प्रस्तावना / Introduction –

२०१७ में भारत की टेलीकॉम क्षेत्र में सबसे बड़ी घटना देखने को मिली हे जिसका महत्वपूर्ण कारन रहा हे रिलायंस की जिओ कंपनी जिसने पुरे टेलीकॉम क्षेत्र को केवल तीन प्रमुख प्लेयर के तौर पर रहा है। वैसे देखा जाए तो वोडाफोन और आईडिया जैसी प्रस्थापित कम्पनिया भी रिलायंस की इस मास्टर स्ट्रोक ने मर्जर करने को मजबूर किया अन्यथा उन्हें कंपनी चलाना मुश्किल हुवा था। इसमें एयरटेल भारत ने न केवल खुद को इस समय में मार्किट में जिन्दा रखा बल्कि आज रिलायंस जिओ बड़ी स्पर्धक के तौर पर खड़ी है और रिलायंस का वह बबल अब उतना असरदार नहीं रहा है।

सुनील मित्तल ने अपने बिज़नेस की शुरुवात साइकिल बिज़नेस से शुरू करके टेलीफोन पार्ट बेचने तक शुरू की और आखरी में भारती एयरटेल की स्थापना की गयी थी। इनके पिताजी सत्यपाल मित्तल यह यह एक राजनीतिज्ञ थे जो दो बार सांसद रह चुके थे जिसके पास से २०००० रूपए लेकर सुनील मित्तल ने अपने बिज़नेस की शुरुवात की थी। टेलीकॉम सेक्टर का भविष्य देखते हुए उन्होंने भारती एयरटेल की स्थापना करते हुए सरकारी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम को हासिल करने के लिए कोशिश की और वह हासिल भी किया।

रिलायंस जिओ के रणनीति ने मार्किट के सभी टेलीकॉम कंपनियों को आर्थिक संकट में डाला मगर भारती एयरटेल कुछ समय के नुकसान के बाद फिर से खड़ा हुवा हे और आज रिलायंस जिओ को कड़ी स्पर्धा कर रहा है। वोडाफोन आईडिया जैसी कंपनियों को मर्ज होने को मजबूर होना पड़ा और कई अन्य कंपनियों को अपना बिज़नेस बंद करना पड़ा था। इसलिए हम भारती एयरटेल कंपनी का बिज़नेस मॉडल क्या हे जो इतना मजबूत हे यह जानने की कोशिश इस केस स्टडी से करने की कोशिश करेंगे।

भारती एयरटेल कंपनी प्रोफाइल / Bharti Airtel Company Profile –

  • कंपनी की स्थापना – ७ जुलाई १९९५
  • कंपनी का नाम – भारती एयरटेल लिमिटेड
  • संस्थापक /अध्यक्ष – सुनील भारती मित्तल
  • सीईओ – गोपाल विट्ठल
  • इंडस्ट्री – टेलीकम्यूनिकेशन
  • मुख्य कार्यालय – नयी दिल्ली
  • प्रोडक्ट्स – ब्रॉडबैंड, साटेलाइट टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन , डिजिटल टेलीविज़न,
  • कुल संपत्ती – ४. १६ लाख करोड़ रूपए
  • शेयर प्राइस – ६४३.५०
  • मार्किट कॅपिटल – ४.३० लाख करोड़ रूपए (मार्च २०२२)
  • कर्मचारी – ३२७८० (२०२१)
  • आईपीओ – २८ जनवरी २००२
  • कंपनी होल्डिंग्स – भारती इंटरप्राइजेज – ३५.८५%, सिंगटेल – ३१.७ % और गूगल – १.२८%
  • सब्सिडरी कंपनी – एयरटेल इंडिया, एयरटेल श्रीलंका, एयरटेल अफ्रीका, एयरटेल-वोडाफोन, रोबी इत्यादि
  • एरिया ऑफ़ वर्क – ५० देश

