पनामा पेपर लिक में भारत के क्या कनेक्शंस है ?

 

प्रस्तावना / Introduction-

नैतिकता और कानून यह दो अलग बाते है कानून बनाकर क्या किसी अनैतिक चीज को कानूनी बनाया जा सकता है ! किसी भी देश का इलीट क्लास टैक्स देने से बचना चाहता हे अथवा टॅक्स के बढ़ने पर विरोध करता है। किसी भी देश की सरकार टॅक्स के पैसे का इस्तेमाल बहुसंख्य सामान्य जनता के सुविधा के लिए करती है। दुनिया में कौनसे लोकतंत्र की स्थापना होनी चाहिए इसके लिए संघर्ष हमेशा से रहा है और इसमें इलीट क्लास निरंतर जीतता आया है।

भ्रष्टाचार और क्राइम यह किसी भी देश की सरकार चाहे तो उसे ख़त्म कर सकती है मगर आजतक यह किसी भी देश के लिए संभव नहीं हुवा है। इसलिए पनामा पेपर लीक जैसे मामले यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है। भारत से इस पेपर लीक में ५०० लोगो के नाम आए हे जिसमे आगे क्या हुवा यह जानने के लिए किसी के पास वक्त नहीं है। किसी एलिट पर कोई कार्यवाही होती हे तो वह केवल राजनीती से प्रेरित होती हे जो किसी सेटलमेंट से ख़त्म हो जाती है।

ज्यादातर केसेस में एलिट वर्ग के किसी इंसान को सजा हुई हे वह प्रमाण बहुत कम होता हे चाहे वह अमरीका हो अथवा भारत यह प्रमाण नगण्य होता है। सामान्य नागरिको को ऐसे केसेस से कोई लेना नहीं होता मगर सामाजिक बदलाव के लिए ऐसे केसेस कितने महत्वपूर्ण होते है यह हमें पता नहीं होता है। जिस देश में नागरिक ज्यादा जागरूक होते है वह भ्रष्टाचार और क्राइम कम होते हे ऐसा हम कह सकते है।

इसलिए हम इस आर्टिकल के माध्यम से पनामा पेपर लीक केस क्या हे यह विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। इस जानकारी को हम तटस्थ होकर लिखने की कोशिश करेंगे नहीं तो ज्यादातर आर्टिकल किसी विचार से प्रभावित होते हे जो कुछ विषयो को न्याय नहीं दे पाते।

पनामा पेपर लीक केस क्या है ?/What is Panama Paper Leak Case –

जुर्गेन मोस्साक यह एक जर्मन वकील थे जिन्होंने पनामा सिटी में इस कंपनी की स्थापना की थी जिसको बाद में १९८६ को रेमोन फोंसेका ने ज्वाइन किया और बाद में तीसरे डायरेक्टर ज्वाइन हुए क्रिस्टोफर जोलिंगेर जो स्वीज़रलैंड के नागरिक थे। यह एक अंतराष्ट्रीय लॉ फर्म था जो कमर्शियल लॉ तथा निवेश सलाहकार के तौर पर काम करता था। यह एक दुनिया का सबसे बड़ा अंतर राष्ट्रीय घोटाला था जो अपने अपने देश के टैक्स की चोरी तथा गैर कानूनी तरीके से कमाए गए पैसे को इन्वेस्ट करके बढ़ाता था।

१.१० करोड़ कागजात का यह दस्तावेज है टैगा २.६ टेरा बाईट का यह कंप्यूटर डाटा था जिसको जांचने के लिए ICIJ इस संस्था को काफी वक्त लगा और २०१६ को इसको प्रकाशित किया गया। इस जांच के लिए ICIJ द्वारा दुनियाभर से १०० मीडिया हाउसेस तथा ७६ देशो के पत्रकारों के माध्यम से यह ख़ुफ़िया जांच शुरू की थी जिसको एक लीगल कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से ख़ुफ़िया तरीके से एक साथ प्रकाशित किया गया था।

जॉन डो यह इस पनामा पेपर लीक के मुख्य किरदार रहे है जिन्होंने पहली बार यह जानकारी जर्मन मीडिया हाउस को दी जिसके माध्यम से यह केस काफी बड़ा होने के कारन इसको ICIJ संस्था को इन्वेस्टीगेशन के लिए दिया गया। यह एक पैसे का हेरफेर करने के मोड्स ऑपरेंडी रही हे जो पैंडोरा पेपर लिक से जुडी है जिसमे कई सारे सेलेब्रिटी , बिजनेसमैन तथा पॉलिटिशियन के नाम बाहर आए है।

