प्रस्तावना / Introduction –

अगर आप गूगल पर एजुकेशन और एंटरटेनमेंट यह दोनों शब्द अलग से सर्च करोगे तो आप देखेंगे एजुकेशन के बारे लोग ज्यादा सर्च करते हे एंटरटेनमेंट के बजाय फिर भी असल जिन्द्गगी में ९० % प्रतिशत से ज्यादा लोग अपना महत्वपूर्ण खाली समय एंटरटेनमेंट में व्यतीत करता है । इसका अर्थ हर कोई चाहता हे की वह अपना समय अच्छे काम के लिए व्यतीत करे।

मगर हम एंटरटेनमेंट के लिए आदि हो जाते हे, मतलब हॉबिट बन जाती हे हमारी इसके लिए हम जब भी कोई चीज सीखना चाहते हे हमें एनर्जी नहीं रहती मगर जब भी कोई मनोरंजन की बात देखते हे हम खुश हो जाते है। शिक्षा केवल विद्यार्थी जीवन में करनी होती है , बाकि जिंदगी हमें सिर्फ पैसा कमाना होता है।

ज्यादा तर लोगो की यही धारणा होती हे शिक्षा के बारे में और केवल फॉर्मल शिक्षा और प्रोफेशनल शिक्षा को ही हम एजुकेशन मानते है। एजुकेशन यह जीवन की निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हे वह कभी ख़त्म नहीं होती यह तथ्य केवल दुनिया में सफल लोग ही जानते है। हमारा टेलीविज़न सेट , सोशल मीडिया , या हमारी संगत यह सब ज्यादा तर लोग समय व्यतीत करने का साधन मानते है इसलिए जिंदगी भर पैसे के पीछे भागते है।

जितना आदमी सुरक्षित जीवन चाहता हे उतना वह मनोरंजन की और ज्यादा और शिक्षा से दूर जाता है। राजनीती , आर्थिक व्यवस्था , यह आपको मनोरंजन में उलझा में रखना चाहती हे और एजुकेशन से दूर रखना चाहती है क्यूंकि जितने आप शिक्षा से नजदीक जाते हे उतने आप इन दोनों व्यवस्था के लिए सरदर्द बन जाते हे।

इसलिए आप न चाहते हुए अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय मनोरंजन के लिए ज्यादा बिताते हे और आर्थिक , मानसिक रूप से जीवनभर दुखी रह जाते है। यहाँ हम विस्तार से इन्ही दोनों चीजों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे और उसके कारन और समाधान ढूंढनेकी कोशिश करेंगे।

शिक्षा क्या है ? / What is Education –

शिक्षा यह जीवन में निरंतन चलने वाली प्रक्रिया हे और पुरे जीवन भर हम सीखते रहते है, मगर हमारे समाज में शिक्षा का मतलब हे फॉर्मल एजुकेशन जिसे पूरा करने के बाद हमें सर्टिफिकेट मिलते हे जिससे हमें अच्छी नौकरी मिलने में सहूलियत मिल जाती है। सरकारी क्षेत्र में यह सर्टिफिकेट्स हमें नौकरी पाने में और प्रमोशन पाने में काम आते हे मगर निजी क्षेत्र में केवल डिग्री या सर्टिफिकेट होने से काम नहीं बनता, अनुभव भी होना जरुरी होता है।

इतिहास में शिक्षा का अर्थ नैतिकता और सत्य को खोजना यह स्पिरिचुअल एजुकेशन के माध्यम से जीवन में सुखी कैसे रहा जाये इसको शिक्षा माना जाता था। मानवी सभ्यता में आज के आधुनिक शिक्षा प्रणाली से ज्यादा धार्मिक शिक्षा इतिहास में ज्यादा समय तक चलती रही जिसमे नैतिकता क्या हे यह धर्म के आधारपर तय होता था और उस हिसाब से शिक्षा दी जाती थी उसमे भी इतिहास में बहुत विवादित नियम रहे हे शिक्षा के।

शिक्षा यह सही और गलत को समझने की बुद्धी विकसित करना, अच्छा और सुखी जीवन कैसे जिया जाये इसको भी शिक्षा कह सकते है। इसलिए शिक्षा की व्याख्या बहुत व्यापक हे वह केवल उम्र के २० या २५ साल तक ग्रहण करने का ऐसा कोई नियम नहीं है। हमारी समाज की मान्यता होती हे की एक बार शिक्षा पूरी हो जाये तो हमें सीखने पढ़ने के कोई जरुरत नहीं होती।

