प्रस्तावना /Introduction –

मुकेश अंबानी जी ने भविष्य के टेक्नोलॉजी बेस बिज़नेस क्षेत्र को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज को बढ़ाने का निर्णय लिया इसके लिए उन्होंने दोनों भाइयो के अलग होने से पहले टेली कम्युनिकेशन बिज़नेस का भविष्य पहचान लिया था मगर बिज़नेस के विभाजन में उनके हिस्से में रिलायंस पेट्रो केमिकल, पेट्रोलियम , नेचुरल गॅस जैसे बिज़नेस यह बिज़नेस आये , जिसमे में काफी उतार चढाव देखने को मिलते हे।

इसलिए मुकेश अंबानी जी टेलीकॉम और टेक्नोलॉजी बिज़नेस में आना चाहते थे मगर दोनों भाइयो के बिच बुए समझौते के तौर पर वह इस बिज़नेस में नहीं आ सकते थे। यह मामला न्यायलय तक गया था और आखिर कार उन्हें इस समझौते से झुटकारा न्यायलय द्वारा दिया गया और समझौते का समय भी २०१२ तक ही था।

इसलिए २०११ के बाद ही उन्होंने अपने इस महत्त्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था और जिओ प्लेटफार्म की स्थापना के अंतर्गत जिओ मार्ट , जिओ टेलीकॉम जैसी बड़ी कम्पनिया स्थापित करके भारत की सबसे बड़ी कंपनी बनने का सफर हम इस आर्टिकल के माध्यम से देखने की कोशिश करेंगे जिसमे हम ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करेंगे।

रिलायंस कम्युनिकेशन के साथ विवाद / Dispute Between Reliance Communication –

अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADA GROUP) और रिलायंस इंडस्ट्रीज यह दो ग्रुप २००५ में अलग हुए और अनिल अंबानी जी के हिस्से में रिलायंस टेलीकॉम , कॅपिटल , पावर यह महत्वपूर्ण क्षेत्र आए तो दूसरी तरफ मुकेश अंबानी के हिस्से में पेट्रोलियम , पेट्रोकेमिकल , नेचुरल गैस यह क्षेत्र आए थे। अनिल अंबानी शुरुवात से अपने कम्युनिकेशन स्किल की वजह से कंपनी के डील के लिए ज्यादा व्यस्त रहते थे और मुकेश अंबानी जमीनी स्तर पर बिज़नेस में व्यस्त रहते थे।

बिज़नेस अलग होने के बाद यह सिलसिला बदला और दोनों भाइयो को अपने बिज़नेस के लिए सभी क्षेत्रो में ध्यान देना पड़ा। अनिल अंबानी यह आक्रामक स्वाभाव के कारन शुरुवाती दिनों में काफी सुर्खियों में रहे और दूसरी तरफ मुकेश अंबानी ने अपने बिज़नेस को शांति से बढ़ाने में ध्यान दिया। अनिल अंबानी बिज़नेस में काफी दिवालिया होते गए तो दूसरी और मुकेश अंबानी अपने बिज़नेस को बढ़ाते चले गए।

रिलायंस जिओ प्लेटफार्म यह कंपनी की शुरुवात यह मुकेश अंबानी के टेलीकॉम क्षेत्र में तथा टेक्नोलॉजी क्षेत्र में उतरने के लिए २०१९ में की गयी थी उससे पहले जिओ टेलीकॉम यह कंपनी की शुरुवात वह कर चुके थे और वह मार्किट में धूम मचा रही थी और अपने प्रतिस्पर्धियों को ख़त्म कर रही थी। जिसमे आईडिया ,वोडाफोन ,रिलायंस कम्युनिकेशन डोकोमो यूनिनॉर जैसी कम्पनिया ख़त्म हुई थी।

