मैडिटेशन विज्ञानं से ज्यादा कला हे एकाग्र करने के लिए प्रशिक्षित करते है, जिसे मन कहते हे वास्तव में मस्तिष्क का हिस्सा है।

प्रस्तावना –

मैडिटेशन करने के फायदे जानिए, ध्यान के लिए अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना, जिसमे मुश्किल समय में वह अपनी क्षमता से निर्णय नहीं ले सकते ।आधुनिक इंसान पिछले पचास हजार सालो से हम देखते हे जो जानवर से इंसान बना और चार पैरो से दो पैरो पर चलने लगा। इसके साथ इंसान को कुछ फायदे भी हुए और कुछ नुकसान भी हुए जिसमे तनाव, डिप्रेशन और आत्महत्या जैसे घटनाए हम इंसानो में देखते है। इंसान ने समाज बनाया जिसमे वह सामाजिक मान्यता मिलने के लिए जीवनभर संघर्ष करता रहता है। मनोवैज्ञानिक सेग्मेंड फ्राइड कहते हे की सामाजिक मान्यता को मानाने को ईगो कहा जाता है और इस मान्यताओं को नहीं मनाता इसे सुपर ईगो कहा जाता है। आज का पूरा मनोविज्ञान सेग्मेंड फ्राइड के सिद्धांतो पर खड़ा है।

पश्चिमी देशो में पिछले ४० सालो से मैडिटेशन काफी प्रसिद्द हुवा है इसका दूसरा कारन हे की इस समाज में तनाव हे रिश्ते बिगड़े हुए है, प्रोफेशनल जीवन अस्थिर है। इसलिए जंगलो में रहने वाले इंसान को हर समय मरने का भय लगा रहता था परन्तु वह आज के इंसान की तरह तनाव में नहीं रहता था और वह कभी आत्महत्या नहीं करता था। मैडिटेशन यह एक प्रशिक्षण हे जो हमारे मस्तिष्क को स्थिर रहने के लिए तैयार करता है, जिससे इंसान के महत्वपूर्ण पड़ाव पर लिए जाने वाले निर्णय वह सही तरीके से ले सके। जो मस्तिष्क तनाव में रहता हे वह कभी कार्यक्षमता से निर्णय नहीं सकता।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम मैडिटेशन यह वास्तविकता के क्या है यह जानने की कोशिश करेंगे तथा मैडिटेशन में प्रशिक्षित होने पर हमारे शरीर को इसके क्या फायदे होते हे यह जानने की कोशिश करेंगे। मैडिटेशन का अंतिम उद्देश्य यह बुद्धि को तेज और कार्यक्षम बनाना होता है। टेक्नोलॉजी के इस युग में बस एक गूगल सर्च पर हमें जो जानकारी चाहिए वह हमें मिल जाती हे। इसका मतलब हे की हमारी किसी चीज को हासिल करने की संयम यह कम हुवा है, अगर हमें कोई चीज जल्दी नहीं मिली तो हम अस्वस्थ होते है। इसलिए आमिर लोग ज्यादा आमिर होते हे क्यूंकि उनके पास ज्यादा संयम होता है।

मैडिटेशन का अर्थ क्या होता है ?  –

मैडिटेशन यह अंग्रेजी शब्द हे जिसका मतलब होता है एकाग्रता, यह एक प्रशिक्षण होता हे जिसके माध्यम से हम हमारे दिखा के सभी विचारो को बाहर करके वर्त्तमान पर ध्यान करे। भारत में तथा एशिया अन्य देशो में इसे जेन बुद्धिजम कहते हे जो ध्यान का अपभ्रंश है जिसे बुद्धिजम में हमने २५०० साल पहले देखा है। अमेरिका और पश्चिमी देश यह फ़ास्ट फ़ूड के लिए ज्यादा विश्वास रखते थे जिसमे अलोपथी से लेकर औद्योगीकरण तक सभी चीजों में उन्होंने सभी नजरिये से विकास का अवलोकन नहीं किया जिसका नतीजा है की आज लोगो का संयम ख़त्म होने लगा है।