यही हम गलती करते हे क्यूंकि साइंटिफ़िकली यह सिद्ध हो गया हे की सामान्य आदमी बुद्धि का केवल पांच प्रतिशत हिस्सा जीवनभर में इस्तेमाल करता हे मतलब हम ९५ % अज्ञान में अपना पूरा जीवन जीते है। आज के दौर में शिक्षा यह नौकरी पाने के लिए की जाती हे, व्यावसाय करने के लिए की जाती हे मगर असल जीवन की शिक्षा सुखी जीवन कैसे जिया जा सकता हे इसके लिए हमें जीवनभर सीखना पड़ता है।

मनोरंजन क्या है ? / What is Entertainment –

मानवी सभ्यता में मनोरंजन यह इंसान का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा हे यह आमिर आदमी के लिए इसकी व्याख्या अलग हो सकती हे और सबसे गरीब आदमी के लिए इसकी व्याख्या अलग हो सकती हे मगर मनोरंजन यह हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। दुनिया के सबसे सफल लोग अपना ९० % समय एजुकेशन लेने में बिताते हे और ९० % सामान्य लोग अपने नौकरी या व्यवसाय के बाद मिलाने वाला समय मनोरंजन में बिताते हे।

भले वह सोशल मिडिया हो या दोस्त हो या टेलीविज़न हो इसमें वह अपना समय बिताते है। मनोरंजन करना यह बुरी बात नहीं हे अपने तनाव से मुक्त होने के लिए यह जरुरी होता हे मगर इसके लिए अपने जीवन का महत्वपूर्ण समय और पैसा आप प्राथमिकता से अगर नहीं खर्च कर रहे हो तो समझ लेना कुछ गलत हो रहा है।

हमारे देश में दुनिया के सबसे ज्यादा युवा रहते हे उसमे से इतने युवा एजुकेशन को प्राथमिकता देते हे और कितने नहीं देते यह देखेंगे तो आप आश्चर्यचकित हो जाओगे सोशल मीडिया कहे , मूवीज कहे या दोस्तों के साथ वक्त बिताना कहे इसमें आप अपना शुरुवाती समय जितना बिताते हे उसपर आप का अगला जीवन का भविष्य निर्भर रहता है।

टेलीविज़न पे घंटो समय बिताना , क्रिकेट देखने के लिए घंटो समय बिताना , सोशल मीडिया पर समय बिताना यह एक आदत बन जाती हे और जब हम कोई पुस्तक या सेमिनार देखने जाते हे तो हम बार बार समय देखते हे और हम अस्वस्थ हो जाते हे यह सिग्नल हे आप के बुद्धि पर मनोरंजन ने प्रभुत्व प्राप्त किया हे जो आपके जीवन को बर्बाद कर देने वाला है।

एजुकेशन और एंटरटेनमेंट / Education & Entertainment –

एजुकेशन और एंटरटेनमेंट में बॅलन्स कैसे रखना हे इसपर आपका भविष्य निर्भर रहता हे, जिन लोगो को यह अनुपात कितना होना चाहिए यह पता होता हे उनके बच्चे अपना अच्छा भविष्य बनाते हे और जिनको यह अनुपात समझ में नहीं आता वह उम्र के शुरुवाती दिनों ज्यादा तर समय मनोरंजन में बीतते है। निरंतर एजुकेशन में अपना पैसा और समय इन्वेस्ट करना यह तय करता हे की आर्थिक और इमोशनली अपना जीवन कैसे सुधारना है।

राजनीती और आर्थिक व्यवस्था यह एजुकेशन से ज्यादा मनोरंजन पर इन्वेस्ट करना पसंद करते हे क्यूंकि राजनीती के लिए नागरिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए ग्राहक अगर जागरूक हो तो दोनों का नुकसान होता हे जागरूक नागरिक राजनितिक व्यवस्था को सवाल ज्यादा पूछता हे तो आर्थिक व्यवस्था में ग्राहक राजा बनता हे और मार्किट को नियंत्रित करता हे इसलिए एजुकेशन कैसा होना चाहिए यह हमें खुद तय करना पड़ता है।

मार्किट कोई भी ब्रांड समाज के मनोविज्ञान पर संशोधन करके अपना प्रोडक्ट बेचता हे और राजनेता नागरिको के अज्ञान पर अपनी राजनीती तय करता हे इतना महत्वपूर्ण मामला होता हे शिक्षा का। आपने कोई डिग्री ली इसका मतलब यह नहीं की आपको सही और गलत की पहचान हो गयी हे इसके लिए तर्कबुद्धि विकसित होनी चाहिए।