रिलायंस जिओ प्लेटफार्म की स्थापना/Establishment of Jio Platform –

रिलायंस जिओ प्लेटफार्म यह कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी हे जिसकी स्थापना २०१९ को की गई और यह शेयर बाजार में टाटा ग्रुप और HDFC बँक के बाद भारत के कॅपिटल के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी कंपनी आज के दिन बनी हुई है। प्रसिद्ध कंपनी रिलायंस टेलीकॉम यह जिओ प्लेटफार्म की सब्सिडियरी कंपनी बनाया गया और जिओ मार्ट जैसे ऑनलाइन और टेक्नोलॉजी बेस कंपनियों को इसके अंतर्गत रखा गया।

रिलायंस जिओ टेलीकॉम कंपनी को प्रस्थापित करने के लिए मुकेश अंबानी जी ने २.५ लाख करोड़ रुपये इन्वेस्ट किये थे, जो उस समय की प्रस्थापित टेलीकॉम कंपनियों का जोड़कर भी नहीं था। शुरुवाती दिनों २०१६ में पहले चार महीने इंटरनेट डाटा यह मुख्य प्रोडक्ट रखकर फ्री दिया गया और ग्राहक बढ़ाए गए। काफी दिनों तक इस रणनीति के तहत रिलायंस जिओ ने बाकि स्पर्धक को मार्किट से ख़त्म किया।

जिसके लिए उन्हें बाद में कर्ज से मुक्त करने के लिए गूगल , फेसबुक कंपनियों को निवेश किया गया और कंपनी को कर्ज से मुक्त रखा गया। जिओ प्लेटफार्म के मुख्य रूप से इको सिस्टम यह प्रसिद्द एप्पल कंपनी की रणनीति के तहत बनाई गई जिसमे जिओ मार्ट ,जिओ फाइबर और जिओ सावन जैसे प्रोजेक्ट को रखा गया।

रिलायंस जिओ प्लेटफार्म का उद्देश्य / Object of Reliance Jio –

अक्टूबर २०१९ को रिलायंस इंडस्ट्रीस ने डिजिटल बिज़नेस के लिए रिलायंस जिओ प्लेटफार्म इस कंपनी की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य टेलीकॉम ,ऑनलाइन बिज़नेस और टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कंपनी को उतरना यह रहा है। इसके लिए वह टेक्नोलॉजी क्षेत्र में काफी कमजोर थी इसके लिए फेसबुक और गूगल जैसी कंपनी के साथ उन्होंने कुछ प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया।

खुली अर्थव्यवस्था के कारन टेक्नोलॉजी बेस कंपनियों के साथ स्पर्धा करना काफी मुश्किल होता हे परन्तु मुनाफे की बात करे तो रिलायंस इंडस्ट्रीज के पारम्परिक ऑइल और गॅस के बिज़नेस में काफी अस्थिरता होती हे अमरीकी डॉलर के उतार चढ़ाव से उनके बिज़नेस पर काफी प्रभाव पड़ता है।

इसलिए उन्होंने टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम क्षेत्र में प्रवेश करने का निर्णय लिया और रिलायंस जिओ टेलीकॉम के माध्यम से २०१६ में पुरे मार्किट को हिला दिया। रिलायंस मार्ट के माध्यम से रिटेल बिज़नेस में अमझोन जैसी कंपनी को स्पर्धा करनी हे मगर उनके शक्तिशाली पॉइंट्स हे वह हे उनकी नेटवर्क की ताकद जिसका फायदा उन्हें मिलेगा और फेसबुक और गूगल के माध्यम से वह टेक्नोलॉजी में अमझोन को भविष्य में रिटेल बिज़नेस में टक्कर दे सकते है।

