प्रस्तावना / Introduction –

१९९५-२००० के बिच में हमारे यहाँ कम्युनिकेशन के साधन PCO बूथ होते थे या तो बहुत कम लोगो के पास घर में टेलीफोन होते थे। कम्पनिया ऑफिसेस में एम्प्लॉयीज के लिए पेजर का इस्तेमाल करने लगी थी जो पहले केवल टेलीफोन नंबर्स दिखते थे तब हमें समझना पड़ता था की हमें ऑफिस में फ़ोन करना है। पेजर में उसके बाद मैसेज वाले पेजर आये जो उस समय बड़े कुतूहल का विषय होते थे वह उस समय आठ दस हजार रुपये को मिलते थे।

यह युग था केबल टीवी या उससे पहले का वीडियो कैसेट का रेंटल वीसीआर लाके कई सारी फिल्मे देखी जाती थी। यही समय था जब विदेशो में मोबाइल धूम मचा रहा था मगर आज की तरह इंटरनेट या स्मार्ट फ़ोन जैसी सुविधा न होने के कारन इस दौर में कोई भी चीज पश्चिमी देशो में आती थी उसे भारत के मार्किट में आने के लिए पांच दस साल लगते थे।

यहाँ हम लक्ज़री ब्रांड की तरह आये कॉलिंग मोबाइल फ़ोन से लेकर आज के स्मार्टफोन तक का सफर देखेंगे जिसने , कैमरा को खाया , हमारी घडी को खाया , पोस्ट ऑफिस को खाया , टेलीविज़न को खाया , रेडियो को खाया , बैंक सर्विसेज को खाया इस तरह से कई अनगीनत चीजे हे इसका उपयोग हम स्मार्ट फ़ोन द्वारा इस्तेमाल करने लगे और यह हमारे जीवन का एक अविभाज्य भाग बन गया।

हमारे घर में हर व्यक्ती को खुद के स्मार्ट फ़ोन की जरुरत पड़ने लगी , हद तो तब हो गयी की हमें बच्चो को उनका खुदका स्मार्टफोन खरीद कर देना पड़ा जब कोविड परिस्थिती में पूरा देश बंद था और स्कूल भी बंद थे तब ऑनलाइन शिक्षा के लिए हमें कंप्यूटर से सस्ता साधन स्मार्ट फ़ोन ही लगा जिससे बच्चो का ऑनलाइन क्लास शुरू हुवा। ऐसी कई सारी बातो को हम विस्तार से जानेगे की इस मोबाइल ने कैसे दुनिया को और आदमी को बदल डाला।

मोबाइल का रोचक इतिहास / History of Mobile phone –

९० के दशक में एक अंग्रेजी टीवी सीरियल आती थी स्टारट्रेक जिसमे मोबाइल जैसी वस्तु से उसके पात्र बाते किया करते थे जो आधुनिक मोबाइल जैसा दिखता था भारत में तब मोबाइल युग की शुरुवात नहीं हुई थी यूरोप और अमरीका में इसका दौर शुरू हुवा था मगर इंटरनेट जैसी सुविधा उस वक्त नहीं आयी थी इसलिए कोई भी टेक्नोलॉजी भारत में पहुंचने के लिए उस समय पांच या दस साल लग जाते थे।

१९९० के भारत सरकार खुली आर्थिक नीती के तहत बाहरी कंपनियों को भारत के मार्किट में प्रवेश करने के लिए दरवाजे खोल दिए। मोटररोलर और नोकिया जैसी कम्पनिया शुरुवाती दिनों में काफी सफल रही भारत की मार्किट की बात करे तो शुरुवाती दौर में नोकिया ने धूम मचा दी। फिर भी इंटरनेट का यह दौर नहीं था यह मोबाइल केवल कॉलिंग और मैसेज करने के लिए होते थे।

अमरीका में १९०८ में पहली बार मोबाइल का पेटेंट रजिस्टर किया गया जिसे उस समय वायरलेस टेलीफोन कहा गया था। शुरुवाती दौर में जो मोबाइल था उसे हम मोबाइल नहीं कह सकते वह एक ट्रान्समिशन रेडियो था जो दो स्थानो को कम्युनिकेशन के लिए जोड़ता था। ३ मार्च १९७३ को मोटररोलर कंपनी ने पहली बार असलियत में वायरलेस मोबाइल बनाया जो आज के हैंडसेट से काफी भारी था।

उस समय वह खाली अमीरो के लिए एक लक्सुरियस वस्तु थी जिसे केवल कार में इस्तेमाल कर सकते थे बाद उसमे समय समय पर बदलाव किये गए।