जिससे इंसान को कई तरह के तनाव का सामना करना पड़ता हे जिसमे पारिवारिक समस्याए तथा प्रोफेशनल समस्याए बढ़ने लगी और यह समाज मैडिटेशन की तरफ आकर्षित होने लगा। इंसान ने कभी कुदरत के नियमो का सम्मान नहीं किया और उसे चैलेंज करते रहा है जिसका नतीजा हे की वह सब कुछ हासिल करके भी खुश नहीं रह पाया है। इसलिए यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशो में मैडिटेशन यह शब्द ज्यादा प्रचलित हुवा है। टेक्नोलॉजी के मामलों में तथा अंग्रेजी भाषा यह एक अंतरराष्ट्रीय भाषा होने के कारन मूल “ध्यान” शब्द को ज्यादा मान्यता मिलने की बजाय मैडिटेशन को हम ज्यादा सुनते है।

भारत में हम जब ध्यान शब्द का इस्तेमाल करते हे तो यह किसी आध्यात्मिक प्रक्रिया होने का अहसास मिलता है। वही मैडिटेशन यह ज्यादा प्रोफेशनल शब्द लगता हे क्यूंकि यह आज जग मान्य हुवा है। इसलिए भारत में हमें मैडिटेशन अलग तरह से पेश किया जाता है, वही बुद्धिस्ट देशो में यह अलग तरह से पेश किया जाता है। अमेरिका और यूरोप में यह मिश्रित रूप से देखने को मिलता हे इसलिए इसका सही उद्देश्य जानने के लिए हमें मैडिटेशन को सही अर्थ में जानना होगा।

मैडिटेशन क्या है ?  –

  • समथा (निबंना) मैडिटेशन ( माइंड को शांत करना जिससे विचार में स्पष्टता आती है )
  • विपश्यना मैडिटेशन (शरीर के आतंरिक भाग को विचारो से समझा जाता है)

मैडिटेशन यह विज्ञानं से ज्यादा एक कला हे जिसके माध्यम से हम हमारे बुद्धि को एकाग्र करने के लिए प्रशिक्षित करते है, जिसमे हम जिसे मन कहते हे वास्तव में मस्तिष्क का हिस्सा होता है। दुनिया में सबसे तेज अगर कोई पहुँचता हे तो वह हे हमारा मन जो क्षण में भूतकाल में पहुँचता हे और क्षण में भविष्यकाल को खोजता है। टेक्नोलॉजी के इस युग में हमें कोई भी जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध होती है, इंटरनेट का स्पीड काफी अच्छा हे जिससे हमें जो सुविधाए मिल रही हे यह हमारा संयम ख़त्म कर रहे है। जिसके लिए मैडिटेशन का महत्त्व आज के युग में ज्यादा देखने को मिलता है।

मैडिटेशन यह एक ध्यान की प्रक्रिया हे जो हम कही भी कर सकते हे, इसके लिए किसी खास जगह की जरुरत नहीं है, बस हमें हमारे ध्यान को केंद्रित करने का प्रशिक्षण देना है। शरीर को सुदृढ़ बनाने के लिए व्यायाम की जरुरत होती हे वैसे ही हमारे मस्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षण की जरुरत होती है। इसके लिए वानर का उदहारण दिया जाता हे जिसमे वह शांति से कभी नहीं बैठता और इधर उधर कूदता रहता है, इसे अस्थिर मन की अवस्था कहा जाता है। इंसान के मन की भी यही अवस्था होती हे पढाई में विद्यार्थी ध्यान नहीं कर पाते, काम में ध्यान नहीं कर पाते तथा सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते और तनाव का शिकार बन जाते है।

मैडिटेशन में यह प्रशिक्षण हम हमारे मस्तिष्क को देते हे की वह स्थिर बन सके इसके लिए जो प्रशिक्षण हे वह किसी एक दिन में नहीं हो सकता है। इसके लिए हमें समय देना पड़ता है जिसमे हमारे मन को शांत करने का प्रशिक्षण देना होता हे वही नकारात्मक विचारो के प्रभाव को कम करने के लिए इसका महत्त्व कम करना होता है जिसे सकारात्मक चीजों से भरना होता है। जितना हम किसी विचार को हमारे मन से बाहर फेकनी का प्रयास करेंगे उतना वह विचार हमारे मस्तिष्क में जम के बैठ जाता है, इसलिए मैडिटेशन में सभी विचारो को स्वीकार करके शांति से बैठने की कोशिश करे।

