प्रस्तावना / Introduction –

यूरोप दुनिया का सबसे सधन प्रदेश माना जाता है, सभी को यूरोप के देशो का आकर्षण होता है। हमने आज का विषय यही चुना है यूरोप और अमरीका जैसे देशो का पूरी दुनिया पर इतना प्रभाव क्यों है? भारत और चीन की सभ्यता दुनिया में सबसे पुराणी सभ्यता मानी जाती है, मिश्र और बेबीलोन जैसी सभ्यता यूरोप से सधन होते हुए भी कैसे पिछड़ गयी इसके कारन ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे।

विज्ञानं और टेक्नोलॉजी में दुनिया के बाकि देश इतने क्यों पिछड़ गए और यूरोप के पास इतना पैसा कैसे आया, यह सभी लोग जानना चाहते है। इस विषय पर कई सारे लेख और आर्टिकल्स हमें देखने को मिलेंगे मगर भारत के दृष्टिकोण से यूरोप की सधनता के कारन हम ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे।

इस विषयपर कई सारे लेख हमें अंग्रेजी में देखने को मिलते है हमारी स्थानिक कई सारी भाषाओ में इसके कारन क्या हे यह देखने को मिलते है मगर उसमे पश्चिमी लोगो के दृष्टिकोण से लेख केवल भाषांतरित किये हुए हमें देखने को मिलते है। विश्लेषण करके देखेंगे की यूरोप और अमरीका इतना समृद्ध कैसे हुवा।

यूरोपियन प्रदेश/ European continent-

सयुक्त राष्ट्र संघ के आकड़ो के अनुसार यूरोप में कुल ४४ देश है जिसमे पूर्वी यूरोप और पश्चिमी यूरोप ऐसा भौगोलिक विभाजन किया जाता है। पूर्वी यूरोपियन देशो से ज्यादा पश्चिमी देश ज्यादा सधन माने जाते है। १९९० तक पूर्वी यूरोप पर रशिया का प्रभाव रहा है मगर शीत युद्ध के समाप्ती के बाद यह प्रभाव ख़त्म हुवा और रशिया से कई सारे देश यूरोप का हिस्सा बन गए।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद साम्य वाद और पूंजीवाद यह संघर्ष शीत युद्ध के माध्यम से कई साल चला और रशिया के विघटन के बाद यूरोप में पूंजीवाद का प्रभाव फिर से बढ़ा। जो यूरोप का इतिहास रहा था कभी, जिस कारन यूरोप इतना सधन बना। यूरोप की विशेषतः यह हे की बहुत छोटे छोटे देश निर्माण हुए मगर वह एक दूसरे के साथ व्यापार और मुक्त स्थानांतर यह विशेषता की वजह से दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण व्यापार का केंद्र रहा है।

एशियाई देश यूरोप से क्यों पिछड़ गए/ Why Asia become backward –

इजिप्त, मध्य एशिया, भारत और चीन की सभ्यता दुनिया में सबसे पुराणी सभ्यता मानी जाती है। जो चीन और भारत का विकास दर यह दुनिया के पुरे विकास दर से ५० % था इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था होते हुए भी वह कैसे पिछड़ गया इसके कारन हम आज देखने की कोशिश करेंगे।

मानव सभ्यता होती हे वह अगर समय के साथ अपने में बदलाव नहीं करती वह सभ्यता ख़त्म हो जाती है अथवा पिछड़ जाती है। चीन और भारत की सभ्यतांए खुद को बदलने में नाकाम रही और कल्चर के नाम पर पुराणी चीजों को पकडे रही वहा यूरोप में १५ वि सदी से हम देखते है समाज में कई सारे बदलाव बहुत तेजी से हुए।

धर्म का समाज पर प्रभाव / Influence of Religions –

पिछले दो हजार सालो का इतिहास देखे तो धर्म की स्थापना एक शिक्षा संस्था के रूप में हुई थी जिसका उद्देश्य लोगो को जीवन के बारे में मार्गदर्शन करना इतना ही था वह आगे बढ़ता ही गया। जिसका परिणाम यह हुवा की बदलाव यह धर्म के लिए हानिकारक घटक बन गया जिससे कोई भी धर्म के अधिकारी वर्ग बदलाव के हमेशा विरोध में रहे।

