सत्यम कंप्यूटर स्कॅम, सबसे बड़े कॉर्पोरेट धोखाधड़ी में से एक, IT जगत को सदमे में डाल दिया, कॉर्पोरेट प्रशासन की नींव हिला दी।

प्रस्तावना / Introduction –

सत्यम कंप्यूटर स्कॅम, जो भारत के इतिहास में सबसे बड़े कॉर्पोरेट धोखाधड़ी में से एक है, ने व्यापार जगत को सदमे में डाल दिया और कॉर्पोरेट प्रशासन की नींव हिला दी। यह केस अध्ययन सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के संस्थापक और अध्यक्ष, रामलिंगा राजू द्वारा रचित धोखे और हेरफेर के जटिल जाल की पड़ताल करता है। एक आशाजनक आईटी कंपनी के रूप में अपनी साधारण शुरुआत से लेकर धोखाधड़ी प्रथाओं के कारण अंततः पतन तक, सत्यम घोटाला कॉर्पोरेट कदाचार और कॉर्पोरेट प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व की एक चेतावनी कहानी के रूप में कार्य करता है।

सत्यम घोटाले के मूल में लेखांकन अनियमितताओं और वित्तीय हेराफेरी की एक श्रृंखला है जिसे निवेशकों, नियामकों और हितधारकों से सावधानीपूर्वक छुपाया गया था। रामलिंगा राजू द्वारा कंपनी के खातों में अरबों डॉलर की हेराफेरी करने की स्वीकारोक्ति ने धोखे की सीमा को उजागर कर दिया और निवेशकों और कर्मचारियों के भरोसे को तोड़ दिया। घोटाले के खुलासे का न केवल सत्यम के हितधारकों पर गहरा प्रभाव पड़ा, बल्कि भारत में नियामक निरीक्षण और कॉर्पोरेट प्रशासन तंत्र की प्रभावशीलता पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए।

सत्यम घोटाले के बाद निवेशकों का विश्वास बहाल करने और धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने के उद्देश्य से कानूनी कार्यवाही, नियामक हस्तक्षेप और कॉर्पोरेट सुधारों की झड़ी लग गई। इस मामले ने भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन प्रथाओं के पुनर्मूल्यांकन को प्रेरित किया, जिससे नियामक ढांचे को मजबूत किया गया और कॉर्पोरेट वित्तीय खुलासों की अधिक जांच की गई। जैसे ही भारत के सबसे कुख्यात कॉर्पोरेट घोटालों में से एक पर धूल जमी, सत्यम घोटाले ने कॉर्पोरेट निर्णय लेने में नैतिक नेतृत्व, पारदर्शिता और अखंडता के महत्व को रेखांकित किया, जो अनियंत्रित कॉर्पोरेट लालच और धोखे के खतरों की गंभीर याद दिलाता है।

सत्यम कंप्यूटर का इतिहास / History of Satyam Computer –

१९८७ शुरू हुई कंपनी ने प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से शुरुवात करके जल्द ही अपने काम को बढ़ाया और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से लेकर सॉफ्टवेयर सर्विसेज में कंपनी ने कुछ ही सालो में अच्छा नाम कमाया। १९९२ कंपनी पब्लिक लिस्टेड बनी और अगले साल ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जॉइंट वेंचर करके एक अलग मक़ाम बनाया।कंपनी के पास दुनिया की टॉप ५०० कंपनियों में से १८५ कम्पनिया क्लाइंट थी और यह बहुत बड़ी उपलब्धी रही।

कंपनी अपने क्षेत्र में बहुत अच्छा कर रही थी मगर समस्या कुछ अलग थी कंपनी के चेयरमैन राजू रामलिंगा ने कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में दूसरी कंपनी बनायीं थी जिसका नाम सत्यम के अंग्रेजी अक्षर से बिलकुल उल्टा था “MAYTAS ” बहुत सारी जाली कम्पनिया बनाकर सत्यम कंप्यूटर का पैसा राजू रामलिंगा ने कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में लगाया और यह सबसे बड़ी भूल साबित हुई उस समय यह कंपनी का बहुत सारे प्रॉपर्टी में निवेश शुरू थे।

सत्यम के फाउंडर का अंदाजा था प्रॉपर्टी मार्किट के बूम को कॅश करना और सत्यम कंप्यूटर से उठाया पैसा वापिस सत्यम में लगाना मगर मामला उस समय आयी प्रॉपर्टी की मंदी की वजह से फस गया। सत्यम कंप्यूटर के प्रोग्रेस के आंकड़े शुरुवात से ही इतने ज्यादा बढ़ाए गए की वह बाद में बड़े होते गए और उसको भरना बहुत मिश्किल होने लगा।

