प्रस्तावना / Introduction –

इंसान का बुद्धिमान होना और आर्थिक दॄष्टि से जीवन में सफल होना यह दोनों अलग बाते है। सफलता अगर बिना असफलता के मिली हो तो वह सफलता बहुत ही ज्यादा जोखिम भरी होती है। आर्थिक दॄष्टि से सफल होने के लिए सारी दुनिया का ज्ञान होना जरुरी नहीं होता, केवल पैसा कैसे कमाना हे इसके नियम जानना जरुरी होता है।

दुनिया में कई बार हमने बुद्धिजीवी लोगो को आर्थिक रूप से संघर्ष करते देखा हे, इसलिए कई बार सवाल आता हे की ऐसा क्यों होता है? हमारा वित्तीय क्षेत्र में बुद्धिमान होना यह विषय लिखने का कारन , कई बार यह सवाल मेरा भी होता था की ऐसे कैसे होता हे के बुद्धिमान व्यक्ती पैसे के लिए संघर्ष करता है ?और दूसरी तरफ औसतन व्यक्ती आर्थिक दॄष्टि से सफल होता है।

इसी बारे में हम यहाँ जानने की कोशिश करेंगे की ऐसे क्या कारन होते हे की आर्थिक दॄष्टि से सफल होने के लिए कुछ अलग विशेषताए होनी होती है, जो हर एक बुद्धिजीवी व्यक्ति में नहीं होती यह हम देखेंगे।

वित्तीय बुद्धिमत्ता क्या है / What is Financial Intelligence –

जब हम सफल व्यक्तियों के बारे में किताबे अथवा इंटरव्यू देखते हे तो यह देखने को मिलता हे की वह सफल क्यों हुए इसका सही कारन उन्हें भी नहीं पता होता। कुछ ऐसी आदते उनमे होती हे जो सफलता का सूत्र बन जाती है और उनका माइंड सेट उनके कृति को अच्छा सहयोग देता है। इसलिए जो लेखक सफल व्यक्तियों पर किताबे लिखते हे वह अच्छी तरह जानते हे की उनकी सफलता का क्या राज है।

वित्तीय बुद्धिमत्ता याने आर्थिक व्यवहारों में माहिर बन जाना और सही समय पर सही निर्णय लेना जिससे आर्थिक सफलता मिल जाती है चाहे वह बिज़नेस हो या कोई महत्वपूर्ण निर्णय हो जिससे आर्थिक फायदा होता हे और वह पैसा और संपत्ती के रूप में होता है।

यह पैसा और संपत्ती कमाना जितना मुश्किल हे उतना ही वह निरंतर संभाले रखना मुश्किल काम होता हे। जिसे योजना बनाकर बढ़ाना तथा टिकाए रखना इसी को वित्तीय बुद्धिमत्ता कहते है, जिसके लिए हमें दुनिया की सारी जानकारी होना जरुरी नहीं होता।

आमिर बनने के लिए वित्तीय बुद्धिमान होना जरुरी होता हे इसके उदहारण देखे तो हेनरी फोर्ड और रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक धीरूभाई अंबानी हो यह कोई दुनिया के जाने माने बुद्धिजीवी नहीं थे मगर उन्हें पैसे कैसे कमाना हे यह अच्छी तरह मालूम था।

वित्तीय बुद्धिमत्ता की शिक्षा / Financial Intelligence Education –

हमें कई बार यह सवाल सामने आता हे की कुछ बहुत कम पढ़े लिखे लोग तथा कुछ पढ़े लिखे लोग आर्थिक दॄष्टि से सफल क्यों होते है, ज्यादातर लोग जीवन में पैसे के लिए संघर्ष करते दिखाई देते है। इसका महत्वपूर्ण कारन हे हमारी शिक्षा व्यवस्था में हमें अच्छी नौकरी कैसे प्राप्त करनी हे यही बचपन से सिखाया जाता है। अच्छी नौकरी पाने से हम आर्थिक दृष्टि से सुरक्षित बन जाते हे और उसमे भी सरकारी नौकरी मिल जाए तो हमारे बुढ़ापे की समस्या ख़त्म हो जाती हे, यह धारणा समाज में एकदम प्रस्थापित हो चुकी है और सभी लोग इसका अनुकरण करते है।

