प्रस्तावना / Introduction –

आज के प्रॉपर्टी बाजार में प्लॉट खरीदकर घर बनाना सामान्य लोगो के बस में नहीं रहा हे , तथा खर्चा भी काफी लगता हे जो लोग दे नहीं सकते। इसलिए संयुक्त रूप से कई मंजिला ईमारत विकसित करके, उसमे कई सारे घर बेचने का चलन मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में पहली बार १९७० के दशक के बाद काफी देखने को मिलता है।
आज हमने जो विषय लिया हे यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय कहा जा सकता हे क्यूंकि बहुत से लोगो को इस बिच काफी ठगा गया है। हम यहाँ जब आप किसी सदनिका में रहने को आते हो और कोई भी फ्लॅट खरीद ने से पहले क्या सावधानिया बरतनी चाहिए इसके बारे में जानकारी देने की कोशिश करेंगे क्यूंकि हमें जो उपलब्ध जानकारी होती हे उसका कोई ठोस आधार नहीं होता और हम उसीको कानून समझ बैठते है।

समाज में कई सारे भ्रम फैलाए जाते है जिसपर हम विश्वास रखते हे और वही सच्चाई मानते है। इसलिए यहाँ हम पुरे भारत में विकसित शहरों में और उपनगरों में जो सदनिकाए बनाई जाती हे उसको खरीद ने वाले ग्राहकों को कौनसे नियम के बारे में जानकारी होनी चाहिए यह हम यहाँ बताएगे। २००८ के बाद अपार्टमेंट और सोसाइटी के बारे में सरकार ने क्या कानून बनाए है इसके बारे में सटीक जानकारी देने की कोशिश करेंगे ।

सहकारी आवास समिति का इतिहास / History of Cooperative Housing Society –

हाउसिंग सोसाइटी की शुरुवात २० वि सदी में शुरू हुई जिसमे बंगलोर में १९०९ में पहली हाउसिंग सोसाइटी का निर्माण देखने को मिलता है। उसके बाद महाराष्ट्रा में बॉम्बे हाउसिंग कोआपरेटिव एसोसिएशन १९१३ में बनाया गया। इस संस्था द्वारा पहली बार नियमावली का निर्माण किया गया जो बाद में भारत के सभी राज्यों के लिए महाराष्ट्रा कोआपरेटिव कानून एक आदर्श मॉडल के रूप में देखा जाने लगा।

१९६९ में राष्ट्रिय स्तर पर राष्ट्रिय सहकारी आवास संघ की स्थापना की गई जिसके द्वारा राज्यों के सभी सहकारी हाउसिंग संस्थाओ को सहायता करना तथा संघटित करना जिससे लोगो में जाग्रति निर्माण हो सके। सभी राज्यों के संस्था द्वारा इस राष्ट्रिय संघटन को आर्थिक सेवा उपलब्ध कराके उसके ऐवज में संशोधन तथा एक्सपर्ट के माध्यम से अधिकारों के लिए सरकार तक बाते पहुंचना यह कार्य किया जाता है।

कई सारी कानूनी शिकायते, केस लॉज़ तथा बदलती परिस्थिति के साथ सरकार द्वारा ग्राहकों के हित में कानून बनाए गए इसके लिए कई सामाजिक संस्थाए द्वारा दबाव के माध्यम से इसके लिए सहायता की गयी क्यूंकि जो विकासक होते हे वह आर्थिक रूप से शक्तिशाली होते हे और राजनितिक साठगाठ के कारन ग्राहकों का शोषण काफी देखने को मिला। इसलिए आज जो सकारात्मक बदलाव हम कोआपरेटिव सोसाइटी के सन्दर्भ में देखते हे यह इसका परिणाम है।

