प्रस्तावना / Introduction –

इतिहास में युद्ध सैनिको की संख्या पर निर्भर होते थे और जिस राज्य की सैन्य में ज्यादा सैनिक होते थे वह जितने की संभावना ज्यादा होती थी। कुशल घुड़सवारी और तलवार बाजी और अच्छे तीरंदाज यह अच्छे योद्धा के हुनर माने जाते थे। चीन में २००० साल पहले गन पाउडर (गोला बारूद) की खोज की गयी जिसका सबसे ज्यादा फायदा १५ वी शताब्दी में यूरोपीय वसाहतवादी देशो द्वारा लिया गया। व्यापार के उद्देश्य से प्राइवेट आर्मी बनाकर वह दुनियाभर में गए और व्यापार तो बढायाही मगर इसके साथ अपने आर्मी कुशल इस्तेमाल किया। इंग्लैंड और स्पेन जैसे देशो में व्यापार करने वाले लोगो के द्वारा निजी आर्मी बनाई गया, जिसमे आधुनिक बंदूके तथा तोपे गन पाउडर के माध्यम से देखने को मिलती है जो उस समय युद्ध के जमीन पर एक क्रांति थी ।

इन यूरोपीय देशो द्वारा इन्ही आधुनिक हत्यारो के माध्यम से अफ़्रीकी और एशिया देशो पर राज किया गया।इसके बाद दूसरा विश्व युद्ध का महत्वपूर्ण दौर रहा है परमाणु बम का जिसका सबसे पहले अमरीका द्वारा दूसरे विश्व युद्ध में जापान पर हमला करके किया गया। गन पाउडर के इस्तेमाल ने इंग्लैंड को दुनिया का शक्तिशाली देश बनाया था वही परमाणु बम के माध्यम से अमरीका आजतक सबसे शक्तिशाली देश बना रहा है। तीसरे दौर में हम देख रहे है की कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से जो व्यवस्था चलाई जाती है, उसको प्रभावित करना और देश को बर्बाद करना यह रहा है तथा लीबिया और सीरिया जैसे युद्ध में इंसानो को भी इसके द्वारा मारा गया है ।

साइबर वारफेयर युद्ध यह भविष्य में इंसानो के माध्यम से नहीं लढे जाएगे, वह आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के माध्यम से होंगे। जिसमे इजराइल जैसे छोटे देश द्वारा खुद को इतना शक्तिशाली बनाया है की पिछले चालीस साल से जितने भी इस्लामिक देश मिलकर भी उसे हरा नहीं पाए है। इसलिए हम इस आर्टिकल के माध्यम से भविष्य के युद्ध कैसे लढे जाएगी और इसके दुनिया पर क्या परिणाम होंगे यह देखेंगे। साइबर युद्ध के लिए सभी देशो ने क्या तैयारियां की है इसका विश्लेषण करेंगे ।

साइबर युद्ध क्या है ? What are Cyber Warfare’s? –

साइबर युद्ध का मतलब होता है की किसी देश द्वारा दूसरे देश के साइबर व्यवस्था (इंटरनेट-कंप्यूटर के माध्यम से जो सेवाए देश में चलती हे) पर नियंत्रण प्रस्थापित करना तथा बर्बाद करना होता है, ऑटोमेशन का इस्तेमाल करके दूसरे देश पर हमला करना, जो ड्रोन के माध्यम से किया जाता है। यह हमले परमाणु प्लांट पर किए जाते हे जो बिजली निर्माण करते है, वह अटैक लोगो की बस्तियों पर ड्रोन अथवा ऑटोमेटेड लड़ाकू विमानों द्वारा ( पायलट रहित विमान) किए जाते है। इसमें इंसानी सैन्य संख्या कितना है यह दुय्यम बात है और महत्वपूर्ण है कितनी आधुनिक तकनीक युद्ध साहित्य में इस्तेमाल होती है।

साइबर जासूसी यह आज के दौर में सबसे प्रभावशाली हत्यार इस्तेमाल किया जाता है जो पहले इंसानी जासूस द्वारा दूसरे देश की जानकारी हासिल करने के लिए किया जाता था । इंसानी जासूस इस्तेमाल करने के लिए काफी जोखिम होती थी और ऐसे लोग प्रशिक्षित करने के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता था मगर आज आधुनिक टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट का इस्तेमाल करके ऑफिस में बैठकर दूसरे देश की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की जाती है, जिसे साइबर जासूसी (Espionage) कहा जाता है।