मैडिटेशन इंसान के लिए क्यों जरुरी है ?  –

हमारे शरीर के पोषण के लिए सही आहार जरुरी होता है वैसे ही सही व्यायाम जरुरी होता है, आज की जीवन शैली को देखकर यह हमें करना पड़ता है। माइंड को भी योग्य आहार तथा प्रशिक्षण की जरुरत होती हे जो काफी लोगो को यह वास्तव पता नहीं होता है। मेटशन को लोग ज्यादातर किसी तनाव का शिकार होते हे तभी अपनाते हे परन्तु मेटशन यह हमारे जीवन का अविभाज्य घटक होना चाहिए और यह हमारे स्कूल से सिखाया जाना चाहिए। हमारी शिक्षा व्यवस्था हमें अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए कैसे डिग्री हासिल करनी हे यह प्रशिक्षण देती हे परन्तु जीवन में संघर्ष कैसे करना चाहिए इसका प्रशिक्षण हमें खुद अनुभव से प्राप्त करना पड़ता है।

ज्यादातर लोग समाज में अपने माइंड को प्रशिक्षित करने के लिए कोई प्रयास नहीं करते हे इसलिए जीवन भर तनाव में थोड़ा वक्त मनोरंजन का सहारा लेते हे परन्तु यह आपके समस्याओ को ख़त्म नहीं कर सकता। सही मायने में हमारी समस्याए हमारे गलत निर्णयों की वजह से निर्माण होती है जो हमारे मस्तिष्क के प्रशिक्षित न होने के कारन निर्माण होती है। सही और गलत में क्या अंतर हे यह हमें पता नहीं होता और हम किसी प्रभावशाली व्यक्ति के व्यवहार का अनुकरण करके अपने जीवन को दिशा देने की कोशिश करते है जो कितनी सही हे यह हमें आकलन नहीं होता।

इसलिए हमारे मस्तिष्क में जितने भी विचार हमें निरंतर तनाव हे उनमे से ९० % विचार यह केवल तनाव देने का कार्य करते हे परन्तु वास्तविकता में वह नहीं होते। इसका मतलब हे की हम कुछ हदतक अज्ञान और भ्रम में कुछ चीजों की चिंता करते है। इसलिए निराशा , तनाव ,भय जैसी चीजे हमारे स्वाभाव का हिस्सा बन जाती है। इसलिए हमें मैडिटेशन की जरुरत हे जिससे हम हमारे मस्तिष्क को स्थिर करके उसकी निर्णय क्षमता को कार्यक्षम बना सकते है। एकाग्रता बढ़ने से हमारी निर्णय क्षमता सही निर्णय लेने लगती हे और हम तनाव से बाहर निकलते है।

मैडिटेशन के फायदे क्या है  –

  • अपने चित्त को स्थिर करने के लिए मैडिटेशन यह काफी प्रभावशाली होता हे जिसको प्रशिक्षित करने के लिए समय देना होता है।
  • मैडिटेशन करने के लिए कोई भी समय और कोई भी स्थान स्थाई होना जरुरी नहीं हे इसे ट्रैफिक सिग्नल के बिच में भी कर सकते है।
  • अपने चित्त को भविष्य और भूतकाल से बाहर निकलकर वर्तमान में रहने के लिए यह प्रशिक्षण उपयोगी होता है।
  • तनाव और भय को दूर करने के लिए मैडिटेशन करना यह सबसे प्रमुख कारन रहा है।
  • अपने भावनाओ को नियंत्रित करने का हुनर मैडिटेशन के विकसित कर सकते है।
  • नकारात्मक विचारो का प्रभाव अगर हमारे माइंड पर हे तो इसको मैडिटेशन के माध्यम से सकारात्मक किया जा सकता है।
  • मैडिटेशन से अपने निर्णय क्षमता को विकसित किया जाता है और सही और गलत का विश्लेषण करने का स्किल विकसित किया जा सकता है।
  • निद्रानाश तथा स्मृतिभ्रंश जैसी बीमारियों पर इससे काफी प्रभाव देखने को मिलता है और यह बीमारिया ख़त्म हो सकती हे।
  • मेडिकल विज्ञानं भी शारीरिक बीमारियों के लिए मैडिटेशन का महत्त्व समझ चुके हे और दीपक चोपड़ा जैसे डॉक्टर दुनिया भर में अलोपथी के साथ मैडिटेशन का इस्तेमाल अपने चिकिस्ता में कर रहे है।
  • हार्ट की समस्या तथा खून का प्रवाह (blood pressure) और समस्याए मैडिटेशन से ख़त्म की जा सकती है।
  • संयम विकसित होने के लिए मैडिटेशन जरुरी होता हे जिससे रिश्ते और सामाजिक व्यवहार सुधारने में काफी सहायता मिलती है।
  • मैडिटेशन से कैंसर जैसी दुर्धर बीमारियों का प्रभाव कम किया जा सकता है यह विज्ञानं से चिकिस्ता के माध्यम से सिद्ध करके दिखाया है।

