प्रस्तावना / Introduction –

प्रथम विश्व युद्ध के बाद दुनिया में रशिया तथा अमरीका सबसे शक्तिशाली देश बनकर उभरे है, रशिया यह देश भौगोलिक दॄष्टि से किसी कॉन्टिनेंट जैसा हे । दुनिया के कई लोगो को इसके बारे में काफी कुतूहल का विषय हो जाता हे की रशिया इतना विशाल देश कैसे बना है। रशिया का पश्चिमी प्रदेश यह यूरोप की सिमा से लगा हे तथा पूर्वी प्रदेश एशिया से जुड़ा हे इससे हम देखते हे की ७५ % रशिया एशिया से जुड़ा हे मगर रशिया का प्रभाव हमेशा से पश्चिमी सभ्यता से रहा है।

बारवी शताब्दी में मंगोल के आक्रमण के कारन रूस पर उनका शासन काफी दिनों तक चला जिससे रशियन राजा जिसे जार कहा जाता था उन्होंने डर के कारन अपनी सिमा को बढ़ाना शुरू किया और वह सिमा बढ़ती गयी। रशिया आज दुनिया का सबसे संपन्न देश हे अगर कुदरती संपत्ति की बात करे तो , इसलिए भले ही रशिया टेक्नोलॉजी और आर्थिक दॄष्टि से अमरीका से काफी पीछे रहा हो मगर कुदरती संपत्ति के मामलों में काफी संपन्न है।

रशिया यह देश इतना बड़ा हे की वह कई भाषाए और कल्चर के कारन काफी विशेषता नजर आती है। राजनितिक दॄष्टि से देखे तो रशिया में पिछले १५० सालो में काफी उथलपुथल देखने को मिली है , तथा अमरीका द्वारा कूटनीति द्वारा रशिया को दुनिया से अलग थलग रखने की हमेशा से कोशिश की गई है। इसलिए हम रशिया के बारे में सभी दृष्टिकोण से अध्ययन करने की कोशिश करेंगे।

रशिया का इतिहास / History of Russia –

किसी भी देश के इतिहास को कहा से शुरू किया जाए यह बड़ा मुश्किल सवाल हे इसलिए हम रशिया का इतिहास आज के रशिया के भौगोलिक दृष्टी से रशिया पर आधारित रखते है। जिससे हम पीटर दी ग्रेट के रशिया का अध्ययन कर सकेंगे जिनका रशिया में विस्तारवाद में और विकास में काफी महत्वपूर्ण सहभाग रहा है। राष्ट्र और उसकी सीमाए यह संकल्पना ज्यादा पुराणी नहीं हे इसलिए रशिया एक देश के रूप में कितना पुराना हे यह कहना काफी मुश्किल रहा हैं।

पीटर थी ग्रेट तथा उसके बाद जर्मन मूल की कैथरीन ने रशिया के विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है और रशिया के इन जार का यूरोप के प्रति काफी आकर्षण रहा हे इसलिए पीटर दी ग्रेट ने यूरोप का दौरा किया था जिससे वह काफी प्रभावित हुए और उन्होंने यूरोप के विकास मॉडल पर आधारित बदलाव रशिया में करना शुरू किये थे। अमरीका की क्रांति , फ्रेंच क्रांति तथा यूरोप में हो रहे सामाजिक बदलाव से वहा के राजतन्त्र को १७ वि सदी से कमजोर करना शुरू किया था।

रशिया इससे काफी देर बाद राजतन्त्र से किसी दूसरी व्यवस्था में खुद को बदल पाया जिसे साम्यवाद कहते हे जिसके प्रमुख आधार रहे व्लादिमीर लेनिन जिनके बोल्शिविक क्रांति ने रशिया में राजतन्त्र को १९१८ में ख़त्म किया। जिसके आधार पर संयुक्त रशिया की स्थापना की गई जिसमे कई गणतांत्रिक देश के समूह को संयुक्त रशिया का नाम दिया गया जो १९९० में शीत युद्ध के समाप्ति के साथ ख़त्म हुवा।

आज वहा व्लादिमीर पुतिन शासक राष्ट्रपति बने हे जो पहले केजीबी के लिए एजेंट के तौर पर काम करते थे और सफल शासक के रूप में रशिया में राज कर रहे है।

रशिया भौगोलिक दॄष्टि से इतना बड़ा देश क्यों है ? /Why Russia Geographically so Big Country –