भारती एयरटेल कंपनी का इतिहास / History of Bharti Airtel Company –

1980 के दशक में डायल करने के लिए टेलीफोन यह बदलने लगे थे और प्रेस बटन वाले टेलीफोन मार्किट में ज्यादा इस्तेमाल होने लगे थे उस समय सुनील मित्तल जी ने इस बिज़नेस के माध्यम से टेलीकॉम बिज़नेस का भविष्य जाना। सिंगापुर बेस कंपनी सिंगटैल जो आज भारती एयरटेल की शेयर धारक कंपनी हे उनसे वह टेलीफोन सेट इम्पोर्ट करते थे। १९९५ में भारती एयरटेल कंपनी की स्थापना करने बाद जर्मनी की कंपनी सीमेन्स कंपनी से टाय अप करके पुश बटन टेलीफोन, फैक्स मशीन कार्डलेस फ़ोन इत्यादि का उत्पादन का काम शुरू किया गया।

१९९२ को भारती एयरटेल कंपनी ने मोबाइल फ़ोन नेटवर्क लाइसेंस हासिल किया यह डील फ्रेंच टेलीकॉम कंपनी विवेन्डी के साथ हासिल गया जिसके लिए टेलीकॉम क्षेत्र जरुरी था। सुनील मित्तल ने मोबाइल नेटवर्क का बिज़नेस यह भविष्य में काफी बढ़ने वाला हे यह देखा ता इसलिए यह पहली भारतीय कंपनी थी जिसने मोबाइल नेटवर्क सेवाए दिल्ली क्षेत्र में पहली बार १९९५ में शुरू की थी। भारती एयरटेल ने कुछ ही दिनों में भारत में २० लाख ग्राहक आकर्षित किए और भारत पहली कंपनी बनी जो मोबाइल नेटवर्क की सेवाए देती थी।

भारती एयरटेल ने इसी समय एसटीडी और ISD सेवाए इंडिया वन नाम से भारत में देना शुरू किया, यह दौर में जिन लोगो ने देखा हे वह लोग इस सेवा का महत्त्व समझते है। श्याम को रेट कम होने से लोग शाम को अपने फ़ोन करने के लिए टेलीफोन बूथ पर भीड़ करते थे। एयरटेल कंपनी की “हेलो ट्यून” एक मार्किट ब्रांड के तौर पर काफी प्रसिद्द हुई थी जिसके माध्यम से कंपनी ने काफी ग्राहक आकर्षित किए तथा टेलीकॉम क्षेत्र की भारत की छोटी छोटी कम्पनिया अधिग्रहण करके भारती एयरटेल ने खुद को पुरे भारत में एक महत्वपूर्ण टेलीकॉम कंपनी के तौर पर खुद को प्रस्थापित किया।

आज भारती एयरटेल रिलायंस जिओ का संकट झेलते हुए ५० देशो में सफलता पूर्वक कार्यरत हे और भारत की दूसरे नंबर की और दुनिया की तीसरे नंबर की टेलीकॉम कंपनी बन गयी है।

भारती एयरटेल कंपनी का बिज़नेस मॉडल/ Business Model of Bharti Airtel –

भारत में भारती एयरटेल के ३५ करोड़ ग्राहक हे जिसको स्टीव जॉब संकल्पना इको सिस्टम के माध्यम से अपने ग्राहकों को कैसे बांधे रखना है यह रणनीति समझी है। एंट्री लेवल – रेटेन – अप सेल यह विक्री की रणनिती काफी सफल रही हे जिसके माध्यम से रिलायंस जिओ ने मार्किट में खुद को प्रस्थापित किया था। भारती एयरटेल ने यही रणनीति रिलायंस जिओ के टेलीकॉम क्षेत्र प्रभुत्व को ख़त्म करने इस्तेमाल शुरू किया है जिसमे उसकी पहले से प्रस्थपित बिज़नेस ब्रॉडबैंड सर्विस तथा सटेलाइट सेवाए और मोबाइल इंटरनेट सेवा इस इको सिस्टम के माध्यम से ग्राहकों को अच्छे प्लान के माध्यम करने में सफल रहे है।

भारती एयरटेल द्वारा इंटरनेट स्पीड को हासिल करने के लिए टेलीकॉम महत्वपूर्ण कंपनियों अधिग्रहण यह दूसरी सबसे बड़ी रणनीति रही है जिसके अंतर्गत टाटा डोकोमो, तिकोना ,एयरसेल, यूनिनॉर जैसी कंपनियों को ख़रीदा गया जिसके अंतर्गत जो सरकारी स्पेक्ट्रम इन कंपनियों को मिला था वह मार्किट में स्पर्धा को ख़त्म करने के लिए इस्तेमाल किया गया। रिलायंस जिओ के ग्राहक यह फ्री इंटरनेट देने की वजह से बढे थे वही एयरटेल के पुराने ग्राहक कंपनी से अच्छी सर्विस के कारन जुड़े हुए थे जो फ्री इंटरनेट सेवाए बंद होने के बाद फिर से एयरटेल कंपनी से जुड़ने लगी।

