Society –

मोबाइल से लेकर हमारे पहनावे तक हम पश्चिमी देश का अनुकरण करते हे और ऐसा देखा जाता हे की भारतीय उच्चभ्रू समाज में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता हे जिसमे लिव “इन रिलेशन” हो या जीवन में कई सारी शादिया करना यह आम बात हे मगर बाकि समाज में यह अभी भी गलत माना जाता है।

क्या सही हे और क्या गलत हे यह अपने अपने स्तर पर सभी को तय करना होता हे मगर हमारा समाज उच्चभ्रू समाज को आदर्श मानकर कई सारी प्रथाए मानता हे मगर एक फर्क वह नहीं समझता, वह हे आर्थिक जिसमे निचले समाज में यह फॅक्टर बहुत महत्वपूर्ण हे जो किसी भी जोड़े को विभक्त होने पर इसकी काफी कीमत चुकानी पड़ती है।

इसलिए पश्चिमी देशो की तरह विभक्त होने का निर्णय भारत में इतने सहज तरीके से नहीं लिया जाता और दूसरी बात यह हे की हिन्दू समाज में विभक्त होना यह व्यवस्था हे ही नहीं, जैसे मुस्लिम , बुद्धिस्ट तथा ईसाई धर्म में शादी यह एक कॉन्ट्रेक्ट माना जाता हे और हिन्दू समाज में इसे पवित्र बंधन माना जाता हे जिसमे पती पत्नी सात जन्मो के साथी होते है।

पश्चिमी देशो में और भारत में विभक्त होना एक विश्लेषण / Divorce In Western World & India –

पश्चिमी देशो में पिछले चालीस सालो से विभक्त होने का प्रमाण काफी बढ़ा हे जिसका सबसे महत्वपूर्ण कारन हे आर्थिक स्वतंत्रता तथा व्यक्ती स्वतंत्रता का कल्चर, भारत की बात करे तो कई सारी विवाह में बहुत सारी समस्याए होती हे मगर शादिया बचाने के लिए ज्यादा महत्त्व दिया जाता है।

भारत में ज्यादातर शादी बचाने में महिलाओ को ज्यादा समझौता करना पड़ता हे और जहा महिलाए समझाता नहीं करना चाहती वही शादिया ख़त्म की जाती है। यह प्रमाण पश्चिमी देशो से काफी कम हे मगर इसका मतलब कतई यह नहीं हे की यह शादिया बहुत अच्छे से जीवन बिताती है।

कई मामलों में पुरुषो को भी शोषण का सामना करना पड़ता हे मगर यह प्रमाण इतना कम हे की स्त्रियों के शोषण का प्रमाण काफी अधिक हे जिसके लिए कितने भी कानून बनाए जाए यह नहीं बदलने वाला जबतक इसके लिए पुरुषो की सोच बदली न जाए जो काफी मुश्किल काम है।

जहा लड़कियों को मज़बूरी में शादिया निभाने का सामाजिक दबाव होता हे जिससे शोषण होते हुए भी कई शादिया पूरी जिंदगी निभाई जाती है। लड़कियों के लिए परिवार का साथ भी ऐसे निर्णयों में ज्यादातर बार नहीं मिलता और वह इतनी प्रगल्भ नहीं होती की ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय अकेले के दम ले सके। इसलिए ज्यादातर शादिया समझौते पर चलती है इसलिए शादी से पहले यह निर्णय समय लेकर लेना महत्वपूर्ण होता है।

शादियों के लिए खर्चा करना कितना सही है ?/ Expenses for Marriages –

हर व्यक्ति के लिए शादी यह जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता हे जिसे ज्यादातर लोग उसे मनाना चाहते हे मगर ज्यादातर समय हम समाज के दबाव से कर्ज लेकर शादिया करते हे यह समाज का वास्तव हे। जिनके पास काफी सारा पैसा हे वह लोग खर्चा करे तो हम समझ सकते हे मगर जो लोग यह खर्चा नहीं कर सकते वह लोग भी शादियों में लाखो रुपये खर्च करते है।

शादी में खर्चा करना यह हमारे यहाँ प्रतिष्ठा का होना मानते हे इसलिए अच्छे सुलझे हुए लोग भी कर्ज निकलकर अपने बेटी -बेटे की शादी करते हे और यह आर्थिक गलती को जिंदगी भर पछताते रहते है। हमारी सरकारे भी आदर्श शादी यह रजिस्टर शादी मानते हे मगर इसके विपरीत हम देखते हे की समाज में शादियों के लिए लाखो रुपये खर्च किया जाता है।

इस गलत प्रथा को हमें आर्थिक रूप से समझना होगा नहीं तो हमें जिंदगी भर इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। हम उच्चभ्रू परिवारों की शादी देखकर उनके जैसा खर्च करना चाहते हे और समाज में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाना चाहते हे मगर यहाँ हम गलत निर्णय लेते हे।

क्यूंकि उच्चभ्रू परिवारों का इनकम यह काफी ज्यादा होता हे और एक शादी से उनके आर्थिक स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ता मगर हमें पड़ता हे इसलिए ऐसी झूटी शान में न फसे और रजिस्टर शादियों करे अथवा अपने बजट में सही निर्णय लेकर खर्चा करना उचित होगा।