सत्यम कम्प्यूटर्स और शेयर मार्किट / Share market & Satyam Computer –

कंपनी ने शुरुवात से ही अच्छा परफॉरमेंस किया मगर कंपनी के चेयरमैन के मन में कुछ और ही चल रहा था ऐसा लगता हे क्यूंकि भारत के दोनों महत्वपूर्ण शेयर मार्किट में सत्यम कंप्यूटर २००८ में एक सॉफ्टवेयर सेक्टर की ही नहीं तो देश के टॉप ५ कंपनियों में शुमार थी। सबसे महत्वपूर्ण बात शेयर मार्किट के कई सारे एक्सपर्ट को सत्यम की बॅलन्स शीट में कभी कोई समस्या नजर नहीं आयी यह बहुत ही चौका देने वाली बात मुझे लगती हे।

क्यूंकि शेयर मार्किट के अनुभवी लोग कंपनी के फंडामेंटल्स चेक किये बगैर कोई सलाह नहीं देते मगर खुद सत्यम कंप्यूटर ने जब यह बात दुनिया के सामने लायी तब यह बात सबको पता चली यह बहुत आश्चर्य की बात लगती है। शेयर मार्किट कहे या रेगुलेटरी अथॉरिटी कहे इनके नजर से यह बात कैसे छूटी यह भी संशोधन का विषय हे क्यूंकि ऐसी बातो से भारत की पूरी दुनिया में किरकिरी होना यह बहुत ही दुखद घटना थी।

भारत में निवेश के लिए ज्यादा लोग आकर्षित नहीं होते इसका महत्वपूर्ण करना इन्वेस्टर को शेयर मार्किट के बारे में भरोसा देने में सिस्टम असफल रहा है। बड़े बड़े एक्सपर्ट फाइनेंसियल इंस्टीटूशन और एक्सपर्ट्स ऐसी चीजे निरंतर होती रही हे मगर फिर भी इन्वेस्टर के प्रती मीडिया कहे या अथॉरिटी कहे या बाजार के एक्सपर्ट इनको यह देखना होगा की बाजार के प्रति लोगो का विश्वास बने रहे।

सत्यम कंप्यूटर स्कॅम / What is Satyam Computer Scam –

सत्यम कंप्यूटर २००८ में इतनी बड़ी कंपनी थी की आप कल्पना ही कर नहीं सकते की यह घोटाला इस कंपनी के साथ हो सकता है जिसमे ५३००० कर्मचारी काम कर रहे थे। दुनिया के ६६ देशो में कंपनी का कारोबार चल रहा था याने के कंपनी अंतराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही थी अमरीका के न्यूयोर्क एक्सचेंज में कंपनी का शेयर चल रहा था। कंपनी के चेयरमैन राजू रामलिंगा के स्टेटमेंट के हिसाब से यह घोटाला १ .५ बिलियन अमरीकी डॉलर का था जो भारत की रुपये में कन्वर्ट करे तो यह अकड़ा उस समय बहुत बड़ा था।

सब से हैरान करने वाली बात थी की कंपनी का ऑडिट करने वाली फर्म एक अंतराष्ट्रीय स्तर की कंपनी थी जिसका नाम था प्राइस वाटरहॉउस कूपर जिसको बाद में प्रतिबंधित किया गया। कंपनी इस ऑडिटर फर्म को मार्किट रेट से ज्यादा फीस अदा कर रही थी इस एकाउंटिंग मनुपुलेशन के लिए मगर जो अकड़ा कंपनी बढाती गयी इससे वह ग्याप बाद में भरना कंपनी को मुश्किल हुवा।

उस घोटाले के बाद बहुत सारे कानूनी बदलाव सरकार को करने पड़े जिससे देश की इमेज सुधर सके अंतराष्ट्रीय बाजार में और देश में भी लोगो में विश्वास का वातावरण निर्माण हो सके इसलिए। अगर प्रॉपर्टी बाजार में मंदी नहीं आती और सत्यम कंप्यूटर के इस्तेमाल किये गए पैसे प्रॉपर्टी में न डूबते तो क्या यह घोटाला सब के सामने आता ? यह बहुतही महत्वपूर्ण सवाल हमारे सामने खड़ा हो जाता है।