धर्म ने राजनीती और अर्थव्यवस्था पर इतना प्रभाव डाला की यूरोपियन देशो की तुलना में यह देश पिछड़ते चले गए। यूरोप में इसका उल्टा हुवा मार्टिन लूथर जैसे लोगो ने धर्म को सवाल करना शुरू किया और इससे यूरोप में व्यक्ती स्वतंत्र को धर्म से अलग किया गया। यूरोप में मॉन्टेस्क्यू ,वोल्टायर और रूसो जैसे दार्शनिक हुए जिन्होंने धर्म और राजनीती को अलग करने में सफलता हासिल की।

यूरोप के सधनता का मुख्य कारन विज्ञानं की क्रांती , औद्योगिक क्रांती , सामाजिक क्रांती , ऐसी गतिविधिया एक के बाद एक १५ वी सदी से होना शुरू हुवा जिससे उनके आर्थिक समाज की रचना काफी तेजी से बदलने लगी और कैपिटलिज्म का उगम हुवा जिसने यूरोप को इतना प्रभावित किया की उनका व्यापार ग्लोबल स्तर पर विकसित हुवा जिसमे एडम स्मिथ जैसे अर्थशास्त्री का बहुत बड़ा रोल रहा।

कैपिटलिज्म और व्यक्ती स्वातंत्र्य / Capitalism & Freedom –

लोकतंत्र की स्थापना होने से पहले यूरोप में छोटे छोटे देश थे जिसमें प्रमुख रूप से राजतन्त्र की व्यवस्था थी मगर व्यापार और उद्योग के लिए पूरा यूरोप सभी व्यापारियों के लिए खुला था वह किसी भी देश में व्यापार करने के लिए स्वतंत्र थे।

इसपर यूरोप के देश अपने राज्य में व्यापार को आकर्षित करने के लिए करप्रणाली में कई सारी छूट देने लगे जिससे वहा व्यापार के लिए एक अच्छा वातावरण बना जिससे अर्थव्यवस्था में पैसा बढ़ने लगा और वह पैसे यूरोप के बाहर व्यापार करने के लिए इन्वेस्ट होने लगा यही दौर था वसाहत्तवाद का जिसपर यूरोप ने आज की जो सधन देश के रूप में जो मक़ाम हासिल किया।

फ्रेंच क्रांती के बाद यूरोप में बहुत सारे देशो में बदलाव देखने को मिले और व्यक्ती स्वातंत्र्य और सत्ता में बदलाव देखने को मिले और धीरे धीरे लोकतंत्र स्थापित हुवा इसके लिए दुनिया ने दो विश्व युद्ध का सामना किया।

कैपिटलिज्म और वसाहतवाद / Colonization & Capitalism –

इंग्लैंड ने वसाहतवाद के माध्यम से लगबघ आधे दुनिया पर राज किया जिसमे कैपिटलिज्म का काफी महत्वपूर्ण सहभाग रहा था। ईस्ट इंडिया कंपनी में कई सारे निवेशक ने इन्वेस्टमेंट किया था जो यूरोप में एक कल्चर बन गया था।

यूरोप के कई सारे देश समुद्री व्यापार के माध्यम से एशियाई देश और दुनिया के कई सारे देशो से व्यापार माध्यम से काफी पैसा कमाया गया। इसके लिए उस समय की राजव्यवस्था ने इस पूंजीवाद को काफी प्रोस्ताहित किया जिससे उन राजव्यवस्था ने भी काफी पैसा कमाया और व्यापारी वर्ग ने भी काफी पैसा कमाया।