सहकारी आवास समिती कानून क्या है / What is Cooperative Housing Society Act –

वैसे तो सहकारी समिती अधिनियम यह काफी विस्तृत विषय है जिसमे सहकर से सम्बंधित सभी सार्वजनिक संस्थाए आती हे मगर यह हमारा विषय नहीं है। हमारा विषय हे सहकारी आवास समिती जिसके बारे में लोगो में जाग्रति होना काफी जरुरी है। इसके लिए काफी समाजसेवी विशेषज्ञ काम कर रहे हे, मगर समाज में जाग्रति के लिए ऐसे काफी एक्सपर्ट लोगो की जरुरत है।

भारत के १९७० के बाद मुख्य शहरों में पहली बार ऐसे घरो का निर्माण होने लगा गांव देहातो में ऐसे बहु मंजिला अलग अलग प्रॉपर्टी धारक की संकल्पना आने लगी और लोगो को काफी बार ठगा गया। जैसे जैसे शहरों में लोगो का आना शुरू हुवा वैसे जमीन की समस्या निर्माण होने लगी और बहुमंजिला सदानिकाए बनाने का चलन शुरू हुवा।

भारत में पहली बार एक आधुनिक कानून महाराष्ट्रा में बनाया गया जिसे महाराष्ट्रा कोआपरेटिव एक्ट १९६० कहा जाता है जिसमे हाउसिंग सोसाइटी के लिए अलग से प्रावधान दिए गए है। महाराष्ट्रा में बनाया गया यह कानून एक आदर्श मॉडल बनकर पुरे भारत के दूसरे राज्यों के लिए उभरा और सभी राज्यों ने इस कानून से प्रभावित होकर यह प्रावधान अपने कानून में दिया।

सहकारी आवास समिति का उद्देश्य / Object of Cooperative Housing Society –

  • कोआपरेटिव सोसाइटी यह एक कानून प्रॉपर्टी का स्वामित्व होता हे जिससे आप भविष्य में पुनर निर्माण कर सकते हे अथवा ईमारत की मरम्मत कर सकते है।
  • सोसाइटी स्थापना के कारन वह सदस्य उस प्रॉपर्टी को आने वाले खर्चे का नियोजन सोसाइटी के नाम से कर सकते हे।
  • सरकारी कानून द्वारा सभी सोसाइटी सदस्य एक प्रकार से उस प्रॉपर्टी के हिस्सेदार मालिक होते है जिस जगह का वह इस्तेमाल अपने हिसाब से कर सकते है।
  • पहले सोसाइटी स्थापन करके और जमीन की खरीद करके यह सदस्य सदनिका को बना सकते हे।
  • सोसाइटी का उद्देश्य सभी सदस्य सभासद मिलके अपने आर्थिक समस्याओ को सुलझाते है और दैनदिन जो खर्चे होते हे वह सभी सदस्य सामान रूप से बाटते है।
  • सोसाइटी की सुरक्षा , मरम्मत , पानी आपूर्ति , तथा अन्य सारे कार्य सभी सदस्यों के लिए सोसाइटी स्थापन करके किया जाता है।

सहकारी आवास समिति का महत्त्व / Importance of Cooperative Housing society –

जब कोई खुद का प्लॉट खरीदकर खुद का घर बनता हे तो उसको ऐसी ईमारत की देखभाल करने के लिए खुद ही जिम्मेदारी लेनी होती है मगर जब कई सारे लोग एक प्लॉट पर एक ईमारत में रहने लगते हे तो इसमें टकराव होना संभव है। इसमें पार्किंग की समस्याए है , ईमारत की देखभाल का खर्चा है , प्रॉपर्टी की सुरक्षा का खर्चा है ऐसे कई सारे मामलो में इन लोगो को एकत्र आना पड़ता है।