पनामा पेपर लीक केस और भारत के तार / Panama Paper Leak Case & India Connection –

२०१६ में यह जानकारी दुनिया के सामने आयी है भारत से इस लिस्ट में लगबघ ५०० नाम आए है जो काफी हाय प्रोफाइल लोगो के नाम है, जिसमे बच्चन परिवार, विजय माल्या ,अजय देवगन तथा इक़बाल मिर्ची जैसे गुनाहगार के नाम शामिल है । यह अपराध भारत की कोर्ट में अभीतक सिद्ध नहीं हो सके हे और कोर्ट में इसकी जांच चल रही है जिसके लिए सरकार ने एक संयुक्त आयोग की स्थापना की हे जिसमे रिज़र्व बैंक से लेकर ED जैसे संस्था के अधिकारी शामिल है।

भारत से पनामा पेपर लीक में २०००० करोड़ रूपए का निवेश किया गया है जो कुल ५०० लोगो द्वारा पिछले चालीस साल का यह ब्यौरा है। जिन देशो में टॅक्स काफी कम होता है और अमरीका और जर्मनी में हमें व्यक्तिगत जानकारी को ख़ुफ़िया रखा जाता है मगर यहाँ टॅक्स रेट काफी ज्यादा है। वही पनामा जैसे कई छोटे छोटे देश हे जहा टॅक्स हेवेन देश माना जाता है ऐसे देशो में यह लीगल फर्म दुनियाभर के बड़े बड़े आमिर लोगो के पैसो को इन्वेस्ट करता है।

काला धन यह लगबघ सभी विकाशसील और गरीब देशो की समस्या रही है, जागतिकीकरण के बाद चीन और भारत ने एक साथ पूंजीवादी व्यवस्था की शुरुवात की जिसमे विदेशी निर्यात यह सबसे महत्वपूर्ण कारन रहा हे चीन के विकास का वही भारत निर्यात में ज्यादा सफल नहीं रहा है। जिसकी सबसे बड़ी वजह यह भ्रष्टाचार यह रहा है, पैंडोरा पेपर और पनामा पेपर यह दोनों मामले सामान तरीके से पैसे की मनी लॉन्डरिंग होती है जिसमे देश के बड़े बड़े लोगो के पैसे इन्वेस्ट है और भारत में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

मोस्साक फोंसेका & कंपनी क्या है ? / What is Mossack Fonseca & Co. –

मोस्साक फोंसेका यह एक पनामा रिपब्लिक की कॉर्पोरेट फर्म है जिसकी स्थापना दो व्यक्तियों ने मिलकर की थी जो यह नाम से समझमे आएगा। १९७७ की इस कंपनी की स्थापना की गयी थी जो २०१६ में पनामा पेपर लीक प्रकरण में इस कंपनी को पूरी दुनिया जानने लगी जो कानून के दृष्टी से बहुत ही जटिल केस है। यह एक कॉर्पोरेट बेस अंतरराष्ट्रीय कंपनी हे जिसकी दुनिया भर में ४८ शाखाए हे तथा लगबघ २ लाख के करीब ऑफशोर कम्पनिया रजिस्टर्ड है।

इस कंपनी की काम करने की पद्धती यह काफी जटिल है जिसमे टैक्स हेवेन देशो में यह कम्पनिया रजिस्टर्ड की जाती है जिसका बेनिफिट इन कंपनियों के इन्वेस्टर को मिलता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह हे की यह सभी इन्वेस्टर अपने अपने देशो के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व है जिनकी संपत्ती के ब्युरे में यह जानकारी नहीं मिलती है। यह कंपनी इन इन्वेस्टर का पैसा पूरी तरह कानूनी रूप से उस देश में यह पैसा इन्वेस्ट करती है मगर इसका सोर्स यह इन्वेस्टर अपने अपने देश से छिपाते है।

२०१६ में यह कंपनी दुनिया भर के मीडिया के माध्यम से सबकी नजरो में आयी जिसको International Consortium of Investigative Journalists (ICIJ) इस पत्रकारिता संस्था द्वारा प्रकाशित किया गया जो दुनिया का सबसे बड़ा सनसनीखेज केस था, जिसके कारन कई देशो के राजनीतिज्ञ को अपना पद छोड़ना पड़ा था। १४ मार्च २०१८ को इस कंपनी ने खुद को बंद करने की चोषणा की जिसका प्रमुख कारन था इस कंपनी की पूरी दुनिया भर में किरकिरी हुई थी जिससे इसकी विश्वसनीयता ख़त्म हो चुकी थी।

