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प्रस्तावना / Introduction –

अमरीका की सिलिकॉन वेली जो टेक्नोलॉजी क्षेत्र की प्रमुख ऑफिसेस इस क्षेत्र में पिछले सत्तर सालो से हमें देखने को मिलती हे जिसमे इंटेल और एप्पल जैसी महत्वपूर्ण टेक कम्पनिया हमें देखने को मिलती है। भारत में हमें कोरोना की वजह से २०१९ से अर्थव्यवस्था में काफी गिरावट देखने को मिली है काफी दिनों तक उत्पादन क्षेत्र की कंपनियों का उत्पादन बंद रहने से इसको काफी नुकसान झेलना पड़ा हे तथा सप्लाई चेन पूरी तरह से असंतुलित हुवा है।

सूचना और प्रोद्योगिक क्रांति यह इस सदी की सबसे सबसे बड़ी क्रांति रही है जिसने पूरी दुनिया को बदल डाला हे जिसमे प्रमुख रूप से कंप्यूटर कंप्यूटर, मोबाइल और आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस यह प्रमुख प्रमुख लीडर रहे है। इसके लिए प्रमुख रूप से दो हिस्सों में हम इसे बाट सकते हे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर जिसमे अमरीका लीडर माना जाता है, ताइवान और दक्षिण कॅरिअ कोरिया यह आज के दिन प्रमुख उत्पादक उत्पादक बन गए है ।

सेमी कंडक्टर इंडस्ट्री क्या हे और सेमि कंडक्टर संकट क्या हे इसके बारे में हम विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे। भारत का कच्चे तेल के लिए बजट का ज्यादातर हिस्सा खर्च खर्च करना पड़ता था जो आने वाले भविष्य में सेमीकंडक्टर सेमीकंडक्टर के लिए हमें खर्च करना पड़ सकता हे। भारत सेमीकंडक्टर के लिए पूरी तरह से आयत पर निर्भर हे और यह आर्थिक और राजनितिक दृष्टि से काफी खतरनाक परिस्थिति हे।

दुनिया की टॉप सेमीकंडक्टर सेक्टर कंपनी / Top Semiconductor sector Companies of the World –

  • NVIDIA Corporation -USA
  • TSMC -Taiwan
  • SAMSUNG Electronics – South Korea
  • ASML Holdings – Netherland
  • BROADCOM – USA
  • INTEL Corporation – USA
  • QUALCOMM – USA
  • TEXAS Instruments – USA
  • Advance Micro Devices (AMD) – USA
  • APPLIED MATERIALS – USA

सेमीकंडक्टर क्या है ? / What is Semiconductor –

सेमीकंडक्टर यह कंप्यूटर तथा मोबाइल का माइंड होता हे जो इंसान की तरह किसी भी सवाल का विश्लेषण करता हे और उसका जवाब देता है, डाटा जमा करके रखता हे जिसे हम मेमोरी स्टोरेज कहते है। सबसे पहले यह हमें ट्रांजिस्टर के माध्यम से रेडियो जैसे वस्तुओ में देखने को मिला जो आज के तारीख में काफी विकसित रूप हमें मोबाइल जैसे वस्तु में देखने को मिलता है।

इसे सिलिकॉन चिप भी कहा जाता हे क्यूंकि यह सिलिकॉन इस हलके कुदरती चीज से बनाई जाती है जो काफी हलकी और कम और काफी कार्यक्षम होती है। यह चिप जीतनी छोटी होती गई उतनी वह शक्तिशाली और प्रभावशाली बनती गई जो आज के मोबाइल , आधुनिक गाड़िया तथा कंप्यूटर में इस्तेमाल होती है।

इलेट्रॉनिक वस्तुओ में घर के सभी इलेट्रॉनिक वस्तुओ से लेकर नासा के रॉकेट तक सभी एलेक्ट्रोनिक वस्तुओ के लिए यह सेमीकंडक्टर चिप लगती है। जिसके कारन सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के माध्यम से हमें इंटरनेट , वेबसाइट ,आर्टिफीसियल इंटेलिजेंट , और बिना इंजन की गाड़ियों देखने मिलती है। आने वाले भविष्य में इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी में हम और बहुत सारे बदलाव काफी तेजी से देखने वाले है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का इतिहास/History of Semiconductor Industry-