जो रणनीति रिलायंस जिओ बाकि कंपनियों से स्पर्धा ख़त्म करने के लिए इस्तेमाल करता रहा वह रणनीति समझने में भारती एयरटेल ने ज्यादा देरी नहीं की और इसी रणनीति के तहत अपने ग्राहक वापिस कंपनी में वह पिछले कुछ दिनों से सफल रहे है। भारती एयरटेल यह टेलीकॉम ब्रांड केवल भारतीय ब्रांड नहीं एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड भी हे जिसके कारन इसे ख़त्म करना उतना आसान काम नहीं था। कंपनी ने ३ G नेटवर्क की गलती को समझते हुए अभी ४ G सेवाए देते हुए ५ G टेक्नोलॉजी का सेटअप भी बनाकर रखा हे जिससे पिछली गलती से सिख ले सके।

भारती एयरटेल और शेयर बाजार / Bharti Airtel & Share Market –

भारतीय शेयर बाजार लो १० बेहतरीन कंपनियों में भारती एयरटेल को देखा जाता है जो इन्वेस्टर की पसंदीदा कंपनी है। भारती एयरटेल के किसी भी प्रोमोटर्स के शेयर गिरवी नहीं हे यह कंपनी और इन्वेस्टर की दृष्टी से सकारात्मक बात है। रिलायंस जिओ के ४ G क्रांति में कंपनी को थोड़ा बहुत नुकसान हुवा मगर कंपनी के टेलीकॉम सेक्टर में बाकि बिज़नेस का एक इको सिस्टम हे जिसकी वजह से कंपनी को ख़त्म करना किसी प्रतिस्पर्धी को इतना आसान नहीं है।

भारत में भारती एयरटेल के लॉयल ग्राहकों की संख्या काफी हे जो पिछले कुछ सालो से फ्री इंटरनेट सर्विसेज के कारन कुछ दिनों के लिए एयरटेल कंपनी से दूर चली गयी थी मगर वह आज वापिस आना शुरू हुवा है। कंपनी ने अपने इन लॉयल ग्राहकों को बांधे रखने के लिए एक इको सिस्टम के माध्यम से मोबाइल इंटरनेट सेवा , ब्रॉडबैंड तथा सेटटॉप बॉक्स सर्विसेज का एक पूर्ण पैकेज बनाकर पेश किया हे जिसका असर मार्किट में दिख रहा है। कंपनी का न केवल भारत में बल्कि अफ़्रीकी देश तथा श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देश में खुद को प्रस्थापित किया है।

भारतीय शेयर बाजार में 4G क्रांति ने पुराने छोटे छोटे प्रतिस्पर्धी कंपनियों को मार्किट से बाहर निकल दिया जिसके कारन आज भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में केवल तीन प्लेयर देखने हे जिसमे वोडाफोन आईडिया की आर्थिक हालत कुछ ठीक नहीं है। जिससे शेयर बाजार में निवेशक भारती एयरटेल कंपनी के शेयर में इन्वेस्ट करने के लिए फंडामेंटल और टेक्नीकल दृष्टी से सकारात्मक देखते है। रिलायंस जिओ का परिणाम कंपनी के प्रॉफिट पर दो सालो तक दिखा मगर नयी रणनीति के तहत कंपनी ने पिछले कुछ महीनो से काफी अच्छा परफॉरमेंस दिखाया है।

भारती एयरटेल विरुद्ध रिलायंस जियो / Bharti Airtel & Reliance Jio –

रिलायंस जिओ के 4G क्रांति ने पुरे टेलीकॉम मार्किट को कई सारे स्पर्धा से केवल तीन प्रतिस्पर्धी कंपनियों के मार्किट तक सिमित कर दिया, जिसमे वोडाफोन और आईडिया ने खुद को आर्थिक संकट से बचाने के लिए मर्जर कर लिया। भारती एयरटेल को भी इस क्रांति की वजह से नुकसान झेलना पड़ा मगर कंपनी के फंडामेंटल्स बाकि टेलीकॉम कंपनियों से काफी मजबूत होने के कारन वह मार्किट में बची रही। रिलायंस जिओ ने ४ग नेटवर्क के लिए मार्किट में एकदम से २.५ लाख करोड़ रूपए इन्वेस्ट बाकि कंपनी इस समय 3G नेटवर्क पर काफी पैसा इन्वेस्ट कर चुकी थी।

