प्रस्तावना / Introduction-

१९९० के दशक से पहले भारत में मुंबई का बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यह सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज माना जाता था और सेबी की स्थापना से पहले इसे कॅपिटल इश्यूज कंट्रोल एक्ट १९४७ के तहत स्टॉक मार्किट को रेगुलेट करता था जो न के बराबर था। आज की तरह स्टॉक मार्किट इलेट्रॉनिक तकनीक पर नहीं चलता था, हर एक व्यवहार कागजी तौर पर किया जाता था और एजेंट्स का काफी बोलबाला रहता था जो आज भी हे मगर कड़े नियमो में चलना पड़ता है।

स्टॉक एक्सचेंज में पारदर्शकता न होती थी और केवल एक्सपर्ट लोग ही स्टॉक मार्किट को जानते थे और जो लोग निवेश करते थे वह स्टॉक ब्रॉकर के माध्यम से सभी व्यवहार देखते थे आज की तरह आपको स्टॉक मार्किट की सभी गतिविधियों के बारे में जानकारी उस समय मिलना काफी मुश्किल काम होता था। आज हम बात करने वाले हे सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया याने सेबी के बारे में जिसकी स्थापना १९८८ की गई और १९९२ आते आते उसे संसद में कानून बनाकर एक सक्षम रेगुलेटरी के तौर पर बनाया गया।

सेबी की स्थापना किन हालत में की गयी तथा सेबी के आने से क्या बदलाव भारतीय शेयर बाजार में हुए तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की एकाधिकारी शाही को ख़त्म कर दिया गया। ऐसे कई बिन्दुओ पर हम चर्चा करने की कोशिश करेंगे और सेबी का मुख्य उद्देश्य लोगो का शेयर बाजार के प्रति विश्वास निर्माण हो तथा निवेश का दायरा बढे यह रहा हे इसके बारे हम विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।

भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड क्या है / Securities & Exchange Board of India –

सेबी यह एक भारतीय स्टॉक मार्किट की नियमन संस्था हे जो स्टॉक मार्किट के सभी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने का कार्य करती हे तथा लोगो का स्टॉक मार्किट में निवेश करने के लिए विश्वास बढे इसके लिए स्टॉक मार्किट और इन्वेस्टर को सही सुविधाए देने का कार्य करती है। सेबी यह संस्था बोर्ड ऑफ़ मेंबर द्वारा संचालित की जाती हे जो संसद में कानून बनाकर इनको अधिकार प्रदान किए गए है।

सेबी के अध्यक्ष का चयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है तथा बाकि सदस्यों का चयन अध्यक्ष की सलाह से नियुक्ति की जाती है। इसमें रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से एक सदस्य तथा वित्त मंत्रालय के माध्यम से दो सदस्य तथा पांच सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते है। सेबी का मुख्य कार्यालय मुंबई में स्थापित किया गया हे तथा इसकी शाखाए अहमदाबाद , कोलकत्ता, चेन्नई और दिल्ली में स्थापित की गई हे जिससे अधिकारों का विकेन्द्रीकरण बने रहे।

सेबी स्टॉक मार्किट के सभी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने का कार्य करता हे तथा लोगो की विश्वसनीयता शेयर बाजार के प्रति बानी रहे इसके लिए सभी कंपनियों को सेबी के कड़े नियमो के तहत सभी दस्तावेज जमा करने होते है तथा सभी नियमो का पालन करना होता है। स्टॉक मार्किट को बढ़ावा देने के लिए जो भी कदम उठाने होते हे सेबी वह करता हे जिससे स्टॉक मार्किट में निवेश बढे। १९९० के खुली अर्थव्यवस्था के बाद विदेशी निवेश बढ़ने के लिए कई नीतियों को बदला गया और इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा दिया गया।