इको सिस्टम ऑफ़ जिओ प्लेटफार्म / Echo System of Jio Platform –

स्टीव जॉब ने एप्पल को सफल बनाने के लिए इको सिस्टम यह तकनीक का इस्तेमाल किया था और ब्रांडिंग यह उनका सबसे सफल कारन रहा था। एप्पल के मोबाइल को खरीद के बाद आपको उसको प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना होता हे और एक बार आपको उसकी आदत हो जाए तो उसको छोड़कर दूसरे मोबाइल को इस्तेमाल करना काफी मुश्किल होता है। यही कारन था की एप्पल कंपनी इतनी सफल रही जो ग्राहक को एंट्री पॉइंट पर आकर्षित करना और उसको आखिर तक ग्राहक बनाकर रखना यह कारन था।

  • Entry Point : रिलायंस जिओ प्लेटफार्म के माध्यम से जिओ ने सिम कार्ड खरीद ने से लेकर उसकी अलग अलग सेवाए ग्राहक को देने तक यह इको सिस्टम आपको फायदा पहुँचाती है।
  • Retain : इको सिस्टम में सबसे महत्वपूर्ण होता हे एंट्री पॉइंट जहा जिओ ने शुरुवाती दिनों में अपने ग्राहकों को फ्री डाटा देकर करोडो ग्राहक हासिल किये। दूसरा महत्वपूर्ण स्थर होता हे उन ग्राहकों को अपने पास टीकाकार रखना जिसके लिए उसे रिलायंस जिओ के अलग अलग प्लेटफार्म की कम कीमत पर अथवा फ्री सेवाए देना।
  • Upsell: तीसरा महत्वपूर्ण स्थर होता है वह ग्राहक बार बार आपसे अलग अलग सेवा के माध्यम से आप से निरंतर जुड़े रहे। जिसके लिए वह आपके सेवा का आदि हो जाए और दूसरे ऑप्शन को लेने से अच्छा आपके सर्विस से जुड़े रहना।
  • एयरटेल कंपनी ने इसका महत्त्व समझकर खुद को दिवालिया होने से बचा लिया और अपने इस प्रस्थापित पुराने बिज़नेस को जिओ टेलीकॉम के भूचाल से बचा लिया। केवल रिलायंस के इस क्षेत्र में एयरटेल कंपनी से ज्यादा शक्तिशाली गुण हे हे वह हे जिओ मार्ट जैसे अन्य प्लेटफार्म जो उसके इको सिस्टम को ताकदवर बना सकता है।

जिओ टेलीकॉम बिज़नेस की रणनीति / Reliance Jio Business Strategies –

इंफोटेल यह एकदम छोटी कंपनी थी २००७ से पहले जिसने वायरलेस इंटरनेट के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगायी थी जिसमे उस समय की अन्य प्रस्थपित कंपनियों ने कोई इंटरेस्ट नहीं दिखाया था। जिस दिन इस कंपनी को यह स्पेक्ट्रम मिला रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उसी दिन इस कंपनी को खरीद लिया और बाद में जाकर इस स्पेक्ट्रम को वॉइस कालिंग की परमिशन सरकार द्वारा दी गयी।

इंफोटेल के इस खरीद का विषय बाद में काफी विवादस्पद रहा क्यूंकि प्रस्थापित स्पर्धक कंपनियों ने इसके लिए सरकार को दोषी ठहराया मगर यही शुरुवात थी रिलायंस जिओ टेलीकॉम की जिसने आगे जाकर वॉइस कालिंग के उस समय के प्रस्थापित बिज़नेस से अलग सोचकर डाटा सर्विस पर ज्यादा ध्यान दिया जो उस समय काफी महंगा और बहुत ख़राब सर्विस दी जाती थी।

अमरीका में पहले वालमार्ट अपने कॅपिटल की शक्ति से छोटे बिज़नेस को ख़त्म करता था और बाद में मार्किट पर अपना वर्चस्व प्रस्थापित करता था , यही रणनीति के तहत रिलायंस जिओ के माध्यम से कंपनी ने प्रस्थपित कंपनियों से कई गुना ज्यादा पैसा 4 G टेक्नोलॉजी और फ्री डाटा इसके माध्यम से मार्किट पर कब्ज़ा किया और कुछ ही दिनों में आईडिया , वोडाफ़ोन जैसी कंपनियों को दिवालिया बना दिया और खुद को मार्किट का नंबर एक कंपनी बनाया ।

जिओ टेलीकॉम की सफलता / Success of Jio Telecom –

२०१६ से पहले किसी भी कंपनी का सिम खरीदना बहुत ही जटिल प्रक्रिया होती थी जिसको सबसे पहलेरिलायंस जिओ ने बदला और केवल एक आधारकार्ड के माध्यम से सिमकार्ड बेचना शुरू किया। एक आधारकार्ड पर ६ – ८ सिम कार्ड बहुत ही आसानी से उस समय कंपनी शुरू किया और इसका सबसे महत्वपूर्ण कारन था की बड़े पैमाने पर ग्राहक इसे खरीद रहे थे वह था चार महीने फ्री डाटा यह सुविधा के कारन बाकि कंपनियों को पछाड़ दिया।

एयरटेल ,आईडिया यह भारतीय कम्पनिया टेलीकॉम क्षेत्र की सबसे ताकदवर कम्पनिया थी, जिसको पछाड़ने के लिए जिओ ने ढाई हजार करोड़ का निवेश इंटरनेट को सुधरने के लिए किया और बाकि कम्पनिया वॉइस कालिंग और मेंसेजेस पर अपना टेलीकॉम मार्किट चला रही थी। टेलीकॉम क्षेत्र की शुरुवात जिओ ने इंफोटेल को खरीद कर किया जिसके पास डाटा इंटरनेट का स्पेक्ट्रम था।

जिओ कंपनी ने पहले चार महीने अपने ग्राहकों को फ्री डाटा की सुविधा दी जो फिर से तीन महीने के लिए बढ़ाई गई और १ अप्रैल २०१७ को उन्होंने अपने ग्राहकों को प्राइम ग्राहक सुविधा के तहत खुद से बांधे रखा। इसमें डोकोमो , यूनिनॉर , जैसी कंपनी ख़त्म हो गयी और आईडिया और वोडाफोन को एक होना पड़ा जिसका कोई फायदा नहीं हुवा। आईडिया और वोडाफोन एक होने के बाद भी यह कंपनी आज दिवालिया होने के कगार पर हे इतनी प्रभावशाली रणनीति के तहत जिओ ने खुद को मार्किट में प्रस्थपित किया।

एयरटेल के साथ बिज़नेस युद्ध / Business War with Airtel –

२०१९ के कोरोना समय में आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह से बंद हो गयी थी और यही दौर था एयरटेल कंपनी का टेलीकॉम क्षेत्र में वापिस उठाने का जहा बड़ी बड़ी टेलीकॉम बिज़नेस ख़त्म हो चूंकि थी और कुछ दिवालिया होने के कगार पर थी। ऑनलाइन शिक्षा और वर्क फ्रॉम होने ने टेलीकॉम इंडस्ट्रीज को नयी रह दिखाई जिसमे एयरटेल ने अपने आप को कर्ज के परिस्थिति से फिर से उभरने की कोशिश की थी।

वोडाफोन और आईडिया ने एकदूसरे को सँभालने के लिए मर्जर किया मगर कुछ ढोस रणनीति न होने की वजह से वह आज भी उभर नहीं रहे है , इस बिच कुमार मंगलम ने कंपनी के प्रमुख पद से इस्तेफा देने की धमकी सरकार को दी है, अथवा कुछ ठोस निर्णय ले यह चेतावनी दी हे इससे आप इस कंपनी की हालत का अंदाजा लगा सकते है।