गूगल की एनरोइड और एप्पल के IOS ऑपरेटिंग सिस्टम की क्रांती –

जबतक मोबाइल फ़ोन कॉलिंग और मैसेज भेजने के लिए इस्तेमाल होता था तबतक नोकिया कंपनी के लिए सब कुछ अच्छा चल रहा था खास कर भारत की बात करे तो लगबघ ७० % मार्किट नोकिया ने अपने पास रखा था। अच्छा बॅटरी बैकअप , मजबूत हैंडसेट , और नो मेंटेनन्स यह उनके मोबाइल की खासियत थी भारत में सक्सेस होने की।

एनरोइड मोबाइल यह इस सारी बातो को बदलने के लिए मार्किट में आया था जिसके फाउंडर कंप्यूटर इंजीनियर थे और आज के आधुनिक स्मार्टफोन की नीव रखने जा रहे थे। माइक्रोसॉफ्ट उस समय कंप्यूटर क्षेत्र में प्रस्थापित ब्रांड था और वह मोबाइल क्षेत्र में अपने पाव जमाना चाहता था। नोकिया की उस समय की स्पर्धक कंपनियों ने यह बदलाव भाप लिया था और एनरोइड सिस्टम को अपने मोबाइल को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।

शुरुवाती दिनों में यह आप्लिकेशन गूगल ने फ्री रखा था इसलिए बहुत सारी कम्पनिया इसमें बहुत तेजीसे खुद बदलने लगी मगर नोकिया इतनी बड़ी कंपनी बन चुकी थी की वह भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी इसलिए वह माइक्रोसॉफ्ट के पास गयी जो ऑपरेटिंग सिस्टम नोकिया के लिए बनाये मगर इधर गूगल और एप्पल की ऑपरेटिंग सिस्टम ने दुनिया को एकदम बदल डाला था और नोकिया की सेल धीरे धीरे गिर रही थी।

एप्पल ने अपना एक अलग ग्राहक वर्ग बनाकर रखा था जो लक्ज़री ब्रान्ड इस्तेमाल करता था दूसरी तरफ मार्किट की सारी कम्पनिया एनरोइड सिस्टम में खुद को बदल दिया।

मोबाइल फ़ोन के समय के साथ हुए बदलाव / Evolution in Mobile Phones –

कंप्यूटर की क्रांती , इंटरनेट की क्रांती , और स्मार्ट फ़ोन की क्रांती यह टेक्नोलॉजी दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटनाए थी जिसने इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी को मिलाके दुनिया को अलग मक़ाम पर लाकर खड़ा कर दिया जिसमे बहुत सारी सुविधाए आपको एक ही वस्तु में मिलने लगी।

भारत के मार्किट की सबसे इंटरेस्टिंग बात यह थी की पश्चिमी देशो में जो ग्राहक पहले कंप्यूटर इस्तेमाल करता था वह मोबाइल इस्तेमाल करने लगा।मगर भारत में जिसको कंप्यूटर के बारे में कुछ भी पता नहीं हे उसके हाथ में सीधा स्मार्टफोन आ गया। भारत का मार्किट इतना बड़ा हे की कोई भी मोबाइल कंपनी को दूसरे पचास देशो में मोबाइल बेचने के लिए जो सिस्टम बनाना पड़ता हे वह खर्चा भारत में केवल एक मार्किट से उतना सेल मिल जाता हे।

इसलिए बहुत सारी कम्पनिया भारत पर लक्ष केंद्रित करती है। मोबाइल फ़ोन में कलर डिस्प्ले , कैमरा फ़ोन , डबल सिम कार्ड फैसिलिटी , बैटरी जैसे कई फीचर के साथ मोबाइल में चैंजेस होते गए और उसे स्मार्टफोन का नाम रखना शुरू हुवा जिसका मतलब कई सारी वस्तुए एक ही वस्तु में उपलब्ध हो जाती है।

२०१६ का भारत का मॉनीटाइज़ेशन / Monetization in India –

भारत सरकार ने पुराने पांचसो और हजार के नोट रद्द कर दिए और नए पांचसो और दो हजार के नोट मार्किट में लाये आपको लगता होगा की इसका मोबाइल जगत से क्या कन्नेक्टशन था। यह एक सरकार का डिजिटल करेंसी की तरफ शिफ्ट होने की पहली पहल थी जिसने मार्किट में एक सिग्नल दिया की आनेवाले समय में पूरी अर्थव्यवस्था को रिवाइज्ड करके इंटरनेट पर लाया जाये।

भारत इसके लिए कितना तैयार था यह तो वक्त ही बताएगा मगर ऑनलाइन पैसो के व्यवहार उसके बाद मोबाइल फ़ोन से होने लगे और गूगल पे , PAYTM , जैसी कम्पनिया मार्किट में मोबाइल ऍप के माध्यम से मार्किट में उतर गयी। ऑनलाइन शॉपिंग हो , सर्विसेज हो , या ऑनलाइन एजुकेशन हो इसके लिए बहुत सारे एप मार्किट में आने लगे।

इससे मोबाइल बैंकिंग यह प्रोडक्ट बहुत ही तेजी से २०१६ से उभरकर आया। ऑनलाइन बैंकिंग इससे पहले थी मगर इसका इस्तेमाल बहुत कम स्तर पर होता था जो २०१६ के बाद ज्यादातर व्यवहार बैंको के माध्यम से और उसमे भी मोबाइल बैंकिंग एप्लीकेशन के माध्यम से होने लगे।

ऑनलाइन एजुकेशन और मोबाइल / Online Education & Mobile Phone –

२०१९ के पेन्डामिक में पूरी दुनिया बंद थी और स्कूल भी बंद है इसकी वजह से ऑनलाइन एजुकेशन की संख्या बढ़ी और हमें बच्चो के लिए स्मार्ट फ़ोन खरीद ने पड़े जिसके घर में कंप्यूटर या लैपटॉप थे उनको कोई समस्या नहीं थी मगर जिसके घर में यह कुछ भी नहीं था उसको मोबाइल खरीदना एक अच्छा ऑप्शन था और दो बच्चे हे तो कम से कम एक और नया एनरोइड मोबाइल इस समय में हर एक परिवार को खरीदना पड़ा।

बहुत सारे एजुकेशन ऍप मोबाइल में आ चुके हे इसमें भी गेमिंग के बहुत सारे एप्लीकेशन मार्किट में तहलका मचा रहे है। इसलिए ऑनलाइन एजुकेशन यह शिक्षा का भविष्य का माध्यम बन चूका हे जो पेन्डामिक समय में हम को देखने को मिला।

जिओ का मोबाइल के लिए 4G इंटरनेट रेवोलुशन / 4G Revolution in India –

५ सप्टेंबर २०१६ को जिओ ने अपना फ्री इंटरनेट पैक से मार्किट में मोबाइल के सर्विसेज प्रोवाइडर के रूप में प्रवेश किया जिसने 4G इंटरनेट सर्विसेज भारत की मार्किट में उतरी इससे पहले भारत की मार्किट में मोबाइल इस्तेमाल करना यह केवल कालिंग और मैसेजेस के लिए ज्यादा लोग इस्तेमाल करते थे और इंटरनेट के प्रोडक्ट्स इससे पहले बहुत महंगे होते थे और उसका स्पीड भी कुछ खास नहीं था।

जिओ आने के बाद मोबाइल इंटरनेट सर्विसेज भारत के घर घर में पहुंची और सही मायने में आज का जो स्मार्टफोन हम देख रहे हे यह २०१६ से दौर शुरू हुवा। इससे पहले केबल इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर के जरिये हम दुनिया से जुड़े हुए थे। २०१६ के बाद यह दौर बदला और युटुब जैसे माध्यम ने टीवी और थिएटर सेक्टर को झटका दिया और उनको इंटरनेट प्लेटफार्म पर आने को मजबूर किया। जिओ ने अपने 5G प्लान से मार्किट के बड़े बड़े सर्विस प्रोवाइडर ख़त्म किये और जो बाकि रहे उसको साथ मिलके जिओ से मुकाबला करना पड़ा।

भारत की मोबाइल कम्पनिया / India’s Mobile phone companies –

मायक्रॉमॅक्स, लावा, कार्बन या LYF जैसी भारतीय कम्पनिया मोबाइल मार्किट में हे मगर भारत के टॉप बेस्ट सेल्लिंग ब्रांड में चीन के चार कम्पनिया भारत में अपने ब्रांड सक्सेस्स्फुली बेच रही हे इसका कारन भारत की जो कम्पनिया यह मोबाइल बनाती हे इसमें ज्यादातर कंपनी खुदका उत्पादन सेटअप नहीं हे और वह सारा मटेरियल चीन जैसे देश से लाती हे और अपना नाम देकर बेचती हे।

चीन की मोबाइल कम्पनिया यह खुदका उत्पादन सेटअप और टेक्नोलॉजी होने की वजह से एफ्फोर्डबल कीमत पर अपने मोबाइल भारत के मार्किट में बेचने में सफल हुई और उसकी सर्विस भी अच्छी हे और अपडेट हमेशा आते रहते है। भारत की कम्पनिया पीछे रहने का कारन रिसर्च और डेवलपमेंट का खुद का ऐसा कोई सेटअप नहीं होने के कारन वह चीन के मोबाइल कंपनी से मुकाबला नहीं कर पाती।

चीन का शाओमी यह प्रोडक्ट ३०% मार्किट शेयर के साथ सबसे बड़ा मोबाइल ब्रांड बनके उभरा हे उसके बाद ओप्पो , वीवो , रेडमी जैसे ब्रांड भारत के मोबाइल मार्किट पर प्रभुत्व बनाये रखे है। कम कीमत , अच्छी क्वालिटी , टेक्नोलॉजी यह सब फीचर एक मोबाइल में देना दूसरे कंपनी को बहुत मुश्किल काम हे इसलिए टॉप पांच कंपनी में केवल सैमसंग यह साउथ कोरिया की कंपनी चीन से स्पर्था कर रही है।

कंप्यूटर और मोबाइल / Computer & Mobile Phone –

स्मार्टफोन और कंप्यूटर में बस कुछ थोड़ा अंतर बचा हुवा हे जो मोबाइल पर वह चीजे आप नहीं कर सकते, इसका कारन हे मोबाइल और कंप्यूटर का स्क्रीन और कुछ और फैसिलिटीज जो मोबाइल पर आपको नहीं मिलती। फिर भी आज हम देखते हे जीतनी हलचल कंप्यूटर आने से समाज में नहीं हुई थी उससे कई गुना हलचल मोबाइल फ़ोन आने से हुई।

जीतनी फैसिलिटीज आपको मोबाइल फ़ोन में मिलती हे उतनी कंप्यूटर या लैपटॉप पे आप को नहीं मिलती। स्मार्टफोन आप कही भी इस्तेमाल कर सकते हे यह सुविधा कंप्यूटर को नहीं मिलती उसका पूरा सेटअप होता हे जो घर में या ऑफिस में फिक्स होता है।

लैपटॉप को आप कही भी ले जा सकते हे मगर पोर्टेब्लिटी के मामले में मोबाइल एक बेहतर ऑप्शन है। कीमत के मामले में मोबाइल लैपटॉप और कंप्यूटर से काफी सस्ता होता हे इसलिए कंप्यूटर और लॅपटॉप इस्तेमाल करनेवाले लोग भारत में बहुत कम मिलेंगे मगर मोबाइल इस्तेमाल करने वाले कई करोड़ लोग भारत में मिलेंगे।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने मोबाइल फ़ोन में समय के साथ कैसे बदलाव हुए यह हमने देखा इससे समाज पर इसका कैसा प्रभाव रहा यह भी हमने देखा। आज हम यह कह सकते हे की मोबाइल ने हमारे जिंदगी में एक महत्वपूर्ण जगह प्राप्त कर ली हे और सुबह उठने के बाद से लेकर श्याम को सोने से पहले हम मोबाइल देखे बगैर हमारा काम नहीं होता।

ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से मनोवैज्ञानिक इसे मानसिक बीमारी कहते हे मगर फिर भी मोबाइल हमारे लिए हर किसी समस्या का जवाब देने वाला एक स्मार्ट फ़ोन बन गया है। यह आर्टिकल मुझसे पहले बहुत सारे मिलेंगे मगर कुछ अलग और साधारण भाषा में टेक्नोलॉजी में कैसे बदलाव होते गए यह हमने देखा। टेक्नोलॉजी में पश्चिमी देशो ने शुरुवाती दौर में हमने वर्चस्व देखा मगर आज के दौर में चीन ने इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी में लाखो चने चबा दिए हे ऐसा दिख रहा है।

इसलिए मैंने मेरे पिछले आर्टिकल में चीन के अर्थव्यवस्था के बारे में विस्तार से लिखा है। एक रणनीति के तहत पश्चिमी टेक्नोलॉजी को चीन ने आत्मसात किया और आज दुनिया पर अपना प्रभाव छोड़ रहा है। आज का हमारा टॉपिक मोबाइल और उसका विकास इसमें हमने विस्तार से कैसे बदलाव होते गए यह देखा और भारत में यह बदलाव कैसे हुए यह भी देखा। आशा करता हु की कुछ अलग तरीके से हर टॉपिक को लिखने की कोशिश में करता हु जो सभी प्रकार के वाचक को समझमे आये।

5G टेक्नोलॉजी क्या है ?

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