सेबी के लिए पृष्टभूमि / Back Ground for SEBI –

१९९० में भारत आर्थिक संकट में था और विदेशी मुद्रा की कमी भारत में निर्माण हुई थी जिससे हमें आयत करने के लिए समस्याए निर्माण हुई थी। इसी दौर में स्टॉक मार्किट में बड़े बड़े घोटाले सामने आने लगे थे जिसमे सबसे बड़ा घोटाला हर्षद मेहता का दुनिया के सामने आया। इस दौर में स्टॉक मार्किट के बारे में पारदर्शकता काफी कम देखने को मिलती थी और हर व्यवहार को पूर्ण होने के लिए काफी दिन लगते थे।

अंतर्गत व्यवहार के कारन स्टॉक मार्किट में नए इन्वेस्टर आने से कतराते थे तथा केवल कुछ खास लोगो का स्टॉक मार्किट में प्रभुत्व चलता था। इसी दौरान भारत सरकार ने अपने आर्थिक नीतियों में बदलाव किये और अंतराष्ट्रीय बाजार को खुला कर दिया जिससे विदेशी मुद्रा का संचय भारत में बढे तथा भारतीय शेयर बाजार भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ा होने के कारन इसको भी सुधारने के लिए कदम उठाए गए।

स्टॉक मार्किट में बदलाव से पहले स्वतंत्रता पूर्व कानून स्टॉक मार्किट के लिए लागु था जिसका नाम कॅपिटल इश्यूज कण्ट्रोल एक्ट १९४७ था। आज की तरह मार्किट में डिजिटल टेक्निक का इस्तेमाल नहीं होता था और खरीद और विक्री के व्यवहार को पूर्ण होने के लिए काफी दिन लगते थे। जिसमे पैसे का इस्तेमाल गलत तरीके से होने लगा तथा अंतर्गत भ्रष्टाचार देखने को मिलता था।

जिसकी वजह से भारत के इन्वेस्टर स्टॉक मार्किट में निवेश करने से डरते थे। जिसे बदलने के लिए भारत सरकार द्वारा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की गई तथा सबसे महत्वपूर्ण सेबी की स्थापना १९८८ में गई और जिसका कार्य १९९२ से सही मायने में शुरू हुवा।

सेबी की संरचना /STRUCTURE OF सेबी –

सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) नियामक संस्था है जो भारत में प्रतिभूति बाजार को नियंत्रित करती है। इसकी संरचना को मोटे तौर पर चार मुख्य घटकों में विभाजित किया जा सकता है:
  1. बोर्ड: बोर्ड सेबी का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें एक अध्यक्ष, तीन पूर्णकालिक सदस्य और सरकार द्वारा नियुक्त चार अंशकालिक सदस्य शामिल हैं। बोर्ड नीतियां बनाने, विनियम बनाने और प्रतिभूति बाजार से संबंधित सभी प्रमुख निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार है।
  2. विभाग: सेबी के कई विभाग हैं जो विशिष्ट कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें कानूनी विभाग, प्रवर्तन विभाग, बाजार विनियमन विभाग, निवेश प्रबंधन विभाग, और आर्थिक और नीति विश्लेषण विभाग, अन्य शामिल हैं।
  3. क्षेत्रीय कार्यालय: सेबी के क्षेत्रीय कार्यालय पूरे भारत के प्रमुख शहरों में स्थित हैं, जैसे मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और चेन्नई। ये कार्यालय अपने संबंधित क्षेत्रों में प्रतिभूति बाजार के कामकाज की निगरानी और विनियमन के लिए जिम्मेदार हैं।
  4. समितियां: सेबी प्रतिभूति बाजार से संबंधित विशिष्ट मामलों पर सलाह देने के लिए विभिन्न समितियों की नियुक्ति करता है। इन समितियों में उद्योग, शिक्षा और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं।

कुल मिलाकर, सेबी की संरचना भारत में प्रतिभूति बाजार के प्रभावी विनियमन और पर्यवेक्षण को सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। बोर्ड और विभिन्न विभाग नीतियाँ बनाने, विनियम बनाने और अनुपालन को लागू करने के लिए एक साथ काम करते हैं, जबकि क्षेत्रीय कार्यालय और समितियाँ विशिष्ट क्षेत्रों में अतिरिक्त सहायता और विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।