एयरटेल ने कोविड के बाद खुद को उभारने में सफलता हासिल की हे और जिओ का फ्री वाला मैजिक अब लोगो के सर से उतरने लगा हे जिसका फायदा एयरटेल ने उठाने की कोशिश की है। आज की तारीख में देखे तो सबसे ज्यादा ग्राहक एयरटेल के पास हे और इको सिस्टम के माध्यम से उनको अपने पास निरंतर रखने में एयरटेल सफल हुवा है। आने वाले समय में हैदराबाद और मुंबई जैसे शहरों में 5 G टेक्नोलॉजी के प्रयोग करके यह संकेत दे दिए हे की जिओ से स्पर्धा करने के लिए हम तैयार है।

जिओ मार्ट /Jio Mart –

जिओ मार्ट यह रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी का बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हे जिसमे उनके सामने दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी अमझोन यह प्रमुख स्पर्धक हे। टेक्नोलॉजी और कॅपिटल के मामले में अमझोन कंपनी जिओ मार्ट से काफी बड़ी कंपनी हे मगर जिओ मार्किट का सफल होने का प्रमुख कारन हे उसका भारत में प्रस्थापित नेटवर्क जो अमझोन कंपनी के लिए सरदर्द है।

अमझोन कंपनी का यह बिज़नेस मॉडल छोटे व्यापारियों के लिए विरोध का कारन हे वही जिओ मार्ट ने अपनी रिटेल बिज़नेस के लिए कुछ अलग रणनीति बनाई है। जिसके कारन वह छोटे व्यापारियों को जिन्दा रखकर अपना रिटेल बिज़नेस मॉडल सफल बनाना चाहते है जिसके लिए उनको भारत में समर्थन मिलेगा ऐसा लगता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह हे की जिओ मार्ट ने इसके लिए फेसबुक और गूगल कंपनी को साथ में लेकर अमझोन कंपनी से स्पर्धा करने के लिए तैयारी की है। जिओ मार्ट को पता हे की वह टेक्नोलॉजी अमझोन को इतनी आसानी से टक्कर नहीं दे सकते इसलिए उनकी यह रणनीति काफी कारगर साबित होगी ऐसा लगता है।

जिओ मोबाइल एप्लीकेशन / Jio Mobile Applications –

रिलायंस जिओ भारत में जिओ प्लेटफार्म के माध्यम से टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम क्षेत्र में खुद की एक इको सिस्टम बनाना चाहता हे इसलिए उन्होंने खुद के कई प्लेटफार्म तैयार किये है। इसमें से एक हे जिओ मोबाइल एप्लीकेशन जो आज के एनरोइड मोबाइल के ज़माने में काफी महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी क्षेत्र हे परन्तु टेक्नोलॉजी और संशोधन के मामले में कंपनी को अभी काफी काम करना होगा।

जिओ LYF के माध्यम से जिओ कंपनीने एनरोइड मोबाइल और वह भी काफी सस्था मोबाइल मार्किट में लाने की कोशिश की हे मगर इसमें उनको असफलता मिली है। इसका मुख्य कारन हे टेक्नोलॉजी में विदेशी कम्पनिया भारत की कंपनियों से फिलहाल काफी आगे हे , यह इससे समझमे आता है।

रिलायंस जियो के कुछ महत्वपूर्ण आप्लिकेशन्स

  • My Jio
  • Jio TV ( Live streaming App.)
  • Jio cinema
  • Jio Saavn ( Music streaming App.)
  • Jio Chat
  • Jio Meet ( Video conferencing App.)
  • Jio Store
  • Jio Pages ( Web browser)
  • Jio switch ( File sharing App)
  • Jio News
  • Jio Home (Mobile Remote control for Jio settop box)
  • Jio Gate (Apartment security App)
  • Jio Cloud ( Cloud storage services)
  • Jio Security
  • Jio Health Hub
  • Jio Gameslite

जिओ प्लेटफार्म का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of Jio Platform –