इंटरनेशनल कंसोर्टियम इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट संस्था / International Consortium of Investigative Journalist –

यह एक नॉन प्रॉफिट पत्रकारों का अंतराष्ट्रीय संघटन है जो पूरी तरह से पब्लिक फंडिंग पर चलता है जिसका मुख्य उद्देश्य दुनियाभर के देशो में मीडिया का स्वतंत्र अबाधित रहे तथा लोकतंत्र और बोलने की आझादी बरक़रार रहे। इस संस्था के पुरे देशभर से २८० पत्रकार सदस्य है जो १०० देशो से आते है और महत्वपूर्ण जांच के लिए यह काम करते है जो खबर लोगो तक पहुचानी चाहिए। इस संस्था के माध्यम से दुनियाभर के प्रमुख १०० मीडिया हाउसेस जुड़े हे जिसमे बीबीसी, न्यूयोर्क टाइम्स और गार्डियन जैसे मीडिया हाउस है।

यह संस्था उस समय सबसे ज्यादा सुर्खियों के आयी जब पनामा पेपर लिक की जानकारी जॉन डो इस नाम से फोन करने वाले व्यक्ति द्वारा जर्मनी के पत्रकार बास्टियन ओबेरमाएर को दी गयी थी जो “Suddeutsche Zeitung” इस न्यूज़ पेपर के लिए काम करते थे। यह स्कॅम इतना बड़ा था और इसका डाटा इतना था की किसी एक न्यूज़ पेपर के बस की यह बात नहीं थी तब उन्होंने अमरीका के एक NGO से संपर्क किया जो ICIJ यह संस्था थी जिसके माध्यम से यह काम अगले ८ महीनो तक चला जिसकी इन्वेस्टीगेशन के लिए पुरे दुनियाभर से पत्रकार तथा मीडिया हाउस को साथ में लिया गया।

भारत से इस इन्वेस्टीगेशन के लिए गोएन्का ग्रुप के इंडियन एक्सप्रेस को चुना गया था। इस संस्था के माध्यम से पूरी इन्वेस्टीगेशन पूरी होने तक यह जानकारी प्रकाशित नहीं की जाएगी यह सभी सदस्य देशो के मीडिया हाउसेस द्वारा तय किया गया और एक साथ इस जानकारी को पूरी इन्वेस्टीगेशन पूरी होने के बाद प्रकाशित किया जाएगा यह तय किया जिसको सभी सदस्यों ने ईमानदारी से पूरा किया ऐसा इस संस्था द्वारा कहा गया। इस पनामा पेपर लीक के माध्यम से १२ देशो के राष्ट्रपति तथा कई नामी हस्तियोंके नाम थे इसलिए यह काफी जोखिम भरा काम था।

