प्रस्तावना / Introduction –

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज क्या हे वह कैसे काम करता हे इसके बारे में बेसिक जानकारी यहाँ हम लेने की कोशिश करेंगे। जो जानकारी हम देने वाले हे वह इन्वेस्टर तथा जो लोग अपनी कंपनी को पब्लिक लिमिटेड कंपनी करना चाहते हे उनके लिए काफी उपयुक्त रहेगी।
कंपनी पब्लिक लिमिटेड करने से क्या फायदे मिलते हे इसके बारे में हम जानेगे क्यूंकि भारत में लोग प्रोफ़ेशनल तरीके से कंपनी चलाने से डरते हे वह कंपनी की ओनरशिप अपने परिवार के पास रखना चाहते हे इसलिए ज्यादातर कम्पनिया पब्लिक लिस्टेड कंपनी करने से कतराते है।

भारत की जो बड़ी बड़ी कंपनी हम देखते हे तो पता चलता हे की वह पारिवारिक संपत्ती के तौर पर चलाई जाती हे इसलिए हम देखते हे की भारत के बुद्धिजीवी कॉर्पोरेट लीडर विदेशी कंपनियों की लीडरशिप स्वीकारते हे और उनको बढ़ाते है।

अपने कंपनी के लिए फंड खड़ा करने का तथा अपने कंपनी का गुडविल बढ़ाने का यह सबसे अच्छा माध्यम हे और सबसे महत्वपूर्ण बात यह हे की यह संस्था सरकार के नियंत्रण में काम करती है और हम इसपर विश्वास रख सकते है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज / National Stock Exchange –

NSE यह एक अप्रत्यक्ष्य रूप से सरकारी नियंत्रण में हे मगर इसके मुख्य ओनरशिप कानूनी रूप से वित्तीय संस्थाए तथा बॅंक, इन्शुरन्स कम्पनिया इनके पास है। १९९२ में खुली अर्थव्यवस्था के पॉलिसी के बाद तथा मुंबई शेयर बाजार के बड़े बड़े आर्थिक घोटालो के बाद सेबी की रेगुलेशन के साथ इसकी स्थापना बड़ी विपरीत परिस्थिती में कराइ गई।

भारत में पहली बार स्टॉक एक्सचेंज को एलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में तथा कंप्यूटर से लैस बनाया गया था जिससे स्टॉक एक्सचेंज के व्यवहारों में पारदर्शकता आ सके। भारत का यह स्टॉक एक्सचेंज दुनिया का एक महत्वपूर्ण स्टॉक एक्सचेंज आज के दिन माना जाता हे जिसका मार्किट कॅपिटलाइज़शन 3.4 अमरीकी ट्रिलियन डॉलर इतना है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यह भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज माना जाता हे मगर जबसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की गयी हे ज्यादातर निवेश और कंपनी लिस्ट करने के लिए ब्रोकर हाउसेस द्वारा NSE को प्राथमिकता दी जाती हे बहुत लोगो को इसका कारन पता नहीं हे, मगर NSE की टेक्नोलॉजी काफी विकसित की गयी हे। जिसकारण होने वाले व्यवहार काफी जल्दी हो जाते हे और सभी को इसका फायदा होता है।

निफ़्टी ५० क्या हे और वह कैसे तय होता है / What is NIFTY 50 –

जैसे की जब हम बाजार में अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए रखते है तो सभी प्रोडक्ट सामने नहीं रखते केवल कुछ खास और बेहतरीन प्रोडक्ट रखते हे जिससे ग्राहक आकर्षित हो सके। शेयर मार्किट में भी ऐसे इंडेक्स बनाए जाते हे जिससे इन्वेस्टर को पता चले और वह निवेश के लिए आकर्षित हो।

इसलिए निफ़्टी ५० यह इंडेक्स बनाया गया हे जिसमे NSE के पचास बेहतरीन कम्पनिया दिखाई जाती हे जिसका पिछले कुछ सालो से अच्छा परफॉरमेंस रहा है। यह इंडेक्स परफॉरमेंस के हिसाब से बदलते रहता हे मगर कुछ बेहतरीन कम्पनिया अपना यह परफॉरमेंस में निरंतरता रखती है।