मैडिटेशन की विशेषताए –

  • मैडिटेशन यह भारत की २५०० हजार साल पहले विकसित की हुई पद्धती हे जिससे हम मनोवैज्ञानिक विकार दूर सक सकते है।
  • मैडिटेशन का पाली भाषा में अर्थ होता हे ध्यान करना और साधारण हिंदी भाषा में कहे तो हम कहते हे ध्यान रखना (take care) इसका दूसरा मतलब होता हे अपने चित्त का ध्यान रखना।
  • इंसान के जीवन में सुख और दुःख दोनों होते है जो स्थाई नहीं होते परन्तु दुःख को हम दूर करना चाहते है इसके लिए मैडिटेशन करना चाहते है।
  • मैडिटेशन कोई धार्मिक चीज नहीं हे बल्कि वह मानसिक उपाय हे अपने चित्त को सही निर्णय लेने के लिए तैयार करना, जैसे हम हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करते है।
  • सामाजिक मान्यता यह हमारे तनाव का सबसे बड़ा कारन होता हे जिसके लिए हम निरंतर लड़ते रहते है और जीवन में कुछ हासिल करना चाहते हे मगर असफलता और रिश्ते आपको दुखी करते हे इसलिए मैडिटेशन आपको निर्णय प्रक्रिया में विकसित करता है।
  • मैडिटेशन यह एक कला हे न की विज्ञानं जिससे हम हमारे निर्णय क्षमता को विकसित कर सकते हे और वास्तविकता को सही से जान सकते है।
  • मेडिकल विज्ञानं में माइंड और बॉडी का इलाज अलग अलग किया जाता है परन्तु धीरे धीरे यह एक दूसरे से सलग्न हे यह इसको समझमे आने लगा हे और इसी आधारपर चिकिस्ता के बदलाव हमें देखने को मिल रहे है।
  • इंसान का मस्तिष्क सूर्य के प्रकाश से भी तेज हे जो क्षण में भविष्यकाल में होता हे तो दूसरे क्षण में भूतकाल में होता है, इसलिए इसे स्थिर करना मतलब मैडिटेशन होता है।
  • जंगलो के हमारे पूर्वजो को हमेशा मरने का भय होता था परन्तु आज का आधुनिक इंसान सुरक्षित जीवन जीते हुए भी तनाव में जीता हे और आत्महत्या करता है।
  • ईसाई धर्म में एक वाक्य हे जिसे समझना काफी जरुरी है ” भगवान इस व्यक्ति को माफ़ करना इसे पता नहीं है यह क्या कर रहा है ” इसका मतलब होता हे की जब इंसान की चेतना सही और गलत का सही से आकलन नहीं कर पाती उस इंसान को मेडिएशन की जरुरत होती है।

