प्रस्तावना / Introduction-

पूंजीवाद ने दुनिया के अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया हैं जिसमे बहुत सारे फायदे समाज को हुए हैं तथा इसके कुछ नुकसान भी हुए हैं । न्यायिक व्यवस्था यह लोकतंत्र का महत्वपूर्ण अंग हैं जिसको जितना सटीक होना चाहिए उतना वह लोकतंत्र प्रभावी होता हैं और अगर न्यायिक व्यवस्था भ्रष्ट हो अथवा कार्यक्षम नहीं हैं तो इसका खामियाजा उस देश को भुगतना पड़ता हैं । न्यायिक व्यवस्था देश के लिए इतनी महत्वपूर्ण होती हैं । औद्योगीकरण, वैज्ञानिक क्रांत्रि तथा आज की ऑटोमेशन की क्रांति यह इंसानी समाज को एक अलग स्तर पर लेने वाला हैं।

जिसमे ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी तथा मेटा टेक्नोलॉजी यह ऑटोमेशन की बेहतरीन मिसाल हैं जिसको अर्थव्यवस्था में हर कोई इंडस्ट्री इस्तेमाल करना चाहती हैं । यूरोपीय देश तथा अमेरिका में ऑटोमेशन का इस्तेमाल काफी होता हैं इसका कारन हैं इंसान से कार्य करके लेना काफी महंगा होता हैं इसलिए वह ऑटोमेशन को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं जिससे तरह तरह के इन्वेंशन हमें पश्चिम से देखने को मिलते हैं । चीन और भारत जैसे देशो में लेबर काफी सस्ता होता हैं परन्तु टेक्नोलॉजी के विकसित होने पर सभी क्षेत्र उसका फायदा उठाना चाहती हैं । भारत में 80 के दशक में कंप्यूटर को भारत में लाने के लिए काफी विरोध का सामना करना पड़ा था ।

इसलिए मुख्य रूप से सरकारी निति में टेक्नोलॉजी को हमेशा से इस्तेमाल करने के लिए विरोध होते रहा हैं जिसमे सबसे बड़ा कारन बेरोजगारी का दिया जाता हैं परन्तु टेक्नोलॉजी ने हर समय कुछ अलग रोजगार उपलब्घ किए हैं । भारत में न्यायिक व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या यह केस पेंडेंसी रहा हैं, तथा न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शकता का आभाव यह सबसे बड़ी समस्या रही हैं । इसलिए आज हम देखते हैं की कोर्ट केसेस का सीधा प्रसारण हो, कोविड समय में ऑनलाइन पेंडिंग मामलो का  निपटारा हो अथवा e-court की सुविधा हो यह न्यायिक व्यवस्था का कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल न्यायिक व्यवस्था  में करना शुरू हो चूका हैं ।

इसलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल न्यायिक व्यवस्था में भविष्य में कैसे होगा यह जानने की कोशिश करेंगे और इससे कितना फायदा देखने को मिलेगा तथा इसके नुकसान क्या हो सकते हैं यह जानने की कोशिश करेंगे ।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या हैं ? /What is Artificial Intelligence ? –

कृत्रिम बुद्धिमत्ता यह मशीन द्वारा किए जाने वाले इंसानी कार्य होते हैं जिसमे ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता हैं जिससे इंसान के द्वारा दिए गए आदेश को मशीन द्वारा पढ़ा जाता हैं और वह किसी कार्य को बड़ी ही सटीकता से पूर्ण करता हैं । इसमें कंप्यूटर, मोबाइल, के माद्यम से प्रोग्रामिंग भाषा का इस्तेमाल करके सॉफ्टवेयर अथवा मोबाइल ऍप के माध्यम से ऑटोमेटेड सिस्टम बनाया जाता हैं । ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी तथा मेटा टेक्नोलॉजी यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी मानी जाती हैं । इस टेक्नोलॉजी का सबसे महत्वपूर्ण फायदा इंसान को यह हुवा हैं की यह बहुत सारी जानकारी जमा करके रखता हैं और इंसान को जब चाहे तब उपलब्ध करवाता हैं ।