बस कुछ कंपनियां इससे बाहर होती हे और नए प्लेयर इस लिस्ट में शामिल हो जाती है। इसे बेंचमार्क इंडेक्स कहा जाता हे जिससे शेयर बाजार में स्टॉक एक्सचेंज की कंपनियों का परफॉरमेंस कैसा हे यह अनुमान लगाया जाता हे अथवा बाजार का रुख कैसा हे यह अनुमान लगाया जाता है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास / History of NSE –

१९९० से पहले भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यह सबसे महत्वपूर्ण शेयर बाजार माना जाता था तथा इस स्टॉक एक्सचेंज में सभी व्यवहार कागजी किये जाते थे तथा शेयर के भाव जानने के लिए और उसके उतार चढाव जानने के लिए इन्वेस्टर को स्टॉक एक्सचेंज में उपस्थित होना जरुरी होता था अन्यथा शेयर मार्किट के भाव समझने में तथा कागजी शेयर खरीद और विक्री को काफी समय लगता था।

१९९० से पहले शेयर बाजार के लिए कोई स्पैशल कानून तथा रेगुलेटरी नहीं होने के कारन आम आदमी को शेयर बाजार समझना काफी मुश्किल काम होता था इसलिए NSDL द्वारा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने पुराणी व्यवस्था बदल दी जिससे शेयर बाजार में आम आदमी भी इन्वेस्ट कर सके तथा जानकारी सहज प्राप्त कर सके इसकी सुविधा निर्माण की गयी।

इससे पहले शेयर बाजार में ट्रांसपेरसी के मामले में तथा रेगुलेटरी के मामले में विश्वास कम होने की वजह से निवेशक शेयर बाजार में निवेश करने से कतराते थे तथा १९९० के बाद विदेशी निवेशक भारत में इन्वेस्टमेंट करे इसके लिए सेबी के माध्यम से तथा NSE की स्थापना करके नरसिम्हा राव सरकार ने बाजार में लोगो का विश्वास बनाए रखने के लिए यह बदलाव किये थे।

NSE कैसे कार्य करता है / How NSE Works –

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यह एक प्लेटफार्म का माध्यम होता हे भारत में कंपनी कानून में रजिस्टर्ड कंपनियों को पैसा उपलब्ध करने का जो इन्वेस्टर्स और कंपनिया जिन्हे अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए पैसा खड़ा करना हे इन दोनों को मिलाने का काम नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से किया जाता है।

कंपनी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ के माध्यम से , बॉण्ड द्वारा तथा सरकारी कपानिया डिबेंचर के माध्यम से बाजार से पैसा खड़ा करती हे जिसके लिए स्टॉक एक्सचेंज इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में एक तरह से सारी जानकारी इखट्टा करके अपने पास रखता हे तथा कोई त्रुटि नजर आने पर वह ऐसी कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने से प्रतिबंधित कर सकता है।

पहले स्टॉक मार्किट में केवल बड़ी कंपनियों के लिए यह प्लेटफार्म उपलब्ध होता था, मगर आज छोटे बिज़नेस तथा टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए कुछ खास सुविधाओं के साथ बाजार से पैसा खड़ा करने के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने प्लेटफार्म बनाया है जिससे कम्पनिया अपना बिज़नेस बढ़ा सकती है।

NSE और BSE में क्या फर्क है / What is Difference between NSE & BSE –

BSE स्टॉक एक्सचेंज यह केवल भारत का ही नहीं बल्कि पूरी एशिया का सबसे पुराना एक्सचेंज माना जाता है, जिसकी स्थापना १८७५ में मुंबई के दलाल स्ट्रीट पर हुई थी । BSE में लगबघ ६००० कम्पनिया लिस्टेड हे तथा इसका सेंसेक्स इंडेक्स पुरे भारत में इन्वेस्टर के लिए काफी महत्वपूर्ण इंडेक्स माना जाता है।

NSE की स्थापना १९९२ में नरसिम्हाराव सरकार के मदद से की गयी जिसका मूल उद्देश्य था की BSE का भारतीय शेयर बाजार पर एकाधिकार न रहे और सरकार के नियंत्रण से लोगो को शेयर मार्किट में इन्वेस्ट करने का भरोसा मिल सके तथा विदेशी निवेश के लिए एक प्लेटफार्म तैयार हो सके।