राजू रमिलिंगा की मेटास प्रॉपर्टी को सत्यम कंप्यूटर के जरिए खरीदना यह आखरी कोशिश थी इस गलती को सुधरने की जिसको बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर और इन्वेस्टर से काफी विरोध हुवा और आखिर कार उनको यह बाते दुनिया के सामने लाने पर मजबूर होना पड़ा।

अगर सत्यम कम्प्यूटर्स के संस्थापक राजू से पूछा जाए के आप खुद को दोषी मानते है ? शायद उनका जवाब होगा की उन्हें बलि का बकरा बनाया गया हे और ऐसे चीजे मार्किट में सभी जगह चलती है। इसपर हम सभी लोगो को बड़ी गहराई से सोचना होगा क्यूंकि जो पकड़ा जाता हे वह चोर होता हे अथवा राजनितिक बलि होता है।

सत्यम कंप्यूटर के स्कॅम के बाद की गतिविधिया / Changes in Government Policies after Satyam Computer –

जैसे ही राजू रामलिंगा ने सेबी और स्टॉक मार्किट को यह खबर बताई पहले तो पूरा मार्किट और अर्थव्यवस्था शॉक थी की यह क्या हो रहा हे उसके बाद राजू रामलिंगा ने चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया। कंपनी के फाउंडर के इस्तीफे के दो दिन बाद उन्हें क्रिमिनल कांस्पीरेसी , ब्रीच ऑफ़ ट्रस्ट , और फोर्जरी के मामले में अरेस्ट किया गया। सीबीआई ने उस समय उनके घर पे इन्वेस्टीगेशन किया और जितने कागजात डाक्यूमेंट्स मिले उसे अपने कस्टडी में लिया।

कंपनी अथॉरिटी ने बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर बर्खास्त किया और नए डायरेक्टर नियुक्त किये गए , महिंद्रा एंड महिंद्रा के टेक महिंद्रा यह सब्सिडरी के माध्यम से कंपनी को टेकओवर किया गया जिससे दुनिया में जो भारत की इमेज को धक्का लगा था उसको सरकार डैमेज कण्ट्रोल करने का काम कर रही थी। जिससे बाजार में सत्यम के भाव स्थिर हो सके और कंपनी के जो दुनिया भर में ऑफिसेस थे वह नियंत्रित हो सके जिसे बाद में टेक महिंद्रा ने पूरा मर्ज कर दिया टेक महिंद्रा में।

यह सब कण्ट्रोल में करना क्यों जरुरी था ? क्यूंकि कंपनी के जो कस्टमर थे वह दुनिया की जानीमानी कम्पनिया थी और वह भारत के लिए महत्वपूर्ण बाजार था जिसे सरकार को भरोसा दिलाना था। शेयर बाजार में इस स्कॅम के बाद बहुत सारे बदलाव किए गए क्यूंकि किसी की नजर सत्यम के बैलेंस शीट पर नहीं गई सेबी द्वारा शेयर बाजार में नियम और कड़े कर दिए गए। जो प्रसिद्द संस्था सत्यम कम्प्यूटर्स का ऑडिट देखती थी उसे आईसीए द्वारा ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया।

सत्यम कंप्यूटर घोटाले की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताए / Features of Satyam Computer –

