प्रस्तावना / Introduction –

भारत की दूसरे नंबर की आईटी कंपनी इन्फोसिस के बारे में इस आर्टिकल के माध्यम से कोशिश करेंगे तथा तुलनात्मक विश्लेषण के आधारपर इस कंपनी का भविष्य कैसा होगा यह जानेगे। नारायण मूर्ति इसके संस्थापक अध्यक्ष रह चुके हे, वैसे तो इसके सह संस्थापक कई सारे लोग हे जो नारायण मूर्ति के सहकारी रहे है जब वह पटनी कम्प्यूटर्स में काम करते थे। इसलिए हम इस आर्टिकल के माध्यम से इन्फोसिस की सफलता का अध्ययन करेंगे जिससे आईटी कम्पनिया कैसे कार्य करती हे और मुख्य रूप से यह कंपनी इतनी सफल कैसे हुई यह देखेंगे।

यह कंपनी कोई पारिवारिक विरासत से निर्माण नहीं हुई है, इसलिए किसी नए उदयोजक के लिए यह एक यूनिवर्सिटी की तरह सिख है ऐसा हमें देखना चाहिए। इन्फोसिस कंपनी का कार्य कैसे चलता है यह हम देखेंगे तथा अंतर राष्ट्रीय स्तर पर कंपनी कैसे परफॉर्म कर रही हे यह जानने की कोशिश हम करेंगे। इन्फोसिस कंपनी का सफलता का कारन क्या हे जो कई सारी आईटी कंपनियां निर्माण होती हे और बंद हो जाती है यह हम जानने की कोशिश करेंगे।

तुलनात्मक दॄष्टि से इन्फोसिस कंपनी के प्रतिस्पर्धी कम्पनिया कौनसी हे तथा इनकी विशेषताए क्या हे यह जानने की कोशिश करेंगे। भारतीय शेयर बाजार तथा अंतरराष्ट्रीय शेयर बाजार में कंपनी ने कैसे परफॉर्म किया हे और इसका इतिहास क्या हे यह जानने की कोशिश इस आर्टिकल से करेंगे। हमने अध्ययन किया हे की ज्यादातर कंपनियों के केस स्टडी यह अंग्रेजी में ज्यादा मात्रा में उपलब्ध हे, इसलिए हमारी यह कोशिश रहती हे की ज्यादा से ज्यादा आर्टिकल हिंदी में ऐसी केस स्टडी के माध्यम से उपलब्ध करने की कोशिश करते है।

इन्फोसिस कंपनी का इतिहास / History of Infosys Company –

१९८१ में १०,००० रूपए से शुरू कंपनी की आज मार्किट कॅपिटल ८० बिलियन अमरीकी डॉलर है जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धी कही जाती है , तथा यह भारत की चौथी कंपनी मानी जाती है। अगर आईटी क्षेत्र की बात करे तो यह भारत की दूसरे नंबर की कंपनी है जिसकी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी कंपनी यह TCS हे जो टाटा ग्रुप की सबसे महत्वपूर्ण कंपनी है। १९९९ में इन्फोसिस यह भारत की पहली कंपनी हे जो अमरीका की नैस्डेक पर लिस्ट हुई थी और आज कई देशो में अपना कारोबार प्रस्थापित कर चुकी है।

कंपनी के ४० साल के सफर में नारायण मूर्ति और नंदन निलिकनी जैसे संस्थापक सदस्यों के साथ इस कंपनी की स्थापन पुणे में एक फ्लैट से शुरू हुई जिसको बाद में बंगलौर शिफ्ट किया गया। यह दौर ऐसा था की टेलीफोन कनेक्शन लेने के लिए सालो इंतजार करना पड़ता था तथा इन्फोसिस का पहला कंप्यूटर लेने के लिए १९८३ तक इंतजार करना पड़ा ऐसा यह दौर था जब इन्फोसिस कंपनी की स्थापना की गयी। २ जुलाई १९८१ को जब इसकी स्थापना की गयी तब इसका नाम इन्फोसिस कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड ऐसा रखा गया।

भारतीय शेयर बाजार में कंपनी १९८३ को अपना आईपीओ लायी थी जिसको कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई मगर जल्दी ही कंपनी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर अच्छे कॉन्ट्रैक्ट हासिल करना शुरू किया था। वह दौर था जब कंपनी को भारत से कुछ खास काम नहीं मिलता था और पूरी तरह से विदेशी कंपनियों पे निर्भर रहना पड़ता था। १९९० के बाद समय बदला और विदेशी निवेश भारत में सहज हुवा जिससे भारत का मार्किट बड़ी तेजी से बढ़ा और आईटी क्षेत्र में इन्फोसिस जैसी कंपनियों को बड़ा मौका मिला खुद को बढ़ाने के लिए।

नारायण मूर्ती और इन्फोसिस कंपनी / Narayan Murti & Infosys Company –

नारायण मूर्ती का जन्म २० अगस्त १९४६ को कर्नाटक गांव में हुवा था, उनके पिताजी यह एक शिक्षक थे तथा परिवार बड़ा होने के कारन नारायन मूर्थी का सपना था की IIT संस्था से अपनी इंजीनियरिंग पूरी करे मगर आखिर में उन्होंने अपनी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग मैसूर से अपनी बी टेक की डिग्री हासिल की और इसके आगे की शिक्षा IIT कानपूर से पूर्ण की थी। इन्फोसिस की स्थापना करने से पहले वह आईआईएम अहमदाबाद में प्रमुख कंप्यूटर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत रहे तथा उसके बाद पटनी कंप्यूटर में काम किया।

नारायण मूर्ती यह इन्फोसिस के संस्थापक अध्यक्ष रह चुके हे जिन्होंने २०११ को सभी पदों से इस्तीफा देकर स्वतंत्र रूप से इन्फोसिस को कंपनी की बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर छोड़ दिया था। २०१३ में पुनः बतौर “एग्जीक्यूटिव चेयरमैन” के तौर पर परन्तु इसके बाद वह कंपनी के स्थाई कार्य में हस्तक्षेप नहीं करते थे। वह एक सन्मानिय अध्यक्ष के तौर पर कंपनी में शमील थे जो एक मेटर की तरह पद है। २०१७ में उनका और कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का का विवाद मीडिया के चर्चा में रहा जिसके कारन शेयर बाजार में कंपनी के शेयर्स को नुकसान झेलना पड़ा।

नारायण मूर्थी अपनी कंपनी में सभी कारोबार पारदर्शी रखना चाहते है , तथा विशाल सिक्का यह भारत के सबसे महंगे सीईओ के तौर पर इन्फोसिस में लाए गए थे जो नारायण मूर्ती को पसंद नहीं था। वह खुद साधारण जीवन जीवन जीने में लिए विश्वास रखते थे परन्तु विशाल सिक्का द्वारा लिए गए कुछ निर्णय उन्हें पसंद नहीं आए। ऐसा नहीं हे की विशाल सिक्का यह असफल सीईओ रहे हे परन्तु नारायण मूर्ती कंपनी के कुछ नियम निर्धारित करना चाहते थे। इसलिए इस संघर्ष में कौन सही हे और कौन गलत है यह मुद्दा हर किसी को निर्धारित करना है।

इन्फोसिस कंपनी का बिज़नेस मॉडल / Business Model of Infosys Company –

  • Next Generation Integrated AI Platform
  • Infosys consulting – Consulting services
  • Cloud computing services
  • Infosys Information Platform – Analytics platform
  • Digital Marketing
  • Engineering Services

इन्फोसिस कंपनी का फिनाकल यह बैंकिंग सॉफ्टवेयर सबसे प्रसिद्ध प्रोडक्ट माना जाता है जो महत्वपूर्ण बैंको के लिए बनाया गया है। इन्फोसिस कंपनी द्वारा मुख्य रूप से सभी प्रकार की कंपनियों के लिए सॉफ्टवेयर बनाए जाते हे तथा इसके संबंधित सेवाए मुहैया की जाती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन्फोसिस कंपनी के सफल होने का महत्वपूर्ण कारन हे आउटसोर्सिंग तथा सॉफ्टवेयर सेवा के लिए जो पैसे विदेशो में खर्च होते हे वह इन्फोसिस कंपनी के प्रोडक्ट्स काफी सस्ते होते है।

अंग्रेजी भाषा का ज्ञान यह इन्फोसिस कंपनी के इंजीनियर के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि अंतराष्ट्रीय मार्किट में सफल होने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। एसोप योजना के माध्यम से अपने कर्मचारियों को कंपनी से जुड़े रहने के लिए कंपनी ने हजारो कर्मचारियों को कंपनी के शेयर धारक बनाया जिससे वह काफी पैसे कमा सके तथा कंपनी के लिए और सम्पर्पित कर्मचारी निर्माण किए जिससे कंपनी का मार्किट में एक सकारात्मक ब्रांड निर्माण हुवा है तथा पूरी दुनिया भर में कंपनी के २ लाख सत्तर हजार के ऊपर कर्मचारी कार्य करते है।

इन्फोसिस कंपनी अपने ज्यादातर प्रोजेक्ट विदेशी कंपनियों के साथ करती हे जिससे उनके प्रॉफिट में सबसे बड़ा हिस्सा देखने है , परन्तु भारत सरकार के GST और इनकम टॅक्स पोर्टल के लिए कंपनी काम करती है परन्तु ज्यादातर आईटी कम्पनिया सरकार के काम करने के लिए उस्तुक नहीं होती है। इसके कई कारन हे जिसमे कम रेट तथा पेमेंट के लिए होने वाली देरी तथा सरकार की कोई भी साइट बनाने के लिए काफी जटिल होती हे क्यूंकि ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करते हे तथा वह साधारण लोग होते है। जिससे कोई भी प्रोजेक्ट आखरी समय तक पूर्ण नहीं होता हे और हमेशा उसमे बदलाव करने पड़ते है।

शेयर मार्केट और इन्फोसिस कंपनी / Share Market & Infosys Company –

इन्फोसिस ने कंपनी का आईपीओ १९९३ में भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट किया था जिसकी आज कीमत १५१५ रूपए हे तथा इसकी बेस प्राइस एक बार बदली गयी हे। कंपनी ने अपने शेयर धारकोको ३० साल के समय में ११ बार बोनस शेयर दिया गया हे तथा ३० साल पहले लगाए गए १०००० रूपए की आज की कीमत लगबघ २ करोड़ रूपए से भी ज्यादा हुई है, यह रिटर्न १६००% हे जो किसी भी निवेश में नहीं मिल सकते । इन्फोसिस यह भारत की पहली कंपनी हे जो अमरीका के नैस्डेक शेयर बाजार में लिस्ट होने वाली कंपनी १९९९ में बनी हुई है।

नारायण मूर्ती ने इस कंपनी को अपने पत्नी से १०००० रूपए लेकर बनाई कंपनी का आज मार्किट कॅपिटल ८० बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहच चूका हे जो भारत की दस बड़ी कंपनी में शुमार हे तथा भारतीय शेयर बाजार की महत्वपूर्ण कंपनी है। १९९३ में जब इसका आईपीओ ९५ रूपए से लिस्ट किया गया था तब वह ५० % से पहले दिन खुला था जिसकी मूल कीमत उस समय १४५ रूपए पहले दिन हुई थी। कंपनी का शुरुवाती बेस प्राइस १० रूपए प्रति शेयर था जिसको बाद में ५ रूपए प्रति शेयर किया गया था । सन २००० से इन्फोसिस कंपनी ने अपने शेयर धारको को निरंतर लाभांश दिया है।

एसोप स्कीम के माध्यम से कंपनी के कर्मचारियों को कंपनी ने शेयर धारक बनाया है जिससे कई पुराने कर्मचारी आज करोडो रूपए अपने शेयर्स के माध्यम से हासिल कर चुके है। शेयर बाजार में कंपनी के फंडामेंटल से कंपनी का शेयर प्राइस काफी ज्यादा हे परन्तु कंपनी का भविष्य अच्छा होने के कारन आज भी कंपनी में विदेशी निवेश तथा प्रमोटर्स अपना विश्वास बने रखे हुए है। म्यूच्यूअल फण्ड तथा इन्शुरन्स कंपनियों द्वारा इन्फोसिस कंपनी में शेयर धारण किए हुए है , इसलिए भारत की शेयर बाजार की यह कंपनी सबसे महत्वपूर्ण कंपनी के रूप में देखि जाती है।

इन्फोसिस कंपनी विरुद्ध TCS कंपनी / Infosys Company & TCS Company –

TCS कंपनी यह इन्फोसिस कंपनी की भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी कंपनी मानी जाती है, तथा भारत में सबसे बड़ी आईटी कंपनी के तौर पर देखि जाती है । कर्मचारियों के दॄष्टि से देखे तो वह इन्फोसिस से ज्यादा TCS कंपनी में काम करना पसंद करते है। पिछले कुछ दिनों से इन्फोसिस के नेतृत्व में काफी समस्याए देखने को मिली है जिसमे विशाल सिक्का पर नारायण मूर्ती द्वारा काफी आलोचना देखने को मिली हे जिससे कंपनी के शेयर बाजार की कीमतों पर परिणाम देखने को मिले है।

TCS की बात करे तो इसका नेतृत्व हमेशा से स्थाई तौर पर देखने को मिला है जो कंपनी की स्थापना से लेकर आजतक बहुत कम समय नेतृत्व को बदला गया है। वैसे तो दोनों ही प्रतिस्पर्धी कम्पनिया एक ही प्रकार के सेवा देने का काम करती हे तथा अंतरराष्ट्रीय आईटी सर्विस मार्किट में एक विश्वसनीय कम्पनिया मानी जाती है। TCS कंपनी का अपने कर्मचारियों के लिए एक अच्छा इतिहास रहा हे जिसमे कर्मचारियों से नोकरियो से हटाने के प्रक्रिया बहुत कम देखने है।

इन्फोसिस कंपनी की बात करे तो कर्मचारियों का नौकरी छोड़ने का प्रमाण काफी ज्यादा हे तथा स्थाई नोकरियो का प्रमाण TCS के मुकाबले बहुत कम देखने को मिलता है। सैलरी के मामलो में TSC कंपनियों के कर्मचारियों की सैलरी अच्छी देखने को मिलती है , वैसे तो एसोप जैसी शेयर धारक बनाने की प्रक्रिया इन्फ़ोसिस में देखने को मिलती हे मगर TCS के मुकाबले बाकि सुविधाओं के लिए काफी पीछे हे ऐसा देखा गया है। मगर फिर भी भारत में समस्या को देखते हुए दोनों कंपनियों में जॉब हासिल करने काफी मेहनत करते है।

इन्फोसिस कंपनी के मुख्य ग्राहक / Major Clients of Infosys Company –

  • Equatex – Financial services company
  • Aimia – Retail and Consumer Packaging Goods company
  • Hilti – Manufacturing Company
  • Kellogg Company – Food Processing Company
  • JFK Health System – Healthcare Company
  • Novasom – Healthcare Devices company

बैंकिंग क्षेत्र से लेकर उत्पादन क्षेत्र तक सभी महत्वपूर्ण क्षेत्र की कंपनी इन्फोसिस कंपनी की प्रमुख ग्राहक हे जिसमे आउटसोर्सिंग से लेकर सॉफ्टवेयर डिज़ाइन तक अभी इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी से संबंधित कार्य कंपनी द्वारा दुनिया भर में किए जाते है। वैसे तो इन्फोसिस के मुख्य ग्राहक यह विदेशी कम्पनिया होती हे परन्तु सरकारी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर इनफ़ोसिस कार्य कर चुकी हे तथा इन्कमटैक्स और GST जैसी पोर्टल की सेवा इन्फोसिस द्वारा दी जाती है।

नंदन नीलकनी यह इन्फोसिस के सस्थापक रह चुके हे जिसके माध्यम से भारत सरकार द्वारा आधारकार्ड की टेक्नोलॉजी का निर्माण किया गया है जो भारत की ऑनलाइन सेवा में सबसे महत्वपूर्ण सेवा मानी जाती है। इसलिए इन्फोसिस के महत्वपूर्ण ग्राहक यह विदेशी कम्पनिया हे तथा विदेशी कंपनियों के प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए कंपनी द्वारा दुनिया के महत्वपूर्ण शहरों में अपने ऑफिस शुरू किए हे तथा विदेशी कर्मचारियों के माध्यम से यह प्रोजेक्ट भारत में पुरे किए जाते है।

इन्फोसिस कंपनी की विशेषताए / Features of Infosys Company –

  • इन्फोसिस इस कंपनी की स्थापना १९८१ में पुणे के नारायण मूर्ती के घर से शुरू की गयी थी जिसके लिए उनकी पत्नी द्वारा १०००० रूपए कॅपिटला से शुरू की गयी थी।
  • इन्फोसिस कंपनी के मुख्य प्रोडक्ट यह आउटसोर्सिंग तथा सॉफ्टवेयर सेवाए देना यह रहा है जिसमे बैंकिंग से लेकर उत्पादन क्षेत्र की कम्पनिया ग्राहक है।
  • नारायण मूर्ती के साथ नंदन नीलकनी जैसी कुछ सह संस्थापक को लेकर इस कंपनी की स्थापना नारायण मूर्ती के नेतृत्व में की गयी थी।
  • इन्फोसिस कंपनी भारतीय शेयर बाजार में १९९३ में आईपीओ लाया गया तथा अमरीका के शेयर बाजार में १९९९ में कंपनी का शेयर लिस्ट किया गया।
  • कंपनी का शेयर कॅपिटल ८० अमरीकी बिलियन डॉलर हे जो आईटी क्षेत्र की भारत की दूसरे नंबर की कंपनी मानी जाती हे और TCS यह शीर्ष की कंपनी है।
  • नारायण मूर्ती का उद्देश्य पारदर्शक व्यवहार तथा साधारण जीवन शैली यह रहा हे जिसके चलते २०१७ में कंपनी के सीईओ के साथ उनके विवाद मीडिया के लिए प्रमुख विषय रहा था।
  • इन्फोसिस कंपनी यह आईटी क्षेत्र की भारत की प्रतिष्ठित कंपनी मानी जाती हे जिसमे एसोप जैसी स्कीम के माध्यम से कर्मचारियों को शेयर धारक बनाया जाता है।
  • कंपनी के शेयर धारक बनने से इन्फोसिस के कई कर्मचारी लाखो रूपए के मालिक बन चुके है जिसके माध्यम से कंपनी कर्मचारियों के प्रति कंपनी का क्या व्यवहार होना चाहिए यह दर्शाता है।
  • इन्फोसिस कंपनी का कारोबार दुनिया के ४५ देशो तक फैला हे और ८२ कंपनी अपने ऑफिसेस यहाँ से ऑपरेट करती है तथा कंपनी का मुख्य ऑफिस बंगलौर में स्थापित किया गया है।
  • कंपनी के दुनिया भर में लगबघ २.५ लाख कर्मचारी काम करते है तथा भारत में इन्फोसिस कंपनी का कर्मचारी बनना हर कर्मचारी होता है।
  • इन्फ़ोसिस कंपनी द्वारा दुनियाभर में कई आईटी से संबंधित बहुत सारे छोटे कंपनियों को ख़रीदा हे जो एक रणनीति कंपनी का विस्तार पूरी दुनिया में करना यह रहा है।
  • भारत की संस्कृति तथा वास्तु जतन करने के लिए इन्फोसिस कंपनी द्वारा पहल की जाती है।

इन्फोसिस कंपनी और सामाजिक उद्देश्य / Infosys Company & Social Objects –

  • कंपनी द्वारा समाज में लगबघ ढाई लाख जॉब्स निर्माण किए गए हे जो समाज में रोजगार निर्माण करने के लिए बहुत बड़ी उपलब्धी है।
  • इन्फोसिस कंपनी खुद अथवा NGO के माध्यम से समाज में गरीब और भूखे लोगो तक पहुंचना चाहती हे इसके लिए अलग अलग माध्यम से कंपनी का काम शुरू है।
  • शिक्षा क्षेत्र में नारायण मूर्ती द्वारा कई बार खामिया जाहिर की गयी हे इसके लिए इन्फोसिस फाउंडेशन के माध्यम से टेक्नोलॉजी के विकास के लिए बंगलोर में ३५० एकर में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गयी है।
  • भारत के गांव गांव तक पहुंचकर कंपनी द्वारा इंफ्रास्ट्रचर को सुधारने के लिए पहल की जाती है।
  • सामाजिक विषमता तथा स्त्रियों के लिए अधिकार यह विषय लेकर कंपनी द्वारा कई कार्यक्रमों के माध्यम से जाग्रति का कार्य किया जाता है।
  • कुदरत की सुरक्षा के लिए सरकार कानून बनाकर अपना काम करती हे परन्तु इन्फोसिस द्वारा पहल लेकर इसका ध्यान रखा जाता है जिसमे विविध कार्यक्रमों के माध्यम से तथा कंपनी के इंफ्रास्टचर के माध्यम से हमें यह देखने को मिलता है।

इन्फोसिस कंपनी का आलोचनात्मक विश्लेषण / Critical Analysis of Infosys Company –

इन्फोसिस कंपनी की स्थापना १९८१ में बाद कंपनी का नेतृत्व २०११ तक नारायण मूर्ती द्वारा किया गया परन्तु उसके बाद नया नेतृत्व कंपनी में प्रस्थापित करने को आजतक सफलता हासिल नहीं हुई है। इसलिए विशाल सिक्का के नेतृत्व पर नारायण मूर्ती द्वारा सवाल खड़े किए थे जिससे कंपनी की इमेज मार्किट में बुरा असर देखने को मिला है। कर्मचारियों के स्थिरता के बारे में देखे तो प्रतिस्पर्धी कंपनी TCS में कर्मचारियों के स्थिरता ज्यादा देखने को मिलती है। इसका दूसरा अर्थ हे की कंपनी छोड़कर जाने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी ज्यादा देखने को मिलती है।

भारतीय कम्पनिया अपने टेक्नोलॉजी के लिए दुनियाभर में खुद को प्रस्थापित करने में सफल रही हे मगर यह टेक्नोलॉजी के निर्माण में काफी पीछे देखने को मिलती है। इसलिए रतन टाटा तथा नारायण मूर्ती द्वारा कई बार भारत की शिक्षा व्यवस्था पर आलोचना की है, उनका मानना हे की संशोधन के मामलो में अच्छे कर्मचारी कंपनी मिलते है। कंपनी द्वारा कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के लिए काफी पैसा खर्च किया जाता हे परतु ज्यादातर कर्मचारी एक्सपर्ट बनने के बाद नौकरी छोड़ते है। भारत की इन आईटी कंपनियों का फायदा देश के विकास के लिए कितना होता हे यह संशोधन का विषय है।

भारत में आईटी कंपनियों के सफलता का प्रतिशत काफी कम देखने को मिलता है तथा उसमे भी TCS इन्फोसिस और महिंद्रा कंपनियों द्वारा आईटी क्षेत्र पर प्रभुत्व देखने को मिलता है। देखा जाए तो सभी आईटी कम्पनिया एक ही प्रकार के आईटी सेवाए देती है जिसमे विदेशी कम्पनिया भारत की इन कंपनियों से काम करके लेती हे इसका प्रमुख कारन सस्ती सेवाए यह कारन है और बेहतरीन सर्विसेज हे यह प्राथमिकता में नहीं दिखती है। इसलिए संशोधन के मामलो में भारत में ज्यादा निवेश कर्मचारियों पर करना चाहिए जिसका आभाव देखने को मिलता है।

इन्फोसिस कंपनी की बिज़नेस प्रोफाइल / Business Profile of Infosys Company –

  • कंपनी का नाम – इन्फोसिस लिमिटेड
  • शेयर बाजार – NSE ,BSE NYSE (USA)
  • इंडस्ट्री – इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, कंसल्टिंग और आउटसोर्सिंग
  • कंपनी की स्थापना – २ जुलाई १९८१
  • कंपनी के संस्थापक – नारायण मूर्ती, नंदन नीलेकणी, एस. डी. शिबुलाल , एस. गोपालकृष्णन , के. दिनेश , एन एस राघवन और अशोक अरोरा
  • कंपनी का मुख्यालय – बंगलौर -कर्नाटक
  • कर्मचारी संख्या – २७६३१९ (२०२१)
  • सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर – सलिल पारीख

निष्कर्ष / Conclusion –

इसतरह से हमने देखा की इन्फ़ोसिस कंपनी का सफर कैसे रहा है, जो किसी परिवार की कंपनी नहीं है जिसे भारत के बुद्धिजीवी आईटी इंजीनियर द्वारा स्थापित किया गया है। भले ही इस कंपनी के संस्थापक एक हे मगर इस कंपनी का नेतृत्व नारायण मूर्ती द्वारा किया गया है। भले ही वह नारायण मूर्ती आज कंपनी में सक्रीय कार्य नहीं करते परन्तु उनके हर सलाह का कंपनी द्वारा विचार किया जाता है। उनका मानना हे की कंपनी के व्यवहार में पारदर्शकता और अनावशयक खर्च पर रोक लगानी चाहिए , इसलिए वह खुद भी बड़ी सादगी भरा जीवन जीते है।

कंपनी के संस्थापकों किसी परिवारवादी विचार से नहीं हो इसपर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्यूंकि हमें भारत में ज्यादातर कम्पनिया किसी किसी परिवार के प्रभाव के देखने को मिलती है। इसलिए कोई सफल सीईओ भारत की किसी कंपनियों में काम करना नहीं चाहता क्यूंकि जीतनी स्वतंत्रता विदेशी कंपनियों में निर्णय लेते समय मिलती है वह भारत में नहीं मिलती ऐसा देखा जाता है। ज्यादातर प्रमुख कंपनियों के सीईओ यह कंपनी के संस्थापक होते है और अपना नियंत्रण कंपनी चाहते है। इसलिए विशाल सिक्का और नारायण मूर्ती विवाद पर कौन सही हे और कौन गलत हे यह निर्धारित करना बड़ा मुश्किल काम है।

इस आर्टिकल के माध्यम से पिछले चालीस सालो में इन्फोसिस कंपनी कैसे सफल हुई इसका इतिहास हमने जानने की कोशिश की है। कंपनी अंतर राष्ट्रीय आईटी मार्किट में सफल हुई हे मगर संशोधन के मामलो में कंपनी को काफी मेहनत करनी होगी यह दिखता है। गूगल और सैमसंग अपने टेक्नोलॉजी संशोधन पर जितना खर्च करती है इससे काफी कम खर्च यह कंपनी करती है। आज के टेक्नोलॉजी युग में जिसके पास टेक्नोलॉजी का नियंत्रण होगा वह दुनिया पर राज करेगा इसलिए भारत की इन्फोसिस जैसी कंपनियों को यह देखना होगा।

रिलायंस जिओ प्लेटफार्म 

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