१९७० में पहली बार अपार्टमेंट एक्ट बना था तब विकसक प्रॉपर्टी के अधिकार अपने पास रखता था और फ्लॅट धारको को कई सारी समस्याओ के लिए विकसक के पास जाना पड़ता था। ईमारत नई हे तबतक कोई समस्या नहीं आती मगर जैसे जैसे वह पुराणी होती जाती है उसका देखभाल का खर्चा बढ़ने लगता है। इसके लिए हाउसिंग सोसाइटी बनाने से यह सब समस्याए समाप्त हो सकती हे इसके लिए सरकार ने पहल की है।

इसलिए समय समय पर महाराष्ट्र सरकार ने हाउसिंग सोसाइटी के प्रावधानों में बदलाव किये तथा विकासक आपको अपर्टमेंट कानून के तहत एग्रीमेंट बनाकर देने के बाद भी फ्लॅट धारक मिलकर सोसाइटी स्थापित कर सकते हे। डीम कवेयन्स जैसे प्रावधान बनाकर सरकार ने फ्लॅट धारको के अधिकार सुरक्षित करने का प्रयत्न किया है। जिससे पहले विकासक सोसाइटी स्थापना के लिए मंजूरी देने से इंकार करता था उसे सहकार आयुक्त कार्यालय द्वारा संमत करने के अधिकार दिए गए।

फ्लॅट खरीदते समय क्या सावधानी बरते / Precaution before purchasing Flat –

  • विकासक ने पहले ही सोसाइटी रजिस्टर कर के दी हे या नहीं यह जांच करे।
  • जैसे सोसाइटी रजिस्टर करने से उस सदनिका के सारे अधिकार संस्था के पास आ जाते हे वैसे ही उस ईमारत की जमीन विकासक हस्तांतरित नहीं करते हे, वह जांच करे।
  • पार्किंग के लिए अलग से पैसे देने की जरुरत नहीं होती, और सोसाइटी का पार्किंग एरिया यह सोसाइटी की मिलकियत होती हे इसलिए यह जांच करे।
  • सुधारित रेरा कानून के तहत विकासक रेजिस्टर्ड हे यह जांच करे।
  • विकासक ने बनाया हुवा एग्रीमेंट अच्छी तरह एक्सपर्ट वकील के माध्यम से जांच करे, विकासक आपको खरीद के लिए जल्दी करता हे उसके झांसे में न आये और अच्छी तरह से जांच करे ।
  • बगैर एग्रीमेंट किये कोई बड़ी रकम विकासक को न दे तथा सभी पैसे के लेन देन कॅश में न करे उसका कानून रिकॉर्ड रखे।
  • अगर आप किसी एक्सपर्ट वकील को हायर नहीं कर सकते हे और जो फ्लैट खरीदना चाहते हे उसकी सारी जानकारी लेना चाहते हे तो किसी राष्ट्रीयकृत बॅंक में उस फ्लैट के लिए कर्ज के लिए आवेदन कीजिये ,भले आप किसी निजी बैंक से कर्ज ले रहे हो क्यूंकि बैंको के पास एक्सपर्ट्स होते हे जिनके द्वारा आपको सही जानकारी प्राप्त होगी।
  • फ्लैट खरीदते समय सभी दस्तावेजों पर सही नाम लिखे गए हे इसकी जांच करे , जैसे इलेक्ट्रिसिटी मीटर में , प्रॉपर्टी कार्ड में , इत्यादि
  • फ्लैट खरीदते समय ज्यादा समय के लिए केवल बुकिंग पर पैसे भरते रहना जोखिम भरा रहेगा इसलिए जितने जल्दी हो सके खरीद का एग्रीमेंट बनाकर ले जिससे आपका व्यवहार सुरक्षित हो जाए।

फ्लॅट खरीदने के बाद क्या सावधानी बरते / Precautions after purchasing Flat –

  • पार्किंग की जगह यह पूर्णतः सोसाइटी की जगह होती हे और कोई सोसाइटी सदस्य किसी जगह पर अपना अधिकार दिखाता है तो कानून तौर पर इसके लिए सोसाइटी को अधिकार प्रदान किये है।
  • अगर सोसाइटी के अधिकारी अपने अधिकार का दुरूपयोग कर रहे हे तो आपको विरोध करने का अधिकार हे तथा सहकर अधिकारी को लिखित शिकायत करे।
  • आज के तारीख में ज्यादातर सोसाइटी की पार्किंग की समस्या हे क्यूंकि गाड़िया ज्यादा और जगह कम तो इसके लिए पोलिस स्टेशन में जाने के बजाय एक्सपर्ट वकील को नियुक्त करे वह कानून रूप से आपकी पार्किंग की समस्या दूर करता है।
  • सरकार द्वारा डीम कवेयन्स की सुविधा उपलब्ध हे इसका लाभ जल्द से जल्द ले क्यूंकि उस दौरान अगर ईमारत को कुछ होता हे तो आप अपना स्वामित्व खो सकते है।
  • सोसाइटी कैसे चलानी हे इसका प्रशिक्षण सरकार द्वारा कई सामाजिक संस्थाओ को दिया गया हे उसका लाभ उठाए।
  • रखरखाव के लिए मासिक जो भी रकम ली जाती हे उसमे अगर कोई सभासद यह रकम समय पर नहीं दे रहा हे तो सबसे पहले उसकी समस्या को समझे न की सीधा कानून की करवाई करे क्यूंकि बुरे समय में अपने सदस्यों को संभालकर लेने के कई उदहारण है।
  • अगर कोई सदस्य जानभूझकर तकलीफ देने के लिए मासिक खर्चा नहीं देता तो कानून द्वारा सोसाइटी को काफी अधिकार प्रदान किये हे उसका इस्तेमाल करे।

सहकारी आवास समिति के भ्रष्टाचार / Corruption in Cooperative Housing Society –

कोआपरेटिव सोसाइटी में भ्रष्टाचार होना यह मुंबई , दिल्ली तथा बंगलोर जैसे शहरों की जगह अथवा किसी भी बड़ी हाउसिंग सोसाइटी में ज्यादा देखने को मिलता हे। २० -२५ सदस्यों की सोसाइटी में इतना ज्यादा भ्रष्टाचार हमें देखने को नहीं मिलता क्यूंकि जो खर्चा होता हे उसे जाँच करना इतना मुश्किल नहीं होता इसलिए हर कोई सदस्य बड़ी आसानी से अपने सोसाइटी के हिसाब जांच सकता है।

बड़ी बड़ी हाउसिंग सोसाइटी के खर्चे काफी ज्यादा और बड़े होते हे जहा ऐसे खर्चो को जांचना किसी भी सभासद को जांचना काफी मुश्किल होता है। सोसाइटी के हर सदस्यों को इसके लिए सतर्क रहना जरुरी हे और अपने सोसाइटी का खर्च किसी दूसरी सोसाइटी के खर्चे से जाँच ले जिससे अगर कुछ संदेह हे तो वह सबूत के साथ सोसाइटी सभा में समय पर उठाए।

सोसाइटी अधिकारियो द्वारा कई सारे भ्रष्ठाचार किये जाते है जिसमे गलत खर्चे दिखाना , किसी को पार्किंग के लिए ज्यादा पक्ष लेना , महत्वपूर्ण दस्तावेज सोसाइटी से लेते समय पैसे की मांग रखना ऐसे कई सारे भ्रष्टाचार देखने को मिलते है। इसके लिए कानूनी शिकायत तत्सम सहकारी अधिकारियो को लिख सकते है अथवा इससे पहले सोसाइटी सभा में सदस्यों के सामने यह समस्या रखे और उनके सहयोग हासिल करे।