  • राजू रामलिंगा यह सब महत्वपूर्ण एकाउंटिंग डिटेल्स अपने कंप्यूटर सर्वर में रखते थे जिसका नाम था ” माय होम हब “
  • ontime एप्लीकेशन से राजू रामलिंगा ने जाली बिल बनाके रखे थे वह सत्यम कंप्यूटर के पैसे को बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल करता था।
  • ३५६ ऐसी जाली कम्पनिया बनाके रखी हुई थी जिनके डायरेक्टर्स उनके लिए काम करने वाले साधारण लोग थे जिसके जरिये सत्यम कंप्यूटर के पैसे मैनुपुलेट करते थे।
  • इतना पैसा वह क्यों सत्यम कंप्यूटर से निकाल रहे थे ? इसका महत्वपूर्ण कारन था प्रॉपर्टी मार्किट की तेजी का फायदा वह लेना चाहते थे इसके लिए उन्होंने हजारो एकर जमीन आंध्र प्रदेश में लेकर रखी थी।
  • जो पैसा वह सत्यम कंप्यूटर से निकाल ते थे उसके बदले कंपनी की बैलेंस शीट बढाकर वह फर्क मिटा देते थे, उद्देश्य था जैसे ही मार्किट से प्रॉफिट मिल जाये वापिस वह पैसा कंपनी में लाया जाये और मिला हुवा प्रॉफिट अपने पास रखा जाये।
  • उनकी आखरी कोशिश मेटास प्रॉपर्टी को सत्यम के द्वारा खरीद लेना और जितना पैसा सत्यम से निकाला था उसे और बढ़ा चढ़ाकर जो प्रॉफिट सत्यम के दिखाए थे वह भरे जाये।
  • सत्यम कंप्यूटर के एक्चुअल ग्रोथ को बढ़ा चढ़ाकर दिखाना जिससे शेयर के भाव बढ़ सके और फिर खुद के शेयर्स बाजार में गिरवी रखकर उस पैसे को प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करवाना यह स्कॅम बाहर आने से पहले सत्यम कम्प्यूटर्स भारत की टॉप फाइव बेस्ट कंपनी में शुमार थी।
  • सत्यम कंप्यूटर के फाउंडर राजू रामलिंगा ने सत्यम के उलटे अक्षर से प्रॉपर्टी सेक्टर की कंपनी बनायीं थी जिसमे सत्यम के पैसे लगाते थे प्रॉपर्टी बाजार में।
  • सत्यम कंप्यूटर के एकाउंट्स में फेर फार करने के लिए ऑडिटर्स को रेगुलर फीस से ज्यादा फीस दी जाती थी।
  • सत्यम कम्प्यूटर्स में ७-८ साल से एकाउंट्स में मनुपुलेशन हो रहा हे यह किसी को भी कैसे समझमे नहीं आया यह आश्चर्य की बात है।
  • यह घोटाला बाहर आने से कुछ ही महीने पहले इंटरनेशनल स्तर का बेस्ट मैनेजमेंट अवार्ड सत्यम कम्प्यूटर्स को मिला था।
  • शेयर मार्किट , सेबी , फाइनेंसियल इंस्टीटूशन्स , गवर्नमेंट अथॉरिटी , किसी को सत्यम के प्रोग्रेस पर कभी डाउट्स नहीं आये।
  • शेयर मार्किट में निवेश करने से पहले न्यूज़ और अन्य खबरों पर निवेश करने से बेहतर हे फंडामेंटल्स चेक करे जो बाद में शेयर मार्किट के एक्सपर्ट ने यह सिख ली।
  • यह घोटाला होने के बाद कंपनी रेगुलेटरी और शेयर मार्किट रेगुलेटरी ऑथोरिटी ने बहुत सारे कानूनी बदलाव किये जिससे कंपनी के कार्य के बारे इन्वेस्टर को पता रहे।.
  • टेक महिंद्रा ने सत्यम कंपनी को टेक ओवर किया जो महिंद्रा एंड महिंद्रा की सब्सिडरी है जिसे बाद में टेक महिंद्रा में मर्ज कर दिया गया।

भारत की सार्वजनिक कम्पनिया और परिवारवाद / Public Listed Companies in India & Family Businesses –

भारत के ज्यादातर पढ़े लिखे बुद्धिजीवी विदेश में जाकर नोकरिया करते हे, इसमें चाहे सुन्दर पिचाई हो अथवा ट्वीटर के सीईओ हो, इसका प्रमुख कारन हे परिवारवादी मानसिकता। भारत में ज्यादातर बिज़नेस प्रोप्रइटरशिप अथवा पार्टनरशिप में चलते हे अमरीका और यूरोप के मुकाबले भारत का शेयर मार्किट काफी बड़ा हो सकता है इसमें वह क्षमता हे मगर परिवारवादी मानसिकता भारत की बड़ी कंपनियों को ज्यादा बढ़ने से रोकती है।

गूगल, एप्पल जैसी कम्पनिया यह परिवारवाद पर नहीं चलती वह क्षमता पर चलती है वही भारत की बात करे तो बड़े बड़े बिज़नेस ग्रुप देखे तो वह परिवाद की मिसाल हे चाहे वह टाटा ग्रुप हो अथवा अडानी अंबानी ग्रुप हो जो कम्पनिया एकाधिकार पर नहीं चलती ऐसा बोल तो सकते हे मगर उनके नाम से यह नहीं देखता है।

यह विषय लेने का कारन सत्यम कंप्यूटर में बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स होने के बावजूद कंपनी के सभी महत्वपूर्ण निर्णय एकाधिकार से लिए जाते थे जो यह दर्शाता हे की भारत में बहुत सारी कम्पनिया ऐसे ही चल रही हे ऐसा क्यों नहीं कहा जा सकता। सरकार ने खुली आर्थिक व्यवस्था से निवेश को खुला कर दिया मगर विदेशी निवेशक ज्यादा भारत की कंपंनियों में निवेश नहीं करते इसका मूल कारन परिवारवादी मानसिकता जो कंपनी को एकाधिकार रखती हे जो निवेशक आकर्षित नहीं होते।