इसलिए 4G नेटवर्क का सेटअप खड़ा करने के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता, जो 3G नेटवर्क टेक्नोलॉजी के लिए पहले से ही रिलायंस जिओ छोड़कर इन्वेस्ट कर चुकी थी। रिलायंस जिओ ने टेलीकॉम कंपनियों के ग्राहक फ्री डाटा देने के कारन जुड़े थे स्कीम बंद होने के बाद पुनः वह ग्राहक भारती एयरटेल से ज्यादा जुड़ने लगे जो अकड़े भी बया करते है। रिलायंस जिओ की इको सिस्टम को काउंटर करने के लिए भारती एयरटेल की इको सिस्टम बनाकर पैकेज के रूप में अपने टेलीकॉम प्लान बेचना शुरू किया जिसकी सफलता कंपनी को देखने को मिली।

रिलायंस जिओ ने रणनीति के तहत नुकसान झेलकर प्रतिस्पर्धी कंपनियों को पहले मार्किट से ख़त्म करने की योजना बनाई थी जिसमे काफी कम्पनिया बंद हुई। वोडाफोन और एयरटेल आर्थिक संकट में फस गया तथा आईडिया के सीईओ ने भारत सरकार से मदत की गुहार लगाई अन्यथा कंपनी से रिजाइन देने की धमकी दे डाली। ऐसे हालत में भारती एयरटेल ने मार्किट में अपनी गलती को स्वीकार करते हुए ग्राहकों को प्राथमिकता में रखते हुए नए सिरे से रणनीति बनाकर मार्किट पर प्रभुत्व निर्माण करने का कार्यक्रम बनाया। जिसमे काफी हदतक सफलता देखने को मिल रही है।

एलोन मस्क-स्टारलिंक और भारती एयरटेल कंपनी / Elon Musk Starlink & Bharti Airtel Company –

एलोन मस्क के स्टारलिंक प्रोजेक्ट के माध्यम से पृथ्वी के वातावरण में ४२००० उपग्रह छोड़े जाएगी जिसके लिए उनकी दूसरी कंपनी स्पसेक्स यह यह उपग्रह छोड़ेगी। भारत की टेलीकॉम क्षेत्र में अभी जो इंटरनेट का सेटअप हे वह ऑप्टिकल फाइबर केबल इंटरनेट की है, जिसके लिए टावर तथा केबल सेटअप के लिए और मेंटेनन्स के लिए काफी बड़ी इन्वेस्टमेंट करनी पड़ती है। स्टारलिंक प्रोजेक्ट की विशेषता यह हे की यह इंटरनेट सेवा के माध्यम से रिमोट एरिया में भी इंटरनेट पहुंच जाएगा जहा केबल इंटरनेट अभी पंहुचा नहीं है।

वन वेब और भारती एयरटेल भारत में उपग्रह द्वारा इंटरनेट सेवा देने के लिए यह काम शुरू कर चुकी हे मगर स्टारलीक की उपग्रह छोड़ने के लिए जो खर्च हे वह बाकि प्रतिस्पर्धियों से काफी काम रहेगा क्यूंकि स्पसेक्स यह उपग्रह छोड़ने वाली कंपनी एलोन मस्क की है। दूसरी कंपनियों के लिए उपग्रह द्वारा इंटरनेट सेवा देने के लिए स्टरलिंक से काफी ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीसरी कंपनी इसपर काम करने लगी हे वह हे अमझोन ३२०० उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने के लिए तैयार है। इससे भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में रिलायंस जिओ तथा भारती एयरटेल के लिए टेक्नोलॉजी में अमरीकी कंपनियों से भविष्य में स्पर्धा करनी है।

भारती एयरटेल संशोधन के मामलो में पूरी तरह से विदेशी वनवेब कंपनी पर निर्भर हे वही रिलायंस जिओ का भी वही हाल है जिसे विदेशी कंपनी पर टेक्नोलॉजी विकसित करना है। अमरीकी कम्पनिया इसका फायदा भविष्य में टेलीकॉम सेक्टर में लेने के लिए तैयार है। फिलहाल स्टरलिंक के अमरीका में ६९००० ग्राहक हे और यह भविष्य में बढ़ने की संभावना ज्यादा हे क्यूंकि इसके साथ वह टेस्ला मोबाइल मार्किट में उतर रही हे जो इको सिस्टम के माध्यम से अपने टेलीकॉम सेक्टर में मोनोपोली प्रस्तापित करने के लिए तैयार हे जिसे भारती एयरटेल को सामना करना है।

भारती एयरटेल कंपनी का सफलता का सूत्र / Business Formula of Bharti Airtel –

भारती एयरटेल 3G नेटवर्क के समय मार्किट में अपनी मोबाइल नेटवर्क की सेवाओं में नंबर वन कंपनी के तौर पर प्रभुत्व निर्माण कर चुकी थी, टॉक टाइम यह इंटरनेट ज्यादा महत्वपूर्ण होने के कारन वह आकर्षित प्लान के तहत बेचे जाते थे। DTH सेवा तथा केबल इंटरनेट की सेवाए यह प्रमुख बिज़नेस में भारती एयरटेल काफी सफलता से चल रही थी 4G नेटवर्क आने के बाद दो सालो तक कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा मगर कंपनी ने अपने गलतियों को स्वीकारते हुए इको सिस्टम का फायदा उठाकर अपने बिज़नेस को ४G नेटवर्क में फिर से खड़ा किया।

भारती एयरटेल कंपनी की विशेषता यह भी रही हे की वह केवल भारत में नहीं बल्कि अफ़्रीकी देश तथा एशिया के कुछ महत्वपूर्ण देशो में अपना बिज़नेस प्रस्थापित कर चुकी थी जिसके कारन वह भारतीय मार्किट में खुद को बचा सकी है। भारती एयरटेल को पता था की रिलायंस जिओ को ग्राहक फ्री इंटरनेट डाटा के माध्यम से जुड़ा हे इसलिए वह यह सुविधा ज्यादा दिनों तक नहीं दे सकती अन्यथा वह नुकसान का सामना करेगी। इसलिए भारती एयरटेल ने मार्किट फिर से स्थिर होने का इंतजार किया और जैसे ही रिलायंस जिओ अपने प्लान बढ़ाने लगे वैसे ही भारती एयरटेल फिर से मार्किट में स्थिर होने लगी।

भारती एयरटेल का अगर हम ग्राफ २०१४ के बाद याने 4G नेटवर्क आने के बाद देखेंगे तो कुछ समय छोड़कर वह अपने बिज़नेस को बढ़ाने में सफल रही है। कंपनी ने टेक्नोलॉजी को विकसित करने के लिए गूगल जैसी टेक कंपनी को कंपनी का शेयर होल्डिंग बनाया है जिससे वह आने वाले दिनों में टेक्नोलॉजी के माध्यम से 5G नेटवर्क को भारत में प्रस्थापित करने के लिए तैयार है। कंपनी ने अपने प्रोमोटर्स के शेयर धारण को हमेशा कर्ज रखा हे जो कंपनी के लिए एक सकारात्मक बात रही है। कंपनी को भारतीय टेलीकॉम बाजार का काफी अनुभव तथा नेटवर्क होने के कारन उसने अपने ग्राहकों को आकर्षित करने में सफलता हासिल की है।

भारती एयरटेल कंपनी की विशेषताए / Features of Bharti Airtel –

  • १९८४ में सुनील मित्तल ने पुश बटन के टेलीफोन सेट को असेम्बल करके भारत में बेचना शुरू किया जिसके लिए वह मटेरियल सिंगटैल इस सिंगापुर बेस कंपनी से इम्पोर्ट करते थे।
  • भारती टेलीकॉम लिमिटेड नाम से कंपनी स्थापित करके भारत में पहली बार पुश बटन के टेलीफोन सेट उत्पादन सीमेन्स इस जर्मन कंपनी के साथ मिलकर बनाना शुरू किया।
  • १९९२ में कंपनी बार टेलीफोन क्षेत्र में सेवाए देने के लिए भारत सरकार को आवेदन दिया जिसके माध्यम से पहली बार दिल्ली शहर में अपनी सेवाए देना शुरू किया जो बाद में पुरे भारत में छोटी छोटी कंपनियों का अधिग्रहण करके भारती एयरटेल की मार्किट पर प्रभुत्व प्रस्तापित किया।
  • भारतीय शेयर बाजार में भारती एयरटेल लिमिटेड नाम से भारती एंटरप्राइज कंपनी को लिस्ट कर दिया गया जिसके अंतर्गत एयरटेल यह ब्रांड मार्किट में मोबाइल नेटवर्क के लिए इस्तेमाल किया गया।
  • हेलो टोन यह भारती एयरटेल की भारतीय मार्केटिंग बाजार में काफी प्रसिद्ध हुई थी।
    २०१७ में भारती एयरटेल ने २१ लाख ब्रॉडबैंड ग्राहक हासिल किए थे जो रिलायंस जिओ की 4G क्रांति के बावजूद कंपनी ने अपनी बाकि टेलीकॉम सेवा के माध्यम से खुद को मार्किट में जिन्दा रखने हासिल की है।
  • भारती एयरटेल २०२२ को ४. ३० लाख करोड़ रूपए मार्किट कॅपिटल हे जो कंपनी को शेयर बाजार की १० वी सबसे बड़ी कंपनी के तौर पर स्थापित करती है।
  • भारती एयरटेल न केवल भारत के टेलीकॉम क्षेत्र में कार्य कर रही हे बल्कि अफ़्रीकी देशो में तथा बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशो में अपने बिज़नेस को स्थापित कर चुकी है।
  • भारतीय टेलीकॉम मार्किट में 4G नेटवर्क के समय केवल तीन कम्पनिया सेवाए दे रही हे जिसमे रिलायंस जिओ यह पहले नंबर पर हे तथा भारती एयरटेल यह दूसरे नंबर पर हे और तिसरे नंबर पर आईडिया-वोडाफोन यह कंपनी बड़ी संकट की घडी में सेवाए दे रही है।
  • पुरे दुनिया में लगबघ ५० देशो में भारती एयरटेल के टेलीकॉम क्षेत्र में ४० करोड़ ग्राहक देखने हे जो मोबाइल नेटवर्क सेवा से लेकर DTH जैसी सेवा का लाभ लेती है।
  • भारती एयरटेल ने तिकोना, टाटा डोकोमो और यूनिनॉर जैसी भारतीय कंपनियों को खरीदकर टेलीकॉम स्पेक्ट्रम बढ़ाया हे जिसका फायदा उसे अच्छी इंटरनेट स्पीड तथा नेटवर्क को बढ़ाने के लिए होगा।
  • एंट्री पॉइंट -रेटेन -अप सेल इस टेक्निक के माध्यम से कंपनी ने अपने इको सिस्टम को कामयाब बनाया हे और अपने ग्राहकों को आकर्षित किया है।

भारती एयरटेल कंपनी का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical analysis of Bharti Airtel Company –

२०१५ को भारती एयरटेल ने मोबाइल पेमेंट सिस्टम का एप्लीकेशन बनाया था जिसको निजी स्वतंत्रता का उलंघन के तौर पर कोर्ट में याचिका दाखिल किया गया जिससे यह सुविधा पर पाबन्दी लगाई गयी है। कंपनी ने 3G नेटवर्क के समय कंपनी के कॉलिंग प्लान पर ज्यादा ध्यान दिया जिससे भविष्य में होने वाले इंटरनेट के बदलाव जानने में कंपनी असफल रही हे जिससे कंपनी को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। भारतीय टेलीकॉम मार्किट केवल तीन कम्पनिया उपलब्ध हे जिससे इन कंपनियों की मोनोपोली प्रस्तापित होने का डर है ऐसा दिखता है।