सेबी की शक्तिया /Powers of सेबी –

सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) नियामक संस्था है जो भारत में प्रतिभूति बाजार को नियंत्रित करती है। इसे निवेशकों के हितों की रक्षा करने और प्रतिभूति बाजार के निष्पक्ष और पारदर्शी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक शक्तियां प्रदान की गई हैं। सेबी की कुछ प्रमुख शक्तियाँ हैं:

  1. विनियामक शक्तियां: सेबी के पास स्टॉक एक्सचेंजों, समाशोधन निगमों, निक्षेपागारों, दलालों और अन्य मध्यस्थों सहित प्रतिभूति बाजार को विनियमित और पर्यवेक्षण करने की शक्ति है।
  2. नियम बनाने की शक्तियाँ: सेबी के पास प्रतिभूति बाजार के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्रकटीकरण आवश्यकताओं, लिस्टिंग आवश्यकताओं, निवेशक सुरक्षा और कॉर्पोरेट प्रशासन से संबंधित नियम, विनियम और दिशानिर्देश बनाने की शक्ति है।
  3. प्रवर्तन शक्तियां: सेबी के पास अपने नियमों और आदेशों के अनुपालन की जांच करने और उन्हें लागू करने की शक्ति है। यह निरीक्षण और ऑडिट कर सकता है, जुर्माना और जुर्माना लगा सकता है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता है।
  4. निवेशकों की रक्षा करने की शक्तियाँ: सेबी को प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। यह धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के उपाय कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि निवेशकों को प्रतिभूतियों के बारे में सटीक और समय पर जानकारी प्रदान की जाती है।
  5. स्टॉक एक्सचेंजों की निगरानी करने की शक्तियाँ: सेबी को भारत में स्टॉक एक्सचेंजों के कामकाज को विनियमित और पर्यवेक्षण करने की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। यह उनके संचालन की देखरेख कर सकता है, नियमों के अनुपालन की निगरानी कर सकता है और किसी भी उल्लंघन के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
  6. कॉरपोरेट गवर्नेंस की देखरेख करने की शक्तियाँ: सेबी के पास सूचीबद्ध कंपनियों के कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रथाओं की देखरेख करने की शक्ति है, जिसमें निदेशकों की नियुक्ति, बोर्ड की बैठकों का संचालन और वित्तीय और अन्य जानकारी का खुलासा शामिल है।
कुल मिलाकर, सेबी भारत में प्रतिभूति बाजार की अखंडता को बनाए रखने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी व्यापक शक्तियां इन कार्यों को प्रभावी ढंग से करने में मदद करती हैं।