इंसान की कुदरती विशेषता हैं की वह पुराणी चीजे बोलता हैं उसमे भावनाए होती हैं वैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता में नहीं होती वह जैसे इंसान द्वारा प्रोग्राम किया जाता हैं वैसे वह कार्य करती हैं ।  एलगोरिदम यह ऑटोमेशन की सबसे प्रभावशाली इजात हैं जिसके कारन ऑटोमेशन को प्रभावी तरह से इस्तेमाल किया जाता हैं । गूगल जैसी कंपनी के माध्यम से वीडियो तथा लिखित जानकारी का भंडार हमें जब चाहे तब बड़ी आसानी से उपलब्ध होता हैं । टोल टैक्स भरने के लिए फास्टैग तथा बिटकॉइन में ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी को हम देखते हैं जो फिलहाल हमें बड़ी अच्छी सुविधा प्रदान करती हैं ।

भविष्य में हमें मेटा टेक्नोलॉजी के माध्यम से आभासी दुनिया बनाकर किसी भी कार्य को बड़ी सटीकता से पूरा किया जा सकता हैं जिसमे चाहे वह मेडिकल फील्ड में ऑपरेशन हो अथवा न्यायिक व्यवस्था में लोगो को न्यायिक सुविधा उपलब्ध करवाना हो यह टेक्नोलॉजी भविष्य में देखने को मिले तो कोई आश्चर्य नहीं होगा । इससे जजों द्वारा होने वाली गलतिया तथा किसी प्रभाव का कोई मतलब नहीं रहेगा तथा न्यायिक व्यवस्था में हमें पारदर्शक तथा तेजी देखने को मिलेगी । कानून व्यवस्था को सुलभ रखने का एक अच्छा जरिया मिल जाएगा मगर इसका दूसरा पहलू भी हैं जिसमे इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल गलत तरीके से हो सकता हैं वह हम आगे जानेगे ।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भविष्य की न्यायिक व्यवस्था / Future of Judicial System & AI –

पिछले कुछ दिनों से हम कोर्ट की प्रक्रिया को ऑनलाइन देख सकते हैं, e-court के माध्यम से कोर्ट केसेस हमें वेबसाइट के माध्यम से पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध होने लगे हैं । यह सब भविष्य में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल न्यायिक व्यवस्था में कितना महत्वपूर्ण होनेवाला हैं इसके संकेत हैं। मेडिकल क्षेत्र तथा औद्योगिक क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा हैं और हमने देखा की विकसित देशो में ड्राइवर के बिना गाड़िया चलती हैं । इसी तरह हमने देखा की कोर्ट प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ जी द्वारा आयोग के माध्यम से कई रिपोर्ट मांगे हैं जिसके अंतर्गत हम भविष्य में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल देखेंगे ।

भारत की न्यायिक व्यवस्था में कोर्ट के निर्णय आने में होने वाली देरी, तथा कोर्ट के निर्णयों पर कई बार पक्षपाती निर्णयों का आरोप लगते रहता हैं । केस पेंडेंसी की संख्या काफी ज्यादा हैं तथा न्यायिक व्यवस्था पर राजनीती अपना प्रभाव रखना चाहती हैं, ऐसे कई सारी समस्याए न्यायिक व्यवस्था के सामने हैं । कई बार न्यायिक व्यवस्था द्वारा सही मात्रा में न्यायिक व्यवस्था में विकास के लिए सही फण्ड सरकार द्वारा नहीं मिलता यह खुले मंच से न्यायाधीशों द्वारा नाराजगी जाहिर किए गई हैं । इसलिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता यह न्यायिक व्यवस्था में स्टाफ की कमी यह समस्या का सबसे महत्वपूर्ण समाधान हैं ऐसा एक्सपर्ट्स का मानना हैं ।

यूरोप में कई कोर्ट द्वारा प्रायोगिक तौर पर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के माध्यम से निर्णय दिए गए हैं जो कई देश इसपर अध्ययन कर रहे हैं ।  विकसित देशो में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिए अध्ययन किया जा रहा हैं । भारत जैसे देश में जहा दुनिया की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी आबादी हैं यहाँ टेक्नोलॉजी एक वरदान की तरह हैं क्यूंकि इससे कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया में सटीकता तथा तेजी देखने को मिलेगी । इसलिए भारत की न्यायिक व्यवस्था ने भी इसे गंभीरता से लिया हैं । इसलिए हम यह कह सकते हैं की भविष्य में हमें भारत की न्यायिक व्यवस्था की कई टेक्नोलॉजी के माध्यम से बदलाव देखने को मिलेंगे ।