सत्यम स्कॅम का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of Satyam Scam –

जैसा के हमने देखा की भारत में सार्वजनिक कंपनियों द्वारा लोकतान्त्रिक तरीके से कम्पनिया नहीं चलाई जाती जैसे विकसित देशो में देखने को मिलती है। अगर भारत की सभी नामी कंपनियों का बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की सूचि देखे तो एक जातीयवादी मानसिकता नजर आती हे उसे हमें बदलना होगा और बड़े नजरिये से कम्पनिया चलनी होगी।

भारत में ज्यादातर बिज़नेस छोटे स्तर परचलाना लोग पसंद करते है जिससे सार्वजनिक कम्पनिया भारत में विकसित नहीं होती, और जो भी प्रस्थापित कम्पनिया सफलपूर्वक चलती हे वह मुख्यतः सरकार के साये में चलती है। जागतिकीकरण के इस दौर में गूगल , एप्पल और अमझोन जैसी बड़ी अंतराष्ट्रीय कंपनियों से स्पर्धा करनी हे तो हमें अपनी जातीयवादी मानसिकता बदलनी होगी और संशोधन पर ज्यादा ध्यान देना होगा जिससे कम्पनिया अंतराष्ट्रीय स्तर पर सफल रहे।

सत्यम कम्प्यूटर्स यह कंपनी कोई छोटी कंपनी नहीं थी सरकार द्वारा , शेयर बाजार द्वारा तथा मीडिया द्वारा इसे अच्छा खासा प्लेटफार्म दिया गया था जो अंदर से खोखली थी, और किसी प्रोप्रइटरशिप कंपनी के तरह चलाई जा रही थी। इसलिए सेबी के रेगुलेशंस तथा अंतराष्ट्रीय कानून के तहत अगर भारत की कंपनियों को टिकना हे तो पुरे स्ट्रक्चर को बदलना होगा जिससे ऐसे बड़े स्कॅम भविष्य में हमें देखने को नहीं मिले।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने इस केस स्टडी में देखा की किसी भी तरह की निवेश करते समय न्यूज़ और व्यूज पर कभी निवेश नहीं करना चाहिए उसके फंडामेंटल्स देखने चाहिए। दूसरी बात सत्यम कम्प्यूटर्स से फाउंडर अगर प्रॉपर्टी बाजार में असफल न होते तो क्या यह घोटाला लोगो के सामने आता था। कॉर्पोरेट इंडस्ट्री में दिवालिया होना यह बिज़नेस का पार्ट हे क्यूंकि उसे एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर देखा जाना चाहिए मगर बिज़नेस करते समय आपका उद्देश्य लोगो को ठगना हो तो यह कानूनी अपराध है।

इस केस स्टडी यही सीखने को मिलता हे की अच्छी खासी कंपनी के डेवलपमेंट पर लक्ष केंद्रित करने के बजाए जिस क्षेत्र में अनुभव कम हो वहा इतने बड़े पैमाने पर एक्सपेरिमेंट करना आत्महत्या करने जैसा है। इस केस में वही हुवा नहीं तो कंपनी अपने क्षेत्र में अच्छा परफॉरमेंस कर रही थी सरल स्ट्रेटेजी पर चलने की बजाय गलत उद्देश्य ने अच्छी कंपनी को बर्बाद कर दिया।

सत्यम कंप्यूटर के ५०००० हजार से ज्यादा एम्प्लॉयीज और १८५ इंटरनेशनल क्लाइंट्स लिस्ट इसके बावजूद एक आदमी की महत्वकांक्षा ने सब को संकट में ढकेल दिया था। पब्लिक लिस्टेड कपनी में इन्वेस्टर के लिए ट्रांस्पेरेन्सी ऑफ़ कंपनी एक्टिविटीज बहुत महत्वपूर्ण होती हे इसलिए उसके बाद भारत में कंपनी एक्ट में बहुत सारे बदलाव हमें देखने को मिले।

शेयर मार्किट में बड़े बड़े निवेशक सावधानी से इन्वेस्ट करने लगे। दुनिया में भारत की प्रतिमा ख़राब जो हुई इसकी वजह से हमारे सिस्टम में जो खामिया हे उसको अभी भी सुधारने की जरुरत हे तभी निवेशक भारत में आएंगे।

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