इसलिए हम बचपन से यही सिखते हे की शिक्षा अच्छी नौकरी पाने के लिए होती है। भारत की बात करे तो ज्यादा लोकसंख्या तथा अप्रासंगिक शिक्षा प्रणाली इसके वजह से जितने भी ग्रेजुएट्स बाहर निकलते हे वह मार्किट में लिए उपयुक्त नहीं होते तथा वह अगर शुरुवाती दिनों में आर्थिक रूप से सफल नहीं हुए तो ज्यादातर पढ़े लिखे लोग मज़बूरी में कोई भी नौकरी अपना लेते है और अपना जीवन औसतन बसर करते है।

यह बाते समझाने का कारन, हमें जीवन में आर्थिक रूप से कैसे सक्षम होना हे यह शिक्षा प्रणाली नहीं सिखाती तथा समाज में जो लोग आर्थिक दॄष्टि से कैसे सफल होना हे यह समझाने वाले लोग बहुत कम या ना के बराबर होते है। इसलिए हम आर्थिक दॄष्टि से समाज में जो मान्यताए होती हे वैसे ही चलते हे, जिसमे सेविंग करना, ज्यादा जोखिम नहीं लेना , सुरक्षित नौकरी करना , पैसे के लिए काम करना यह कई तरह की धारणाओं के साथ हम जीते है।

वित्तीय बुद्धिमत्ता तथा वित्तीय IQ / Financial Intelligence & financial IQ –

अमरीकी बिजनेसमैन रोबर्ट केयोस्की ने एक किताब लिखी जिसका नाम है ” Increase Your Financial IQ” जिसमे वह बताते है की आर्थिक /वित्तीय बुद्धिमता क्या हे तथा आर्थिक IQ क्या होता है। हमने IQ -Intelligence Quotient” के बारे में कई बार सुना हे जो बुद्धि की क्षमता को गणिती संख्या में मापने की यह एक पद्धती मानी जाती हे, जिससे इंसान की बुद्धी क्षमता को दर्शाया जाता है।

लेखक इस किताब में आर्थिक बुद्धिमत्ता को मापने की पद्धती के बारे में इस किताब में बताते हे, जिससे पैसा कैसे कमाया जाता है। बुद्धी का IQ उसकी आर्थिक सफलता से दर्शाया जाता है न की उसकी फॉर्मल शिक्षा से हमें दिखता है इसलिए लेखक यहाँ चार प्रकारके FINANCIAL IQ के बारे में इस किताब में बताते हे जो आपको जरूर पढ़नी चाहिए।

  • अधिक पैसा बनाना / Making more money
  • पैसे को सुरक्षित करना / Protecting your Money
  • पैसे का नियोजन करना / Budgeting your money
  • पैसे से फायदा -पत / Leverage of Money
  • आर्थिक इनफार्मेशन / financial Information

इन पांच गुणों से आर्थिक बुद्धिमत्ता का IQ मापा जाता है, जो लोग इन महत्वपूर्ण चीजों पर ध्यान देते है वह अपने जीवन में आर्थिक रूप से सफलता हासिल होती है। यही लोग आर्थिक दॄष्टि से बुद्धिमान माने जाते है, जो दुनिया के किसी भी स्कूल में पढ़ाया नहीं जाता, क्यूंकि दुनिया के सभी स्कूलो में अभ्यासक्रम पर पूंजीवादी व्यवस्था का प्रभाव होता हे और उन्हें जैसे एम्प्लॉयीज चाहिए होते हे वह शासन को वैसी शिक्षा व्यवस्था बनाने के लिए मजबूर करते है, यह वास्तविकता है जो हमें समझना जरुरी है ।

कठोर परिश्रम और होशियारी से परिश्रम करना / Hard work & Smart work –

हमें सिखाया ज्यादा हे की सफलता पाने के लिए कठोर परिश्रम करना चाहिए मगर असलियत में अगर उद्देश्य गलत हो तो आप कितना भी कठोर परिश्रम करे सफल नहीं हो सकते।सफलता के लिए हमें सही उद्देश्य और सही समय के साथ स्मार्ट वर्क करना चाहिए जो हमें कोई नहीं बताता। जो लोग अपने जीवन में जल्दी आर्थिक साक्षर बन जाते हे वह लोग जीवन में सफल होते हे , दूसरी तरफ जिन लोगो में बिज़नेस का संस्कार बचपन से तथा पीढ़ी दर पीढ़ी विकसित होता हे वह लोग अपने आप आर्थिक सफल कैसे बनना हे यह जानते है।

सफल होने के लिए नॉलेज होना जरुरी हे मगर उससे महत्वपूर्ण हे की निडर होना भी जरुरी है, जिससे आपने जो भी योजना बनाई हे उसे प्रत्यक्ष रूप से उतारने के लिए उसपर अमल करना होता है। आर्थिक सफल होने के लिए आपमें यह गुन होना जरुरी हे नहीं तो बड़ी बड़ी कंपनी के अधिकारी खुद की कंपनी क्यों नहीं बनाते जब की वह इतने बुद्धिमान और कंपनी चलाने लायक होते है।

दुनिया में ज्यादातर लोग कठोर परिश्रम करने में विश्वास करते हे, ऐसा माना जाता हे की बुद्धि का इस्तेमाल करना दुनिया में सबसे कठिन कार्य होता हे जिससे ज्यादातर लोग इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहते। दुनिया में अपनी पूर्ण क्षमता हे अपने बुद्धि का इस्तेमाल केवल ५ % लोग करते हे बाकि लोगो में बुद्धि का इस्तेमाल करना याने परिश्रम होता हे इसलिए ज्यादातर लोग कठोर शारीरिक परिश्रम करना पसंद करते है।

पैसा और संपत्ती / Money & Wealth –

वित्तीय बुद्धिमान बनने के लिए आपको पैसा और संपत्ती में क्या फर्क हे यह समझना होगा नहीं तो ज्यादातर लोग जीवन भर ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहते है, जो महंगाई उसे खोखला करती रहती है और हमारे आखरी जीवन में हम पैसे के लिए तरसते हुए जीवन बिताते है। पैसा कमाने वाले लोग पैसे के गुलाम होते हे और जिनके पास संपत्ति होती हे, पैसा उनका गुलाम होता है। जिनको यह गणित समझमे आता हे वह लोग पैसे के पीछे भागने की बजाए संपत्ति कैसे निर्माण करनी हे इसपर ध्यान देते है।

ऐसा माना जाता हे की किसी हिंसक घटना से ज्यादा लोगो को जीवन भर यह डर सताता हे की हमारा बुढ़ापा आर्थिक रूप से कैसे होगा । क्यूंकि आज के दौर में हमें पेंशन मिलने की सुविधा न के बराबर हे और अगर बुढ़ापे में कोई पेंशन चाहिए तो पहले इसके लिए हर महीने पैसे जोड़ने होते है। भारत की बात करे तो हर किसी को अपने मुलभुत चीजों के बाद कोई पैसा नहीं बचता जिससे वह संपत्ति बना सके।

इसलिए पैसा और संपत्ती यह फर्क आपको आर्थिक रूप से सफल बनाने की पहली सीडी है, जिसे इटली के प्रसिद्द दार्शनिक अल्फ्रेडो परेटो ने पहली बार दुनिया के सामने रखा । ऐसा नहीं हे की यह बात इससे पहले किसी को पता नहीं थी मगर समाज के कुछ खास वर्ग को यह बात मालूम थी जिसे हम बिज़नेस सीक्रेट के नाम से जानते है।

क्यूंकि जिनको यह बात समझमे आती हे उनके लिए पैसा जिंदगी भर काम करता हे और जिनको यह समझमे नहीं आता वह जिंदगी भर पैसे के लिए काम करते रहते है।

करप्रणाली और महंगाई / Taxes & Inflation –

ज्यादातर लोग के पास संपत्ती नहीं होती और पैसे को ही वह संपत्ती मानते हे, मगर यह जानने के लिए हमें कृत्रिम व्यक्ति और वास्तविक व्यक्ति इसका फर्क समझाना होगा। क्यूंकि सामान्य लोगो का ज्यादातर पैसा टॅक्स भरने में तथा महंगाई में चला जाता है। जो लोग इन दो चीजों को समझकर इनसे बचने के उपाय नहीं ढूंढते तबतक आपका मेहनत का पैसा ऐसे ही चला जाएगा।