वसाहतवाद दूसरे विश्वयुद्ध तक काफी प्रभावी रहा मगर उसके बाद सभी देशो में राजसत्ता को बदलाव कर के लोकतंत्र की स्थापना की गयी जिसमे कैपिटलिज्म का प्रभाव रहे इसके लिए शीत युद्ध के माध्यम से काफी दिनों तक युद्ध चला जिसमे रशिया और अमरीका यह शक्तिया शामिल थी जो दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया के सबसे शक्ति शाली देश बने।

इस शीत युद्ध में रशिया ने अमरीका से शीतयुद्ध की समाप्ती की घोषणा की जिसका कारन विज्ञानं और टेक्नोलॉजी में अमरीका रशिया से काफी आगे चला गया था जिससे अमरीका की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत बन गयी थी तो दूसरी और रशिया की अर्थव्यवस्था कमजोर बन गयी थी।

समुद्री व्यापार और अमरीका की खोज / Discovery of America –

१२ वी शताब्दी से क्रूसेड के माध्यम से पश्चिमी देश और एशियाई देश इनमे काफी संघर्ष हुवा जिसे धर्म युद्ध भी कहा जाता है। इससे कई सालो तक यूरोप के व्यापारियों ने ऑटोमन साम्राज्य के रास्ते से जिसे उस समय सिल्क रोड कहा जाता था जो आज के तुर्की देश से गुजरता था वहा से जाने की कोशिश की मगर असफल रहे। उनको पूर्वी एशियाई देश जैसे की भारत और चीन में व्यापार करना था मगर वह असफल रहे।

इसी से उन्होंने समुद्री मार्ग से भारत में पहुंचने का मार्ग निकाला जिससे कोलंबस ने अमेरिका को खोजा और बाद में इतिहास हुवा। आगे यूरोपियन व्यापारियों ने समुद्री व्यापार जहाजों को काफी विकसित और आधुनिक किया जिससे उनका अंतराष्ट्रीय व्यापार काफी बढ़ा जो दुनिया के बाकि देशो ने कभी नहीं सोचा था। यह एक महत्वपूर्ण कारन हे यूरोप के सधन होने का।

यूरोप का विज्ञानं इतना विकसित कैसे हुवा / Science & Europe –

वैसे तो कई सारे संशोधन भारत और चीन में दो हजार साल पहले ही हुए थे जिसमे गणित का विज्ञानं और गन पॉउडर की खोज जो चीन में हुई थी इसको यूरोप ने अरब देशो के व्यापार के माध्यम से लिया और इसको विकसित किया।

भारत में ऐसा कहा जाता है शून्य की खोज हुई जिसमे बुद्धिस्ट साहित्य में कहा गया हे की दो हजार साल पहले अंकशास्त्र में अंको की गणना ६० शून्य तक होती थी जिसको यूरोप और अमरीका ने आज के तारीख में काफी विकसित किया है। यही कारन हे की टेक्नोलॉजी में वह दुनिया पर राज कर रहा है।

शिक्षा प्रणाली का विकास / Development of Education system –

दुनिया के सब से पुराने शिक्षा संस्थान इंग्लैंड में पाए जाते है ऑक्सफ़ोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्व स्तर के शिक्षा संस्थान यूरोप में स्थापित हुए जिससे पुरे यूरोप और अमरीका पर इसका प्रभाव पड़ा जिससे वही कल्चर निर्माण हुवा और आज के उनके विकास को सफल करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज भी एशियाई देश इस यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त करने के लिए काफी उत्साहित होते है।

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कहे या उससे पहले जितने भी संशोधन हुए जिससे पूरी दुनिया को इन संशोधन ने बदला जिसमे रेलवे , मशीन , लाइट , रेडियो , टेलीविज़न कंप्यूटर , मोबाइल ऐसी कई सारी टेक्नोलॉजी जो आज हम इस्तेमाल करते है इसका निर्माण यूरोप और अमरीका में हुवा।

आधुनिक पूंजीवादी लोकतंत्र की व्यवस्था/ Capitalist Democtratic system –

अमरीका और यूरोपीय देश टेक्नोलॉजी और विज्ञानं के दम पर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजव्यवस्था पर प्रभाव डाले हुए हम देखते है। जिसमे १९९० के बाद पूंजीवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का मॉडल लगबघ पूरी दुनिया में आज के दिन हमें देखने को मिलता है। भारत ने भी यह लोकतंत्र का मॉडल स्वीकार किया जिसके तहत भारत को अपने आर्थिक बाजार को दुनिया के लिए खुला कर दिया गया।