मोबाइल इंटरनेट सर्विसेज के दर आज के दिन काफी बढे हुए दिखते है। भारतीय एयरटेल कंपनी द्वारा टेक्नोलॉजी के मामलो में खुद रिसर्च पर काफी कम इन्वेस्ट किया हे ऐसा दिखता हे क्यूंकि टेक्नोलॉजी के मामलो में कंपनी को हमेशा सीमेंस अथवा गूगल जैसी विदेशी कंपनियों की पार्टनरशिप करनी पड़ती है। उदारीकरण के युग में विदेशी कम्पनिया अपने रिसर्च पर अरबो डॉलर खर्च कर रहे है, टेलीकॉम सेक्टर में भारती एयरटेल जैसे अन्य कंपनियों को विदेशी कंपनियों करना इतना आसान नहीं है। भारती एयरटेल कंपनी का बिज़नेस जितने भी विदेशी देशो में हे वह विकासशील हे अथवा गरीब देश है।

अमरीका और यूरोपीय टेलीकॉम बिज़नेस यह आज पूरी तरह एनरोइड मोबाइल और टेक्नोलॉजी पर पूरी तरह से आधारित है, जिसका मतलब है एलोन मस्क जैसे बिज़नेस मन जब भारत में आज नहीं तो कल अपनी नयी इंटरनेट तकनीक भारत में लाएगे, जिससे टेक्नॉलजी में रिलायंस जिओ अथवा भारतीय एयरटेल को गूगल के सहायता के बगैर एलोन मस्क से स्पर्धा करना मुश्किल होगा यह वास्तव हमें समझना होगा। इसलिए अगर भारतीय एयरटेल संशोधन के मामलो में खुद को बेहतर नहीं करता तबतक वह अमरीका की टेक्नोलॉजी जायंट टेलीकॉम क्षेत्र नहीं कर सकते।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने देखा की भारती एयरटेल कंपनी का बिज़नेस मॉडल क्या है तथा रिलायंस जिओ के 4G क्रांति के बाद भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र में हमें क्या बदलाव देखने को मिले है। भारतीय टेलीकॉम मार्किट में आज केवल तीन कम्पनिया अपनी सर्विस है जिसमे वोडाफोन और आईडिया यह कम्पनिया आर्थिक दृष्टि से संकट में रही हे जिसके कारन उन्होंने एक कंपनी बनाकर रिलायंस जिओ और एयरटेल को स्पर्धा कर रहे है। टेलीकॉम क्षेत्र यह कॅपिटल बेस बिज़नेस होने के कारन इसमें काफी ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है जिससे इस क्षेत्र में काफी कम स्पर्धा देखनी को मिलती है।

टेलीकॉम क्षेत्र में केवल तीन कम्पनिया आज ग्राहकों को सेवाए दे रही हे जिससे मार्किट में मोनोपोली स्थापित करके यह कम्पनिया खुद के कार्टेल बनाकर रेट तय करने का धोखा होता है। भारत में इसके लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के माध्यम से इसपर नियंत्रण करना भारत सरकार का कार्य होता है जिसको अमल में लाने से अच्छी कीमतों पर सेवाए उपलब्ध करवाना यह सरकार का कर्तव्य होता है। इसलिए भारतीय एयरटेल ने भले ही रिलायंस जिओ ने बाकि स्पर्धक को ख़त्म कर दिया हो मगर वह स्पर्धा कर रहा है तथा कोर्ट में इसके लिए लड़ रहा है।

भारतीय एयरटेल की शुरुवात सुनील मित्तल जो लुधियाना में रहते थे और उनके पिताजी सांसद थे जिनसे २०००० रूपए लेकर उन्होंने सबसे पहले जनरेटर विक्री का व्यवसाय किया जिसके यह चीजे इम्पोर्ट करते थे जो सरकारी पॉलिसी के कारन उनको बंद करना पड़ा था। साइकिल बिज़नेस से लेकर टेलीफोन सेट बेचने तक बिज़नेस करने के बाद उन्होंने करने की कंपनी शुरू की और आगे टेलीकॉम क्षेत्र का भविष्य जाना। इसलिए इस अनुभव से यह पता चलता हे की अनुभव के हिसाब टेलीकॉम क्षेत्र की सबसे अनुभवी कंपनी हे और रिलायंस जिओ का जादू धीरे धीरे फ्री पैकेज ख़त्म होने के बाद कम होने लगा है।

इसतरह से हमने भारती एयरटेल के बारे में केस स्टडी के माध्यम से हिंदी में साधारण भाषा में जानकारी आपतक पहुंचाने की कोशिश की हे और आशा करते हे की यह आपको पसंद आएगी।

रिलायंस जिओ प्लेटफार्म

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