वित्तीय बुद्धिमान लोग कभी कोई संपत्ती अपने नाम पर नहीं खरीदता वह अपने कंपनी के नाम पर वह खरीदता हे, इसलिए हमें लीगल एंटिटी क्या हे यह समझना बहुत जरुरी है। कानूनी रूप से लीगल एंटिटी जब दिवालिया होती हे तो उसके लिए अलग प्रावधान हे और व्यक्ति के लिए अलग प्रावधान है यह बहुत कम लोगो को पता है । भारत में ज्यादातर बिज़नेस छोटे स्तर पर चलाया जाता हे जिसमे यह बेनिफिट नहीं मिलता है।

तथा सरकार कर प्रणाली में पूंजीवाद के लिए काफी प्रोस्ताहन के प्रावधान रखती हे जिसका बेनिफिट हमें कर प्रणाली से मिलता हे, अगर हम कोई भी संपत्ती लीगल एंटिटी के नाम से खरीद ते है। ऐसे ही महंगाई का भी हे, जहा व्यक्तिगत तौर पर महंगाई से नहीं लड़ सकते वह काम लीगल एंटिटी के प्रोटेक्शन से हम परास्त कर सकते है। इसका सही मतलब हे की जागतिकीकरण और पूंजीवाद में ऐसे कानून बनाए जाते हे जिससे बिज़नेस को फायदा हो न की व्यक्ति को इसलिए यह गणित हमें समझना होगा।

पूंजीवाद और वित्तीय बुद्धिमत्ता/ Capitalism & Financial Intelligence –

१९९० से पहले हमें हर चीज खरीद ने के लिए पैसा नहीं देना पड़ता था, जैसे गांव में रहने वाले लोगो को ज्यादा पैसे की जरुरत नहीं पड़ती थी क्यूंकि गांव में कई सारी चीजे आदान प्रदान से मिल जाती थी जिसे वस्तुविनिमय कहा जाता है। जैसे जैसे पूंजीवाद पूरी दुनिया भर में स्थापित हुवा वैसे ही वह भारत में १९९० के बाद स्थापित हुवा जिससे हर चीज के लिए हमें पैसे देने की जरुरत पड़ने लगी और इस तरह से बिना पैसे के हमारा कोई भी काम होना मुश्किल हो गया।

हमारी जो आर्थिक नियोजन की पद्धती है वह हमें बदलनी होगी , क्यूंकि आज भी समाज में जो धारणा है की एक सुरक्षित नौकरी होगी, बुढ़ापे में पेंशन होगी। बिज़नेस करना यह हमारा काम नहीं हे इसके लिए बहुत सारा पैसा लगता है, हमारा काम अच्छी सरकारी नौकरी पाना यह उद्देश्य होना चाहिए अगर वह नहीं मिलती तो अच्छी निजी कंपनी में नौकरी करनी चाहिए। यह मानसिकता हमें बदलनी होगी और नए सिरे से इस अर्थव्यवस्था को समझना होगा।

पैसे कमाने के लिए पहले जैसे एक ही तरीका अब काम नहीं करेगा आप जिंदगी भर पैसे के लिए तरसते रह जाओगे, आज के दौर में कोई भी नौकरी सुरक्षित नहीं मानी जाती। इसलिए पैसे कमाने के कई सारे साधन निर्माण करने होंगे। आर्थिक दॄष्टि से पैसे का नियोजन कैसे करना हे यह हमें जानने के लिए सही इनफार्मेशन को नॉलेज में कैसे बदलना हे यह सीखना हे जिससे हम पैसे से पैसे जोड़ सके और संपत्ती निर्माण कर सके।

वास्तविकता में संपत्ति क्या हे यह हमें समझना होगा क्यूंकि कई बार हम अपने ख़रीदे हुए घर को संपत्ति समझते हे मगर संपत्ति का सही अर्थ होता हे “जो संपत्ति आपको निरंतर इनकम देती हे उसे संपत्ति माना जाता है।