NSE और BSE में सबसे महत्वपूर्ण फर्क यह हे की BSE में ६००० कम्पनिया लिस्टेड हे और NSE में १६०० कम्पनिया लिस्टेड हे परंतु खरीद और विक्री का प्रमाण ( Trading Volume ) NSE में काफी ज्यादा होता है। ज्यादातर ब्रॉकर इन्वेस्टमेंट,ट्रेडिंग के लिए NSE से व्यवहार करना प्रेफर करते हे, क्यूंकि ट्रांसक्शन काफी रफ़्तार से होते है जिससे ब्रोकर तथा निवेशक को इसका फायदा मिलता है।

NSE और भारत की अर्थव्यवस्था / Indian Economy & NSE –

भारत में बिज़नेस बढ़ते हे जब बाजार में इंटरेस्ट रेट कम हो, जिससे कंपनियों को पैसा खड़ा करने के लिए कम खर्च आता है। जिससे बाजार में तेजी का माहौल निर्माण होता है। इंटरेस्ट रेट बढ़ने से बाजार में मंदी का माहौल निर्माण होता है इसलिए रिज़र्व बैंक को इंटरेस्ट रेट को नियंत्रित रखना पड़ता है।

महंगाई यह अर्थव्यवस्था का दूसरा महत्वपूर्ण घटक हे जिससे शेयर बाजार पर परिणाम होता हे इसलिए निवेशक की खरीद क्षमता पर बाजार का उतर चढाव निर्भर रहता है। भारत में अभीभी असंगठित बिज़नेस की संख्या काफी अधिक हे जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास लाने के लिए यह बिज़नेस शेयर बाजार में आना जरुरी हे जिससे सभी को फायदा होगा जिसमे निवेशक भी हे तथा कम्पनिया भी है।

भारत में परिवार वादी बिज़नेस चलाने में लोग ज्यादा भरोसा करते हे जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ने की रूकावट का सबसे महत्वपूर्ण कारन है। अमरीका में ७०% लोग शेयर मार्किट से जुड़े हे यह अकड़ा भारत की तुलना में काफी बड़ा है।

भारत में अगर परिवार वादी बिज़नेस की जगह सही मायने में प्रोफेशनल लोग बिज़नेस चलाने लगे तो और निवेशक तथा लिस्टेड कम्पनिया मार्किट में आएगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा मिलेगा। भारत की अर्थव्यवस्था में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की क्षमता हे केवल हमें हमारी विचार क्षमता को बदलना होगा।

NSE का स्थापना से अबतक का सफर / Journey of NSE from its Establishment –

१९९२ में शुरुवात करने के बाद आज निफ़्टी १५००० का अकड़ा पार कर गया हे जिसमे शुरुवाती १३ कम्पनिया आज भी इस सफर में देखने को मिलती है तथा भारत की शेयर बाजार में NSE स्टॉक मार्किट सबसे भरोसे मंद तथा अंतराष्ट्रीय इन्वेस्टर के लिए पसंदीदा शेयर बाजार है।

NSE की स्थापना यह हर्षद मेहता घोटाला तथा सत्यम कंप्यूटर घोटाला ऐसे शेयर बाजार की कई खामिया का एक रिफॉर्म्स माना जाता हे जिसके जरिये NSE पहली बार इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में भारत में इन्वेस्टर तथा कंपनियों के लिए निर्माण किया गया।

BSE में ६००० से ज्यादा कम्पनिया लिस्टेड होने के बावजूद लोग NSE स्टॉक एक्सचेंज पर ज्यादा भरोसा करते है तथा सबसे ज्यादा व्यवहार का प्रमाण हमें NSE में देखने को मिलता है। आज BSE तथा NSE दोनों महत्वपूर्ण स्टॉक एक्सचेंज कंप्यूटर से लैस हे मगर जब पहली बार NSE ने यह टेक्नोलॉजी शेयर बाजार में लाई तब शेयर बाजार के प्रती लोगो का विश्वास बढ़ने में काफी मदद मिली थी।