आज के तारीख में देखा जाए तो रशिया को अपनी पश्चिमी सिमा पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता हे, इसका कारन हे सपाट जमीन और वातावरण जो यूरोप से रशिया को जोड़ता है। रशिया का पूर्वी भाग ७५ % एशिया से जुड़ा हे तथा २५ % भाग यह यूरोप से जुड़ा हे इसलिए हमें रशिया में काफी अलग अलग भाषाए तथा संस्कृति देखने को मिलती है।

रशिया का पूर्वी भाग जहा काफी ठण्ड होती हे जहा दूसरे लोगो को जिन्दा रहना काफी मुश्किल होता हे। अलास्का जो पहले रशिया का हिस्सा रहा हे जिसको १८६७ को रशिया द्वारा अमरीका को ७ मिलियन डॉलर में बेचा गया था जो रशिया की सबसे बड़ी भूल रही थी जो उन्हें भविष्य में आर्थिक और राजनितिक दृष्टी से काफी महँगी साबित हुई है।

१२ वि शताब्दी में मंगोल का आक्रमण तथा दो सालो तक रशिया पर अपना प्रभाव रखा मगर उसके बाद रशिया के झार ने यह भूमि मंगोल से वापिस हासिल कर ली और ऐसा कहा जाता हे की यही डर की वजह से रशिया राजाओ ने रशिया का विस्तार इतना बढ़ाया था। जिसमे साइबेरिया जैसे प्रदेश को शामिल किया गया। इतना बड़ा राज्य होने के वावजूद रशिया की समस्या रही हे उनकी लोकसंख्या जो आज १४ करोड़ के आसपास हे जो भगौलिक दृष्टी से देखे तो काफी कम है।

रशिया की अर्थव्यवस्था / Russian Economy –

अमरीका का लोकतंत्र का पूंजीवादी मॉडल यह आर्थिक दृष्टी से काफी सफल रहा है वही रशिया ने अपना साम्यवादी व्यवस्था का मॉडल कायम रखा जिसमे केवल एक राजनितिक पार्टी होती है। आर्थिक दृष्टी से देखे तो रशिया औद्योगिक क्रांति से पहले कृषि क्षेत्र पर ८५ % निर्भर रही हे तथा आज भी गेहू और अन्य महत्वपूर्ण कृषि उत्पादन में रशिया दुनिया के लिए प्रमुख निर्यात करने वाला देश माना जाता है।

जोसेफ स्टालिन के शासन काल तक रशिया टेक्नोलॉजी और विज्ञानं के मामलो में अमरीका से बराबरी कर रहा था मगर उसके बाद रशिया का विघटन हुवा और रशिया आर्थिक रूप से अमरीका से काफी पिछड़ गया ऐसा कहा जाता है। आज देखा जाए तो आयल और गॅस के प्रमुख उत्पादन के ली रशिया दुनिया भर में निर्यात करता हे और रशिया को महासत्ता बनाए रखने में यह काफी महत्वपूर्ण कारन रहा है।

आर्थिक दृष्टी से देखे तो व्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रपति बनने का बाद रशिया ने खुद को दूसरे देशो पर निर्भर रहना बंद कर दिया हे और अपना निर्यात बनाने की कोशिश की है। टेक्नोलॉजी के दृष्टी से देखा जाए तो पूरी दुनिया अमरीका पर निर्भर हे इसलिए रशिया ने अपनी अर्थव्यवस्था को इसके लिए पर्याय ढूंढने शुरू किए है जिसमे ऑनलाइन बैंकिंग तथा अमरीकी डॉलर का संग्रह पर्याप्त रखा है। रशिया की विदेशी राजनीती के चलते कई सारे निर्बंध रशिया झेलते रहता हे इसलिए पर्याप्त गोल्ड रशिया जमा कर रहा हे जिससे उसकी अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके।

रशिया की साम्यवादी क्रांति / Communist Revolution in Russia –

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम स्वरुप रशिया में अपने राजा निकोलस द्वितीय के लिए असंतोष निर्माण होना शुरू हुवा और लेनिन के माध्यम से १९१८ में रशियन क्रांति हमें देखने को मिली जिसका परिणाम काफी दिनों तक रशिया में अंतर्गत सिविल वॉर की स्थिति बानी रही और आखिर कर साम्यवादी लेनिन की सत्ता ने पुरे रशिया पर नियंत्रण प्रस्थापित किया। लेनिन ज्यादा दिनों तक यह सत्ता नहीं संभल पाए और उनके निधन के बाद रशिया की बागडौर जोसफ स्टालिन द्वारा संभाली गई।

साम्यवादी सरकार के प्रस्थापित होने बाद आर्थिक और राजनितिक नियंत्रण पूरा लेनिन के बोल्शविक पार्टी के पास आया जिसके कारन अमरीका के तुलना में रशिया में व्यापार के दृष्टी से काफी प्रतिबन्ध देखने को मिले जिसका परिणाम टेक्नोलॉजी में अमरीका ने काफी विकास हासिल किया और रशिया पीछे रह गया। आज की स्थिति देखे तो रशिया नैसर्गिक सम्पदा के मामले में काफी संपन्न हे मगर टेक्नोलॉजी के मामले में अमरीका काफी आगे रहा है।

द्वितीय विश्व युद्ध में रशिया पर जर्मनी द्वारा आक्रमण यह काफी महत्वपूर्ण घटना रही हे जिसके कारन रशिया इस युद्ध में अमरीका के संघ में युद्ध में लड़ा अन्यथा इतिहास इसके उलटा भी था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोपीय देश आर्थिक दृष्टी से काफी कमजोर हुए थे मगर अमरीका काफी संपन्न हुवा और शक्तिशाली बना तथा रशिया से उसका संघर्ष महासत्ता बनने का १९९० तक चला जिसे शीत युद्ध कहा जाता है।

अमरीका और रशिया राजनितिक संघर्ष / USA & Russia’s Political war –

द्वितीय विश्व युद्ध यह एक नयी विश्व व्यवस्था प्रस्थापित करने के लिए किया गया जिसमे ब्रिटेन जैसी वसाहतवादी व्यवस्था का अंत हुवा और अमरीका का पूंजीवादी लोकतंत्र का मॉडल और रशिया का साम्यवादी मॉडल इसमें संघर्ष शुरू हुवा। साम्यवादी विचारधारा की व्यवस्था यह कार्ल मार्क्स के विचार पर आधारित थी तो पूंजीवादी विचारधारा एडम स्मिथ जैसे अर्थशास्त्री के विचारधारा पर आधारित रही है।

अमरीका को यह हमेशा से डर रहा हे की यूरोप पर रशिया अपना साम्यवादी व्यवस्था का मॉडल प्रस्थापित करने की कोशिश करेगा जिससे उसकी विस्तारवादी व्यापार की निति को अवरोध निर्माण होगा इसके लिए अमरीका ने नाटो जैसे संस्था का निर्माण किया जो एक रणनीति का हिस्सा रहा हे।पूंजीवादी व्यवस्था में आर्थिक नीतिया सरकार के नियंत्रण में नहीं होती वही साम्यवादी व्यवस्था में आर्थिक नीतिया सरकार के अधीन होती हे।

इसलिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया ने प्रत्यक्ष युद्ध दुबारा न हो इसके लिए संयुक्त राष्ट्र का निर्माण किया गया और इसका परिणाम रशिया और अमरीका में प्रॉक्सी युद्ध के आधारपर १९९० तक युद्ध चला जिसमे लाखो लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी तथा दोनों तरफ से काफी सारा पैसा खर्च किया गया जिसके कारन १९९० तक रशिया की आर्थिक स्थिति काफी ख़राब हो चुकी थी इसलिए रशिया ने इस युद्ध से खुद को बाहर कर लिया और अपने विकास पर ध्यान देना शुरू किया।

रशिया और टेक्नोलॉजी / Technology & Russia –

सुरक्षा के मामलो में रशिया के पास दुनिया के सबसे ज्यादा न्यूक्लियर बम आज के तारीख में देखने को मिलते हे तथा रशिया सुरक्षा से सम्बंधित क्षेत्र में बहुत बड़ा उत्पादक रहा है। भारत सुरक्षा साधनो के लिए रशिया का बहुत बड़ा ग्राहक पहले से रहा है। ऐसा माना जाता हे की जिसके पास ज्यादा विकसित टेक्नोलॉजी होगी वह दुनिया पर राज करेगा इसलिए रशिया टेक्नोलॉजी के मामलो में काफी गुप्तता रखता है।

साइबर वॉर जैसी व्यवस्था हमें आज पूरी दुनिया में देखने को मिलती हे जिसके आधारपर पूरी दुनिया एक दूसरे पर निर्भर हे और सभी देशो का महत्वपूर्ण डाटा इंटरनेट के माध्यम से जुड़ा हुवा हे। जिस देश की टेक्नोलॉजी विकसित हे वह देश अपने जानकारी को सुरक्षित रखने में सफल होगा इसका दूसरा परिणाम वह दूसरे देशो की जानकारी हासिल करने की कोशिश करेगा।

इसलिए साइबर हैकिंग यह व्यवस्था के लिए रशिया पूरी दुनिया में बदनाम माना जाता हे और अमरीका द्वारा रशिया को रणनीति के तहत साइड लाइन करके कमजोर करने के रणनीति पर चल रहा हे जिसमे टेक्नोलॉजी का काफी महत्वपूर्ण रोल रहने वाला है। इसलिए रशिया टेक्नोलॉजी के मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिए काफी दिनों से काम कर रहा है। अमरीका की हर टेक्नोलॉजी को रशिया अपना खुदका पर्याय निर्माण करना चाहता हे जैसे चीन ने यह काम पहले ही शुरू किया है।

व्लादिमीर पुतिन और रशिया / Vladimir Putin & Russia –

रशिया में साम्यवादी व्यवस्था प्रस्थापित करने में लेनिन का काफी महत्वपूर्ण भाग रहा हे मगर वह ज्यादा दिनों तक सत्ता पर नहीं रह सके और उनका निधन हो गया। जोसेफ स्टालिन के कार्यकाल में रशिया ने स्पुतनिक जैसे मिशन पूर्ण किये जो उस समय काफी क्रांतिकारक निर्णय थे मगर उसके बाद रशिया अमरीका से पिछड़ गया और १९९० आता आते संयुक्त रशिया का विघटन हुवा और जो पूर्वी देश रशिया का हिस्सा होते थे वह यूरोप संघ में शामिल हुए।

व्लादिमीर पुतिन १९९० में जब जर्मनी की दीवार गिर रही थी उस वक्त रशिया के ख़ुफ़िया संस्था केजीबी के लिए काम कर रहे थे, उनके हिसाब से यह दिन उनके लिए सबसे दुखद समय रहा है। उसके बाद उन्होंने सक्रीय राजनीती में रशिया में खुद को झोक दिया और १९९९ में उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से रशिया पर अपना प्रभाव प्रस्थापित किया जो रशिया का सबसे शक्तिशाली पद राष्ट्रपति का हासिल किया।

दो दशकों तक वह अमरीका का प्रभाव पुरे दुनिया पर शांति से देखते रहे और रशिया को रणनीति के तहत अंदर से आत्मनिर्भर करते रहे जिसका परिणाम आज भले ही वह विकास के मामले में दुनिया के विकसित देशो से काफी पीछे हे मगर सुरक्षा के मामलो में तथा संपत्ति के मामले में रशिया दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश आज भी हे जिसके पास काफी सारी आयल और गैस जैसी सम्पदा है जिसकी दुनिया को जरुरत है।

निष्कर्ष / Conclusion –

रशिया का अर्थव्यवस्था का मूल स्त्रोत आयल और गैस के निर्यात से होने वाला फायदा यह प्रमुख रहा हे जिसको रोकना अमरीका का मुख्य रूप से राजनतिक निर्णय हमें मध्यपूर्वी एशिया तथा पूरी रशिया में हमें देखने को मिला है। चाहे सीरिया का युद्ध हो अथवा रशिया यूक्रेन विवाद हो इसका मुख्य कारन रशिया की पाइप लाइन रहा हे जिसको रोकना अमरीका का उद्देश्य रहा है।

रशिया भौगोलिक दृष्टी से देखे तो किसी कांटिनेंट से बड़ा हे और दुनिया की सबसे ज्यादा नैसर्गिक सम्पदा हमें रशिया में देखने को मिलती है। सुरक्षा में रशिया काफी शक्तिशाली देश माना जाता हे जिसके पास लगबघ छह हजार न्यूक्लियर अणुबम रखे हुए हे जिसके कारन पूरी दुनिया उनसे खौफ खाती हे चाहे वह अमरीका ही क्यों न हो।

जब हम यह आर्टिकल लिख रहे हे तब यूक्रेन और रशिया का भयानक युद्ध चल रहा हे जिसका कारन हे रशिया की आयल और गैस की यूरोप में होने वाली सप्लाई जो यूक्रेन से होकर जाती हे। यूक्रेन खुद को यूरोप का हिस्सा बनाना चाहता हे और नाटो से सदस्य्ता के लिए वह हमेशा आग्रही रहा हे यह इस युद्ध का दूसरा महत्वपूर्ण कारन है।

रशिया यूरोप के काफी देशो को आयल और गैस सप्लाई करता हे जिसमे जर्मनी सबसे बड़ा ग्राहक है जिससे जर्मनी और रशिया एक दूसरे के करीब आना मतलब यूरोप के सत्ता समतोल में बदलाव यह एक महत्वपूर्ण कारन रहा है।

 

व्लादिमीर लेनिन और लेनिनवाद का भारत में प्रभाव

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