पनामा पेपर लीक की विशेषताए / Features of Panama Paper Leak Case –

  • पनामा पेपर लीक यह मामला १ करोड़ से भी ज्यादा दस्तावेज और कंप्यूटर की भाषा में कहे तो २. ६० टेरा बाईट का डाटा इतना हैक किया गया था।
  • जॉन डो इस नाम से एक व्यक्ति ने जर्मनी के पत्रकार बास्टियन ओबेरमाएर यह जानकारी दी गयी थी जिसके माध्यम से यह केस दुनिया के सामने आया था।
  • पनामा पेपर लीक में १२ देशो के राष्ट्र प्रमुख और कई प्रसिद्द हस्तिया इसमें नाम आए थे और कई राजनितिक नेताओ की इससे कुर्सी चली गयी थी।
  • मोस्साक फोंसेको कंपनी के माध्यम से जाली कम्पनिया बनाकर इसमें लोग अपने पैसे को सफ़ेद करते थे जिसके लिए टॅक्स हेवेन देशो का इस्तेमाल किया जाता था जिसमे हॉंकॉंग और ब्रिटेन जैसे देशो में यह पैसे इस्तेमाल किए जाते थे।
  • मोस्साक फोंसेको यह एक लीगल फर्म थी जिसका मुख्य काम ४८ देशो में चलाया जाता था जिसके माध्यम से कई बड़ी हसिया इस कंपनी में अपने पैसे इन्वेस्ट करते थे।
  • मोस्साक फोंसेको इस कंपनी में निवेश करने का कारन था की यह जानकारी गुप्त रखी जाती थी और जिस देश में यह पैसा इन्वेस्ट किया जाता था वहा इस पैसे का सोर्स बताने के जरुरत नहीं रहती थी।
  • भारत से इस पनामा पेपर लीक केस में ५०० नाम आए थे जिसमे से हाल ही में दिसंबर २०२१ में ED द्वारा बच्चन परिवार से एक सदस्य को इन्वेस्टीगेशन के लिए बुलाया गया था।
  • पनामा पेपर लीक की जानकारी इतनी ज्यादा थी की इसे इन्वेस्टीगेट करने के लिए कोई एक मीडिया हाउस नहीं कर सकता था इसलिए यह काम ICIJ इस अमरीकी NGO द्वारा यह काम हाथ में लिया गया जिसको पूरा इन्वेस्टीगेट करने के लिए ८ महीने लगे थे।
  • दुनिया भर के १०० देशो से २८० पत्रकार तथा १०० मीडिया हाउस की मदत से यह इन्वेस्टीगेशन पूरा किया गया और ३ अप्रैल २०१६ को यह जानकारी प्रकाशित कर दी गयी।
  • पनामा पेपर लीक केस में जाली कम्पनिया बनाकर दुनिया भर के प्रभावी लोग अपने देश के लोगो से जानकारी छुपकर यह पैसा इस कंपनी को टॅक्स हेवेन देशो में रखते है।
  • अक्टूबर २०२० को जर्मन सरकार ने मोस्साक और फोंसेको जो मोस्साक फोंसेको कंपनी के डायरेक्टर थे उनको टॅक्स चोरी और क्रिमिनल फर्म खोलने के जुर्म में अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वार्रेंट जारी किया गया था।
  • घुस देने के लिए , टॅक्स बचाने के लिए,गैरकानूनी तरीके से कमाए पैसे को सफ़ेद करने के लिए तथा आतंकवादी गतिविधियों के लिए यह पैसे इस्तेमाल किए जाते थे।

पनामा पेपर लीक केस का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of Panama Paper Leak Case –

पनामा पेपर लीक का मूल स्त्रोत था जॉन डो जो एक जाली नाम हो सकता है, जिसने सबसे पहले यह खबर जर्मन अख़बार को दी थी। जिसको पत्रकार बास्टियन ओबेरमाएर जो “Suddeutsche Zeitung” इस न्यूज़ पेपर के लिए काम करते थे उनको मिली थी। उन्होंने इस जॉन डो से सवाल पूछा था की आप यह जानकारी क्यों देना चाहते है तो उसका कहना था की इससे गैरबराबरी की समस्या तथा भ्रष्टाचार को ख़त्म करना है।.पिछले पांच साल बाद भी परिस्थिति किसी भी देश में नहीं बदली है।

ज्यादातर विकासशील देशो में इलीट लोगो को कभी भी ज्यादातर कानूनी सजा नहीं होती है और केवल राजनितिक और आर्थिक सेटलमेंट देखने को मिलते है। हजारी प्रभावी लोगो के नाम इस पेपर लीक में आए थे मगर इसमें से कितने लोगो को सजा हुई है इसकी कोई जानकारी मीडिया द्वारा आजतक नहीं मिली है। ISIJ यह संस्था भले ही कोई नॉनप्रॉफिट संस्था हो जो सार्वजनिक पैसे से चलाई जाती है जिसका इस्तेमाल राजनितिक तौर पर हो सकता है इसे नकार नहीं सकते है।

इनमे ज्यादातर ऐसे देश है जो पूंजीवादी लोकतंत्र को विरोध करते है तथा रशिया, चीन और उत्तर कोरिया जैसे देशो में इस पेपर लीक से कितना प्रभाव पड़ा होगा यह एक संशोधन का विषय है। भ्रष्टाचार और क्राइम यह देश की सरकार जब चाहे ख़त्म कर सकती है मगर वह नहीं करती इसके पीछे की राजनीती समझना बहुत जरुरी है। अधिकतर लोगो को यह राजनीती समझमे नहीं आती है इसलिए पनामा पेपर लीक और पैंडोरा पेपर लीक जैसे कई मामले आते हे मगर व्यवस्था जैसे के तैसी चलती रहती है।

पनामा पेपर लीक केस में कानूनी दॄष्टिकोण / Panama Paper Leak Case & Legal Point of Views –

भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा संसद को यह आदेश दिए गए थे की एक आयोग बनाकर इस मामले की जांच की जाए तथा कानून की खामियों को कम किया जाए। भारत में इनकम टॅक्स तथा GST यह दूसरे देशो की तुलना में काफी ज्यादा है, अमरीका और जर्मन जैसे देशो में भी टॅक्स अधिक हे मगर वहा के नागरिको की इनकम भारत की तुलना में बहुत ज्यादा है। भारत की अधिक जनता सरकार पर निर्भर हे जिसमे नोकरियो से लेकर अलग अलग आर्थिक योजनाओ के लिए वह निर्भर होती है।

सरकारी योजनाओ को पूरा करने के लिए सरकार को अधिक टॅक्स पर निर्भर रहना पड़ता है, तथा १९९० के बाद निजीकरण के माध्यम से सरकारी कंपनियों को बेचा गया है जिससे बजट में पूरा बर्डन केवल टॅक्स इनकम पर निर्भर है। ज्यादातर एलिट क्लास टॅक्स भरने की जिम्मेदारी को एक नुकसान की तरह देखता है इसे सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर नहीं देखा जाता है इसलिए गैर कानूनी तरीके से पैसे को विदेशी बैंको और कंपनियों के माध्यम से सफ़ेद बनाकर भारत में विदेशी निवेश के नाम पर भेजा जाता है।

प्रत्यक्ष कर और और अप्रत्यक्ष कर यह दो प्रकार के टॅक्स होते है जिसमे प्रत्यक्ष कर को धीरे धीरे कम करके अप्रत्यक्ष कर को बढ़ाया जा रहा है जिससे मनी लॉन्डरिंग को रोका जाए। मगर इसका दूसरा परिणाम यह देखने को मिल रहा है की लोगो की खरीद क्षमता तो नहीं बढ़ी हे मगर महंगाई बढ़ रही है तथा फेमा जैसे कानून को और सुधारना पड़ेगा। क्रिमिनल्स तथा कानून को तोड़ने वाले हमेशा कानून की सुरक्षा करने वालो से दो कदम आगे होते हे इसका कारन हे वह जानते हे की सिस्टम को ख़रीदा जा सकता है और अपना काम कैसे भी करवाया जा सकता है।

निष्कर्ष / Conclusion –

पनामा पेपर लीक यह मामला पूरी दुनियाभर में एक राजनितिक हलचल लेके आया जिसमे कई देशो के राष्ट्र प्रमुख इसमें सीधे तौर पर अथवा अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे ऐसा दावा किया गया। उस समय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इस्तीफा देना पड़ा था। चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग तथा रशिया के राष्ट्रपति पुतिन का नाम इसमें लिया गया जो एक तरह से राजनितिक मुद्दा ज्यादा दिख रहा था।

जिस मूल इंसान से यह खबर पूरी दुनिया के सामने रखी गयी वह इंसान असलियत में कौन हे यह आज तक पता नहीं चल सका है। इसमें एक मुद्दा बहुतही महत्वपूर्ण सामने आया हे की जिस देश के प्रमुख अथवा अन्य महत्वपूर्ण राजनेता के नाम इसमें आए हे वह पूंजीवाद के कड़े विरोधक है। इसलिए यह मुद्दा राजनीतिक ज्यादा लगता है। ऐसा नहीं हे की पैसे का हेरफेर नहीं हुवा है ब्लैक मनी को वाइट करने की कोशिश जरूर हुई है मगर इस पनामा पेपर लीक का आगे क्या हुवा यह आगे ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।

राजनीती में केस तो कई देने तक चलते रहते है और आयोग बनाकर लोगो को कुछ तो एक्शन लिया गया है यह दिखाया जाता है। मगर ऐसे मामले कभी कभार अचानक देखने को मिलते है जिसको राजनितिक तौर पर डील करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पनामा पेपर लीक के मामलों में भारत के ५०० लोगो के नाम आए हे जिनमे से कई लोग इतने प्रभावशाली हे की लोग इनको भगवान की तरह पूजते है।

इसलिए सामान्य लोगो को अपने आदर्श चुनते समय थोड़ा अच्छी तरह सोचना चाहिए, क्यूंकि टॅक्स की चोरी करना और इसके लिए विदेशी शक्तियों का इस्तेमाल करना यह एक प्रकार का देशद्रोह है।

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