The US Department of Defense की साइबर युद्ध की व्याख्या देखे तो वह कहते है की किसी भी देश की आतंरिक साइबर सुरक्षा को अगर गलत उद्देश्य से दूसरे देश द्वारा हानी पहुंचाई जाती है, उसे साइबर युद्ध कहा जाता है। कई एक्सपर्ट का मानना है की जिस साइबर युद्ध में एक देश द्वारा दूसरे देश की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके मनुष्य हानी की जाती है इसे साइबर युद्ध कहा जाता है। साइबर युद्ध की कोई एक स्थायी ऐसी व्याख्या नहीं है, मगर इसमें आतंकवादियों द्वारा अथवा क्रिमिनल गुटों द्वारा किसी देश की साइबर व्यवस्था पर हमला किया जाता है, जिसमे पैसे की मांग अथवा कोई बात मनवाई जाती है।

साइबर युद्ध के प्रकार / Types of Cyber War –

  • जासूसी साइबर हमला / Espionage Cyber Attack
  • दुश्मन देश के गुप्त जानकारी को बर्बाद करना / Sabotage Confidential Information of enemy country .
  • दूसरे देश के साइबर सिस्टम को अपने नियंत्रण में लेना / Control the Cyber System
  • विद्युत् शक्ति प्लांट पर साइबर हमला / Attack on Power Grid
  • साइबर सिस्टम के माध्यम से अफ़वाए फैलाना / Propaganda Cyber Attack
  • साइबर सिस्टम पर हमला करके आर्थिक व्यवस्था बर्बाद करना / Economic disruption by Cyber Attack
  • अकस्मात् साइबर हमला करना / Surprise Cyber Attack

मानव सभ्यताका का युद्ध का इतिहास/History of Human Beings Warfare –

चगेज खान से लेकर धार्मिक युद्ध हो अथवा दुनिया पर जित हासिल करने के लिए अलेक्सांडर से लेकर नेपोलियन तक सभी योद्धाओ द्वारा युद्ध सेना और घोड़े तलवार यह हत्यारो से दुनिया को जीता है। जिसमे लाखो लोगो की हत्याए की गयी। राजतन्त्र में किसी भी राज्य की आर्थिक स्थिति अगर ख़राब हो तो दूसरे राज्य पर आक्रमण करके उस देश को लूटना यह मुख्यता राजाओ का काम होता था।

परिस्थिति बदली और तोप और बंदूकों का जमाना देखने को मिला जिसमे ब्रिटिशर्स और अन्य यूरोपीय देश उस समय की आधुनिक हतियारो से लेस होकर पारम्परिक तलवार और भाले से लड़ने वाले सैन्य को बड़ी आसानी से हराते थे। लाखो की सैन्य टुकड़ी वाले राजाओ को यह ब्रिटिशर्स अपने तोप और बंदूकों से कम सैन्य के साथ बड़ी आसानी से हराने लगे। यह चीन द्वारा हजारो साल पहले खोजी हुई गन पावडर का कमाल था, जिसका इस्तेमाल यूरोपीय देशो द्वारा बंदूके और तोपे बनाकर प्रभावी तरीके से किया।

देशो का निर्माण होने के बाद हमने दो विश्व युद्ध देखे जिसमे दूसरा विश्व युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल हमने जापान के शहरों पर देखा है, जिसमे लाखो लोगो की जान चली गयी और कई सारे लोग अपाहिज हो गए। इसके बाद हमने देखा की हर देश खुदको परमाणु शक्ति से लेस बनाना चाहता था और इसकी दौड़ हमने पिछले चालीस साल से देखि है। समय बदला और कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी ने युद्ध की संकल्पना को फिर से बदला और साइबर युद्ध से हमने मानव रहित लीबिया और सीरिया जैसे देशो में युद्ध टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन से देखे।

साइबर सुरक्षा का महत्त्व / Importance of Cyber Security –

साइबर सुरक्षा यह सभी देशो के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा आज के तारीख में बन गया है, जिसका कारन है की साइबर क्राइम पुस्तिका के अनुसार २०२५ तक हर साल दुनिया को १० ट्रिलियन डॉलर खर्चा होगा। यह खर्चा हर साल १५ प्रतिशत बढ़ते रहेगा , क्यूंकि आज हमारे जीवन की हर चीज टेक्नोलॉजी से जुडी हुई है, चाहे वह बैंक व्यवहार हो अथवा बिजली का इस्तेमाल सभी चीजों में टेक्नोलॉजी इस्तेमाल होती है। कंप्यूटर और इंटरनेट के माध्यम से जो चीजे चलाई जाती हे, वह साइबर अटैक से बच नहीं सकती।