  • संशोधन और टेक्नोलॉजी के मामले में जियो प्लेटफार्म कंपनी को अंतराष्ट्रीय कंपनियों के साथ भारत में स्पर्धा करने के लिए काफी ममेहनत करनी होगी।
  • जियो के टेलीकॉम प्रोजेक्ट ने कई बड़ी कंपनियों को मार्किट से ख़त्म किया जिसका परिणाम इस क्षेत्र में उसका प्रभुत्व प्रस्थपित होगा जो ग्राहकों के हित के विरोध में हे।
  • टेलिकॉम क्षेत्र में प्रवेश करने लिए शुरुवाती दो सालो तक कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा जिसका परिणाम कंपनी पे कर्ज निर्माण हुवा जिसके लिए गूगल और फेसबुक को अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी।
  • एलोन मस्क ने अपना सेटेलाइट द्वारा इंटरनेट पहुंचाने का काम भारत में शुरू किया हे, अगर वह सफल हो गया तो जिओ प्लेटफार्म की पिछली सारी मेहनत एक दिन में ख़त्म हो सकती है।
  • इंफोटेल कंपनी को खरीदना यह एक खुफिया रणनीति थी जिसके तहत उस कंपनी को स्थापित किया और वह स्पेक्ट्रम खरीद लिया गया और बाद में उसमे सरकार द्वारा बदलाव किये गए जिससे जियो को फायदा पहुंचाया गया ऐसे आरोप कंपनी पर लगे।
  • शुरुवाती जियो के प्रभाव को एयरटेल भेदने में सफल हुवा हे और आज सबसे ज्यादा ग्राहक के माध्यम से जियो को परेशान करने में एयरटेल सफल रहा है।

जिओ प्लेटफार्म के निवेशक / Investors of Jio Platform –

Company

Investment %

Reliance Industries

67.03

Meta Platform (Facebook)

9.99

Google

7.73

KKR

2.32

Vista Equity Partners

2.32

Public Investment fund

2.32

SLP Redwood

2.08

Mubadala Investment Co.

1.85

General Atlantic Singapore

1.34

Abhudabi Investment Authority

1.16

Others

1.86

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने रिलायंस इंडस्ट्रीज की सब्सिडियरी कंपनी जियो प्लेटफार्म के बारे में जानने की कोशिश यहाँ की हे उनकी सफलता में कौनसी रणनीति रही हे जिसका हमने अध्ययन करने की कोशी यहाँ की है। इको सिस्टम के माध्यम से कैसे इन्होने अपनी जियो प्लेटफार्म कंपनी की स्थापना की हे यह हमने देखा। शेयर बाजार में टाटा ग्रुप और HDFC बैंक के बाद सबसे ज्यादा मार्किट कैपिटल वाली तीसरी कंपनी जिओ प्लेटफार्म बन गई है।

रिलायंस जिओ का डाटा प्लान मार्किट में लाने के समय सभी एक्सपर्ट ने यह अनुमान लगाए थे की भविष्य में रिलायंस जिओ इसमें फस सकता है, मगर कंपनी ने खुद को कर्ज से मुक्त करने के लिए फेसबुक और गूगल जैसी अन्तर्राष्टीर्य कंपनियों को अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर अपना कर्ज ख़त्म करने में जिओ सफल रहा है ।

जिओ टेलीकॉम के माध्यम से प्रस्थापित वॉइस कालिंग और मेसेजेस का मार्किट बदलते हुए कंपनीने इंटरनेट की दुनिया को भारत में बदलने में बड़ा योगदान बनाया है। जिसके कारन भारत में डिजिटल मार्किट बढ़ा हे और इससे दुनिया के अंतराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए इससे काफी अच्छा मार्किट अपने बिज़नेस को भारत में प्रस्थपित करने में आसानी होनेवाली हे इसमें सबसे प्रमुख कम्पनिया हे फेसबुक , यूट्यूब और अन्य ऑनलाइन कम्पनिया जो अपने बिज़नेस को बढ़ाना चाहती हे.

 

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