सेबी की का उद्देश्य और कार्यप्रणाली / Object of SEBI & Functions –

  • सेबी की स्थापना का उद्देश्य स्टॉक मार्किट में इन्वेस्टर को सुरक्षित वातावरण निर्माण करना।
  • भारत में १७ स्टॉक मार्किट चलाए जाते हे उन सभी को रेगुलेट तथा नियमन करना।
  • स्टॉक मार्किट में जितने भी नई कम्पनिया लिस्ट होती हे इसकी ठीक तरह से जांच करके स्टॉक मार्किट में लिस्ट होने की अनुमति देना।
  • अगर किसी कंपनी द्वारा सेबी के नियमो का उलंघन किया जाता हे तो उसे दण्डित करना तथा स्टॉक मार्किट में बंदी जैसे कड़े प्रावधान कानून द्वारा दिए गए है।
  • ट्रेडर्स और स्टॉक ब्रॉकर्स द्वारा इन्वेस्टर को सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्टॉक मार्किट की गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखना तथा उसे रेगुलेट करना।
  • विदेशी इन्वेस्टर को आकर्षित करने के लिए जीतनी सुविधाए उपलब्ध करवाई जा सकती हे इसका इंतजाम करना तथा उसपर नियंत्रण रखना।
  • छोटे निवेशक के पैसे को सुरक्षित रखने के लिए बड़े वित्तीय संस्थाओ पर कड़े नियम लगाना तथा उसकी गतिविधियों पर नजर रखना।
  • सेबी के आने के बाद स्टॉक मार्किट के भ्रष्टाचार में काफी कमिया आई तथा आज देखे तो छोटे इन्वेस्टर के लिए काफी सरल और सुरक्षित इन्वेस्टमेंट प्लेटफार्म हमें सेबी की वजह से देखने को मिलता है।
  • स्टॉक ब्रॉकर स्पर्धा के कारन कई बार ऐसे फायदे ग्राहक को देना चाहता हे जिससे दोनों संकट के आ जाते हे इसके लिए सेबी ऐसे योजनाओ पर नजर रखता हे तथा पाबंदिया लगता है।
  • इंटरनेट के माध्यम से आज हम स्टॉक ब्रोकर और सब ब्रोकर के बारे जानकारी हमें ऑनलाइन उपलब्ध होती हे जिससे हमें कैसे ब्रोकर से अपनी सुविधाए लेनी हे यह हम तय कर सकते है।
  • अंतर्गत ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा कई प्रतिबन्ध लगाए गए हे जिससे छोटे इन्वेस्टर को सुरक्षितता मिले और कंपनी से जुड़े लोगो को इसका फायदा न मिले।
  • भारत के स्टॉक मार्किट और भारत की अर्थव्यवस्था का गहरा सम्बन्ध हे इसलिए भारत की स्टॉक मार्किट के विकास के लिए जो भी नियम बनाने हे इसके लिए सेबी हमेशा तैयार रहता है।
  • सत्यम घोटाले के बाद कई सारी खामियों को सेबी द्वारा कानून में बदलाव करके भरा गया जिससे कंपनी की अंतर्गत गतिविधियों पर नजर रखी जाए इसलिए कंपनी के कामकाज में पारदर्शकता के कड़े नियम बनाए गए।
  • कंपनी के प्रोमोटर्स पर काफी नियंत्रण रखे गए जिससे वह अपने अधिकारों का दुरूपयोग करके इन्वेस्टर को नुकसान न पंहुचा सके।

सेबी की विशेषताए / Features of SEBI –

  • सेबी यह सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाता है।
  • सेबी एक्ट १९९२ के अंतर्गत संसद में कानून बनाकर सेबी की स्थापना १२ अप्रैल १९९२ को की गई है।
  • सेबी का मुख्य ऑफिस मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में बनाया गया जिसके अंतर्गत अहमदाबाद , कोलकत्ता , चेन्नई तथा दिल्ली में उप शाखाए निर्माण की गई हे।
  • सेबी के प्रमुख अध्यक्ष की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती हे और बाकि ८ सदस्य इस बोर्ड में होते है।
  • रिज़र्व बैंक द्वारा बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में नॉमिनेट किया जाता हे तथा वित्त मंत्रालय द्वारा दो सदस्यों को नियुक्त किया जाता है।
  • सेबी के बाकि सदस्यों की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
  • सेबी की स्थापना से पहले स्टॉक मार्किट को कॅपिटल इश्यूज कण्ट्रोल एक्ट १९४७ के अंतर्गत नियमित किया जाता था।
  • सेबी का उद्देश्य स्टॉक मार्किट को सुरक्षित रखना , विकसित करना तथा रेगुलेट करना इत्यादि है।
  • कंपनियों का ऑडिट तथा सत्यापन करना यह महत्वपूर्ण कार्य सेबी द्वारा किये जाते है।
  • सेबी की स्थापना के बाद स्टॉक मार्किट में लोगो का विश्वास बढ़ा और इन्वेस्टमेंट की संख्या बढ़ी।
  • खुली आर्थिक निति के अंतर्गत विदेशी निवेश को भारत के शेयर बाजार में निवेश के लिए प्रोस्ताहित किया गया और कई सारे कड़े नियमो को बदला गया।
  • सेबी को संसद में कानून बनाकर न्यायिक , कार्यवाहक तथा नियम बनाने के अधिकार दिए गए है।

सेबी का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of SEBI –

  • सेबी की स्थापना का मूल उद्देश्य स्टॉक मार्किट में पारदर्शकता निर्माण करने के लिए की गई मगर भी कई सारे घोटाले बाद में भी हमें देखने को मिले जिसमे सत्यम कंप्यूटर स्कैम देखने को मिलता है।
  • विदेशी मुद्रा का भारत की स्टॉक मार्किट में प्रमाण बढे इसके लिए सेबी द्वारा कई सारे प्रयास किये गए मगर आज तक जितना विदेशी निवेश बढ़ना चाहिए था उसमे सफलता नहीं मिली है।
  • अंतर्गत गतिविधिओ पर नकेल कसने के लिए कई सारे नियम बनाए गए मगर आज भी कंपनी के अंतर्गत की खबरों का इस्तेमाल कुछ इन्वेस्टर के लिए होता हे यह वास्तव है।
  • छोटे निवेशक आज बढे हुए देखने को मिलते हे मगर जितनी जानकारी शेयर बाजार के बारे में उनको होनी चाहिए वह उन्हें उपलब्ध नहीं होती बल्कि भ्रमित करने वाली जानकारी द्वारा उनके निवेश को इस्तेमाल किया जाता है।
  • भारत के स्टॉक मार्किट में आज भी इन्वेस्टमेंट से ज्यादा ट्रेडिंग के निवेशक को प्रोस्ताहित किया जाता हे जो एक भ्रम है इसपर सेबी का ध्यान देखने को नहीं मिलता है।
  • कंपनी के बारे में जो भ्रमित करने वाली खबरे शेयर बाजार में फैलाई जाती हे इसको नियंत्रित करने में सेबी कुछ असफल नजर आती है।
  • ट्रेडिंग में बड़ी वित्तीय संस्थाओ द्वारा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता हे जिसके सामने छोटे ट्रेडर्स टिक नहीं पाते और दिवालिया बन जाते हे इसपर सेबी को नजर रखनी चाहिए।
  • परिवार वादी बिज़नेस मानसिकता के कारन भारत के स्टॉक मार्किट में लिस्टेड कंपनियों का प्रमाण नहीं बढ़ता, इसके लिए जो जाग्रति करनी चाहिए इसमें सेबी आजतक असफल रहा है।
  • आज भी भारत में ८० % छोटे बिजनेसमैन प्रोप्राइटर शिप अथवा पार्टनरशिप स्तर पर बिज़नेस करना पसंद करते हे जिसके लिए सेबी को काम करना होगा।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने सेबी के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की हे और भारत की स्टॉक मार्किट पर इसका कितना प्रभाव हमें देखने को मिलता हे यह हमने जानने की कोशिश की है। जिस उद्देश्य के लिए सेबी की स्थापना भारत की संसद द्वारा की गई थी वह उद्देश्य कितना पूर्ण हुवा हे इसका विश्लेषण हमने करने की कोशिश की है। सेबी के कार्य क्या हे तथा सेबी द्वारा कौनसे कौनसे महत्वपूर्ण कार्य किये जाते हे इसके बारे में हमने जानने की कोशिश यहाँ की है।

सेबी की स्थापने से पहले भारत की स्टॉक मार्किट में सरकार का हस्तक्षेप काफी कम देखने को मिलता था जिसकी वजह से कुछ खास लोगो का स्टॉक मार्किट पर नियंत्रण देखने को मिलता है। केंद्र सरकार द्वारा इन केंद्रित अधिकार को विकेन्द्रित किया गया और सेबी द्वारा दिल्ली , अहमदाबाद , चेन्नई और कोलकत्ता में रेगुलेटरी संस्था को निर्माण किया गया जिससे सभी स्टॉक मार्किट पर नियंत्रण रखा जाए।

सेबी की स्थापना के बाद भी कई सारे घोटाले हमें देखने को मिलते हे जिससे भारत की की विश्वसनीयता को हानि पहुंची हे इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा कई सारे सुधार भारत की शेयर बाजार में किए गए। सेबी को और सक्षम किया गया जिसका परिणाम हम आज देखते हे की भारत के शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट करने का प्रमाण पिछले कुछ सालो से बढ़ा हे जिससे भारत के शेयर बाजार की विश्वसनीयता बढ़ने का संकेत है।

शेयर मार्केट इंडेक्स क्या है ? 

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