पारम्परिक शिक्षा से हम केवल पैसे कमाने लायक बन जाते हे जीवन में कई सारे मसले होते हे जो हमें तर्क बुद्धी से सुलझाने होते हे वह शिक्षा हमें खुद विकसित करनी पड़ती है। तर्क बुद्धी विकसित करने के लिए हमें अच्छी किताबे पढ़ना , अच्छे बुद्धिजीवी लोगो के संपर्क में रहना , अच्छे सेमिनार अटेंड करना यह आपकी तर्क बुद्धि को विकसित करता है।

मनोरंजन आपके बुद्धि को आलसी , और सुरक्षित जीवन जीने के लिए मजबूर करता है हर दिन कुछ नयी चीज सीखना यह बुद्धी विकसित करने की आदत हे और हर रोज बहुत सारा समय मनोरंजन के लिए देना यह भविष्य में जीवन को संकट में डालने का काम करता है।

एजुकेशन के साधन / Elements of Education –

हमारी फॉर्मल एजुकेशन यह हमारे शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण साधन होता हे जिससे हम हमारा प्रोफेशनल एजुकेशन पूरा करते हे और जीवन में आर्थिक रूप से स्थिर होना चाहते है। जो लोग यह फॉर्मल शिक्षा अधूरी छोड़ देते हे वह जीवन में आर्थिक रूप से सफल हो नहीं सकते ऐसा नहीं हे बहुत सारे लोग अधूरी शिक्षा के बावजूद आर्थिक रूप से जीवन में सफल हो जाते है।

इसका कारन हे वह जीवन की शिक्षा में जल्दी सीखते हे और सफल कैसे बनना हे यह जान जाते है। अच्छे मार्गदर्शक यह हमारे जीवन के लिए फॉर्मल एजुकेशन के बाद दूसरे सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा का माध्यम होते है जिनको हम अपना आदर्श मानते है। तीसरा हमारी संगत , जिन लोगो में हम रहते हे हम वैसे बन जाते इसलिए हमारे सफलता में हमारे दोस्त कैसे हे इसपर हमारे शिक्षा का स्तर निर्भर होता है।

चौथा हमारे फॉर्मल एजुकेशन के आलावा अलग अलग विषयो पर लिखी गयी किताबे जो लेखक अपना पूरा अनुभव उस किताब में उतरता हे जो हम पढके सीखते है। आखरी में हम जिस परिवार में जन्मे हे उनकी सोच कैसी हे और उनका हमारे वास्तविक जीवन के मार्गदर्शन में कितना प्रभाव हे इसपर हमारी शिक्षा निर्भर होती है। इसतरह से केवल फॉर्मल एजुकेशन यह तय नहीं करता की आपका जीवन कैसे सफल या असफल रहेगा।

एंटरटेनमेंट के साधन / Elements of Entertainment –

  • टेलीविज़न सेरिअल्स
  • सोशल मीडिया
  • फिल्म्स
  • स्पोर्ट्स
  • वीडियो गेम्स
  • न्यूज़ चैनल्स

यह हमारे मनोरंजन का मुख्य रूप से साधन होता है , हमारी सोच हम जैसी न्यूज़ देखते हे वह सत्य मानते हे जो फिल्म या टेलीविज़न की धारावाहिक दिखाती हे हम वही सच मानते हे बल्कि यह धारावाहिक शुरुवात को ही दिखाते हे की यह धारावाहिक काल्पनिक हे फिर भी हम वह सही मानते हे कौनसी वास्तु मार्किट में अच्छी हे यह टेलीविज़न की इस्तेहार तय करती है।

मतलब अच्छे ब्रांड टेलीविज़न से जनम लेते हे जो करोडो रुपये खर्च करके इस्तेहार देते हे। इसका मतलब टेलीविज़न और सोशल मीडिया पे हम क्या सोचे यह शक्ति अगर हमारे पास नहीं हो तो वह हम पे प्रभाव डालना शुरू कर देती है।

मनोरंजन हमारी हॉबिट बन जाती है। जबतक हमें हमारी गलती समझमे आये तबतक बहुत देर हो जाती है। मतलब हम उम्र के ऐसे पड़ाव पर होते हे की सलाह देने के सिवाय हम कुछ कर नहीं सकते।

