प्रस्तावना / Introduction –

टाटा ग्रुप भारत का सबसे बड़ा बिज़नेस एम्पायर जिसका सभी क्षेत्र में काम शुरू हो फिर भी इस एम्पायर का लीडर भारत का सब से आमिर व्यक्ती नहीं है, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज के लीडर मुकेश अम्बानी भारत के सबसे आमिर व्यक्ती बने। भारत में टाटा ग्रुप सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमाता हे फिर वह प्रॉफिट किसको जाता है। यहाँ हम टाटा ग्रुप की शुरुवात कैसे हुई , कैसे हर क्षेत्र में टाटा ग्रुप की कम्पनिया काम कर रही हे उसका बिज़नेस मॉडल कैसा हे इसका अभ्यास करने की कोशिश करेंगे। टाटा ग्रुप में कोनसी कंपनी कितना हिस्सा देती हे इसका विश्लेषण यहाँ हम करने की कोशिश करेंगे, इसका मैनेजमेंट कैसे चलता हे इसको जानने की कोशिश करेंगे। विदेशी कम्पनिया और टाटा ग्रुप में क्या फर्क हे और यह अंतराष्ट्रीय कम्पनिया कैसे बनी इसके कारन ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे।

दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनिया एक समय में दिवालिया घोषित होने वाली थी उससे उभरकर आज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ कम्पनिया बनी। इसके क्या कारन हे और टाटा ग्रुप इतने निरंतर सफलता कैसे हासिल कर सकी यह जानने की कोशिश करेंगे। टाटा ग्रुप की अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कम्पनिया काम करती हे मगर उसके कस्टमर कौन हे और विदेशी कंपनियों के कस्टमर कौन हे यह जानने की कोशिश करेंगे। टाटा ग्रुप ने बड़ी विदेशी कंपनियों को कैसे खरीद लिया इसकी जानकारी लेने की कोशिश करेंगे।

भारत सरकार की प्रोटेक्शन पॉलिसी का टाटा ग्रुप को कितना लाभ मिला और ओपन मार्किट में क्या टाटा ग्रुप इतना परफॉरमेंस कर सकेगी ? इसके कारन ढूँढ़ने की कोशिश करेंगे। यह आर्टिकल लिखने का कारन इससे कुछ नया सीखने को मिलेगा और संशोधन से कुछ नयी जानकारी हासिल होगी। संशोधन के मामलो में विदेशी कम्पनिया भारतीय कंपनियों से काफी आगे हे और हमें टेक्नोलॉजी में काफी विकास करना है जिसको देखते हुए रिलायंस और टाटा ग्रुप यह भारतीय ५००० प्रमुख लीडर कंपनियों का नेतृत्व कर रही है।

टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा / Jamshedji Tata –

जमशेदजी टाटा यह पारसी परिवार से आते थे जिस्नके पिछले पीढ़ीमे केवल उनके पिताजी नुस्सेरवांजी ने बिज़नेस शुरू किया था। इससे पहले की पीढ़िया पारसी प्रीस्ट का काम करती थी जिनको काफी इज्जत मिलती थी। मगर आर्थिक रूप से वह इतने सधन नहीं थे बाद में उनके पिताजी ने अपना कारोबार बढ़ाया और जमशेदजी टाटा को उस ज़माने में उम्र के २९ वे साल में २१००० रुपये दिए थे। आज के तारीख में ६० मिलियन डॉलर के आसपास उसकी कीमत होगी ।

इस पैसे से स्वतत्र रूप से अपने बिज़नेस करियर की शुरुवात की इससे पहले उनके पिताजी ने उनको ओपियम के व्यापार की जानकारी लेने के लिए चीन भेजा वहा उनको एक बात समझ आयी की कॉटन बिज़नेस में अच्छा भविष्य हे। इसलिए उन्होंने अपनी बिज़नेस की शुरुवात कॉटन बिज़नेस से मुंबई से की। उन्होंने अपना ग्रेजुएशन एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई से किया और कई दिनों तक उनके पिताजी के बिज़नेस में हात बटाते रहे और आखिर कार १८७० में उम्र के २९ वे साल में पहली कॉटन मिल जो बंद ऑइल फैक्ट्री को खरीद के शुरू की और प्रॉफिटेबल कंपनी बना के दो साल में बेच दी।

उन्होंने अपने जिंदगी में ताज होटल बनाया जो उनका सपना था और भी उनके सपने थे जिसे वह अपनी जिंदगी में पूरा नहीं कर सके मगर उनके अगले पीढ़ी ने वह सपने पुरे किये। स्टील प्लांट , हाइड्रो इलेक्ट्रिकल प्लांट और उच्च दर्जे का शिक्षा संस्थान बनाये। जमशेदपुर यह उनके नाम से बड़ी इंडस्ट्री बसाई गयी जो उनका सपना था जो आज भी टाटा ग्रुप का स्टील प्लांट भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में एक बड़ा स्टील प्लांट माना जाता है। पुराने ज़माने से स्टील प्लांट को स्थापित करना याने काफी सारा पैसा चाहिए जो किसी के भी बस की बात नहीं थी।

टाटा ग्रुप का इतिहास / History of Tata Group –

१८७० में जमशेदजी टाटा ने मुंबई में पुराणी आयल कंपनी को ख़रीदा और इसको कॉटन मिल में बदला और नाम दिया अलेक्सांड्रा मिल जिसे उन्होंने प्रॉफिट मेकिंग कंपनी बनाया और दो साल बाद बेच दिया। १८७४ में नागपुर में उन्होंने दूसरी कॉटन मिल कंपनी शुरू की जिसका नाम रखा था “इम्प्रेस मिल”, उनके बिज़नेस के उद्देश्य थे की भारत में एक अच्छी स्टील फैक्ट्री बने जो उनका सपना था एक अच्छा लक्सुरियस होटल बनाना , जागतिक दर्जे का एक शिक्षा सस्थां बनाना और आखिर में हाइड्रो इलेक्ट्रिकल प्लांट प्रस्थापित करना यह उनके जिंदगी के सपने थे।

इसमें से उन्होंने मुंबई स्थित प्रसिद्ध ताज होटल अपने जिंदगी में बनाया और बाकि उनके सपने उनके अगले पीढ़ी ने पुरे किये। जिसमे १९०४ में जमशेदजी टाटा के मृत्यु के बाद उनके बेटे दोराबजी टाटा कंपनी के चेयरमैन बने जिन्होंने १९०७ में टाटा स्टील की नीव रखी जिसका नाम टाटा स्टील एंड आर्गेनाईजेशन याने TISCO रखा गया था जो बाद में टाटा स्टील कर दिया गया। आगे जाके जल्द ही दोराबजी टाटा ने हाइड्रो इलेक्ट्रिकल पावर और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस की स्थापना १९११ में की और अपने पिताजी का सपना पूरा किया।

१९३८ को जे आर डी टाटा – टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने जिस समय वह टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने तब टाटा ग्रुप १०० मिलियन डॉलर की कंपनी थी जिसको उन्होंने अपने कार्यकाल में ५ बिलियन डॉलर की कंपनी बनाया। १९५२ में जे आर डी टाटा ने भारत की पहली प्राइवेट एयरलाइन्स कंपनी स्थापित की जिसको १९५३ में भारत सरकार ने उसके ऊपर नियंत्रण रखने के लिए बड़ा हिस्सा अपने पास रखा। भारत की डिसइनवेस्टमेंट पॉलिसी के तहत वह कंपनी आज पुनः टाटा ग्रुप के पास आयी है।

हलाकि १९७७ तक इस एयरलाइन्स कंपनी के चेयरमैन जे आर डी टाटा ही रहे मगर उसका कण्ट्रोल भारत सरकार ने अपने पास रखा। इस बिच १९४५ में टाटा मोटर्स की स्थापना की गयी और टाटा ग्रुप की आज सबसे महत्वपूर्ण कंपनी जो उसके सक्सेस का बड़ा हिस्सा रही हे वह टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज इस कंपनी की स्थापना १९६८ में की गयी। १९९१ को टाटा ग्रुप की कमान रतन टाटा जी ने संभाली और आज जो टाटा ग्रुप का सक्सेस का ग्राफ हम देखते हे जो नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक का इसमें सबसे बड़ा योगदान रतन टाटा जी का रहा हे भले वह आज चेयरमैन नहीं हे मगर आज भी कंपनी उनके प्रभाव से चलती है ऐसा माना जा सकता है।

टाटा ग्रुप की महत्वपूर्ण कम्पनिया / Companies of Tata Group –

  • टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी )
  • टाटा एलेक्सी (इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी )
  • टाटा कम्युनिकेशन (टेलीकॉम और मीडिया)
  • टाटा स्काई (टेलीकॉम और मीडिया)
  • टाटा टेली सर्विसेज (टेलीकॉम और मीडिया)
    टाटा स्टील
  • टाटा मोटर्स (ऑटोमोबाइल)
  • जैगुआर लैंड रोवर (ऑटोमोबाइल)
  • टाटा ऑटोकॉम्प सिस्टम्स (ऑटोमोबाइल)
  • टाटा केमिकल (कंस्यूमर और रिटेल)
  • टाटा कंस्यूमर प्रोडक्ट्स (कंस्यूमर और रिटेल)
  • टाइटन कंपनी (कंस्यूमर और रिटेल)
  • इन्फिनिटी रिटेल (कंस्यूमर और रिटेल)
  • वोल्टास (कंस्यूमर और रिटेल)
  • टाटा कैपिटल (फाइनेंस)
  • टाटा AIA लाइफ (फाइनेंस)
  • टाटा पावर (इंफ्रास्ट्रक्चर)
  • टाटा प्रोजेक्ट(इंफ्रास्ट्रक्चर)
  • टाटा कंसल्टिंग इंजीनियरस(इंफ्रास्ट्रक्चर)

एयर इंडिया का टेकओवर / Takeover of Tata Group –

जिस एविएशन कंपनी की स्थापना १९३२ में जे आर डी टाटा ने की थी उसका राष्ट्रीयकरण १९५३ नेहरू सरकार ने किया था। १९९० में भारत ने अपने पॉलिसी में बदलाव किये जिसके तहत प्राइवेटाइजेशन की शुरुवात की गयी जिसे डिसइनवेस्टमेंट कहा जाता है जिसके तहत २०२१ में अक्टूबर महीने में केंद्र सरकार ने बिडिंग के माध्यम से यह जाहिर किया की एयर इंडिया टाटा ग्रुप की हिस्सा बनेगा। एविएशन क्षेत्र में लोगो का निवेश करने के प्रति हमें निराशा दिखती हे क्यूंकि यह बिज़नेस मॉडल काफी जटिल है।

१९३२ में जे आर डी टाटा ने टाटा एविएशन सर्विस के माध्यम से २ लाख रूपए के इन्वेस्टमेंट से इसकी शुरुवात की थी जिसको १५ अक्टूबर को ८९ बर्थडे होने जा रहा है इस कंपनी का यह टाटा ग्रुप के लिए एक गर्व की बात मानी जा सकती है। एविएशन सेक्टर में कंपनी को प्रॉफिटेबल रखना बड़ा मुश्किल काम होता है और ऑइल के कीमतों की अनिश्चितता को देखते हुए कई सारि कम्पनिया नुकसान में चल रही है। परन्तु टाटा ग्रुप यह विविधता भरे बिज़नेस क्षेत्र में होने के कारन वह बिज़नेस एक्सपर्ट टीम पर खर्च करके यह बिज़नेस सफल बनाने में सक्षम हे ऐसा कह सकते है।

कई दिनों से एयर इंडिया घाटे में चलाई जा रही थी वैसे कहा जाये तो भारत का एविएशन सेक्टर ही कॉस्ट कण्ट्रोल से लड़ रहा है। टाटा ग्रुप को इस कंपनी को प्रोफिस्ट के लाना एक परीक्षा की घडी रहेगा और बाकि कंपनियों की सफलता को देखते हुए यह मुमकिन लग रहा है। एविएशन क्षेत्र को प्रॉफिट मेकिंग क्षेत्र की तरह देखने की बाजार बिज़नेस जगत में एक प्रतिष्ठा का बिज़नेस माना जाता है इसलिए इसमें प्रॉफिट कमाना काफी मुश्किल होता है।

