प्रस्तावना / Introduction –
भारत में शेयर बाजार में निवेश के लिए जागरूकता बढ़ रही हे यह वास्तविकता हे मगर जितने ज्यादा लोग शेयर बाजार से जुड़ रहे हे , क्या उन्हें शेयर बाजार के बारे में सही जानकारी मिल रही है ? क्या वह गलत जानकारी के प्रभाव में शेयर बाजार से जुड़ रहे है ? ऐसे कई सारे सवाल हमें देखने चाहिए।
यहाँ हमने शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए एक प्रकार की तकनीक इस्तेमाल की जाती है जिसका नाम हे अल्गो ट्रेडिंग जिसके बारे में कई निवेशक को अच्छी तरह से जानकारी नहीं होती। भारत में ज्यादातर निवेशक किसी के प्रभाव में अथवा जानकारी के सहायता से इन्वेस्टमेंट यह यु कहे की ट्रेडिंग करते है, क्यों इन्वेस्टमेंट यह लम्बे अवधि के लिए होती है।
हमें अल्गो ट्रेडिंग के जानकारी के बिना शेयर बाजार में अपने पैसे छोटे अवधि के लिए नहीं इन्वेस्ट करने चाहिए क्यूंकि वह काफी जोखिम भरा निर्णय हो सकता है। इसके लिए हम अल्गोरिद्म कैसे काम करता हे और हमारे जैसे छोटे निवेशक को क्या सावधानिया रखनी चाहिए इसके बारे में हम जानने की कोशिश करेंगे।
इस विषय पर लिखने के लिए हमें सॉफ्टवेयर नॉलेज होना जरुरी हे, फाइनेंस, प्रोग्रामिंग , टेक्निकल तथा डाटा साइंस और गणित का ज्ञान होना जरुरी हे तभी आप अच्छी तरह से लिख सकेंगे । इसलिए हम इसी एक्सपर्ट नॉलेज के तहत आपके लिए इस विषय पर जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
अल्गोरिदम क्या होता है / What is Algorithm –
अल्गोरिदम यह एक सेट ऑफ़ रूल्स होता हे जिस जानकारी को कंप्यूटर के माध्यम से याने प्रोग्रामिंग भाषा में कोडन करके शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए एक सिस्टम तैयार किया जाता है। जिसे हम आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस अथवा ऑटोमेशन भी कह सकते है, जिसे इंसान की तरह कोई इमोशंस नहीं होते न डर होता हे न एक्साइट मेन्ट होता हे जो इंसान में यह गुण इंसान के निर्णयों पर प्रभाव डालते है।
ऑटोमेशन में उपलब्ध की हुई जानकारी यह एक जानकारी का सेट होता हे जो कंप्यूटर कोड के माध्यम से फीड किया जाता हे और वह जितना लॉजिकल होगा उतना वह प्रभावशाली रहेगा। फेसबुक तथा गूगल का सिस्टम इसी अल्गोरिदम पर चलता हे जिसके माध्यम से वह जानकारी का इस्तेमाल लोगो के लिए तथा उनके प्रॉफिट मॉडल के लिए करते है।
ऑटोमेशन में दिन भर कंप्यूटर सिस्टम के समाने बैठने की जरुरत नहीं हे बस एक सेट ऑफ़ रूल्स कंप्यूटर सिस्टम में डाल कर हमें ऑटोमेशन के माध्यम से ट्रेडिंग करनी होती है। शेयर बाजार में व्यक्तिगत स्थर पर यह करना काफी मुश्किल हे क्यूंकि इसके लिए कंप्यूटर प्रोगरामिंग स्किल होना जरुरी हे तथा शेयर बाजार के ज्ञान में एक्सपर्ट होना जरुरी हे।
साधारण इन्वेस्टर के लिए यह कर पाना काफी असंभव हे इसलिए ऐसी अल्गो ट्रेडिंग बड़ी बड़ी फाइनेंसियल संस्थाए तथा फंड्स करते है। जिसके लिए काफी पैसा इन्वेस्ट करना पड़ता हे जो सामान्य इन्वेस्टर के लिए संभव नहीं है।
अल्गो ट्रेडिंग का इतिहास जानिए / History of Algo Trading –
ऑटोमेशन की यह प्रक्रिया हमें बिज़नेस इंडस्ट्रीज में काफी सारे क्षेत्र में देखने को मिलती हे जो भविष्य की टेक्नोलॉजी जानी जाती है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस या रोबोट्स के माध्यम से कई सारे क्षेत्र में काम किया जाता हे तथा काफी टेक्नोलॉजी पर संशोधन करके नयी नयी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में डिजिटल प्लेटफार्म १९९० के बाद हमें देखने को मिलता हे, अल्गो ट्रेडिंग यह डिजिटल टेक्नोलॉजी की शेयर बाजार में नेक्स्ट लेवल मानी जाती है।
शेयर बाजार में यह तकनीक २०१३ के सर्वे के हिसाब से अमरीका में ७० % ट्रेडिंग ऑटोमेशन से की जाती हे इसका मतलब हे की यह अल्गो ट्रेडिंग के माध्यम से की जाती है। २०२२ में यह प्रतिशत काफी बढ़ा होगा और भारत की बात करे तो सामान्य इन्वेस्टर को यह प्रक्रिया अभी अच्छी तरह से पता नहीं है। ट्रेडिंग में प्रॉफिट कमाने का एक सीक्रेट हे की जितने लोग ट्रेडिंग करने के लिए शेयर बाजार में आएगी उतना इन ट्रेडिंग एक्सपर्ट को फायदा मिलेगा।
१९८३ में मिचेल ब्लूमबर्ग ने एक कंप्यूटर सिस्टम बनाया जिसके लिए सालोमोन ब्रदर्स ने इसके लिए १० मिलियन अमरीकी डॉलर ट्रेडिंग के लिए दिए थे तथा मेरिल लिंच ने उनके इनोवेटिव मार्किट सिस्टम में ३० मिलियन डॉलर इन्वेस्ट किए थे, जिसका मकसद एक ऐसी ऑटोमेशन सिस्टम बनाना जिससे प्रभावी मशीन बनायीं जाए ।
१९९० के बाद कंप्यूटर लेस शेयर बाजार में यह अल्गो ट्रेडिंग का ट्रेंड काफी बढ़ा। भारत की बात करे तो पिछले दस सालो से बड़ी बड़ी वित्तीय संस्था द्वारा यह सिस्टम इस्तेमाल किया जाने लगा है।
तकनिकी विश्लेषण / Technical Analysis –
शेयर बाजार में मुलभुत जानकारी के आधारपर लंबे समय के लिए किसी भी कंपनी के शेयर में निवेश किए जाते है, इसके लिए कोई टेक्निकल विश्लेषण की जरुरत होती। टेक्निकल विश्लेषण के लिए छोटे अवधी के लिए की जाने वाली इन्वेस्टमेंट जरुरी होती है जीतनी कम समय के लिए इन्वेस्टमेंट होगी उतना टेक्निकल विश्लेषण पर निर्भर होना पड़ता है।
टेक्निकल विश्लेषण के लिए शेयर के भाव उसका ट्रेंड , और पैटर्न्स डाटा के आधारपर देखा जाता हे और उसका विश्लेषण करके एक संभावना तय की जाती हे जिसके हिसाब से कब शेयर खरीदना हे और कब बेचना हे यह तय किया जाता है। यह तकनीक संभावना पर आधारित होती है इसके लिए काफी डाटा इस्तेमाल किया जाता हे जिससे एक कन्क्लूजन निकाला जाता है।
टेक्निकल विश्लेषण की जरुरत यह छोटे अवधि के निवेश के लिए प्रभावी होती हे और इसके साथ अल्गो ट्रेडिंग के सहयोग से ऑटोमेशन के माध्यम से हम ट्रेडिंग कर सकते हे मगर इसके लिए काफी पैसा और एक्सपर्ट की जरुरत होती है। टेक्निकल विश्लेषण यह मुख्यतः किसी भी शेयर के भाव का पिछले विश्लेषण होता है। टेक्निकल विश्लेषण के लिए प्राइस डाटा के माध्यम से ट्रेंड और पैटर्न्स का विश्लेषण करके एक संभावना तय की जाती है।
अल्गो ट्रेडिंग कैसे काम करती है / How Algo-Trading Works –
- Computer Programming
- Data Science
- Mathematics Skills
- Financial Knowledge
- Trading Skills
अल्गोरिदम यह एक सेट ऑफ़ रूल्स होता है जिसके लिए कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा के माध्यम से तथा शेयर बाजार के इनफार्मेशन के माध्यम से तार्किक सेटअप से एक कोड तैयार किया जाता है। आज के तारीख में शेयर बाजार के लिए जो ऑटोमेशन सिस्टम तैयार की गयी हे जो काफी सफल हे वह पायथन इस प्रोग्रामिंग भाषा में बनायीं गई है। वैसे तो जावा और सी यह भाषाए भी सॉफ्टवेयर बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते है।
शेयर बाजार में मुख्य रूप से बड़ी वित्तीय संस्थाए ऐसी अल्गो ट्रेडिंग पर करोडो रुपये खर्च करती है जो प्रभावी सिस्टम बनाई जाती है। वैसे तो कोई भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर यह सिस्टम बना सकता हे मगर इसके लिए जो शेयर बाजार की सटीक जानकारी चाहिए होती हे वह अगर ठीक से कंप्यूटर प्रोग्राम में नहीं रखी गई तो वह सिस्टम वास्तविकता में सफल नहीं होगी।
इसके लिए प्रभावी प्रोग्रामिंग बनाकर एक ऑटोमेशन सिस्टम बनाया जा सकता हे, अमरीका में प्रभावी सिस्टम बनाकर कई सारी संस्थाए काफी पैसा बना रही है। भारत में इसके लिए बड़ी बड़ी निवेशक संस्थाए और फंड्स अल्गो ट्रेडिंग के माध्यम से इन्वेस्टमेंट करती है , मगर छोटे स्तर पर यह ट्रेडिंग करना सभी के लिए संभव नहीं है।
अल्गो ट्रेडिंग की विशेषताए / Features of Algo Trading –
- अल्गो ट्रेडिंग के लिए कोई डर अथवा उस्ताह का प्रभाव ट्रेडिंग पर नहीं पड़ता जैसे बाजार में इंसानो द्वारा डर के माहौल में बड़ी मात्रा में बिक्री होती है, वह तर्क के आधारपर काम करता है ।
- अल्गो ट्रेडिंग के लिए दिन भर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठने की जरुरत नहीं होती वह सेट प्रोग्राम पर खरीद और विक्री करता है।
- अल्गो ट्रेडिंग में किसी भी शेयर्स की खरीद और विक्री में यह सिस्टम सेकंड के छोटे से पार्ट में यह प्रक्रिया कर देता है जो सामान्य ट्रेडिंग के लिए कई गुना ज्यादा समय लगता है।
- यह प्रक्रिया शेयर बाजार के पूरी तरह डिजिटल होने के बाद विकसित हुई हे और मुख्यतः बड़ी वित्तीय संस्थाए और फंड्स इसका इस्तेमाल ज्यादा करते है।
- सामान्य ट्रेडर्स के लिए कई शेयर्स ब्रोकर संस्था द्वारा अल्गो ट्रेडिंग किया जाता हे, जिसके लिए सेबी की अनुमती लेना जरुरी होता है।
- अल्गो ट्रेडिंग के लिए एक्सपर्ट नॉलेज होना जरुरी होता हे जो सामान्य इन्वेस्टर्स के पास नहीं होता और इसके लिए ज्यादा खर्च करना वह सह नहीं सकते इसलिए यह ट्रेडिंग ज्यादातर बड़ी संस्था द्वारा देखने को मिलता है।
- जितना प्रभावी और रैशनल डाटा सिस्टम के लिए फीड होगा उतना प्रभावशाली अल्गो सिस्टम तैयार होगा इसलिए इसकी सफलता पूरी तरह से कितना प्रभावशाली डाटा इस्तेमाल किया गया है।
सिस्टम ट्रेडिंग और डिस्क्रिशन ट्रेडिंग / System Trading & Discretion Trading –
शेयर बाजार में ट्रेडिंग स्किल्स यह पूरी तरह से टेक्निकल विश्लेषण और अनुभव पर आधारित होता है जिसमे संभावना के नियम का पालन करना होता है। मुलभुत जानकारी के आधारपर निवेश करने के लिए उस जानकारी की सत्यता जानकर और जोखिम जानकर हम निवेश कर सकते हे मगर ट्रेडिंग में हमें भविष्य में क्या हो सकता हे इसके अनुमान पिछले शेयर के भाव के गतिविधि के माध्यम से लगाया जाता है।
शेयर बाजार में कैसा वातावरण हे कौनसी न्यूज़ ट्रेंड हे उसके हिसाब से शेयर बाजार हलचल करता रहता है। जीतनी ज्यादा ट्रेडिंग होगी उतना वह शेयर ट्रेडिंग के लिए उपयुक्त होता है। जिस शेयर्स में यह प्रक्रिया ज्यादा नहीं होती उस शेयर्स में ट्रेडिंग करना कुछ काम का नहीं होता अथवा उसमे ज्यादा कुछ मुनाफा नहीं निकाल सकते।
डिस्क्रिशन ट्रेडिंग यह ऐसे ही बाजार के जानकारी तथा खुद का शेयर बाजार के बारे में जानकारी इसपर आधारित होती है। वही सिस्टम ट्रेडिंग यह काफी संशोधन के बाद किसी नतीजे पर आती है और वह नॉलेज शेयर बाजार में इस्तेमाल किया जाता है। जिसके लिए काफी एक्सपर्ट और पैसा खर्च किया जाता है जो सामान्य निवेशक नहीं कर सकते है।
मुलभुत निवेश और ट्रेडिंग की वास्तविकता / Facts about Fundamental Investment & Trading –
मुलभुत निवेश यह काफी कम जोखिम भरा होता हे जिसके लिए प्रॉफिट कमाने के लिए थोड़ा समय लगता हे और संयम रखना पड़ता है। वारेन बुफे और चार्ली मुंगर की शेयर बाजार में निवेश करके सफल होने का यही राज है की उन्होंने कभी भी मुलभुत जानकारी के सिवाय किसी शेयर्स में निवेश नहीं किया है। टेक्नोलॉजी कंपनी के शेयर्स इस मुलभुत जानकारी के नियम में नहीं बैठते थे इसलिए काफी दिनों तक इन दोनों ने इन कंपनियों में निवेश नहीं किया।
मगर आज के टेक्नोलॉजी के दौर में टेक कंपनी के सफलता को देखते हुए एप्पल जैसी कंपनियों में निवेश करना शुरू किया है। उनके हिसाब से अनुमान के आधार पर इन्वेस्टमेंट नहीं किया जा सकता उसे वह सट्टा ही मानते है, जो किसी लॉटरी की तरह होता है । टेक्निकल क्षेत्र में विकास होने के बाद शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए काफी विकसित सिस्टम बनाए गए जो काफी सटीक परिणाम देने में सफल रहे है।
चोट इन्वेस्टर को ट्रेडिंग में इन्वेस्ट करना काफी जोखिम भरा हो सकता हे क्यूंकि टेक्नोलॉजी और अल्गो ट्रेडिंग के आने से ऐसे विकसित सिस्टम से स्पर्धा करके प्रॉफिट निकलना काफी असंभव हे। इसलिए छोटे निवेशक को लम्बे अवधि के लिए निवेश करना सही होगा मगर बाजार में हम देखते हे की इन्वेस्टमेंट से ज्यादा ट्रेडिंग को ज्यादा प्रोस्ताहित किया जाता है।
जिससे हमें सावधान रहना चाहिए और सही में आप शेयर बाजार के मामले में काफी जानकारी रखते हे तभी ट्रेडिंग की तरफ बढे अन्यथा लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट यह अच्छा पर्याय है।
जिम साइमन और अल्गो ट्रेडिंग / Jim Simon & Algo Trading –
जिम सायमन यह एक गणित के विशेषज्ञ हे और प्रोफेसर के तौर पर कई दिनों तक काम करते थे और और अमरीका की ख़ुफ़िया संस्था के लिए दुश्मन के गुप्त सन्देश को खोलकर देने के लिए काम करते थे। उनके एक दोस्त के साथ उन्होंने शेयर बाजार पर काम करना शुरू किया और काफी संशोधन करने के बाद उन्होंने एक अल्गोरिदम विकसित किया जो उनके गणिती संभावना पर आधारित था।
रैनसंस हेज फण्ड के स्थापना के बाद उन्हें इसमें काफी सफलता मिली और ६६ प्रतिशत के निरंतर दस सालो तक अपने इन्वेस्टर को फायदा पहुंचने के बाद उन्होंने इसमें नए निवेशक को लेना बंद कर दिया। आज जितने भी इन्वेस्टर्स उनके हेज फण्ड में इन्वेस्ट किए हे वह अच्छा खासा पैसा बनाए हुए है। जिम सायमन पर हमने अलग से आर्टिकल लिखा हे जिसमे आप उनकी सफलता को विस्तार से जान सकेंगे।
उन्होंने जो अल्गो ट्रेडिंग सिस्टम तैयार किया इसके लिए उन्होंने किसी भी शेयर बाजार के एक्सपर्ट को अपने फण्ड के लिए नियुक्त नहीं किया बल्कि उच्च शिक्षित वैज्ञानिक और कंप्यूटर एक्सपर्ट को नियुक्त किया। उन्होंने भी इससे पहले शेयर बाजार के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी मगर गणिति संभावना के इस्तेमाल करने में वह माहिर थे।
निष्कर्ष /Conclusion –
इस तरह से हमने देखा की अल्गो ट्रेडिंग क्या होती हे और यह शेयर बाजार में कैसे कार्य करती है। इसके लिए काफी विकसित नियमो की जरुरत भविष्य में सेबी को करनी होगी क्यूंकि इससे छोटे निवेशक को काफी नुकसान भुगतना पड़ सकता है। अल्गो ट्रेडिंग यह सामान्य ट्रेडर नहीं इस्तेमाल कर सकता इसके लिए टेक्निकल नॉलेज होना जरुरी है।
इसलिए हमने देखा की छोटे इन्वेस्टर को ज्यादातर लंबी अवधि के लिए निवेश करना कभी अच्छा ऑप्शन है। भारत में अल्गो ट्रेडिंग की बात करे तो यह पिछले बिस साल से हमें देखने को मिल रहा हे और अमरीका की तरह अगले दस साल में यह काफी ज्यादा प्रतिशत में शेयर बाजार में हमें देखने को मिलेगा।
कई सारे ब्रोकर के माध्यम से अल्गो ट्रेडिंग की सुविधा देना शुरू हुवा हे मगर इसके कुछ नकारात्मक परिणाम भी हमें देखने को मिलते है जिसके साथ हमें टेक्नोलोजी को स्वीकार। सेबी को यह देखना होगा की अल्गो ट्रेडिंग से छोटे निवेशक का कोई नुकसान न होने पाए। हम देखते हे की मीडिया द्वारा इन्वेस्टमेंट की बजाए ट्रेडिंग को काफी प्रोमोट किया जाता हे जिससे छोटे निवेशक बाजार में ट्रेडिंग करे मगर हमारा मानना हे की लंबी अवधि निवेश करना छोटे इन्वेस्टर के लिए सबसे अच्छा पर्याय है।