इसलिए शेयर मार्किट से लेकर बिजली की सुविधा तक सभी चीजे हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हे और दूसरे देश द्वारा साइबर हमला करके इस व्यवस्था को बर्बाद करने भविष्य में होगी। कोई कल्पना कर सकता है ? की मोबाइल के माध्यम से आज किसी इंसान की हत्या हो सकती है, मगर यह बात सच है। हम जो गाड़िया चलाते है वह भी टेक्नोलॉजी के माध्यम से कंप्यूटर से जुडी हुई है, इसलिए इसको भी नियंत्रित किया है। इसलिए सभी देश साइबर सुरक्षा के मामले में काफी गंभीरता से विचार कर रही है।

साइबर हमला यह दिखाई नहीं देता और महसूस भी नहीं होता मगर यह हमारी जानकारी तथा साइबर सिस्टम को बर्बाद कर देता है अथवा नियंत्रण हासिल करता है। इसलिए साइबर एक्सपर्ट की टीम तैयार करना यह सभी देशो द्वारा प्राथमिकता में देखा गया है, तथा आगे दी गयी कुछ नियमो के माध्यम से साइबर डिफेन्स योजना बनाई जा सकती है ।

  • साइबर इको सिस्टम को सुरक्षित करना
  • लोगो में साइबर सुरक्षा के प्रति जागृती निर्माण करना
  • साइबर खतरे से निपटने के लिए खुले मानको को बढ़ावा देना
  • राष्ट्रिय साइबर सुरक्षा योजना का निर्माण करना
  • साइबर सुरक्षा टेक्नोलॉजी के संशोधन पर काम करना जिसके लिए निजी संस्थाओ की सहायता लेना।
  • अंतर्गत साइबर कानून व्यवस्था तथा अंतरराष्ट्रीय साइबर कानून व्यवस्था का निर्माण करना और एक नियमावली बनाना।

क्रिमिनल हैकर्स और एथिकल हैकर्स क्या है ? / What is Criminal Hackers & Ethical Hackers –

क्रिमिनल हैकर्स यह आतंकवादी तथा क्रिमिनल्स होते है, जिनका उद्देश्य साइबर सिस्टम को नुकसान पहुंचाना, नियंत्रित करना और फिरौती मांगना होता है। यह फिरौती पैसे के रूप में हो सकती है अथवा कोई राजनितिक मांग हो सकती है। व्यक्तिगत तौर पर कोविड आपदा के बाद साइबर क्राइम में ६०० प्रतिशत बढ़ौतरी हुई है जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। आज हमारी बैंकिंग सिस्टम तथा कोई सरकारी वेबसाइट क्रिमिनल हैकर्स द्वारा बड़ी आसानी से हैक की जाती है।

क्रिमिनल हैकर्स यह दुसरो को नुकसान पहुचाने के लिए क्राइम करते है, वही एथिकल हैकर्स यह किसी निजी कंपनी अथवा सरकारी साइबर सुरक्षा के लिए काम करते है। एथिकल हैकर्स द्वारा सरकारी सुरक्षा अथवा किसी निजी कंपनी की साइबर सुरक्षा ठीक हे या नहीं यह देखने के लिए काम करते है। एथिकल हैकर्स को सरकार द्वारा अथवा निजी कंपनी द्वारा नौकरी पर नियुक्त करके अपनी साइबर सुरक्षा को निश्चित किया जाता है।

क्रिमिनल हैकर्स यह व्यक्ति हो सकता हे अथवा व्यक्ति समूह हो सकता है जो लोगो को कंपनी को अथवा किसी सरकारी संस्था को साइबर क्राइम के माध्यम से आर्थिक अथवा जानकारी के स्वरुप से नुकसान पहुँचाता है। ईरान पर कुछ दिन पहले साइबर हमला किया गया था जो दूसरे देश द्वारा नुकसान पहुचाने के लिए किया गया था इसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा एक कानून बनाकर ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए कोशिश कर रही हे मगर अभी तक इसमें कोई सफलता हासिल नहीं हुई है।