टाटा ग्रुप की सफलता की स्ट्रेटेजीज / Business Strategy of Tata Group –

  • टाटा ग्रुप की पहले से यह रणनिती रही हे के किसी एक सेक्टर में काम न करते हे सभी सेक्टर में अपना हात आजमाए इसलिए असफलता की रिस्क बट जाती है यही कारन हे की टाटा ग्रुप की कंपनी नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक सभी क्षेत्र में काम कर रही है।
  • टाटा ग्रुप भारत की सबसे पुराणी कंपनी हे और भारतीय ब्रांड के रूप में इसे ग्राहकों की इमोशनल भावनाए जुडी है, इसे टाटा ग्रुप ने अपने ब्रांडिंग के लिए अछि तरह से इस्तेमाल किया है ।
  • सबसे पुराणी कंपनी होने की वजह से टाटा ग्रुप अपने कैपिटल को अच्छी तरह से इस्तेमाल करने में सफल रहा है।
  • भारत एक प्रगतिशील देश हे इसलिए यहाँ आर्थिक विषमता ज्यादा हे इसलिए टाटा ग्रुप अपनी सामाजिक रिस्पांसिबिलिटी समझते हुए अपने प्रॉफिट का बड़ा हिस्सा समाज के लिए खर्च करता हे इसलिए उनके ब्रांड की समाज में एक अच्छी प्रतिमा बनकर उभरी हे जिससे उसको अपने प्रोडक्ट बेचते समय फायदा होता है।
  • टाटा ग्रुप की सभी क्षेत्र में कम्पनिया होने की वजह से उनके लिए प्रोडक्ट बनाने में दूसरे कंपनियों से कम खर्च आता हे जिससे उन्हें मार्केट में एंट्री बैरियर का बेनिफिट मिल जाता हे उदहारण -टाटा स्टील कंपनी से टाटा मोटर्स के लिया अच्छे दाम में स्टील उपलब्ध हो जाता है।
  • टाटा ग्रुप का मैनेजमेंट यह उसकी विशेष ता हे जो सभी कंपनी को अपना कारोबार करने के लिए स्वतंत्रता देता है।
  • भारत में टाटा ग्रुप के कंपनियों के पास सरकार के सबसे ज्यादा ऑर्डर्स हे जो उनकी क्रेडिबिलिटी की वजह से उनको मिल जाते है।
  • ऑटो सेक्टर को मिलने वाला स्टील यह खुद के कंपनी का होने की वजह से दूसरे स्पर्धक कंपनी से अच्छा स्टील टाटा मोटर्स बगैर घाटे के इस्तेमाल कर सकती हे इससे उनकी गाड़ियों का दर्जा दूसरे गाड़ियों से अच्छा रहने में मदत मिल जाती है।
  • टाटा ग्रुप की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज उनकी सबसे ज्यादा प्रॉफिट देने वाली कंपनी हे जो अंतराष्ट्रीय स्तर पर काम करती है इसके लगबघ सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट TCS के पास है।
  • अपने एम्प्लॉयीज के लिए अच्छी सुविधाए देने की वजह से टाटा ग्रुप की उत्पादकता बढ़ने में उन्हें फायदा मिलता है।
  • टाटा ग्रुप ९.३५ लाख कर्मचारी काम करते हे वही मुकेश अम्बानी की रिलायंस कंपनी में २.३६ लाख कर्मचारी काम कर रहे है।
  • भारतीय शेयर बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा ग्रुप की कम्पनिया निफ़्टी और सेंसेक्स की प्रमुख कम्पनिया है।
  • रेवेन्यू के मामलो में टाटा ग्रुप रिलायंस इंडस्ट्रीज की तुलना में आगे हे और यह अकड़ा १०६ बिलियन अमरीकी डॉलर हे वही रिलायंस का यह अकड़ा ९२ बिलियन अमरीकी डॉलर है।

टाटा ग्रुप की विशेषताए / Features of Tata Group –

  • टाटा ग्रुप की लगबघ सभी क्षेत्र में भारत में तथा अंतराष्ट्रीय स्तर पर कम्पनिया सफलता से अपना व्यवसाय करती है।
  • टाटा ग्रुप भारत की सबसे बड़ी मार्केट कॅपिटल वाली कंपनी हे जिसका आज मार्केट कॅपिटल 300 बिलियन डॉलर है।
  • टाटा ग्रुप की सफलता में सबसे बड़ा हिस्सा याने ५२ % मार्केट कैपिटल टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज का है , दूसरे नम्बर पर टाटा स्टील कंपनी जो १६ % हिस्सेदारी हे टाटा ग्रुप के मार्केट कॅपिटल में।
  • सरकारी टॅक्स वेबसाइट , SBI जैसे बैंको के डिजिटल ट्रांसक्शन्स यह महत्वपूर्ण सर्विसेज TCS जैसी कंपनी देखती है।
  • इलेक्ट्रिकल गाड़ियों में सबसे ज्यादा अच्छा सेटअप टाटा ग्रुप का होने की वजह से आने वाले समय में इस क्षेत्र में टाटा ग्रुप के कंपनियों पर सभी की नजर निवेश के लिए रहने वाली हे जिससे टाटा ग्रुप का भविष्य अच्छा दिख रहा है।
  • नैनो प्रोजेक्ट की असफलता के बावजूद टाटा ग्रुप अपनी अलग अलग कंपनियों की सफलता के वजह से जल्द ही मार्केट में उभरने में सफल रही।
  • जैगुआर , लैंड रोवर और कोरस जैसे कंपनियों को खरीद लेने से टाटा ग्रुप की ब्रांड वैल्यू अंतराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ने में मदत हुई है।
  • टाटा ग्रुप के चेयरमैन भले ही नटराजन चंद्रशेखरन हे मगर रतन टाटा टाटा ग्रुप के लिए मेंटर का काम कर रहे है जिसकी वजह से टाटा ग्रुप में ज्यादा मैनेजमेंट विवाद नहीं होते।
  • टाटा ग्रुप भारत की सबसे बड़ी कंपनी होने के बावजूद रतन टाटा भारत के सबसे आमिर व्यक्तियों में नहीं आते इसका करना हे उनकी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप के ट्रस्ट सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा ट्रस्ट में जाता हे जिसकी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप में ५० % से ज्यादा है।
  • टाटा ग्रुप में रतन टाटा की हिस्सेदारी १% से भी कम हे इसलिए वह सबसे आमिर व्यक्तियों में नहीं आते है।

टाटा ग्रुप पर क्रिटिसिज्म / Criticism of Tata Group –

टाटा ग्रुप की गाड़िया ज्यादा तर जो देश कम विकसित हे वहा अच्छा परफॉर्म करते हे ऐसा कहा जाता है , अमेरिका , यूरोप जैसे देशो में टाटा ग्रुप अपनी स्पर्धा वहा के कंपनियों से करने में ज्यादा सफल नहीं रहा है भले ही उन्होंने ज्यागुवा , लैंड रोवर जैसी कम्पनिया खरीदी हो। भारत में टाटा ग्रुप का महत्वूर्ण इनकम का माध्यम सरकारी प्रोजेक्ट्स होते हे इसलिए खुली स्पर्धा में अंतराष्ट्रीय कंपनियों से स्पर्धा करना टाटा ग्रुप के लिए इतना आसान नहीं है। अगर भारत का मार्किट विदेशी कंपनियों के लिए रेगुलेशन कम करते हे तो भारत की कंपनियों के लिए काफी मुश्किल हो सकता है इसलिए टेक्नोलॉजी में अपडेट रहना टाटा ग्रुप के लिए जरुरी है।

टेलीकॉम क्षेत्र में उनकी कंपनी टाटा इंडिकॉम जिओ की वजह से मार्केट में पीछे हटाना पड़ा था। टाटा ग्रुप के पिछले चेयरमैन सायरस मिस्त्री की कंट्रोवर्सी की वजह से टाटा ग्रुप की बहुत ख़राब इमेज समाज को दिखी जिसको टाटा ग्रुप के मेंटर रतन टाटा ने भरने की कोशिश की और कंपनी को फिर से एक स्टेबल कंपनी बनाया। टेक्नोलॉजी के लिए भारत पूरी तरह से विदेशी कंपनियों पर निर्भर हे और टाटा ग्रुप को ऑटो सेक्टर में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने के लिए वह पेटेंट को खरीदती है और संशोधन के मामलो में सेमी कंडक्टर के लिए पूरी तरह निर्भर है।

भारत के सभी कंपनियों की महत्वपूर्ण समस्या होती हे रिसर्च और डेवलपमेंट जिसमे यह ग्रुप भी विदेशी कंपनियों से स्पर्धा नहीं कर रहा हे केवल प्रस्थापित टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करने में भारत के लोग एक्सपर्ट बन जाते है। बाकि तो कंपनी में बहुत कुछ खामिया नहीं रही जिसकारण कंपनी के स्थापना से आज तक टाटा ग्रुप की कम्पनिया शेयर मार्किट में सबकी पसंदीदा कम्पनिया होती है।

टाटा ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज तुलनात्मक विश्लेषण / Comparative Study of Tata Group & Reliance Group –

  • टाटा ग्रुप की शुरुवात स्टील प्लांट से शुरू होकर TCS जैसी टेक कंपनी तक उसने अपने बिज़नेस को विस्तारित किया है वही रिलायंस ग्रुप ने ऑइल रिफाइनरी से अपने बिज़नेस की शुरुवात करके आज टेलीकॉम क्षेत्र में खुदको भारत का सबसे बड़ा प्लेयर के रूप में स्थापित किया है।
  • मार्किट कैपिटल के हिसाब से ५००० कंपनियों में भारतीय शेयर बाजार में शीर्ष की यह दोनों कम्पनिया बनी हुई है।
  • मुकेश अम्बानी रिलायंस ग्रुप के सीईओ और अध्यक्ष है वही रतन टाटा जी ने टाटा ग्रुप की लीडरशिप नटराजन चंद्रशेखरन को बनाया गया है।
  • टाटा ग्रुप का ६०% इनकम यह टेक्नोलॉजी कंपनी TCS से आता है और कंपनी ऑटो क्षेत्र से लेकर कंस्यूमर प्रोडक्ट तक सभी क्षेत्र में कार्यरत है, वही रिलायंस की रिलायंस जिओ और ऑइल पेट्रोकेमिकल और रिटेल प्लेटफार्म यह मुख्य बिज़नेस हे ।
  • टाटा ट्रस्ट के माध्यम से टाटा ग्रुप की सभी कम्पनिया चलाई जाती है वही रिलायंस कंपनी को रिलायंस इंडस्ट्रीज इस पेट्रोकेमिकल कंपनी के माध्यम से चलाया जाता है।
  • टाटा ग्रुप एक जागतिक ब्रांड के रूप में जाना जाता हे वही रिलायंस इंडस्ट्रीस यह अपने बिज़नेस को भारत में केंद्रित रखना चाहते है।

निष्कर्ष / Conclusion –

टाटा ग्रुप का विषय लिखने लिए लेने का कारन यही था की कैसे वह अपना मैनेजमेंट चलाते हे जो लगबघ प्रत्यक्ष रूप से ६.५ लाख एम्प्लॉयीज के द्वारा चलाया जाता हे और अप्रत्यक्ष रूप से कई लाख लोग टाटा ग्रुप से जुड़े हे जिसकी वजह से उनको इनकम कमाने का मौका मिलता है। यहाँ हमने टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के बारे में जानने की कोशिश की , कैसे उन्होंने टाटा ग्रुप की शुरुवात की और टाटा ग्रुप कैसे बाकि कंपनियों से अलग अपना बिज़नेस चलाता हे यह हमने देखा।

टाटा के कई सारे ट्रस्ट कैंसर हॉस्पिटल , हॉस्पिटल्स , एजुकेशन, स्पोर्ट्स जैसे कई सामाजिक क्षेत्र में काम कर रही है। कई क्षेत्र में वैसे तो सफलता पूर्वक काम करना आसान नहीं होता मगर टाटा ग्रुप का मैनेजमेंट , नेतृत्व , कॅपिटल स्ट्रेंथ इसकी वजह से एक्सपर्ट मैनेजमेंट यह स्किल दिखलाता है। क्यूंकि नए क्षेत्र में सफल होना इतना आसान नहीं होता और अच्छे लोग याने एग्म्पलॉईज किसी प्रोजेक्ट के लिए जुटाना बहुत मुश्किल काम होता हे मगर यह टाटा ग्रुप ने सफल करके दिखाया है।

रतन टाटा अपने आय का ज्यादा हिस्सा सामाजिक क्षेत्र में खर्च करते हे इसलिए समाज में उनके प्रति लोगो में आदर का भाव नजर आता है। टाटा ग्रुप को कई सारे प्रोजेक्ट में असफलता का सामना करना पड़ा मगर वह जल्दी उस समस्या से उभरने में सफल रहे यही कारन हे उनके सफलता की भारत की सबसे बड़ी कंपनी बनके उभरी हे टाटा ग्रुप कंपनी। टाटा ग्रुप का बिज़नेस मॉडल कैसा हे यह हमने जानने की कोशिश आर्टिकल के माध्यम से की हे जिसमे हमने रिलायंस इंडस्ट्रीज से तुलनात्मक विश्लेषण से अभ्यास करने की है।

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