फॅमिली प्लानिंग तथा आर्थिक निर्णय / Family Planning & Economical Decisions –

आज के दौर में विवाहित जोड़े यह आर्थिक रूप से स्वतंत्र होते हे इसलिए सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए फॅमिली प्लानिंग तथा आर्थिक मैनेजमेंट के निर्णय दोनों के समझौते से होने जरुरी होते इसलिए अमरीका में एक चलन काफी प्रसिद्द हे जिसमे शादी से पहले फाइनेंसियल कॉन्ट्रैक्ट जोड़े के बिच में बनाया जाता हे जिससे भविष्य में कुछ विवाद पैदा हुए तो किसी को इसकी कीमत चुकानी न पड़े और जीवन भी सुखसे व्यतीत किया जाए।

भारत में यह थोड़ा आधुनिक होगा क्यूंकि अमरीका में जब जोड़े विभक्त होते तो अपने स्टेटस के हिसाब से पती को काफी कीमत चुकानी पड़ती हे जो कभी कभी अपनी जिंदगी की बहुत सारी पूंजी खोनी पड़ती हे इसलिए वह सुरक्षा के तौर पर फाइनेंसियल कॉन्ट्रैक्ट बनाने में विश्वास रखते है।

भारत में हम समझौता करना सबसे बड़ा ऑप्शन होता हे जिससे जोड़े को भविष्य में कोई समस्या न आये इसलिए आर्थिक निर्णय तथा बच्चो के लिए प्लानिंग यह पूरी परिवार से जुड़ा हुवा निर्णय होता हे इसलिए किसी एक के व्यक्तिगत निर्णय से कोई निर्णय लेना काफी मुश्किल होता हे इसलिए सबको विश्वास में लेके यह लेना कभीभी कारगर साबित होता है।

शादी के लिए सही उम्र / Correct Age for Marriages –

भारत सरकार भी शादी की उम्र के बारे में एक नया बिल संसद में ला रही हे इसका मतलब हे के समाज में शादी की उम्र में बदलाव होने जरुरी है। हम ऐसा मानते हे की होशियार माता पिता यही चाहते हे की एक समझदार लड़की , लड़का हमारे लडके और लड़की के लिए मिले। हमारे समाज में पहले लड़कियों की शादी बड़ी कम उम्र में की जाती थी उससे पहले छोटी उम्र में ही जोड़ो की शादी कर दी जाती थी ।

समय समय पर ऐसे परंपरा में बदलाव किये गए जिसके लिए समाज में कुछ वर्गों से विरोध किया गया मगर बदलाव होते गए। शादी के लिए आज लड़की की उम्र कितनी होनी चाहिए और लडके की उम्र कितनी होनी चाहिए इसपर काफी बहस हो रही हे मगर तार्किक रूप से सोचे तो उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दोनों को २५ तक उम्र हो जाती हे नौकरी और बिज़नेस के लिए संघर्ष करने के लिए पांच साल लगते है।

अगर हम लडके की सही उम्र आज की तारीख में कितनी होनी चाहिए यह देखे तो वह ३० से ऊपर हो जाती हे तभी लड़का थोड़ा बहुत अपने बलबूते पर खड़ा होता है। लड़की की बात करे तो उम्र के ३० साल पहले शारीरिक तौर पर लड़की की शादी होनी चाहिए अगर ऐसा मन लिया जाए तो वधु और वर के जोड़े में उम्र का अंतर बढ़ेगा यह वास्तविकता हमें लड़का देखते समय ध्यान में रखनी चाहिए तभी अच्छा और सेटल्ड लड़का आपके लड़की के लिए मिलेगा।

इसलिए लड़की और लडके के उम्र में पांच साल से ज्यादा फर्क हे यह प्रमाण आज के दिन मानना प्रासंगिक नहीं हे क्यूंकि जैसे की हमने कहा लडके को सेटल होने को ३० की उम्र लग जाती हे और अगर लड़की को जल्दी शादी करनी हो तो भी २२ -२३ से पहले शादी नहीं कर सकते।

इसलिए अगर लड़का ३५ का भी हो तो वह सेटल रहेगा और समझदार भी रहेगा, यहाँ उम्र में फर्क देखना मतलब किसी ऐसे लडके से शादी कराना जो माँ -बाप के पैसो पर निर्भर हे अथवा खुद ठीक से कमाता नहीं हो , यह हमें समझना होगा।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने यहाँ देखा की सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिए विवाह से पहले तथा विवाह के बाद कौनसे निर्णय लेने चाहिए इसके बारे में हमने यहाँ सोचने की कोशिश की जिससे आपको इससे कुछ सलूशन मिले क्यूंकि आज के रफ़्तार भरे जीवन में अपने साथी को समय देना और आर्थिक रूप से अपने परिवार को सुरक्षित करना इसके लिए काफी बलिदान देने पड़ते हे।

इसलिए हमने यहाँ देखा की दोनों परिवार के साथ रिश्ते कैसे निभाए जाए और आर्थिक तथा इमोशनल लाइफ कैसे अच्छी हो इसके लिए क्या करना चाहिए इसके बारे में बताने की कोशिश हमने की है। समय के साथ समाज में हो रहे बदलाव तथा अपने स्वाभाव में कैसे नियंत्रण रखे इसके बारे में जानने की कोशिश हमने यहाँ की है।

इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी के इस युग में ज्यादातर जानकारी हमें इंटरनेट के माध्यम से मिल जाती हे मगर कौनसी जानकारी सही हे और गलत यह समझने के लिए हमें वह ज्ञान होना आवश्यक हे जो बहुत काम लोगो में होता हे इसलिए ज्यादातर वैवाहिक जीवन में लोग समझौते से जीवन जीते हे तथा नाखुश रहते हे इसलिए खुशीसे जीवन जीने के लिए हमने जो कुछ बाते आपको बताई हे यह काफी महत्वपूर्ण है।

शांत रहने की शक्ति क्या है ? 

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