सहकारी आवास समिति की विशेषताए / Features of Cooperative Housing Society –

  • यह एक स्वैच्छिक संस्था हे जिसका उद्देश्य सभी सदस्यों को एक ही उद्देश्य के लिए कार्य करना और सेवाए देना।
  • जो सदस्य सोसाइटी में कोई प्रॉपर्टी खरीदता हे वह इसका सदस्य बन जाता है।
  • यह एक स्वायत्त तथा स्वतंत्र संस्था होती हे जिसका उद्देश्य सोसाइटी के सदस्यों के लिए सेवाए देना और उसके बदले कुछ रकम हर महीना अथवा किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए समय समय पर लेते रहना।
  • हाउसिंग सोसाइटी के अधिकारिओयो की नियुक्ती लोकतान्त्रिक चुनाव द्वारा सभी सदस्य कुछ सिमित समय के लिए करते है।
  • जैसे व्यक्ति को सरकारी स्तर पर कुछ कानूनी अधिकार तथा कर्तव्य होते हे वैसे ही हाउसिंग सोसाइटी यह एक लीगल एंटिटी के तौर पर अपने स्टैम्प और नाम के साथ कई सारे कानूनी कार्य अपने सदस्यों की तरफ से करती है।
  • सोसाइटी का हर सदस्य सामान रूप से सोसाइटी के सभी कार्य तथा खर्चे के लिए पैसा जमा करते है।
  • सोसाइटी के सभी अधिकारी तथा सदस्यों को एक दूसरे के हित के लिए कार्य करना होता है।
  • हाउसिंग सोसाइटी अधिकारियो के लिए सरकार द्वारा कई सारी संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध की गयी हे जिसके माध्यम से कानून प्रक्रिया की जानकारी , सोसाइटी के अधिकार और कर्तव्य,व्यवस्थापन और सोसाइटी स्थापन करने के फायदे इत्यादि प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • हाउसिंग सोसाइटी का मूल उद्देश्य सदस्य सभासदो के हित के लिए सहयोग से कार्य करे और अपने उद्देश्य को सफल करे।
  • हाउसिंग सोसाइटी की स्थापना के माध्यम से सभासद सदस्य विकासक को प्रॉपर्टी के अधिकार से बाहर निकाल सकते है।
  • हाउसिंग सोसाइटी सदनिका का पुनर्निर्माण तथा विकास कर सकते हे और उससे मिलने वाला लाभ मिलकर उठा सकते है।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने जो भी लोग पहले से किसी कोआपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में प्रॉपर्टी ले चूका हे अथवा कोई पहली बार किसी प्रॉपर्टी को हाउसिंग सोसाइटी में खरीद रहा हे तो क्या सावधिनिया रखनी चाहिए यह हमने बड़ी सामान्य भाषा में बताने की कोशिश यहाँ की है। आज अलग अलग राज्यों द्वारा ग्राहकों के पक्ष में कई सारे कानून बनाए हे जिसको जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

आज के शहरीकरण के युग में ज्यादातर लोग पढाई के लिए , नौकरी के लिए व्यवसाय के लिए अपने नजदीकी शहरों की तरफ रुख करते हे जहा जमीनी घर प्राप्त करना बड़ा मुश्किल हो रहा है ऐसे में कोआपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में कोई प्रॉपर्टी खरीदते समय और प्रॉपर्टी खरीद ने के बाद क्या सावधानिया बरतनी चाहिए यह हमने देखा।

महाराष्ट्र में बनाया गया सहकार कानून यह पुरे भारत के सभी राज्यों के लिए एक आदर्श कानून माने जाते हे क्युकी भारत में स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले विकास महाराष्ट्र के मुख्य शहरों में शुरू हुवा और सबसे पहले यह सकल्पना यहाँ विकसित हुई जिसके कारन कानून की जरुरत महसूस हुई थी। आगे जाके भारत के बाकि हिस्सों का भी विकास होने लगा और इस कानून के बारे में जाग्रति होना जरुरी हो गया इसलिए जानकारी देने का यह हमारा एक प्रयास हे ।

Adverse Possessionक्या हैं ?

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