क्रिमिनल्स और आतंकवादियों द्वारा AI का इस्तेमाल / AI used by Terrorist & Criminals –

युद्ध में इस्तेमाल होनी वाली आधुनिक ऑटोमेटेड हत्यार निजी कंपनियों द्वारा भी उत्पादन किए जाते है जो कानून बनाकर व्यक्तिगत तौर पर बेचना पाबन्दी है। मगर निजी कंपनियों का उद्देश्य प्रॉफिट कमाना होता है इसलिए अच्छी कीमत मिल जाए तो ऐसे आधुनिक उपकरण आतंकवादी और क्रिमिनल के हाथो लग सकते है। यह दुनिया के लिए सबसे बड़ी समस्या है क्यूंकि वह इंसानो के साथ कुछ भी कर सकते है और कोई भी मांग पूरी करके ले सकते है।

टेक्निकल एक्सपर्ट (हैकर्स ) अगर इन आतंकवादी संघटन अथवा क्रिमिनल गतिविधियों में शामिल हुए तो यह बहुत गंभीर बात है। संयुक्त राष्ट्रद्वारा अंतर राष्ट्रीय शांति संधियों द्वारा दो देशो के बिच की साइबर युद्ध की समस्याए कुछ हदतक कम की जा सकती है। मगर आतंकवादी तथा क्रिमिनल्स के कोई भी गतिविधियों पे कोई बंधन नहीं है और कोई संधि का पालन करने का बंधन नहीं है, इसलिए यह नियंत्रित करना सबसे बड़ी समस्या सभी देशो के लिए है।

सभी देशो के लिए साइबर सुरक्षा यह सबसे महत्वपूर्ण समाधान हे जो इन क्रिमिनल्स और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए है । क्यूंकि सभी देश एक दूसरे के साथ साइबर युद्ध लड़ने के लिए नियम बना सकते हे और नियम न मानने वाले देशो को आर्थिक प्रतिबन्ध अथवा दण्डित कर सकते है। व्यक्तिगत तौर पर हैकिंग करने वाले तथा संघटित तौर पर साइबर क्राइम करने वाले लोगो के लिए कड़े कानून बनाकर दण्डित करना यही उपाय बच जाता है। इसराइल और अमरीका जैसे देश साइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल क्रिमिनल्स और आतंकवाद में काफी प्रभावी तरीके से कर रहे हे जिसमे इनकी मनुष्य हानि न के बराबर है।

AI का युद्ध में इंसानो को मारने के लिए इस्तेमाल / Artificial Intelligence used in War for Human Killings –

संयुक्त राष्ट्रसंघ के रिपोर्ट के अनुसार आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल पहली बार लीबिया में किया गया है जहा ऑटोमेटेड ड्रोन द्वारा इंसानो को मारा गया है। Turkish Military Contractor द्वारा बनाए गए ड्रोन लीबिया में संयुक्त राष्ट्रसंघ को मिले है, इसलिए दुनिया को यह चिंता हे की क्या यह ऑटोमेटेड हतियार सही दुश्मनो को टारगेट करके मारता हे ? अथवा इसमें सामान्य लोगो की भी जान खतरे में होती है।

जो देश यह ऑटोमेटेड हतियार दुश्मन देश के खिलाफ इस्तेमाल करता है उसको सबसे बड़ा फायदा यह होता है की उनकी मनुष्य हानी नहीं होती तथा खर्चा भी कम होता है। इसमें जो देश यह टेक्नोलॉजी बनाने में एक्सपर्ट बन जाता हे उसको यह हतियार सस्ते में मिल जाते है वही जो देश टेक्नोलॉजी के लिए दूसरे देशो पर निर्भर होते हे उनको यह टेक्नोलॉजी महँगी मिलती है। जो देश टेक्नोलॉजी के मामलों में दूसरे देशो पर निर्भर होते हे वह आधुनिक हत्यार इस्तेमाल करने के लिए दूसरे देशो के निर्णयों पर निर्भर रहते है।

