प्रस्तावना / Introduction –

आज हम बात करेंगे रिलेशन्स पर यानी हर कोई सम्बन्ध जो व्यक्ती के जीवन में पूरी जिंदगी रहता है। कुछ लोग आर्थिक दृष्टी से जीवन में बहुत सफल रहते हे मगर व्यक्तिगत सम्बन्ध के मामले में असफल रहते है। किसी के जिंदगी में व्यक्तिगत सम्बन्ध अच्छे रहते हे सामाजिक सम्बन्ध भी अच्छे रहते है मगर आर्थिक रूप से ज्यादा सफल नहीं रहते।

कहने के मतलब है जिंदगी सफल हे यह कैसे समझे यह कोई नहीं कह सकता। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक हम किस वातावरण में रहते है , उस वातावरण से खुद को कैसे ढालते है। इसपर हमारे लोगो के साथ कैसे सम्बन्ध रहेंगे यानी हमारा स्वाभाव कैसा है इसपर तय होते है।

इसमें हम सभी रिस्ते , दोस्ती , बिज़नेस रिलेशन्स इस सारी बातो पर चर्चा करेंगे क्यूंकि हमारी जिंदगी कैसी रहेगी यह ज्यादा तर हमारे रिलेशन्स पर निर्भर रहता है। आगे हम सभी रिश्तो का एक एक करके विश्लेषण करेंगे और इसमें क्या गलतिया हे और उन गलतियों को क्या हम सुधार सकते है इस पर बात करेंगे। रिश्ते बिगड़ने के कारन ढूंढेगे और उसपर क्या कोई समाधान निकल सकता है ? यह देखेंगे।

हमारा बहुत सारा वक्त घर के रिश्ते समझ ने में ही ज्यादा ज्याने वाला हे मगर घर के बाहर के रिश्ते हमारा सही स्वाभाव क्या हे यह तय करते है। क्यूंकि खून के रिश्ते बनाने को मेहनत करने की जरुरत नहीं होती मगर बाहर के रिश्ते बनाने में हमारे अच्छे गुन काम आते है।

पति पत्नी का रिश्ता / Relations of Husband & Wife –

यह दुनिया का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण रिलेशन होता है क्यूंकि यह खून का रिश्ता तो नहीं होता मगर हमारा घर का पर्सनल रिश्ता होता हे और हमारी जिंदगी की सफलता और असफलता लगबघ इसी रिश्ते पर तय होती है। विदेशी परंपरा और भारत की परंपरा में बहुत अंतर हे इसलिए हमारे यहाँ डिवोर्स रेट बहुत ही कम हे जो विदेश में बढ़ते ही है रहे है।

विदेश में विभक्त होने का प्रमाण ज्यादा हे क्यूंकि वहा का कल्चर और महिलाओ की आर्थिक निर्भरता पुरषो पर कम रहती है। विदेशो में विवाहित जोड़े को विभक्त होने में समाज का ज्यादा दबाव नहीं होता मगर हमारे यहाँ विवाहित जोड़े को विभक्त होना बहुत मुश्किल होता है। समाज का दबाव विभक्त होने पर ज्यादा होता है खास कर महिलाओ के लिए इसलिए भारत में विभक्त होने का प्रमाण बहुत कम है।

पति पत्नी का रिश्ता अच्छा हो इसलिए हमें क्या करना चाहिए इस पर हम बात करते है। जब महिला अपना घर छोड़के पती के घर आती है , पती के माँ बाप , भाई , बहन और बाकी सभी रिश्तो को निभाना पड़ता है। पहले महिलाओ की आर्थिक निर्भरता पुरषो पर ज्यादा थी इसलिए पहले शादी में महिलाये ज्यादा कोम्प्रोमाईज़ करती थी मगर यह प्रमाण आज को दौर में कम हुवा है।

इसका दूसरा अर्थ है पुरषो ने महिलाओ के साथ खुद कभी कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया। अगर आज के दौर में पती पत्नी रिश्ता निभाना है तो दोनों को एक दूसरे को समझना होगा तभी निस्वार्थ रिश्ता बन पायेगा , नहीं तो जिंदगी भर क्लैश बढ़ते रहते है।

पत्नी और पती के माँ बाप का रिश्ता / Relations with Parents –

शादी होने तक लड़का हर चीज के लिए माँ पर निर्भर रहता है , मगर शादी के बाद यह रिश्ता बदल जाता है। हर वक्त अपने बेटे पर अधिकार दिखाने वाली माँ के सामने अब उसकी पत्नी अधिकार दिखाती है। यह कुदरती होता है मगर मनोविज्ञानिक दृष्टी से माँ को यह बुरा लगता है।

इसलिए खास कर भारत में सास बहु का रिश्ता यह अच्छा हो उसमे टकराव न हो ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। पत्नी का अपने ससुर जी से इतना विवाद नहीं होता मगर यह रिश्ता इतना क्लेश नहीं करता जितना सास बहुका करता है।

पती और पत्नी के माँ बाप का रिश्ता –

जैसे की हमने देखा शादी के बाद पुरुष से ज्यादा इन नए रिश्तो में स्त्री को ज्यादा कोम्प्रोमाईज़ करना पड़ता है, आज के दौर में सब लोग सम्मान चाहते मगर देना नहीं चाहते इस लिए क्लेश निर्माण होते है। इसलिए इस रिश्ते में एक दूसरेका सम्मान हो तो कोई खटास नहीं आती।

पत्नी का पती के बहन भाई से रिश्ता –

शादी के शुरवाती दिनों में सब कुछ अच्छा होता हे मगर बाद में क्लेश बढ़ने लगते है , क्यूंकि जो चीजे आप अपने माँ से एक्सपेक्ट करते हो वह आप भाई की पत्नी भी करेगी ऐसा कभी नहीं होता इसलिए हम अपनी माँ के काम की तुलना भाई की पत्नी के काम से करते हे और क्लेश बढ़ जाते है।

दूसरे रिश्तेदारों से सम्बन्ध –

रिश्तेदारों से अगर आप की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो ज्यादा कुछ सम्बन्ध नहीं आता बस कही शादी या और कोई फक्शंस हो तो सम्बन्ध आते है। अगर पैसे की लें देन हो जाये तो रिश्ते ख़राब हो जाते है। मतलब यह रिश्ते ऐसे होते हे हो जिंदगी में केवल होने से अच्छा लगता हे आम जिंदगी में इनसे ज्यादा राफ्ता नहीं रहता हमारा।

हमारे व्यक्तित्व को बनाने वाले रिश्ते –

जैसे हमारे जिंदगी में खून के रिश्ते बहुत अहमियत रखते हे हमारा जीवन कैसे सुखी रहे यह हमारे खून के रिश्ते तय करते हे , यह रिश्ते हमें जन्म से मिलते है इसे हमें कमाना नहीं पड़ता आप जैसे हो वैसे यह रिश्ते आपको मिल जाते हे मगर हमारे व्यक्तित्व को ढालने के लिए कुछ रिश्ते ऐसे होते हे जो खून के नहीं होते मगर हमारे जिंदगी को दिशा देने के काम करते हे या किसी को दिशा देने का काम करता है।

आपके मेंटर / आदर्श रिश्ते –

आप समाज के जिन लोगो से प्रभावित होते हे और उनके जैसा बनना चाहते हे ऐसे रिश्ते पाने के लिए आप कैसे सोचते हो इसपर यह निर्भर करता है। मतलब आप जितने बारीकीसे आपके आदर्श चुनने को मेहनत लेते हे उस हिसाब से आप बन जाते है। जीतनी जल्दी आप अपने उद्देश्य को पाते हो उसमे उतना आपके मेंटर को रोल उसमे महत्वपूर्ण होता है।

आपको मेंटर/आदर्श मानने वाले रिश्ते –

जैसे आप अपनी जिंदगी में अपने मेंटर से आपके उद्देश्य को पाते हे वैसे ही आपको मानने वाले आपको आदर्श रखने वाले आपसे सिखके खुद के उद्देश्य को प्राप्त करते हे ऐसे रिश्ते भी आपको जिंदगी में खुशिया देते है |

दोस्तों के साथ रिश्ते –

यह रिश्ता ऐसा होता हे जो इसे हम चुन ते हे इसलिए जिन से हमारी बनती हे हम उसके साथ दोस्ती करते हे और उनके साथ हमें वक्त बिताना अच्छा लगता है। इस रिश्ते में अगर पैसे की लेन दें हो जाये तो रिश्ता ख़राब होने में देर नहीं लगाती। मगर यही एक रिश्ता होता हे जहा हम हमारा सुख दुःख एक दूसरे के साथ बाटना पसंद करते है।

माँ बाप के अपने बच्चो के साथ रिश्ते –

हम जैसे होते है वैसे संस्कार हम हमारे बच्चो को देते है , अगर आप अपने बच्चो के प्रती त्याग और समर्पण की भाव से रिश्ते निभाते हो तो बच्चे भी वैसे तैयार होते हे रिश्ते निभाने के लिए मगर माँ बाप अगर हर रिश्ता स्वार्थ भाव से निभाते हे तो बच्चे भी हर रिश्ते में स्वार्थ देखते हे इसलिए हमें तय करना होता हे कौनसा ऑप्शन अच्छा हे अच्छा जीवन जीने के लिए।

ऑफिस या व्यवसाय के जगह होने वाले सम्बन्ध –

हमारा ज्यादा तर वक्त जहा हम काम करते हे वहा जाता हे अगर वहा के रिलेशन्स हम ठीक से न संभाले तो हमारा जीना मुश्किल हो जाता हे वहा हमारे सेर्नियर जूनियर होते हे और हमें वहा साथ मिलकर काम करना होता हे अगर वहा हम किसी से एडजस्ट नहीं करते तो हमारी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

अगर हम ऑफिस के रिश्ते निभाना सिख जाते है तो सब कुछ अच्छा जाता है। अगर आप बिज़नेस करते हो तो भी आप के यहाँ काम करने वाले लोगो से अच्छा बर्ताव रखना पड़ता हे नहीं तो बिज़नेस में निरंतरता नहीं रहती और बिज़नेस पर बुरा असर पड़ता है।

रिश्तो का मनोविज्ञान / Psychology of Relations –

जिस रिश्ते में आदमी सामने वाले को उसके अच्छाई और बुराई के साथ स्वीकारता हे वहा रिश्ते बन जाते हे और टिकते हे और जहा हम सामने वाले को उसकी बुराई के साथ नहीं स्वीकार करते वहा रिश्ते बिगड़ जाते है। रिश्ते में एक दूसरे के लिए जीना होता हे अगर वह न हो तो रिश्तो में दूरिया निर्माण हो जाती है।

जब हम सामने वाले ने हमें जो अच्छा लगता हे वैसा बर्ताव नहीं किया तो हमें बुरा लगता हे मगर हम ने कैसा रहना चाहिए अगर यह हमें कोई सिखाए तो हमें बुरा लगता है। यह हमारे मन की विसंगत स्वाभाव की पहचान है। इसलिए रिश्ते नहीं पनप पाते और बिगड़ जाते है।

जिंदगी में जब हम अनजान हो ते हे तो हम गलतिया करते हे और गलतिया करके उनसे सिखके जिंदगी में आगे बढ़ते है। इसका मतलब जानते है ? इसका मतलब होता है , हम हमारी पुरानी गलतियों के लिए हमें माफ़ कर देते है।

वही बात अगर किसी रिश्ते में सामने वाले ने आप के साथ कोई गलती कर दी तो हम उसे जिंदगी भर उसे कभी माफ़ नहीं करते। इससे क्या आप जानते हे ? सामने वाले से ज्यादा आपको तकलीफ होती है इसलिए माफ़ करने की आदत इंसान को जिंदगी में कभी दुखी नहीं रखती।

पैसे की अहमियत / Importance of Money –

ऐसा कहा जाता है की “पैसा खुदा तो नहीं मगर खुदा से कम भी नहीं ” हमारे बुरे वक्त में हमें लोगो के इतने बुरे अनुभव आते हे की हम जब उस बुरे दौर से उभर जाते हे तो ठान लेते हे की हमारे बुरे वक्त में हमें किसी ने सहारा नहीं दिया तो हम भी अब किसी को हमारे पास आने नहीं देंगे।

मतलब किसी को कभी बुरे वक्त में मदत नहीं करेंगे , क्यूंकि पैसा हे तो सब कुछ है। पैसा हे तो पैसे से सभी खुशिया खरीदी जा सकती है , ऐसा हमें लगता हे मगर वास्तविकता हम नहीं जानते या जानना नहीं चाहते। वास्तविक ता यह होती हे की बुरे वक्त में हमको किसी ने मदद नहीं की इसका कारन हम कभी किसी के काम कभी नहीं आये इसलिए लोग आप के काम नहीं आते।

रिश्ते बनाने के लिए पहले बहुत कुछ देना पड़ता हे तभी वह रिश्ते काम आते हे जब हम किसी के कभी काम नहीं आते और दूसरे से आशा करते हे की वह हमारे काम आये यह हमारे बुद्धि की विसंगती है।

पैसा इंसान ने अपने सहूलियत के लिए बनाया लेकिन हम इसके गुलाम बन गए , आमिर लोग पैसे को अपना गुलाम रखते हे इसलिए पैसा उनके लिए काम करता है वह कभी काम नहीं करते। हम पैसे के लिए जिंदगी भर काम करते हे मगर पैसा हमें जिंदगी भर साथ दे इसकी कोई ग्यारंटी नहीं मगर पैसे के लिए हम हमारे रिश्ते दूसरे नंबर पर रखते है।

सबसे बड़ी समस्या पति पत्नी का रिश्ता / Relations of Husband & Wife –

खून के रिश्तो में हम एक दूसरे को समझ के लेते हे, दोस्ती के रिश्ते में हम दोस्ती ख़तम कर के आगे बढ़ सकते हे मगर पति – पत्नी का रिश्ता ऐसा होता हे की जब वह टूटता हे तो अच्छे अच्छे लोग जिंदगी में टूट जाते है इसलिए यह रिश्ता कैसे निभाया जाये इसके कुछ समाधान आगे हम देखते है।

  • शादी होने से पहले जितना हो सके उतनी जानकारी एक दूसरे के बारे निकल ले , एक दूसरे के स्वाभाव को अच्छी तरह से समझ ने का समय दे।
  • एक बार शादी हो जाये तो दोनों को एक दूसरे को खामिया और कमिया जैसे भी हो स्वीकार लेना चाहिए क्यूंकि जब हम शादी तोड़ते हे इसका मतलब हम सामनेवाले को अपने जैसा चाहते हे जो कभी नहीं हो सकता भले आप कितनी भी शादिया करे आप की शादी नहीं टिक सकती इसलिए एक दूसरे को समझने की कोशिश करे।
  • रिश्ते त्याग और समर्पण से दृढ़ बन जाते हे इसलिए अपने साथी को एक बार आपका त्याग और संपार्पण समझ आये तो वह आपकी इज्जत करने लगता हे यही रिश्ता होता है।
  • अगर झगड़ा हो तो उस समय शांत रहना अच्छा होता हे क्यूंकि वह समय अगर विवाद बढ़ जाता हे तो वह झगड़े में परिवर्तित हो जाता हे इसलिए अगर गुस्सा आये तो शांत रहने की कोशिश करे या बहार चले जाये। एक दूसरे को समय दे हम कुछ चीजो का तुरंत निपटारा चाहते हे ऐसा नहीं होता थोड़ा वक्त देना पड़ता है।
  • एक दूसरे के रिश्ते दारो की बुराई करना बंद करे झगड़े की सबसे बड़ी समस्या यही रहती हे इसलिए एक दूसरे का सम्मान यह सुख शांति का बहुत बड़ा महत्त्वपूर्ण कारन होता है।

निष्कर्ष / Conclusion –

जिंदगी के हर रिलेशन्स जरुरी होते हे हमें खुशिया देने के लिए मगर पैसे की कीमत देकर रिश्ते दूर करना कभी भी घाटे के सौदा होता है। हम पैसा भी कमा सकते हे और रिश्ते भी निभा सकते है इसके लिए रिश्तो की बलि देने की जरुरत नहीं हे बस दुसरो के लिए जीना सीखना होता है।

जब हम सामने वाले को सम्मान देते हे तो वह आपको सम्मान देगा मगर हमारा स्वाभाव ऐसा बन जाता हे की हम दुसरो का अनादर करे मगर हमारा सम्मान होना चाहिए। ऐसी अपेक्षा करना मूर्खता होगा , हम हमारे इर्दगिर्द ऐसे बहुत सारे लोग देखते हे जो पैसा तो बहुत कमाते हे मगर व्यक्तिगत जिंदगी में वह विफल हो जाते है इसलिए दोनों चीजों का संतुलन रखने में जो लोग सफल होते हे वह लोग जिंदगी भर खुश रहते है।

सुखी वैवाहिक जीवन का रहस्य जानिए 

 

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