आज भी अमरीका के माध्यम से पश्चिमी देश पूरी दुनिया पर अपना प्रभाव रखे हुए है। इसमें दूसरे देशो ने सिख लेनी चाहिए थी मगर वह नहीं है। चीन की बात करे तो अगले दस सालो में वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगी । उन्होंने १९७० से रणनीति बनाकर काम किया और आज वह अमरीका जैसे देश से आर्थिक और राजनितिक स्तर पर स्पर्धा कर रहे है।

चीन उनकी अर्थयवस्था को सफल बनाया बगैर कैपिटलिस्ट लोकतंत्र के मॉडल का इस्तेमाल किये हुए। जिसे सारी दुनिया विकास का बेहतरीन मॉडल मानती है। इसलिए यह अमरीका के महाशक्ति बने रहने के लिए एक समस्या बन गया है।

भारत की रणनिती क्या होनी चाहिए / India’s strategy –

पिछले चारसो सालो से यूरोप और अमरीका जैसे देशो ने दुनिया के दूसरे देशो की संपत्ति का रणनीति के तहत खुद के लिए फायदा करके लिए। वसाहतवाद में चीन ने यूरोप के साथ कई लड़ाई हारी मगर उनके सामने घुटने नहीं टेके।

रशिया और अमरीका के शीत युद्ध में चीन ने खुद को अलग रखा और अमरीका का इस्तेमाल करके खुद की अर्थव्यवस्था को पहले मजबूत किया। पश्चिमी शिक्षा प्रणाली को जानने के लिए एक रणनीति बनाई जिसका नतीजा यूरोप और अमरीका में पढ़े चीनी बुद्धिजीवी का इस्तेमाल देश के विकास के लिए किया।

हमारे देश के बुद्धिजीवी अमरीका और कई सारी विदेशी की कंपनी के प्रमुख पदों पर बैठकर अपने देश का नुकसान कर रहे है यह हमें बदलना होगा। हमारे बुद्धिजीवी देश के विकास के लिए काम करे यह देखना होगा ।अंतर्गत वर्चस्व की राजनीति को भूलकर देश को मजबूत करने के लिए काम करना होगा।

इसका पहला सबसे महत्वपूर्ण परिणाम होगा वह रिसर्च और डेवलपमेंट में विकास होगा। जिससे विज्ञानं और टेक्नोलॉजी हम खुद बनाएगे जिससे हमें पश्चिमी देशपर निर्भर रहने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने देखा की यूरोप इतना समृद्ध कैसे हुवा और उनके विज्ञानं और टेक्नोलॉजी में विकास कैसे हुवा। गैलिलिओ और कोपरनिकस जैसे वैज्ञानिक ने यूरोप में सोचने का तरीका बदल दिया जिससे यूरोप के धर्मशास्त को खुद को बदलना पड़ा यह यूरोप और अमरीका के विकसित होने का बहुत बड़ा कारन रहा है।

डार्विन जैसे बुद्धिजीवी ने मनुष्य के विज्ञानं के लिए खुद के चालीस साल संशोधन किया और अपना संशोधन धर्म के डर से कई दिनों तक छुपा के रखा मगर जिस दिन संशोधन दुनिया के सामने आया लोगो के सोचने का तरीका ही उनके डर्विनिस्म विचारधारा ने बदल दिया।

दुनिया के बाकि देश खुद को बदलने में कामयाब नहीं रहे और कल्चर को पकड़े रहे जिससे जो विकास होना चाहिए था वह नहीं हुवा और यूरोप के देशो ने इसका फायदा उठाया और आज जो हम देखते है की विज्ञानं और टेक्नोलॉजी पर हम पश्चिमी देशो पर निर्भर है।

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की शिक्षा व्यवस्था

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