NSE की मुख्य विशेषताए / Silent Features of NSE –

  • NSE में निवेश करना अथवा कंपनी लिस्ट करना काफी सरल प्रोसेस हे तथा सभी टेक्नोलॉजी के माध्यम से पुरे भारत में सहज उपलब्ध हे जो पहले काफी मुश्किल होता था।
  • इन्वेस्टर अपने डीमैट अकाउंट के जरिए घर बैठे अपने ट्रांसक्शन कर सकता है इतना सहज और सुरक्षित प्लेटफार्म NSE ने बनाया है।
  • खरीद और विक्री तथा ट्रांसक्शन पूरा होने की प्रक्रिया इतनी सहज और जल्द होती हे जिससे शेयर बाजार में व्यवहार करना काफी सरल हो गया है।
  • सुरक्षितता के मामले में NSE ने काफी महत्वपूर्ण रेगुलेशंस से सभी को बाजार में निवेश करना तथा पैसा खड़ा करना यह प्रोसेस सरल बनाया है, जिससे विदेशी इन्वेस्टर तथा भारत के इन्वेस्टर खुद को यहाँ सुरक्षित महसूस करते है ।
  • स्टार्टअप कम्पनियो के लिए बाजार में अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए NSE ने अलग से प्लेटफार्म खड़ा किया है।
  • टेक्नोलॉजी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों के लिए विशेष सहूलियत NSE द्वारा दी गयी है जिससे काफी कम अनुभव तथा कम कॅपिटल वाली कंपनी बाजार से पैसा खड़ा कर सकती है।
  • ब्रोकर्स और सब ब्रोकर्स की लिस्ट NSE इन्वेस्टर की सुरक्षितता के लिए अपनी साइट पर रखती हे जिससे गलत ब्रोकर इन्वेस्टर को फसा न सके।
  • कंपनी को अपना आईपीओ उतारने से पहले NSE उस कंपनी की सारी जानकारी वैरिफाय करती है।

भारत के मुख्य स्टॉक एक्सचेंज / Stock Exchanges in India –

  • NSE India Ltd .
  • BSE Ltd .
  • Metropolitan Stock Exchange of India Ltd .
  • Calcutta Stock Exchange Ltd.
  • NSE IFSC Ltd.
  • India International Exchange Ltd.

NSE के मुख्य इंडेक्स / NSE Index –

  • NIFTY 50
  • NIFTY 100
  • NIFTY NEXT 50
  • NIFTY MIDCAP 50
  • NIFTY SMALL CAP 250
  • INDIA VIX

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने यहाँ देखा की NSE स्टॉक एक्सचेंज की शुरुवात कैसे हुई और किन हालत में हुई थी। हमने यहाँ जानने की कोशिश की , कैसे NSE में शेयर्स , बॉन्ड्स , डिबेंचर तथा कमोडिटीज के व्यवहार किये जाते है। लोगो का शेयर बाजार के प्रती विश्वास का कारन ही NSE की स्थापना है।

१९९२ से पहले भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चर्मरा गई थी तभी नरसिम्हाराव सरकार के वित्तमंत्री जो अपने आर्थिक ज्ञान के लिए जाने जाते है उन्होंने भारत में नई आर्थिक निति लाई जिससे भारत के शेयर बाजार को नई रफ़्तार मिले तथा अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाए।

BSE यह भारत का सबसे पुराना शेयर बाजार था मगर उसमे व्यवहार की पारदर्शिता तथा नए निवेशक को शेयर बाजार में आने के लिए काफी मुश्किलें थी जिसे NSE के आने के बाद यह काफी सरल हुवा। NSE की स्थापना के माध्यम से BSE का प्रभुत्व ख़त्म कर दिया गया जिससे भारत की शेयर बाजार पर नियंत्रण रखा जाए।

इसलिए हमने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के बारे ज्यादा से ज्यादा जानकारी उपलब्ध करने की कोशिश की हे और आशा करते है की यह जानकारी आप के लिए काफी उपयोगी रहेगी।

इस विषय पर अन्य लेख पढ़ने के लिए निचे क्लिक करे

भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *