प्रस्तावना / Introduction –

खुली बाजार अर्थव्यवस्था, ग्लोबलाइजेशन तथा औद्योगिक क्रांती से लेकर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी तक जो दौर मानव समाज ने पिछले २०० साल में देखा हे यह कैपिटलिज्म विचारधारा की उपज हे जिसके निर्माता एडम स्मिथ इनके बारे हम यहाँ जानने की कोशिश करेंगे तथा उनके पूंजीवाद की दुनिया के लिए क्या उपलब्धता हे तथा उसमें क्या बुराईया हे यह जानने की कोशिश हम करेंगे।

एडम स्मिथ जिस दौर में रहे उस समय का आकलन करके पूंजीवाद का विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे तथा पूंजीवाद ने यूरोप को क्या दिया तथा बाकि दुनिया को क्या दिया यह जानने की कोशिश करेंगे। एडम स्मिथ को मुख्यतः फादर ऑफ़ इकोनॉमिक्स कहा जाता है जिन्होंने पारम्परिक अर्थव्यवस्था से समाज में कैसे परिवर्तन हुवा इसके बारे में बताते है।

पूंजीवाद तथा सोशलिज्म इसका संघर्ष कैसे रहा इसके लिए सामाजिक और राजनितिक परिणाम क्या हुए इसके बारे में आगे देखेंगे। एडम स्मिथ ने पूंजीवाद की विचारधारा दुनिया के सामने रखी मगर उन्होंने औद्योगिक क्रांती से जो संबंध कैपिटलिस्ट और मजदूरों के बिच देखना चाहते थे वह बदल गया और कैपिटलिस्ट काफी मजबूत बन गया और मजदुर कमजोर होते गया इसलिए पूंजीवाद का यह नजरिया भी हम देखेंगे।

एडम स्मिथ १७२३ -१७९०/ Adam Smith 1723 -1790 –

एडम स्मिथ और उनका परिवार यह स्कॉटलैंड में काफी सधन परिवार से आते हे जिनके पिताजी वकील थे मगर उनके बचपन में ही वह गुजर गए थे और उनकी माँ ने उनको पाला था। बचपन में वह जिस एरिया में रहते थे वह हररोज बाजार लगता था जिसे निरिक्षण करते हुए उनका बचपन गुजरा था।

उनकी आगेकी शिक्षा यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्लासगो में हुई जहा पर प्रोफ़ेसर फ्रांसिस हचसन के नैतिक विचारधारा से काफी प्रभावित हुए थे जिसपर आगे उन्होंने अपनी प्रसिद्द किताब ” The Theory of Moral Sentiments” यह किताब लिखी। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में भी उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा की जहा उन्होंने दर्शनशास्त्र का गहराई से अध्ययन किया था।

एडम स्मिथ एक फिलोसोफर थे मगर उनकी निरिक्षण करने की क्षमता ने उनको दुनिया का पहला अर्थशास्त्री बनाया जिन्होंने पहली बार कैपिटलिज्म के विचारधारा की नीव रखी और कुछ सिद्धांत दुनिया के सामने रखे जो उस दौर में काफी विवादस्पद रहे थे।

वेल्थ ऑफ़ नेशन / Wealth of Nation –

वैसे तो एडम स्मिथ को फादर ऑफ़ इकोनॉमिक्स कहा जाता है क्यूंकि उन्होंने पहली बार फिलोसोफी से अर्थशास्त्र को अलग करके सोचा जिससे उन्होंने यह किताब १७७६ लिखी जो दुनिया के अर्थव्यवस्था के लिए एक धर्म ग्रन्थ की तरह माना जाता है। समय के साथ इस विचारधारा में काफी बदलाव होते गए मगर इस किताब में पूंजीवाद के जो सिद्धांत दिए थे उसका अनुकरण करके दुनिया ने एक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कड़ी की जो आज ज्यादातर दुनिया के देश इसके आधारपर अपनी अर्थव्यवस्था चलाते है।

इस किताब में एडम स्मिथ राष्ट्र की संपत्ती कैसे बढ़ानी हे इसके सूत्र समाज को बताते है। लेखक जब यह किताब लिख रहे थे तब पूरी दुनिया में राजतन्त्र के माध्यम से व्यवस्था चलाई जा रही थी तथा इंग्लैंड में राजसत्ता के साथ पार्लियामेंट का निर्माण किया गया था जो एक संकेत था की सामंतवाद का अंत हो रहा हे और नया मद्यमवर्ग राजनीती पर अपना प्रभाव डाल रहा है।

यही कारन हे की फ्रांस में जो क्रांति हुई इसमें यही मध्यम वर्ग जो व्यापार से आर्थिक रूप से सक्षम हो रहा था इसने राजसत्ता को तथा सामंतवाद को आवाहन किया और इसपर पूंजीवाद के माध्यम से पुरे यूरोप में एक नयी व्यवस्था का निर्माण हुवा और आगे जाके पूंजीवादी लोकतंत्र की स्थापना हमें देखने को मिलती है।

यूरोप के सधन होने का सबसे महत्वपूर्ण कारन वेल्थ ऑफ़ नेशन के सिद्धांत का पालन लोगो ने किया है इसलिए पूंजीवाद का सबसे ज्यादा फायदा यूरोपीय लोगो ने उठाया जिसके दुष्प्रभाव भी दुनिया ने प्रदुषण तथा ग्लोबल वार्मिंग के माध्यम से देखे मगर यह किताब कार्ल मार्क्स की दास कॅपिटल के बाद सबसे प्रसिद्द किताब मानी जाती है।

पूंजीवाद से पहले यूरोप की स्थिती / Situation of Europe before Adam Smith’s Capitalism –

पंधरवी सदी के दौरान यूरोप में फ्रांस तथा इंग्लैंड यह मुख्य सत्ता केंद्र रहे हे जिसमे काफी सामाजिक बदलाव हमें देखने को मिलते हे जो दुनिया के किसी भी कोने में नहीं दिख रहे थे। जिसमे सामाजिक क्रांती जिसमे मार्टिन लूथर जैसे पादरी द्वारा चर्च से टकराव देखने को मिला और प्रोटेस्टियन धर्म का निर्माण हुवा जिससे धर्म के दो सत्ता केंद्र हुए और सामंतवाद अपने आखरी पड़ाव पर था।

वैज्ञानिक क्रांती जिसमे गैलिलिओ, डार्विन तथा सेग्मेंड फ्राइड जैसे विचारको तथा वैज्ञानिक द्वारा औद्योगिक क्रांती की नीव राखी थी। फ्रेंच क्रांती ने इसपर और सामाजिक बदलाव की नीव राखी जो संकेत थे की समाज में बहुत बड़े बदलाव होने वाले है।

एडम स्मिथ जिस दौर में अपने विचार रख रहे थे वह दौर था अमरीका की स्वतंत्रता का तथा फ्रेंच क्रांती का मगर अबतक लोकतंत्र तथा रिपब्लिक लोकतंत्र यह कोई नहीं जानता था। फ्रेंच क्रांती में इंग्लैंड जैसी पार्लियामेंट्री राज व्यवस्था के लिए लोग संघर्ष कर रहे थे।

इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देश वसाहत वाद तथा समुद्री व्यापार के माध्यम से अपने व्यापार को दुनियाभर में बढ़ा रहे थे जिसमे मूल रूप से अफ़्रीकी देश और एशियाई देश यह उनके व्यापार के मुख्य केंद्र रहे थे। अमरीका में काफी यूरोपीय लोगो ने अपने व्यापार को स्थापित किया था इसलिए सामाजिक क्रांति तथा शैक्षणिक विकास के कारन दुनिया के दूसरे प्रदेश से ज्यादा यूरोप काफी विकसित हुवा।

एडम स्मिथ और पूंजीवाद / Adam Smith & Capitalism –

सेल्फ इंटरेस्ट और अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई की अदृश्य शक्ती यह उनके मूल सिद्धांत के आधार रहे थे जिससे उस समय काफी विवादस्पद विचार थे मगर भविष्य में यही विचार पूरी दुनिया पर राज करने वाले थे। जिस दौर में एडम स्मिथ एडम स्मिथ बने वह दौर यूरोप में जागृती का दौर रहा था जहा वोल्टायर तथा जॉन लॉक जैसे दर्शनशास्त्री ने पुरे यूरोप पर अपने विचारो का प्रभाव डाला था।

एडम स्मिथ भी एक फिलोसोफर थे मगर उनके सोचने का तरीका काफी अलग था जिसने अर्थशास्त्र क्या होता हे और वह कैसे चलता हे यह पहली बार दुनिया के सामने रखा। उन्होंने केवल अर्थशास्त्र के बारे में अध्ययन नहीं किया था , उन्होंने व्यापार में हुए बदलाव से समाज व्यवस्था कैसे होते गए यह दुनिया को बताया।

पूंजीवाद का सबसे ज्यादा फायदा यूरोपीय देशो को हुवा जिसका मूल आधार उस दौर में समुद्री व्यापार तथा वसाहतवाद रहा हे जिसके जरिये अफ्रीका , एशिया तथा अमरीका के जरिये यूरोप ने काफी संपत्ती निर्माण की जिसका मूल आधार एडम स्मिथ का पूंजीवाद का दर्शनशास्त्र रहा था।

पूंजीवाद से समाज में हुए बदलाव / Changes in Society after Capitalism –

समाज में पहले पारम्परिक तरीके से किसी भी वस्तु का उत्पादन करते थे और वह भी केवल जीतनी जरुरत रहती थी उतना ही उत्पादन हाथो से बनाया जाता था जिसका मूल्य काफी ज्यादा होता था। पूंजीवाद के आने के बाद श्रम का विभाजन किया गया तथा बड़े पैमाने पर वस्तु का उत्पादन होने लगा और पुराणी पारम्परिक सामाजिक व्यवस्था ख़त्म होकर औद्योगिक शहरों का निर्माण हुवा।

भारत की बात करे तो एडम स्मिथ का मानना था की भारत में कुदरती संपत्ती काफी अधिक होते हुए कभी उन्होंने अपने व्यापार को भारत के बाहर बढ़ाने की कोशिश नहीं की अन्यथा आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाती।

औद्योगिक क्रांति और सुचना -प्राद्दोगिक की क्रांति / Industrial Revolution & Information Technology Revolution –

कम्युनिज्म का जन्म यह औद्योगिक क्रांति के कारन होने वाले एम्प्लाइज का शोषण यह कारन रहा जिससे पूंजीवादी और शक्तिशाली बनते गए और एम्प्लाइज और कमजोर होते गए। मार्क्सवाद पूरी दुनिया के कर्मचारियों को एक होने का आवाहन करते हे जो पूंजीवाद से संघर्ष करना चाहते है वही पूंजीवादी यह हर एक देश के शासक से आज के दौर में देखे तो इतने ताकदवर हो गए हे की वह शासक को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करने लायक हो गए है।

सूचना और प्रोद्योगिक के क्रांति ने एम्प्लॉयीज को और कमजोर किया और पूंजीवाद के सामने वह एक अर्टिफिकल इंटेलिजेंस के बराबर एक प्रतिस्पर्धी बनाकर खड़ा कर दिया गया। इसलिए पूंजीवाद कितना प्रभावशाली हे यह देखने की बजाए वह समाज के लिए उपयोगी हे अथवा विनाशी हे यह समझना जरुरी है। अगर वह पुरे समाज को नियंत्रित करने लगे तो उसपर लगाम लगाना जरुरी हो जाता है।

समाजवाद यह ज्यादातर देश में असफल रहा इसका मुख्य कारन हे की समाजवाद यह हर एक देश में जो भी शासक हे वह ऊपरी उची जाती से होता हे इसलिए उसे पूंजीवाद समाजवाद से ज्यादा सुरक्षित लगता हे मगर शासक होने की वजह से वह खुलकर समाजवाद का विरोध नहीं कर सकता इसलिए रणनीति के तहत शासक और पूंजीवादी मिलकर समाजवाद को ख़त्म करने की कोशिश कर रहे हे , कौन इसमें सही हे और कौन गलत हे यह हर एक को सोचना जरुरी है। कोई भी व्यवस्था एक्सट्रीम जब हो जाती हे वह समाज के लिए विनाशकारी बन जाती है।

पूंजीवाद के कुछ मूल सिद्धांत / Main Principles of Capitalism –

  • उत्पादन यह बाजार का राजा होगा जिसे वह ” Productivity is the King” एडम स्मिथ का यह कॅपिटलिस्म का सबसे महत्वपूर्ण प्रिंसिपल रहा हे जिस पर पूरा कॅपिटलिस्म निर्भर है।
  • बाजार में हर व्यक्ति का “पर्सनल इंटरेस्ट” यह किसी भी शासक को पॉलिसी बनाते वक्त प्राथमिकता रहनी चाहिए ऐसा एडम स्मिथ का मानना था।
  • श्रम का विभाजन (Division of Labour) यह उत्पादकता बढ़ाने के सबसे अच्छा तरीका हे ऐसा एडम स्मिथ का मानना था कॅपिटलिस्म में श्रम का विभाजन यह समाज में हुवा सबसे महत्वपूर्ण बदलाव था जो उन्होंने निरिक्षण करके खोजा था।
  • पैसे का निर्माण – यह कॅपिटलिस्म की शुरुवात होने का सबसे बड़ा कारन था जिसमे वस्तु विनिमय तथा सोना -चांदी का उपयोग इससे पहले चलन के तौर पर किया जाता था जिसके बदले दूसरे धातु का निर्माण चलन के लिए किया गया।
  • एडम स्मिथ ने किसी भी वस्तु की कीमत तीन घटको पर आधारित होती हे वह दुनिया के सामने रखे (वेजेस -प्रॉफिट -रेंट )
    डिमांड और सप्लाई यह अर्थव्यवस्था के अदृश्य हाथ हे जिसपर अर्थव्यवस्था निर्भर होनी चाहिए न की वह राज्य के नियंत्रण में होनी चाहिए।
  • मुक्त बाजार तथा राज्य का कम से कम हस्तक्षेप यह एडम स्मिथ के कॅपिटलिस्म का मूल आधार रहा है।
  • किसी भी राज्य को अपने राजव्यवस्था में समानता, स्वतंत्रता और न्यायव्यवस्था का निर्माण करना होगा जिसके बदले राज्य को चलाने के लिए टॅक्स प्रणाली का अनुपालन करना होगा।
  • संपत्ती पर कॅपिटलिस्ट व्यवस्था में कोई टॅक्स नहीं लगाया जायेगा।
  • एडम स्मिथ ने कॅपिटलिस्म के सिद्धांत दुनिया के सामने रखे गए थे उसके बाद औद्योगिक क्रांती के नतीजे सामने आने लगे जिससे कर्मचारियों की शक्ती कॅपिटलिस्ट व्यवस्था के सामने काफी कमजोर हुई जिससे कम्युनिज्म का जन्म हुवा।

पूंजीवाद और कम्युनिज्म का संघर्ष / Capitalism & Communism Dispute –

एडम का मानना था की पूंजीवाद में पूंजीवादी तथा कर्मचारीवर्ग अर्थव्यवस्था को बाजार के अधीन रखकर शांती से रहेंगे मगर औद्योगिक क्रांति ने पूंजीवाद को काफी मजबूत किया और कर्मचारीवर्ग को कमजोर किया जिससे शोषणकारी व्यवस्था का निर्माण होने लगा।

कार्ल मार्क्स के माध्यम से कम्युनिस्ट विचारधारा का निर्माण हुवा जिसने सीधे सीधे पूंजीवाद को ख़त्म करने का आवाहन कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो द्वारा किया गया जिससे दोनों विचारधारा का संघर्ष काफी बढ़ा, जिसे आजतक हम देखते है। शीत युद्ध के माध्यम से हमने कई दशकों तक रशिया और अमरीका का संघर्ष देखा हे जिसमे पूंजीवाद ने यह युद्ध जीता है।

अमरीका ने पूंजीवाद का नेतृत्व आगे किया तथा कम्युनिस्ट विचारधारा का नेतृत्व रशिया और चीन ने किया मगर कम्युनिस्म कैपिटलिस्ट पैसे की ताकद के सामने ज्यादा टिक नहीं पाया। १९९० में रशिया ने शीत युद्ध की समाप्ति की घोषणा करके इस संघर्ष को ख़त्म किया मगर चीन ने अलग रणनीति के तहत अपने कम्युनिस्ट आर्थिक मॉडल को जिन्दा रखा और आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन के उभर रही है।

एडम स्मिथ का प्रसिद्द साहित्य / Famous Literature of Adam Smith –

  • The Wealth of Nation (1776)
  • The Theory of Moral Sentiments (1759)
  • Lectures on Jurisprudence (1753)
  • Essays on Philosophical Subjects (1795)
  • The Invisible Hand (2008)

पूंजीवाद की समस्याए / Problems of Capitalism –

  • पचास हजार साल के मानव सभ्यता के इतिहास में जीतनी साधन संपत्ती का इस्तेमाल पिछले दोसो सालो से कॅपिटलिस्म ने किया हे जिससे भविष्य में अगले आने वाले पीढ़ियों के लिए समस्याए निर्माण हो गयी है।
  • गरीब और आमिर यह दुरी काफी बढ़ गयी हे तथा संपत्ती का केन्द्रीकरण दुनिया के कुछ गिने चुने लोगो के पास इखट्टा हुई है।
  • कॅपिटल अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए साम दाम दंड भेद के माध्यम से दुनिया भर में अपना वर्चस्व प्रस्थापित करना चाहता हे जिसका मूल कारन आतंकवाद का जन्म हुवा है जो दुनिया के शांति के लिए एक समस्या है ।
  • कॅपिटलिस्ट अधिक ताकदवर बन गया हे और सरकार तथा कर्मचारी कमजोर बन गया हे जिससे भविष्य में समस्या निर्माण होना का धोखा है।
  • औद्योगीकरण के कारन गोबल वार्मिंग तथा कुदरत की हानि हमें देखने को मिली हे जिससे पूरी धरती को ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से झूझना पड रहा है।
  • कॅपिटलिस्ट आर्थिक मॉडल जब मंदी आती हे तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान समाज का होता हे इसलिए इसपर काफी संशोधन करना होगा।
  • इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी के माध्यम से पूरी दुनिया एक बाजार बन गया हे मगर इसपर केवल कुछ विकसित देशो का प्रभुत्व देखने को मिलता है।
  • किसी भी राज्य को अपने देश की संपत्ती अपने व्यापार को दुनियाभर में फैलाकर करना चाहिए।

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने देखा की एडम स्मिथ का पूंजीवादी दर्शन शास्त्र यह एक शासन चलाने का आर्थिक मॉडल बनकर दुनिया ने स्वीकार किया जो आजतक सबसे प्रभावशाली डेमोक्रेटिक मॉडल माना जाता है। एडम स्मिथ ने पूंजीवाद का जो भी आर्थिक मॉडल दुनिया के सामने रखा था उस समय औद्योगिक क्रांती अपने प्रारंभिक स्तर पर थी इसलिए पूंजीवाद का औद्योगिक क्रांती के बाद स्वरुप क्या होगा यह हो देख नहीं सके।

शीत युद्ध के माध्यम से हमने देखा की कॅपिटलिस्म और कम्युनिज्म का जो संघर्ष चला जिसमे काफी कीमत समाज को भुगतनी पड़ी तथा जिस स्तर पर लोगो को इसका फायदा होना चाहिए हे वह हमें देखने को नहीं मिला जो एडम स्मिथ देखना चाहते थे।

भविष्य के साथ जो कॅपिटलिस्ट लोकतंत्र का मॉडल आज अमरीका के नेतृत्व में चलाया जाता हे उसमे समाज के आखरी व्यक्ति तक उसका लाभ मिले यही इस आर्थिक मॉडल की सफलता हम देख सकते हे नहीं तो चीन ने अपना कम्युनिस्ट मॉडल दुनिया के सामने काफी आदर्श मानी जाती है।

विल्फ्रेड परेटो 80-20 प्रिंसिपल सिंद्धांत

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