@ सन्दर्भ अमेरिकन बार एसोसिएशन वेबसाइट 

अल्गोरिदम टेक्नोलॉजी और न्यायिक व्यवस्था / Algorithm technology & Judicial System-

गूगल, फेसबुक, ट्वीटर जैसे वेबसाइट अपने अलोरिथ्म की वजह से काफी प्रसिद्द हैं तथा करोडो लोगो को दुनिया भर से जोड़े हुए हैं, इनके माध्यम से हम देखते हे की कई सारी जानकारी हमें कुछ सेकंड में मिल जाती हैं इस लिए ऐसा कहा जाता हैं की कंप्यूटर टेक्नोलॉजी ने दुनिया जानकारी का भंडार लोगो के लिए उपलब्ध किया हैं । एक क्लिक पर हमें दुनिया की कोई भी जानकारी हमें तुरंत मिल जाती हैं, अगर ऐसी जानकारी हमें न्यायिक व्यवस्था के बारे में जननी हो तो पहले कई दिनों का इंतजार करना पड़ता था और इसके लिए साधारण लोगो को माफ़ी समस्याए आती थी ।

e-court सुविधा में उपलब्ध होने के बाद कुछ हदतक यह समस्या कम हुई हैं तथा कोर्ट में चल रहे केसेस की जानकारी हमें तुरंत ऑनलाइन उपलब्ध  होती हैं । इससे पहले प्राइवेट वेबसाइट पर यह जानकारी लेने के लिए लोगो को पैसे खर्च करने पड़ते थे जो अब पब्लिक डोमेन पर यह जानकारी न्यायिक व्यवस्था ने उपलब्ध की हैं । इससे आगे जाकर अल्गोरिथम के माध्यम से गूगल जैसे न्यायिक व्यवस्था की सब जानकारी लोगो को बड़ी आसानी से भविष्य में उपलब्ध हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं ।

अल्गोरिथम का मतलब होता हैं की जानकारी की नियमावली जो अंतिमतः एक सटीक परिणाम देती हैं, अगर गूगल सर्च  इंजन की बात करे तो जितना सटीक परिणाम किसी खोज करता को यह कंपनी प्रदान करती हैं उतना गूगल का यह अलोरिथ्म प्रभावी साबित होता हैं । इसलिए भविष्य में हम देख सकते हैं की सामान्य लोगो को जीतनी सहजता से न्यायिक प्रक्रिया की तथा अन्य जानकारी उपलब्ध होगी उतना  अल्गोरिथम का प्रभाव देखने को मिलेगा जो एक आर्टिफीसियल इंटेलीजेंट का बेहतरीन उदहारण हैं ।

मेटा टेक्नोलॉजी और न्यायिक व्यवस्था  / Meta Technology & Judicial System –

मेटा टेक्नोलॉजी यह एक आभासी दुनिया हैं जिसके माध्यम से हम हमारे वास्तविक समस्याओ का  समाधान निकाल सकते हैं,  जैसे आर्मी में किसी भी ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले उसका अभ्यास किया जाता हैं । ऐसे अभ्यास को ड्रिल कहा जाता हैं जो ऑपरेशन को परिकल्पना के माध्यम से क्या समस्याए आ सकती हैं और उस परिस्थीमि में कैसे निर्णय लेने चाहिए इसका अभ्यास होता हैं । जिससे वास्तविक ऑपरेशन में सटीक नतीजे आते हैं । यह टेक्नोलॉजी के माध्यम से देखे तो इसे मेटा टेक्नोलॉजी कहा जाता हैं जो हमें आभासी दुनिया में लेके जाती हैं जो हमें वास्तविक लगने लगती हैं ।

औद्योगिक क्षेत्र में तथा मेडिकल क्षेत्र में इसका इस्तेमाल काफी प्रभावी तरीके से किया जाने लगा हैं जिसका परिणाम लगबघ 90% से ज्यादा सटीक देखने को मिल रहे हैं । मतलब किसी भी मेडिकल ऑपरेशन को मेटा टेक्नोलॉजी के माध्यम से किया जाता हैं जो एक आभासी दुनिया होती हैं जहा उस ऑपरेशन में क्या समस्याए आ सकती हैं इसका अनुमान डॉक्टर को हो जाता हैं । इस अनुभव का इस्तेमाल वह असलियत में वास्तविक ऑपरेशन में करता हैं जो काफी प्रभावशाली नजीते देखने को मिले हैं ।

यही तकनीक हमें न्यायिक प्रक्रिया में अगर देखने को मिले तो किसी भी केस में वास्तविक न्यायिक प्रक्रिया से पहले जजों द्वारा इस्तेमाल होती हैं तो वास्तविक न्यायिक प्रक्रिया के दौरान होने वाली गलतियों का काफी सुधारा जा सकता हैं । इसलिए हम देखते हे की भविष्य में मेटा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हमें न्यायिक प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में देखने को मिलेगा । औद्योगिक क्षेत्र में मेटा टेक्नोलॉजी के लिए हर एक कंपनी बिलियन डॉलर खर्च करने के लिए तैयार हैं तथा हमारी न्यायिक व्यवस्था द्वारा भी इसकी पहल होनी चाहिए यह हमें लगता हैं तथा सरकार भी इसके लिए विचार कर रही हैं ।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के न्यायिक व्यवस्था में  फायदे / Benefits of  Artificial Intelligence in Judicial System –

  • इन्वेस्टीगेशन तथा फोरेंसिक जाँच में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का हमें काफी इस्तेमाल देखने को मिलता हैं जिससे किसी भी क्राइम में सटीक परिणाम हमें देखने को मिलते थे जो पहले साबित करने के लिए काफी परेशानिया होती थी और गुनेहगार छूट जाते थे ।
  • e-court के माध्यम से किसी भी कोर्ट केसेस को सामान्य नागरिक बड़ी आसानी से सरकारी वेबसाइट के माध्यम से देख सकता हैं ।
  • cctv जैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल देश की कानून व्यवस्था पर नजर रखने के लिए काफी कारगर साबित हुई हैं ।
  • सितम्बर 2022 से हम देख रहे हे की सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोर्ट की कार्यवाही पब्लिक डोमेन पर नागरिको को देखने के लिए उपलब्ध की गयी हैं जो कोर्ट की प्रक्रिया को पारदर्शक बनता हैं और इसका हमें स्वागत करना चाहिए ।
  • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुप्रीम कोर्ट के सभी केसेस पब्लिक डोमेन पर न्यायिक व्यवस्था के विद्यार्थियों तथा सभी नागरिको के लिए उपलब्ध करने का निर्णय लिया हैं जिससे ऑनलाइन सभी कोर्ट केसेस जो पहले हो चुके हैं वह सभी बड़ी सहजता से उपलब्ध होंगे ।
  • मेटा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अगर हमारी न्यायिक व्यवस्था में हमें देखने को मिलता हैं तो न्यायालयीन निर्णयों में काफी सुधार देखने को मिलेंगे ।
  • भविष्य में हम गूगल जैसी सर्च इंजन हम देख सकते हैं जो हमें बस एक क्लिक पर न्यायिक व्यवस्था की कोई भी जानकारी कुछ सेकंड में सटीकता से हमें उपलब्ध करके दे सकेगा ।
  • जजों द्वारा दिए जाने वाले निर्णयों के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके न्यायिक प्रक्रिया में प्रलंबित मामलो की संख्या को काम किया जा सकता हैं जिससे सही समय पर लोगो को न्याय मिल सके और न्यायिक व्यवस्था पर लोगो का विश्वास प्रस्थापित हो सके ।
  • न्यायिक प्रक्रिया में क्रिमिनल केसेस हो अथवा अन्य मामलो में हम देखते हैं की कागजी दस्तावेज काफी बड़े होते हैं जिसको भविष्य में हम डिजिटल करेंसी की तरह देख सकते हैं जिससे कागजी दस्तावेज की परंपरा हमें ख़त्म होते आश्चर्य नहीं होगा बस कुछ खास प्रक्रिया के लिए केवल कागजी दस्तावेज हम भविष्य में देखगे ।
  • आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण नोट्स के माध्यम से जजों को अपने निर्णय देने के लिए उपयोग हो सकता हैं जो आज किसी भी केस को पहले समझने और पढ़ने के लिए काफी वक्त देना पड़ता हैं ।
  • आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के माध्यम से कोर्ट में लगाने वाले स्टाफ पर परिणाम होगा इसका मतलब नोकरियो पर परिणाम होगा ऐसा नहीं हैं बल्कि नयी तरह की नोकरिया न्यायिक व्यवस्था में हमें देखने को मिलेगी जैसे की ज्यादा से ज्यादा टेक्निकल एक्सपर्ट की जरुरत न्यायिक व्यवस्था को लग सकती हैं ।

सन्दर्भ – UNESCO WEBSITE

कृत्रिम बुद्धिमत्ता का न्यायिक व्यवस्था में  नुकसान  / Disadvantages of  Artificial Intelligence in Judicial System –

  • न्यायिक व्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल जितना बढ़ेगा उतना कंप्यूटर हैकिंग तथा मोबाइल हैकिंग का गलत इस्तेमाल सरकारी व्यवस्था द्वारा सत्ता के उद्देश्य से देखने को मिलेगा जिससे न्यायिक प्रक्रिया के गलत इस्तेमाल की आशंका से नहीं बचा जा सकता हैं ।
  • कानून व्यवस्था में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल यह संविधान द्वारा नागरिको को दिए गए निजता के अधिकार का उलंघन करने के लिए हो सकता हैं ।
  • सत्ता भ्रष्ट होती हैं और अनियंत्रित सत्ता अनियंत्रित भ्रष्ट होती हैं, इस सिद्धांत के अनुसार कृत्रिम बुद्धिमत्ता असीमित जानकारी न्यायिक व्यवस्था के पास उपलब्ध करवाता हैं जिसका इस्तेमाल निजी स्वारथी के लिए किसी जज अथवा स्टाफ के माध्यम से होने का डर हैं ।
  • विकसित देशो में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल स्टाफ महंगा होता हैं अथवा उपलब्ध नहीं होता यह कारन हैं वही भारत में किसी भी सरकार पोस्ट के लिए लाखो लोग आवेदन करते हैं उस देश में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मतलब कम नौकरी इससे विपरीत परिणाम हो सकता हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता को जो जानकारी उपलब्ध की जाती हैं वह वैसे ही परिणाम देता हैं इसलिए सही जानकारी अगर इस टेक्नोलॉजी को जानबूझकर कर उपलब्ध नहीं की जाती तो यह टेक्नोलॉजी निष्प्रभ हो सकती हैं ।
  • न्यायिक व्यवस्था में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने के लिए कई हजार करोड़ रूपए भारत सरकार को लगाने होंगे, इससे पहले साधारण खर्चे के लिए सरकार द्वारा खर्च करने के लिए उदासीनता देखने को मिलती थी वह सरकार क्या न्यायिक व्यवस्था के लिए इतना पैसा खर्च करेगी यह आशंका हैं ।
  • आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस मतलब इसमें कोई भावनाए नहीं होती जो जानकारी इंसान इसमें फीड करता हैं वह वैसे कार्य करता हैं इसलिए संवेदनशील मामलो में कैसे निर्णय आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस देंगे यह बड़े ही विवाद का मुद्दा होगा ।
  • अमेरिका में सन फ्रांसिको में फेसिअल सर्विलांस सिस्टम को बंद कर दिया गया जहा यह केवल श्वेत वर्ण के नागरिको को गलत तरीके से जानकारी उपलब्ध करवाता था जिसमे अल्गोरिथम की खामिया देखि गयी ।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और न्यायिक व्यवस्था की विशेषताए / Features of  Artificial Intelligence in Judicial System –

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से न्यायिक व्यवस्था को डिजिटल प्लेटफार्म पे लाया जा सकता हैं जिससे न्यायिक प्रक्रिया में प्रलंबित मामलो को तेजी से निपटने के लिए यह कारगर उपाय हैं ।
  • औद्योगिक क्षेत्र में जो टेक्नोलॉजी निजी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल होती हैं वह प्रभावशाली और उत्पादक होती हैं इसलिए न्यायिक प्रक्रिया में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी हो अथवा मोबाइल टेक्नोलॉजी यह दोनों इस्तेमाल कर सकते हैं ।
  • UNESCO जो संयुक्त राष्ट्र संघ की एक शाखा हैं इसके माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में सभी देशो को सक्षम करने के लिए एक प्रोग्राम के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता हैं ।
  • आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का मूल निर्माण  विकसित देशो में महंगे लेबर को पर्याय के लिए निर्माण किया गया मगर यह भारत जैसे देश में जो ज्यादा लोकसंख्या तथा सस्ते लेबर के बोते हुए भी प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं ।
  • कोर्ट केसेस प्राइवेट वेबसाइट पर महंगे सब्सक्रिप्शन पर उपलब्ध होते हैं इससे छुटकारा पाने के लिए और नागरिको के लिए फ्री में उपलब्ध किए जा सकते हैं जो न्यायिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं ।
  • E-COURT के माध्यम से जिला स्तर पर सभी न्यायिक मामले ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध किए गए हैं जो केस नंबर के माध्यम से खोजे जा सकते हैं ।
  • कृत्रिम  बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल सर्वेलन्स के लिए, फॉरेंसिक इन्वेस्टीगेशन के लिए तथा न्यायिक प्रक्रिया में किया जाता हैं और विकसित देशो में जजों की जगह AI के माध्यम से कोर्ट के निर्णय देना शुरू किया गया हैं ।
  • आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के माध्यम से किसी भी केस की जानकारी दी जाती हैं जिसके आधारपर वह अपना फैसला बिना किसी पक्षपात के तथा भय के दे सकता हैं ।
  • भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए निपक्ष रूप से किया जा सकता हैं जिसमे जानकारी जितने प्रभावी तरीके से भरी जाती हैं उतने प्रभावी तरीके से वह न्यायाधीशों की नियुक्ति अपने आप कर सकता हैं जिससे न्यायलय की नियुक्ति के विवाद ख़त्म किए जा सकते हैं ।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता जीतनी प्रभावी हैं उतनी वह गलत इस्तेमाल होने पर हानिकारक हो सकती हैं इसके उदाहरण हमें यूरोप और अमेरिका में देखे गए हैं ।

निष्कर्ष / Conclusion-

औद्योगिक क्षेत्र में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के लिए कम्पनिया हजारो करोड़ रुपए खर्च कर रही और जिससे बाजार में ग्राहकों को बेहतरीन से बेहतरीन प्रोडक्ट और सर्विसेज  मिल सके इसके लिए दुनिया की सभी सरकार टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दे रही हैं । टेक्नोलॉजी की शुरुवात पश्चिमी देशो में महंगे स्टाफ और लेबर की वजह से हुई थी मगर यह जरुरत अब केवल कॉस्ट कण्ट्रोल तक सिमित नहीं रही हैं । सुरक्षा से लेकर प्राइवेट कंपनियों तक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने लगा हैं । इसलिए भारत और चीन जैसे ज्यादा लोकसंख्या वाले देश में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कितना प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता हैं यह चिंतन का विषय हैं ।

भारत में शुरू से टेक्नोलॉजी के स्वीकार करने के लिए विरोध हुवा हैं जिसका सबसे प्रमुख कारन हैं यह टेक्नोलॉजी इंसान से स्पर्धा करती हैं और इंसान की जगह क्षमता से कार्य करती हैं । इंसान को कोई भी कार्य करने के लिए मर्यादाए हैं वह निरंतर 24 घंटे काम नहीं कर सकता मगर कृत्रिम बुद्धिमत्ता यह कर सकती हैं । इंसान अपने कार्य में काफी गलतिया करता हैं मगर टेक्नोलॉजी नहीं करता और सबसे महत्पूर्ण हैं भारत में कार्यपालिका पर भ्रष्टाचार के आरोप पहले से लगते रहे हैं और किसी भी काम को पूर्ण करने के लिए सालो इंतजार करना पड़ता हैं । न्यायिक व्यवस्था यह लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं जिसपर देश की कानून व्यवस्था निर्भर होती हैं ।

भारत में सामान्य लोग न्यायिक व्यवस्था से सामना करने के लिए डरता हैं उसे इस व्यवस्था पर विश्वास नहीं हैं वह विश्वास प्रस्थापित करने के लिए न्यायिक व्यवस्था हमेशा प्रयत्न शील हैं । कृत्रिम बुद्धिमत्ता यह भारत के न्यायिक व्यवस्था को कार्यक्षम बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैं । इसलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हमने यह जानने की कोशिश की हैं की न्यायिक व्यवस्था को कैसे कार्यक्षम बनाया जा सकता हैं इसके लिए भारत सरकार को संज्ञान लेकर पैसे खर्च करने होंगे । न्याय के मिलने के लिए होने वाली देरी, सुप्रीम कोर्ट से लेकर तहसील स्तर पर कोर्ट का व्यवस्थापन करना डिजिटल माध्यम से कोर्ट की जानकारी नागरिको को  पहुंचना ऐसे कई काम हमें करने होंगे जो टेक्नोलॉजी के माध्यम से कर सकते हैं ।

भारतीय न्यायिक व्यवस्था और उच्च न्यायालय की विशेषताए

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