मैडिटेशन प्रणाली का आलोचनात्मक विश्लेषण-

  • मैडिटेशन का अर्थ होता है ध्यान लगाना जो मन को स्थिर करने का एक प्रशिक्षण होता है परन्तु इसको आध्यात्मिक तरीके से और धार्मिक तरीके से ज्यादा प्रसारित किया जाता है।
  • बुद्धिजम में खासकर इसे एक बुद्धि को प्रशिक्षित करने का तकनीक कहा जाता हे जिसका अंतिम उद्देश्य बुद्धिमत्ता /ज्ञान को सही तरीके से समझना होता है, मगर इसका पश्चिमी देशो में गलत तरीके से व्यापार किया जाता है।
  • मैडिटेशन हम किसी भी जगह कर सकते है इसके लिए खास कोई आध्यात्मिक होने की जरुरत नहीं होती , इसे पढ़ने की किताबे आदत से भी विकसित किया जा सकता है।
  • मैडिटेशन में मन का मतलब होता हे हमारा अवचेतन मन जिसको मैडिटेशन के माध्यम से प्रशिक्षित किया जाता है, इसका बाकि काल्पनिक चीजों से कोई सम्बन्ध नहीं होता।
    मैडिटेशन यह भारत में विकसित की गयी तकनीक हे जिसे पश्चिमी देशो में काफी प्रसिद्धि पिछले कुछ दिनों से मिल रही है मगर इसके सफल होने के लिए क्या चीजे जरुरी हे यह ज्यादा ताल लोग गलत बताते है।
  • दुर्धर बीमारियों में मैडिटेशन की चिकिस्ता का इस्तेमाल करना प्रभाव हिन् होता हे क्यूंकि मैडिटेशन को रिजल्ट देने के लिए समय देना पड़ता है।
  • मैडिटेशन सेंटर यह केवल एलिट वर्ग के लिए बनाए हुए देखने को मिलते हे और साधारण लोगो को इसका लाभ मिलने के लिए इतना पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं होती है।
  • मैडिटेशन यह पद्धति बुद्धिजीवी वर्ग के लिए काफी महत्वपूर्ण लगती है, साधारण लोगो को इसका महत्त्व नहीं समझमे आता और कोई समझाने का प्रयास भी नहीं करता है।
    मेडिकल क्षेत्र का प्रभाव समाज पर इतना ज्यादा हे की मैडिटेशन की मार्केटिंग करने में लोग असफल होते है।

निष्कर्ष  –

मैडिटेशन याने के ध्यान के लिए अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होता हे जिसमे मुश्किल समय में वह अपनी क्षमता से निर्णय नहीं ले पता तथा हमारे डर का कारन ज्यादातर भ्रम होता है। इंसान ने खुद को इतना व्यस्त बनाकर रखा हे की पैसे के आलावा जीवन में काफी चीजे होती हे यह वह भूल गया है। इसलिए वह निरंतर तनाव में रहता हे जिससे उसके व्यक्तिगत रिश्ते तथा प्रोफेशन हमेशा जोखिम भरा होता है। स्कूल और कॉलेज में हम देखते हे की यह मनोवैज्ञानिक बाते नहीं सिखाई जाती जिससे हम सफलता की व्याख्या करना ही भूल गए है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हमने मैडिटेशन क्या हे और इसकी इंसान को क्यों जरुरत हे इसके बारे में जानने की कोशिश की है। हम हमारे शरीर के व्यायाम का महत्त्व समझते हे परन्तु हमारे मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने का समय हमारे पास नहीं होता है। जिससे हम हमारे भावनावो के मामलों में काफी असफल होते है जिसमे रिश्ते और हमारे व्यवसाय अथवा नौकरी होता है। हमारे तनाव का कारन होता हे हमारा माइंड जो हमेशा भूतकाल में भविष्यकाल में जाता रहता है जिससे हमारा चित्त स्थिर नहीं होता और हम हमारे महत्वपूर्ण निर्णयों में सही निर्णय नहीं ले पाते।

डेनियल गोलमन इस अमरीकी लेखक द्वारा एक किताब लिखी गयी जो काफी प्रसिद्द हुई थी ” Emotional Intelligence” जिसमे उन्होंने इंसान के भावनाओ पर नियंत्रण न होने से क्या क्या होता हे यह बताया है। दुनिया में जिनके पास सब्र करने का संयम नहीं होता वह लोग नौकरी करना पसंद करते हे वही जो लोग संयम को जानते हे वह बिज़नेस में सफलता हासिल करके हजारो लोगो को रोजगार देते है। इसलिए ज्यादातर लोग भीड़ का हिस्सा होते हे इसका कारन होता हे की हममे सयम नहीं होता और हम हर महीने रेगुलर सैलरी पर विश्वास रखते है।

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