जीवन का उद्देश्य / Goal of Life –

उम्र के जीतनी जल्दी आपको आप के जीवन का लक्ष मिल जाता हे उतने आप अपने जीवन को सुखी बनाते हे और जितनी देर आप उद्देश्य को खोजने में लगाते हो उतनी जिंदगी कठिन बनते जाती है। उद्देश्य जीवन को इतना महत्वपूर्ण होता हे और हम इस उद्देश्य को हासिल करते हे निरंतर शिक्षा से या ज्यादा समय शिक्षा को देकर।

इसका मतलब एजुकेशन और एंटरटेनमेंट इसमें जिसको नियंत्रण कैसे करना हे और अच्छी आदते कैसी विकसित करनी हे यह शिक्षा और मनोरंजन का संतुलन तय करता है। हमारे देश का जीडीपी यह देश की हर व्यक्ती की उत्पादकता पे तय होती हे और हम हमारा ज्यादा समय मनोरंजन पर बिताते हे इसका मतलब हम हमारी उत्पादकता कम करते है।

हम हमारे मनोरंजन पर कितना खर्चा करते हे और शिक्षा पर कितना खर्चा करते हे यह तय करता हे हमारा जीवन कैसा होगा। पढ़ने की आदत जो हमारे फॉर्मल एजुकेशन से अलग एक अच्छी आदत होती हे जो हमें हमारे उद्देश्य के लिए हमें मार्गदर्शन करती हे। हमारे जीवन में एक अच्छा मेंटर या आदर्श जितने जल्दी मिलता हे उतने जल्दी आपके जीवन को एक अच्छी दिशा मिल जाती है।

समाज के हर व्यक्ति को अच्छी आदते होनी चाहिए ऐसा लगता हे मगर वह नहीं लगती यह समस्या है , इसलिए यह हमारे ऊपर निर्भर हे की हमें हमारा जीवन अनुशासन से कैसे जीना है। हमारे समाज में ज्यादातर लोगो को अपने जीवन का उद्देश्य उम्र के ४० के बाद समझमे आता हे तबतक बहुत देर हो जाती हे इसलिए वह अपनी बाकि जिंदगी समझौता करके जीते हे या अपने सपने अपने बच्चो में देखते है।

निष्कर्ष / Conclusion –

इस टॉपिक में हमने देखा की एंटरटेनमेंट और एजुकेशन में संतुलन कैसे रखना हे और एजुकेशन को प्राथमिकता कैसे देनी है क्यूंकि एंटरटेनमेंट यह हमारे जिंदगी में नमक की तरह होना चाहिए जो हमारे खाने को स्वादिष्ट बनाता हे जैसे ही उसका प्रमाण खाने में बढ़ जाता हे वह खाने को ख़राब कर देता हे इसलिए एंटरटेनमेंट को हमारी बुरी आदत नहीं बनने देना यही हमारे जीवन की सफलता का राज है।

दुनिया में जितने भी सफल लोग हे वह अपना समय एंटरटेनमेंट पे बर्बाद नहीं करते वह अपने जीवन में निरंतर सीखते रहते है। जो लोग सीखते रहते हे वह किसी के गुलाम नहीं होते और वह पैसे को काम पे लगाते है। सोशल मीडिया यह कैसे इस्तेमाल करना हे यह हमें तय करना हे वह मनोरंजन का साधन नहीं बनाना चाहिए अगर वह बन जाता हे उसी समय से आपके बर्बादी की शुरुवात हो जाती है।

इसलिए एंटरटेनमेंट और एजुकेशन में संतुलन बनाना जिसको आ गया वह इंसान जीवन में जल्दी अपने उद्देश्य को हासिल कर लेता हे और एक बार उद्देश्य क्या होना चाहिए यह तय हो जाता हे तो हासिल करने में समय बर्बाद नहीं होता। एजुकेशन यह हमारे जिंदगी में निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हे यह अगर फॉर्मल एजुकेशन के बाद बंद हो जाती हे तो हम आगे की जिंदगी कभी सिखते नहीं और अज्ञान बढ़ते जाता है।

आनेवाली पीढ़ी से हम पिछड़ जाते हे और हमारा अनुभव उस पीढ़ी को पसंद नहीं आता इसको आज की भाषा में जनरेशन गॅप के नाम से हम जानते है। एजुकेशन और एंटरटेनमेंट के बारे जितना सरल तरीके से में बताना चाहता हु वह मैंने बताया हे अगर आप के मन में कुछ सवाल हो तो मुझे मैसेज कर सकते है।

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