पिछले कुछ दिनों से सभी विकसित देश साइबर सुरक्षा का इस्तेमाल करने के लिए अपना आर्थिक सुरक्षा बजट बढ़ा चुके है मगर जो देश विकासशील और गरीब है इनकी कुछ मर्यादाए है। इसलिए साइबर टेक्नोलॉजी का सबसे ज्यादा फायदा विकसित देश लेंगे और बाकि देशो को अपने उंगलियों पर नचाएगे ऐसा दिखता है। बाकि संयुक्त राष्ट्र अभी भी कुछ स्पष्ट नियम इंसानो की साइबर टेक्नोलॉजी से हानि न होने के लिए नहीं बना सका है। चीन और अमरीका जैसे देश जैसे परमाणु हतियार बनाने पर पाबन्दी लगाने पर भी यह बनांते रहें यही साइबर युद्ध के मामलों में होगा यह स्पष्ट है।

साइबर आर्मी और साइबर युद्ध / Cyber Army & Cyber Warfare –

अमरीका और चीन जैसे देशो द्वारा साइबर आर्मी के माध्यम से साइबर सुरक्षा के लिए अलग से बजट शुरू किया है, जिसमे नामी साइबर एक्सपर्ट को भरती किया जाता है और करोडो रूपए खर्च किए जाते है। इजराइल जैसे छोटे देश को साइबर सुरक्षा के मामले में सबसे आधुनिक माना जाता है, जो दुश्मन देशो से घिरा है। अपने आधुनिक साइबर आर्मी की बदौलत इसने एक साथ चार पांच इस्लामिक देशो को युद्ध में हराया है, जो साइबर टेक्नोलॉजी से संभव हुवा है।

आधुनिक ड्रोन , CCTV व्यवस्था तथा दुश्मन देशो की साइबर व्यवस्था पर कब्ज़ा करके उसको बर्बाद करना , जासूसी करना तथा डाटा चुराना यह चीजे साइबर युद्ध में शामिल है। जो चीजी कंप्यूटर इंटरनेट से जुडी होती है वह साइबर एक्सपर्ट के माध्यम से नियंत्रित करना यह में गतिविधि होती है जिससे दुश्मन देश को बर्बाद कर सके । जिसके पास आज सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी है और वह युद्ध में इस्तेमाल होती है वह देश आज दुनिया पर अपना प्रभुत्व प्रस्तापित करेंगे ऐसा हम कह सकते है।

भारत की बात करे तो चीन साइबर सुरक्षा और साइबर अटैक के मामले में भारत से काफी आगे है जो अपने साइबर सुरक्षा अधिक खर्च करता है। भविष्य के युद्ध में केवल मनुष्य हानी नहीं होगी, इसमें पूरी अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया जाएगा। परमाणु शक्ति का इस्तेमाल पहले केवल युद्ध में होता था मगर आज इसका इस्तेमाल बिजली निर्माण के लिए किया जाता है, जो कंप्यूटर और इंटरनेट से सलग्न होती है। जिसको दुश्मन देश द्वारा नियंत्रित करके युद्ध को जीतने की कोशिश होती है, जो हमने यूक्रैन और रशिया युद्ध में देखा है।