अपनी वित्तीय प्रतिभा का विकास / Developing your Financial Genius –

हम फॉर्मल शिक्षा के लिए लाखो रुपये खर्च करते हे मगर वित्तीय बुद्धिमत्ता के लिए पैसा खर्च नहीं करते यह परंपरा हमें बदलनी होगी। विकसित देशो में आज के दौर में देखे तो अच्छी नौकरी एकदम सहज उपलब्ध हे मगर कोई बिज़नेस नहीं करना चाहता। भारत की बात करे तो अच्छी नोकरिया उपलब्ध नहीं हे इसलिए ज्यादा तर लोग छोटे स्तर पर व्यवसाय करते हे मगर वह उनको संपत्ति निर्माण करने में सहायता नहीं करता।

इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी के इस दौर में हर जानकारी हमें सहज उपलब्ध हे मगर हमें सही जानकारी पहचाननी हे जिससे अपने आर्थिक विकास के लिए इस्तेमाल करनी होगी। आर्थिक बुद्धिमत्ता समाज में सहज उपलब्ध नहीं हे मगर इसको खोजना एकदम सरल हे जिससे किताबे पढ़ना और इंटरनेट के माध्यम से जानकारी हासिल करना यह होना चाहिए।

जिन्होंने दुनिया को कई सारे वैज्ञानिक संशोधन दिए वह निकोला टेस्टला अपने जीवन में आर्थिक रूप से संघर्ष करते हुए मर गए आज तक मानव इतिहास में उनके जैसे बुद्धिमान व्यक्ति कभी नहीं हुवा। कार्ल मार्क्स को कौन नहीं जानता मगर वह जीवन भर आर्थिक रूप से संघर्ष करते नजर आये।

इससे हमें यह सीखने को मिलता हे की आप कितने बुद्धिमान हे यह एक अलग बात हे और आप आर्थिक रूप से कितने सफल हो यह जानने की लिए हमें एक दूसरे स्तर की बुद्धिमत्ता चाहिए जो हमें किसी भी स्कूल में नहीं सिखाई जाती। इसलिए ऊपर दिए गए आर्थिक बुद्धिमत्ता के मापदंड हमें सीखने होंगे और अमल में लाने होंगे।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने यहाँ देखा की फॉर्मल एजुकेशन हमें आर्थिक दॄष्टि से सफल कैसे होना हे यह नहीं सिखाती, यह हमें सीखने के लिए जीवन में दूसरी शिक्षा लेनी होती हे जिसे वित्तीय बुद्धिमत्ता कहते हे। जिसे दुनिया की किसी यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाया जाता है। अपने जीवन में आर्थिक नियोजन के लिए जल्दी शुरुवात करना तथा ज्यादासे ज्यादा आर्थिक जानकारी उपलब्ध करना यह आर्थिक सफल होने का सूत्र है।

दुनिया में कई लोगो को पैसा कैसे कमाना हे यह समझमे नहीं आता, यह हमें पता हे मगर कई सारे देश अपनी आर्थिक व्यवस्था को चलाने में नाकाम होते है। जिससे हमें यह पता चलता हे की पैसा कमाना कितना मुश्किल है। वास्तविकता में इसके लिए सही नॉलेज होना जरुरी होता है। इसके लिए आपका सामाजिक समूह अथवा मित्र परिवार कैसा होना चाहिए यह बहुत जरुरी है।

समाज में एक धारणा है की पैसा कमाने के लिए जोखिम लेना पड़ता है मगर यह सच नहीं है पैसा कमाने के लिए सही ज्ञान होना जरुरी होता हे जिससे जोखिम एकदम कम हो जाती है। इसलिए पैसा कमाने के लिए हमें हमारे पुराने नियम बदलने होंगे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह हे की कंपाउंड इफ़ेक्ट यह प्रणाली समझनी होगी जिससे आप संपत्ति निर्माण कर सकते है।

वित्तीय बुद्धिमत्ता के लिए समय देना होगा जिससे हमें आर्थिक रूप से जीवन में संघर्ष नहीं करना पड़े और बुढ़ापे में आर्थिक रूप से संघर्ष करने का डर नहीं रहे।

 

 

 

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