इंटेल दुनिया सबसे बड़ा उत्पादक पिछले पचास साल से रहा हे मगर फिलहाल ताइवान की कंपनी TSMC आज इस क्षेत्र में सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी मानी जाती है। कोरोना संकट में इंटेल भी ग्राहक कंपनियों के सेमीकंडक्टर की मांग पूरी नहीं पा रही हे और इसके लिए वह अपने कुछ ऑर्डर्स TSMC से पूरा करके ले रही है। कंप्यूटर से लेकर मोबाइल, रॉकेट और गाड़िया ऐसा कोई कक्षेत्र नहीं हे जहा सेमीकंडक्टर नहीं लगते है।

अमरीका में १९४७ में पहली बार आज की सिलिकॉन वेली से अपना सेमीकंडक्टर का बिज़नेस शुरू किया था जिसमे प्रमुख कंपनी थी इंटेल जो बाद में काफी पिछड़ गई जिसमे एप्पल के साथ असफल हुई उनकी डील सबसे महत्वपूर्ण कारन रही है। सैमसंग और TSMC जैसी कंपनियों ने इंटेल को उत्पादन और कॉस्टिंग के मामलो में काफी पीछे छोड़ दिया है और ९० % उत्पादन TSMC कंपनी द्वारा होता है।

सेमीकंडक्टर में मुख्य रूप से तीन स्तर होते हे डिज़ाइन -उत्पादन -और विक्री जिसमे एप्पल जैसी कम्पनिया अपने कॉस्टिंग को कम करने के लिए अपने मोबाइल मेकिंग को आउटसोर्स करती हे जिसमे फॉक्सकॉन कंपनी तथा TSMC कंपनियों का काफी अहम् रोल होता है। क्यूंकि इस बिज़नेस को स्थापित करने के लिए काफी इन्वेस्टमेंट तथा जोखिम होता है इसलिए इस बिज़नेस में कुछ गिने चुने प्लेयर वर्चस्व प्रस्थापित किए हुए है।

सेमीकंडक्टर संकट क्या है ? / What is Semiconductor Crisis –

सेमीकंडक्टर फाउंड्री थापित करने के लिए और उत्पादन शुरू करने के लिए काफी समय देना पड़ता है और २०१९ के कोरोना महामारी कारन काफी दिनों तक इसके उत्पादन को बंद करना पड़ा था। दुनिया में लगबघ सभी देशो में हमें LOCKDOWN देखने को मिला है जिसके कारन इलेट्रॉनिक वस्तुओ की मांग काफी बढ़ी है।

ऑनलाइन शिक्षा , Work from home, ;ऑनलाइन गेमिंग , ऑनलाइन शॉपिंग तथा ऑनलाइन बैंकिंग जैसे परिस्थियों ने इंसान के जीवन को काफी बदला है जिसकी वजह से इलेट्रॉनिक वस्तुओ की मांग काफी बढ़ी है। जिसकी वजह से हमें सेमीकंडक्टर की मांग में बढ़ौतरी देखने को मिलती है। इस क्षेत्र में हमें काफी कम कम्पनिया देखने को मिलती है। अमरीका और भारत जैसे देशो ने इसपर पॉलिसीस बनाना शुरू कर दिया है और भविष्य में इसके लिए नियोजन शुरू कर दिया है।

जिसका महत्वपूर्ण कारन इस बिज़नेस को शुरू करने के लिए काफी पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता है फिर भी कोई ग्यारंटी नहीं रहती इसलिए इस क्षेत्र में हमें बहुत कम कम्पनिया देखने को मिलती है। सबसे ज्यादा प्रभाव सेमीकंडक्टर के कम उत्पादन का हमें ऑटो क्षेत्र पर देखने को मिलता है, एक इलेट्रॉनिक गाड़ियों का उत्पादन और गाड़ियों के प्रोडक्शन पर हुवा प्रभाव इससे ऑटो क्षेत्र भारी नुकसान झेल रहा है।

सेमीकंडक्टर कंपनी की जटिलताए / Complexity of Semiconductor Company –

सेमीकंडक्टर की उत्पादन के लिए भारत में १९८१ में एचसीएल कंपनी के माध्यम से पहली बार बड़े स्तर पर कोशिश की गई थी मगर वह प्रयास विफल हुवा था। इसका कारन हे इस क्षेत्र में कंपनी शुरू करना काफी जोखिम भरा काम होता है। तीन स्तर पर सेमीकंडक्टर तैयार किये जाते हे तथा पूरी दुनिया में २०२१ में इस क्षेत्र मार्किट ४३९ बिलियन अमरीकी डॉलर इतना बड़ा हे।

भविष्य में यह मार्किट काफी तेजी से बढ़ने वाला हे और इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी के लिए यह काफी महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। सेमीकंडक्टर की कंपनी शुरू करने के लिए कमसे काम १० बिलियन अमरीकी डॉलर इतना खर्चा आता हे तथा संशोधन के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता है।

मुलभुत सिविधाओ में बिजली और शुद्ध पानी तथा काफी उच्च शिक्षित इंजिनियर लगते हे जो भारत फिलहाल नहीं दे रहा है। इसके बाद भी प्रॉफिट की कोई ग्यारंटी नहीं हे और जो कम्पनिया पिछले से इस क्षेत्र में हे उनसे मार्किट में स्पर्धा करना काफी मुश्किल काम है।

इसलिए सभी देश सेमीकंडक्टर की निर्भरता को दूर करने के लिए प्रयास कर रही हे और आज के सेमीकंडक्टर की कम उत्पादकता के कारन इसकी अहमियत आयल और गैस से ज्यादा महत्वपूर्ण हो रही है। अमरीका ने इसके लिए ५२ बिलियन अमरीकी डॉलर का पैकेज कंपनियों को अमरीका में प्लांट स्थापित करने के लिए दिया हे जिसमे TMSC कंपनी अपना प्लांट शुरू करने जा रही है।

सेमीकंडक्टर फेब्रिकेशन चिप प्लांट / Semiconductor Fabrication Chip Plant –

सेमीकंडक्टर तीन महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती हे जिसमे डिज़ाइन यह सबसे पहली प्रक्रिया होती हे जिसके लिए ३ – ५ प्रतिशत खर्च होता हे जिसमे एप्पल , सैमसंग , गूगल और चीन की हुआवी कंपनी यह काम करती है और फेब्रिकेशन ऑफ़ चिप यह सबसे महँगी प्रक्रिया होती हे जिसके लिए ३० – ५० प्रतिशत खर्च होता हे इसलिए ज्यादातर कम्पनिया यह काम आउटसोर्सिंग करती हे जिसमे एप्पल कंपनी तथा इंटेल भी अपना कुछ चिप के लिए फैब कंपनी को आउटसोर्स करती है।

सेमीकंडक्टर फैब में प्रतिस्पर्धा करना काफी मुश्किल काम होता हे जिसके लिए काफी सारा इन्वेस्टमेंट करना होता हे इसलिए इसमें सैमसंग और TSMC कंपनियों ने फेब्रिकेशन प्लांट में अपना प्रभुत प्रस्थापित किया हे और जिसमे ५ नैनो मीटर जैसी छोटी चिप पर यह दोनों फैब कम्पनिया काम कर रही है और कार्यक्षमता से इस क्षेत्र में मास्टर कम्पनिया बन रही है।

सेमीकंडक्टर फेब्रिकेशन प्लांट के लिए काफी सारा पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता हे और सफलता की संभावना काफी कम होती हे इसलिए सैमसंग और TSMC कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में ज्यादा स्पर्धक नहीं हे और इन कंपनियों को पिछले कुछ दशकों से इस सेक्टर में काफी अनुभत प्राप्त हुवा है। संशोधन पर तथा उत्पादन बढ़ाने के लिए यह कम्पनिया अपना विस्तार कर रही है खास कर TSMC कंपनी अपने प्लांट अमरीका के विस्तारित कर रही है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में इंटेलेक्टुअल प्रॉपर्टी का महत्त्व / Importance of Intellectual Property in Semiconductor Industry –

सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रभुत्व प्रस्तावित करने के लिए IP का काफी महत्त्व हे क्यूंकि टेक्नोलॉजी यह इस क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण हे जो काफी कम वक्त तक रहती हे और इसमें समय समय पर बदलाव होते रहते हे जिसके लिए संशोधन के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। जो टेक्नोलॉजी मार्किट में काफी पिछड़ गयी हे उस चिप का उत्पादन करके कंपनियों को कुछ फायदा नहीं होता है इसलिए टेक्नोलॉजी के साथ आधुनिक सेमीकंडक्टर बनाना यह इस क्षेत्र की कंपनियों का महत्वपूर्ण काम होता है।

इसलिए इस क्षेत्र में ज्यादा कम्पनिया टिक नहीं पाती जहा बदलाव काफी तेजी से होते हे और काफी सारा पैसा लगाकर भी कोई शाश्वती नहीं होती की आपका प्रोडक्ट मार्किट में बिकने के लिए तैयार है। इसलिए डिज़ाइन के लिए कंपनियों का ज्यादा खर्च नहीं आता मगर चिप के फेब्रिकेशन के लिए ५० प्रतिशत तक खर्च करना पड़ता हे इसलिए बहुत सारी कम्पनिया फेब्रिकेशन का काम आउटसोर्स करती है।

गूगल , सैमसंग और अमझोन जैसी कम्पनिया अपने सेमीकंडक्टर खुद बनाती हे मगर वह TSMC जैसे आधुनिक बनाने के लिए काफी एक्सपर्ट होना पड़ता हे जिसमे वह काफी माहिर बन गए है। ५ नैनो मीटर और तीन नाटो मीटर जैसी टेक्नोलॉजी के माध्यम से वह छोटी से छोटी चिप बनाकर मार्किट में अपनी प्रभुत्व को इंटेलेक्टुअल प्रॉपर्टी से प्रस्तापित कर रही हे और अपने बिज़नेस सीक्रेट की वजह से वह सेमीकंडक्टर फैब सेक्टर में बेहतरीन कंपनी है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री और अमरीका चीन राजनितिक /America vs China Politics & Semiconductor Industry –

पिछले दो दशकों से अमरीका और चीन में आर्थिक और राजनितिक युद्ध चल रहा हे जिसके तहत चीन की सबसे महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी कंपनी हुआवी पर पेटेंट की सुरक्षा के उलंघन के चलते काफी प्रतिबन्ध लगाए गए जिसका परिणाम चीन के इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी क्षेत्र पर पड़ा है। अमरीका का यह प्रतिबन्ध राजनीती से प्रेरित रहा हे यह कई राजनीतिज्ञों का मानना है।

सबसे महत्वपूर्ण बात है की दुनिया की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी जो सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में दुनिया का ९० प्रतिशत उत्पादन करती है वह ताइवान की कंपनी हे। चीन और ताइवान का राजनितिक संघर्ष पिछले कई सालो से चल रहा है और अमरीका का प्रभाव ताइवान की राजनिति पर बढ़ रहा है और अमरीका का संघर्ष हमें देखने को मिल रहा है ।

मोबाइल क्षेत्र तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन में चीन ने खुद को काफी विकसित किया हे जिसके कारन वह एक्सपोर्ट में काफी सफल रहे और आने वाले दिनों में वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। इससे दुनिया भर में अमरीका को प्रभाव को यह बहुत बड़ा झटका है इसलिए वह आर्थिक प्रतिबन्ध के माध्यम से तथा ताइवान को नजदीक करके सेमीकंडक्टर के उत्पादन को खुद नियंत्रित करना चाहता है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री और भारत / India & Semiconductor Industry –

सेमीकंडक्टर के के मामले में भारत पूरी तरह से आयत पर निर्भर हे और यह आर्थिक और राजनितिक दृष्टी से भारत के विकास के दृष्टी से अवरोध हे इसलिए भारत सरकार ने ७६००० हजार करोड़ रुपये का पैकेज निजी कंपनियों को प्रोस्ताहित करने के लिए घोषित किया है। १९८१ में भारत ने एचसीएल कंपनी के माध्यम से सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में आने का प्रयास किया था मगर वह विफल रहा था।

भारत में टाटा ग्रुप रिलायंस जैसे बड़े जायंट बिज़नेस होने के बावजूद हम सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कोई कंपनी भारत में स्थापित नहीं कर सके है। आज देखे तो हम सेमीकंडक्टर पूरी तरह से विदेशी कंपनियों पर निर्भर हे। ऐसी कंपनी को स्थापित करने के लिए काफी ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरुरत होती हे तथा फिर भी कोई ग्यारंटी नहीं हे की बिज़नेस सफल होगा।

इस क्षेत्र में संशोधन तथा इस बिज़नेस के लगाने वाली सुविधाए यह काफी महत्वपूर्ण मुद्दा भारत की दृष्टी से हम देख रहे है। निरंतर इलेक्ट्रिसिटी , शुद्ध पानी उपलब्धता तथा सरकारी बढ़ाए यह इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए सबसे बड़ी समस्या रही है। हमने इसके लिए ताइवान से कुछ बिज़नेस एग्रीमेंट किए हे जिसके तहत वह भारत में सेमीकंडक्टर के कुछ प्लांट लगाने उस्तुक है।

सेमीकंडक्टर के किसी भी कंपनी को शुरू करने के लिए कम से कम दस बिलियन अमरीकी डॉलर इतना पैसा लगता हे और भारत में यह जोखिम कोई लेना नहीं चाहता है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री और ऑटो सेक्टर/ Auto Sector & Semiconductor Industry –

भारत में कोरोना के चलते सबसे ज्यादा प्रभाव ऑटो सेक्टर पर पड़ा हे क्यूंकि एक तो ऑटो सेक्टर का इलेक्ट्रिक गाड़ियों में होने वाला बदलाव और दूसरी तरह सेमी कंडक्टर्स की आयात की समस्या यह संकट से यह व्यवसाय जूझ रहा है। सेमीकंडक्टर की कमी के कारन पूरी दुनिया में इसके दाम काफी बढ़ गए हे जिसके कारन गाड़ियों की कीमत हमें बढ़ी हुई दिखती है।

ऑटो सेक्टर में गाड़िया इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर काफी निर्भर हो रही हे, जैसे पावर स्टेयरिंग जैसे फीचर्स तथा इलेक्ट्रॉनिक गाड़िया आने से पुराणी इंजन सिस्टम पूरी तरह से बदल गई है , जिससे गाड़िया मोबाइल की तरह एक इलेट्रॉनिक गॅजेट बनते जा रहा है। इसका मतलब हे की एनरोइड मोबाइल की तरह काफी तेज टेक्नोलॉजिकल बदलाव हमें भविष्य में ऑटो सेक्टर में देखने को मिलेंगे।

अमरीका में जनरल मोटर और फोर्ड जैसी कंपनियों को सेमीकंडक्टर की कमी के कारन अपने उत्पादन को कम करना पड़ा है और वही हल भारत में हमें देखने को मिल रहा है। ट्व व्हीलर हो अथवा फोर व्हीलर हो हमें ज्यादा पैसा देकर गाड़ियों के लिए रह देखनी पड़ती है। सरकार की इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की निति के कारन भविष्य में हमें यह मांग काफी लगाने वाली है इसलिए भारत को इसके लिए आत्मनिर्भर होना चाहिए इसकी पहल शुरू हो गई है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री मोबाइल सेक्टर / Mobile Sector & Semiconductor Industry –

मोबाइल क्षेत्र में बेस एडवांस टेक्नोलॉजी सेमीकंडक्टर में हमें देखने को मिलती हे जिसका महत्वपूर्ण कारन हे एप्पल जैसी कंपनी अपने मोबाइल में इतनी आधुनिक सुविधाए लोगो को दे रही हे जिसका महत्वपूर्ण कारन हे सेमीकंडक्टर की टेक्नोलॉजी जिसमे TSMC और सैमसंग जैसी कंपनी दुनिया की सबसे छोटी सेमीकंडक्टर चिप मार्किट में ला रही हे जिसको बनाना दूसरे कंपनी के लिए काफी मुश्किल काम होता है।

जीतनी छोटी चिप होगी उतना वह कार्यक्षम और आधुनिक होगी जिसके लिए यह कम्पनिया काफी पैसा संशोधन के लिए खर्च करती है। पेटेंट और इसकी सुरक्षा यह मामला इस इंडस्टी का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होता हे अपना प्रभाव मार्किट पर रखने के लिए इसलिए TMSC यह कंपनी इसमें काफी सुरक्षा रखने की कोशिश करती है। एप्पल जैसी कंपनियों के हिसाब उन्हें खुद को अपडेट रखना पड़ता हे तथा मोबाइल कंपनियों में ज्यादातर माइक्रो चिप्स इसी कंपनी की लगाई जाती है।

इससे पहले ही भारत में मोबाइल उत्पादक कंपनियों में चीन पर काफी निर्भरता हे तथा सबसे ज्यादा ग्राहक चीन के मोबाइल कम्पनियो के है इसमें पूरी तरह आयात पर निर्भर सेमीकंडक्टर चिप्स जो घर में लगने वाले मिक्सर से लेकर इसरो के किसी राकेट के लिए लगती है इसलिए भारत इसमें आत्मनिर्भर बनना चाहता है मगर यह इतना आसान नहीं है।

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री की विशेषताए / Features of Semiconductor Industry –

  • सेमीकंडक्टर के बिज़नेस को शुरू करने के लिए शुरुवाती निवेश कम से कम निवेश १० बिलियन अमरीकी डॉलर इतना बड़ी रकम से शुरू करना पड़ता है।
  • कार्यक्षम कर्मचारी , शुद्ध पानी , कार्यक्षम इलेक्ट्रिसिटी , और निरंतर संधोशन यह इस कंपनी की महत्वपूर्ण विशेषता है।
  • इंटेल , TSMC और सैमसंग जैसी कम्पनिया इस क्षेत्र की प्रस्थापित कम्पनिया मानी जाती है तथा उत्पादन के मामले में ९० % उत्पादन TSMC द्वारा किया जाता है।
  • चिप का डिज़ाइन , फाउंड्री और विक्री यह सेमीकंडक्टर कंपनी की प्रक्रिया होती है।
  • सेमीकंडक्टर की कंपनी शुरू करने के लिए तथा उसका उत्पादन शुरू करने के लिए काफी समय देना पड़ता है इसके बाद भी कोई ग्यारंटी नहीं हे की वह चिप मार्किट के लिए उपयुक्त है।
  • एप्पल अपनी माइक्रो चिप की प्रोगरामिंग तथा टेक्नोलॉजी के अनुसार TSMC से अपनी चिप केवल एप्पल मोबाइल के लिए बनाकर लेता है।
  • इंटेल जैसी माइक्रो चिप बनाने वाली कंपनी TSMC से आज माइक्रो चिप बनाकर ले रही हे क्यूंकि मार्किट में इसकी काफी कमी होने के कारन अपने आर्डर पुरे करने के लिए यह निर्णय इंटेल ने लिया है।
  • यह इंडस्ट्री २०२१ में ४३९ बिलियन अमरीकी डॉलर की हे और भविष्य में यह काफी तेजी से बढ़ने वाली है।
  • भारत पूरी तरह से सेमीकंडक्टर के लिए बाहरी देशो पर निर्भर हे इसलिए भारत सरकार ने इसके लिए १० बिलियन अमरीकी डॉलर की सुविधा भारत में आने वाली हर कंपनी को देने का निर्णय लिया है।
  • TSMC जो सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सबसे बड़ी कंपनी भारत में अपना उत्पादन शुरू करने की पहल चल रही है।
  • अमरीका द्वारा सेमीकंडक्टर के संकट को देखते हुए ५२ बिलियन अमरीकी डॉलर की सुविधाए कंपनियों को देने की पहल की हे जिसके तहत TSMC यह ताइवान की कंपनी अमरीका में भी अपने उत्पादन को शुरू कर रही है।

निष्कर्ष / Conclusion –

भारत में TCS , INFOSYS , रिलायंस जैसी बड़ी बड़ी कम्पनिया होने के बावजूद आजतक किसी ने सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए पहल करने की कोशिश नहीं की है। इसके सबसे महत्वपूर्ण कारन भारत की बिजली के बारे में परिस्थिति काफी ख़राब मानी जाती हे तथा शुद्ध पानी की समस्या भारत में काफी पहले से देखने को मिलती है। कार्यक्षम कर्मचारी और संशोधन यह इस क्षेत्र के कंपनी का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है जो भारत में इसका काफी आभाव देखने को मिलता है।

१९८१ में भारत में टेक्नोलॉजी के मामले में एचसीएल इस कंपनी के माध्यम से हमें पहल देखने को मिली थी जो इन्ही प्रमुख मुद्दों के कारन विफल हुवी थी। काफी ज्यादा इन्वेस्टमेंट और सफल होने की काफी कम संभावना यह इस बिज़नेस मॉडल की विशेषता होने के कारन भारत में इस क्षेत्र में हमें कोई कंपनी देखने को आजतक नहीं मिली है। भारत में सबसे ज्यादा सेमीकंडक्टर संकट से प्रभावित ऑटो सेक्टर हमें देखने को मिला है।

यहाँ हमने सेमीकंडक्टर की क्या विशेषता हे इसपर अध्ययन करने की कोशिश यहाँ की है तथा आने वाले भविष्य में यह आयल और गैस से भी महत्वपूर्ण जरुरत हमें देखने को मिलेगी जिसका इस्तेमाल हर एक इलेट्रॉनिक वस्तुओ में हमें देखने को मिलता है। कंप्यूटर और मोबाइल जैसे वस्तुओ में सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के माध्यम से हम इसका इस्तेमाल करते हे वही भविष्य में हम इसे ऑटोमेशन के माध्यम से देखेंगे।

 

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