साइबर युद्ध की विशेषताए / Features of Cyber Warfare’s –

  • अमरीका , चीन और रशिया यह साइबर युद्ध के प्रमुख देश है जिन्होंने अपनी साइबर सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा आर्थिक बजट निर्धारित किया है ।
  • अमरीका में साइबर हैकर्स को अमरीका की डिफेन्स सुरक्षा को तोड़ने के लिए हैकर्स को आमंत्रित किया जाता है और पारितोषिक दिया जाता है , कुछ हैकर्स को नौकरी भी प्रदान होती है।
  • साइबर युद्ध यह भविष्य का युद्ध है जिसमे दुश्मन देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करके युद्ध खेले जाएगे ।
  • साइबर व्यवस्था को दूसरे देशो में जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमे सिस्टम हैक करना, डाटा चोरी करना जैसी गतिविधिया की जाती है। जिसको इससे पहले जासूसों द्वारा प्रत्यक्ष जमीनी स्थर पर किया जाता था. जिसके लिए बहुत खर्चा तथा जीवित हानि का खतरा होता था।
  • अमरीका में दुनिया भर के साइबर बैकर्स जमा होते हे जो ज्यादातर एथिकल हैकर्स होते है और एक संमेलन की तरह साइबर टेक्नोलॉजी एक दूसरे के साथ शेयर करते है।
  • दुनियाभर में हैकर्स को एक संपत्ति की तरह देखा जाता है इसलिए उनको सजा देने की बजाय सरकारे नौकरी प्रदान करती है, जिससे उनकी बुद्धि का फायदा देश के लिए किया जाए।
  • साइबर युद्ध की शुरुवात सबसे पहले लीबिया जैसे देशो में शुरू की गयी जिसमे सेमि ऑटोमेटेड ड्रोन का इस्तेमाल हत्यार के तौर पर किया गया।
  • रशिया और यूक्रैन युद्ध में रशिया द्वारा जितने भी साइबर सिस्टम थे उनपर रशिया द्वारा आक्रमण किया गया जिसमे परमाणु प्लांट से लेकर सार्वजनिक सेवाए शामिल है।
  • अमरीका जैसे विकसित देश के शेयर बाजार पर साइबर हमला पिछले दिनों देखा गया जिसका आरोप रशिया पर लगाया जाता है।
    कोविड संकट के बाद एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में ६०० प्रतिशत हमले बढे है।
  • देश के अंतर्गत क्रिमिनल उद्देश्य से साइबर हमले देखने को मिलते हे जिसमे फिरौती के तौर पर बड़ी रकम प्राइवेट कंपनियों से मांगी जाती है।
  • साइबर सुरक्षा के लिए एक सुरक्षा आर्मी का निर्माण कई विकसित देश करना शुरू कर चुके है जो भविष्य इंसानो की आर्मी से काफी अलग होगी।
  • अमरीका के चुनाव में साइबर जासूसी के माध्यम से हिलेरी क्लिंगटन को हराया गया ऐसा आरोप रशिया पर किया जाता है।
  • रशिया और अमरीका में तथा चीन और अमरीका के बिच यह साइबर युद्ध अगले कुछ दिनों से हम काफी मात्रा में देखेगे।
  • भारत और चीन के राजनितिक रिश्ते कुछ अच्छे नहीं हे और अमरीका से नजदीकी यह चीन और भारत के रिश्ते और ख़राब करते है, इसलिए चीन जीतनी तेजी से अपने साइबर सुरक्षा बजट को बढ़ा रहा है यह भारत के लिए चिंता का विषय बन जाता है।

निष्कर्ष / Conclusion –

अंग्रेजो ने अपनी बंदूक की नोक पर आधे दुनिया पर राज किया और दूसरे विश्व युद्ध में जापान पर परमाणु हमले ने अमरीका को दुनिया की महाशक्ति बनाया यह हमने देखा है। अमरीका अपनी सुरक्षा के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है, इसी कड़ी में टेक्नोलॉजी का युग देखते हुए अमरीका ने साइबर आर्मी के तौर पर बड़ी मात्रा में पैसा खर्च करना शुरू किया है। इसके लिए वह हर साल अमरीका में अमरीका की सुरक्षा व्यवस्था को भेदने वाले एक्सपर्ट को पैसे के स्वरुप में इनाम देता है।

चीन जैसे देश अपनी साइबर सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा करता है वही दुश्मन देश पर साइबर हमला करने के लिए साइबर एक्सपर्ट की आर्मी बना रहा है। पहले हमने देखा हे की जिसकी सैन्य संख्या सबसे ज्यादा होती थी वह आर्मी सबसे शक्तिशाली मानी जाती थी। मगर समय बदला और जिसके पास सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी हे वही आज दुनिया पर राज करेगा। इंटरनेट और जागतिकीकरण के माध्यम से हमने देखा हे की पूरी दुनिया एक देश की तरह नजदीक आयी हुई है, जिसमे अर्थव्यवस्था भी शामिल है ।

इसलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हमने देखा की साइबर युद्ध को निपटने के लिए कौनसा देश कितना सक्षम हे, इसपर दुनिया पर कौनसे देश प्रभाव रखेंगे यह तय होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ टेक्नोलॉजी से पहले परमाणु शक्ति के गलत हाथो में पड़ने से डरता था इसलिए अंतरराष्ट्रीय कानून बनाकर इसके निर्माण पर प्रतिबन्ध लगाए गए। साइबर युद्ध के युग में जो चीजे इंटरनेट और कंप्यूटर से सम्बंधित है वह सभी इस साइबर युद्ध का हिस्सा बन गयी है।

जिसमे आर्थिक और इंसानो की जान लेकर ऐसे युद्ध होने लगे जिसको हमने विस्तृत देखा और AI के माध्यम से इंसानो की जान लेना यह हमारी सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से प्रतिबन्ध कैसे लगाए जा सकते हे इसपर विचार हो रहा है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *