प्रस्तावना / Introduction –

रिसर्च एंड डेवलेपमेंट क्या हे ? और इसका मानव समाज के लिए इतना महत्त्व क्यों है ? आज का हमारा टॉपिक यह हे जिसपर हम चर्चा करने वाले हे। क्यूंकि रशिया और अमरीका में दुनिया का शक्तिशाली देश कोण हे इसके लिए दूसरे महायुद्ध के बाद एक छुपा युद्ध चला जिसे शीत युद्ध कहा जाता है।

जिसमे १९९० में रशिया ने खुदको इस युद्ध से पीछे ले लिया कारन था रिसर्च और डेवेलोपमेंट में अमरीका ने रशिया को बहुत पीछे छोड़ दिया था यह महत्वपूर्ण कारन रहा। अमरीका आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है इसका कारन वह दुनिया में सबसे ज्यादा रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्चा करती है।

मानव समाज के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट पर जिन लोगो का प्रभुत्व होगा वह दुनिया पर राज करेगा इतना महत्वपूर्ण मामला हे यह। चीन और अमरीका जैसे देश रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर सबसे ज्यादा खर्च कर रहे हे इसका कारन जो देश इसमें विकसित बनता हे और दूसरे देश उसके टेक्नोलॉजी और रिसर्च पर निर्भर करते हे।

जब से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ने रिसर्च और डेवलपमेंट को सुरक्षित किया हे तब से जो देश इसमें पीछे रहते हे उनको यह रिसर्च दूसरे देशो से खरीदना पड़ता है। पश्चिमी देश १५ वी शताब्दी से इस क्षेत्र में विकसित हुवा इसकारण वह दुनिया पर शासन कर सके सब से पहले उन्होंने शिक्षा प्रणाली को सुधारा और वह शिक्षा प्रणाली ने अर्थव्यवस्था और बिज़नेस इंडस्ट्री को सुधारा और बाकि देश पीछे रह गए। इसलिए यहाँ हम विस्तार से रिसर्च और डेवलपमेंट के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

रिसर्च और डेवलपमेंट क्या है / What is Research & Development ?

रिसर्च और डेवलपमेंट का मतलब होता हे किसी भी चीज को उपलब्ध इनफार्मेशन और तथ्योंके आधार पर नए तरीके से दुनिया के सामने उपलब्ध करना जिससे लोगो को और समाज को उसका फायदा मिल सके जैसे लाइट बल्ब का अविष्कार , इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी यह सकल्पना इसका ही नतीजा हे जिसके तहत संशोधन करने वाले लोगो को आर्थिक फायदा मिल सके। यही कारन हे पश्चिमी देश और अमरीका विकसित हुए और दुनिया पश्चिमी देशो के समाजव्यवस्था के मॉडल पर चलती है।

दुनिया के बारे में जानकारी यह विज्ञानं की खोज का नतीजा है। यह पद्धती शिक्षा क्षेत्र में इस्तेमाल करके उसका फायदा अर्थव्यवस्था और इंडस्ट्री को मिल सके इसलिए बहुत सारे देश रिसर्च पर ज्यादा खर्च करते है। इंडस्ट्रियल रेवोलुशन , इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी यह सब रिसर्च और डेवलपमेंट की देन माना जाता है।

किसी भी देश का इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट यह उस देश की रिसर्च और डेवलपमेंट कैसी हे इसपर निर्भर रहता है। इसका मतलब अगर देश का एक्सपोर्ट ज्यादा हे यह देश रिसर्च और डेवलपमेंट में अच्छा हे ऐसा माना जा सकता है और जो देश इम्पोर्ट पर निर्भर रहते है वह देश रिसर्च और डेवलपमेंट में पिछड़े होते है।

रिसर्च और डेवलपमेंट पर कोनसी कंपनी कितना खर्च करती है –

  • अमेझोन – $ 22.6 बिलियन
  • अल्फाबेट -$ 16.2 बिलियन
  • वोल्क्सवागन – $ 15.8 बिलियन
  • सैमसंग – $ 15.3 बिलियन
  • इंटेल – 13.1 बिलियन

रिसर्च और डेवलपमेंट का इतिहास / History of R & D –

मुख्यतः रिसर्च और डेवलपमेंट की शुरुवात में विज्ञानं में इस्तेमाल हुई जो पश्चिमी देशो में हमें १४ वी शताब्दी से हमें देखने को मिलती थी। जिससे न्यूटन , गैलिलिओ , कोपरनिकस , आईनस्टाईन, टेस्ला जैसे वैज्ञानिक दिए मगर यह इतना आसान नहीं था क्यूंकि धर्म उस समय पश्चिमी देशो में सब से शक्ति शाली था । विज्ञानं ने सर्व प्रथम धर्म के नियमो को चुनौती दी और पश्चिमी देशो के धर्म प्रचारक को विज्ञानं के नियम मानने लगे और धर्म के नियमो में उनको बदलाव करने पड़े।

यही कारन बना पश्चिमी देशो के विकास का और इसकी दूसरी स्टेप रही शिक्षा प्रणाली जिसमे वैज्ञानिक सोच ने पश्चिमी देशो में शिक्षा में क्रांती लायी। दुनिया के बाकि देश पीछे रह गए कारन था समाज पर धर्म व्यवस्था के नियम प्रभुत्व बनाए हुए थे जो विज्ञानं यह एक खतरा लगाने लगा क्यूंकि की वह किसी भी चीज के लिए सवाल खड़े करता है। ईसाई धर्म ने यह बदलाव तुरंत अपना लिए मगर दुनिया के बाकि धर्मो ने यह अपनाने में बहुत देर लगाई।

आज भी कुछ धर्म विज्ञानं को अपनाने में देरी कर रहे हे वह देश बाकि दुनिया से बहुत पिछड़ गए। रिसर्च और डेवलपमेंट का कारन यही समय था जिसने इसको प्रोस्ताहन दिया और करीब २०० सालो तक पश्चिमी देशो ने आज के हम जो भी बदलाव देखते हे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही इसका कारन हे उसकी शिक्षा प्रणाली और रिसर्च और डेवलपमेंट में विकास की गती रही है।

७० के दशक में जो ग्रीन रेवोलुशन हुवा था वह रिसर्च और डेवलपमेंट की वजह से हुवा था जिससे करोडो लोगो को एग्रीकल्चरल संशोधन से जीवदान मिला था। रशिया ७० के दशक तक टेक्नोलॉजी में अमरीका को स्पर्धा कर रहा था मगर बाद में पिछड़ गया और अंत में अमरीका दुनिया का सुपर पावर बन गया।

R & D क्यों इतना महत्वपूर्ण है / Importance of R & D ?

अमरीका और यूरोप के देश रिसर्च और डेवलपमेंट पर और शिक्षा प्रणाली पर ज्यादा पैसा इन्वेस्ट करता हे जिससे उसके कॉर्पोरेट सेक्टर को फायदा मिलता है। चीन ने शुरुवाती तौर पर अपने विद्यार्थी पश्चिमी देशो के यूनिवर्सिटी में भेजे और वहा शिक्षा प्रणाली और रिसर्च और डेवलपमेंट का अध्ययन किया जिसको २० -३० साल लगे जिसके रिजल्ट हम आज देख रहे है।

चीन आज दुनिया का दूसरा ऐसा देश हे जो रिसर्च और डेवलपमेंट पर और शिक्षा प्रणाली पर सब से ज्यादा पैसा खर्चा करता है। क्यूंकि कोई भी संशोधन आप एक या दो बार कॉपी कर सकते हे बार बार नहीं कर सकते इसलिए खुद संशोधन पर खर्चा करना एक अच्छी इन्वेस्टमेंट होती हे यही चीन ने किया हे भारत भी अपनी रिसर्च और डेवलपमेंट पर निवेश बढ़ा रहा हे मगर यह अमरीका और चीन के निवेश के सामने बहुत कम है।

AMAZON जैसी एक साधारण अमरीका की कंपनी भारत की पूरी रिसर्च पर जितना खर्चा होता हे उससे ज्यादा खर्चा करती है इसलिए हमें यह प्रमाण बढ़ाना होगा और शिक्षा प्रणाली में रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ज्यादा महत्त्व देना होगा तभी हम अपना एक्सपोर्ट बढ़ा पाएंगे। रतन टाटा और नारायण मूर्ति जैसे एंटरप्रेनुएर ने बहुत बार इसके बारे में बताया हे की हमारे विद्यार्थी संशोधन में पीछे क्यों रहते है।

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह हे की चीन के बुद्धिजीवी विदेश में पढ़कर देश के विकास में अपना सहयोग देते हे और हमारे विद्यार्थी भारत के पैसो पर पढ़कर अमरीका और चीन जैसे देशो की कंपनियों को बढ़ाने के लिए काम करते है, यह हमें बदलना होगा।

रिसर्च और डेवलपमेंट और शिक्षा प्रणाली / Education System and R & D –

किसी भी देश के विकास में उसके शिक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा महत्त्व होता हे और हर शिक्षा व्यवस्था का संबंध उस देश के अर्थव्यवस्था और इंडस्ट्री के विकास के साथ होता है। पश्चिमी देशो में इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी में विकास का कारन हे उसके शिक्षा प्रणाली में रिसर्च और डेवलपमेंट को दिया गया महत्त्व जिससे यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त करके बाहर निकले विद्यार्थी अर्थव्यवस्था में और इंडस्ट्री के लिए उपयोग में आते है।

कंप्यूटर से लेके मोबाइल टीवी तक हम पश्चिमी और अमरीका के संशोधन से बनी चीजे इस्तेमाल करते है। हमारे शिक्षा प्रणाली में थ्योरी को ज्यादा महत्त्व दिया जाता हे और लॉजिक को विकसित करने की शिक्षा प्रणाली बनाने से हम डरते है। क्यूंकि लॉजिकल विकास से आदमी सिस्टम से सवाल करने लगता हे ऐसा अगर पश्चिमी देश सोचते तो क्या हमें दुनिया के बेहतरीन संशोधन देखने को मिलते ?

हमें यह सोच बदलनी होगी जो क्रांति पश्चिमी देशो के समाज में ५०० साल पहले आयी और आधुनिक विचार पद्धती को स्वीकारा गया यह हमें करना होगा। शिक्षा प्रणाली में संशोधन और लॉजिक को लेना होगा तभी हम हमारी खुद की टेक्नोलॉजी बना सकेंगे। आज की हमारी टेक्नोलॉजी केवल दूसरे देशो के संशोधन पर बनी हुई है जो हम केवल इसके नियम फॉलो कर रहे है।

रिसर्च और डेवलपमेंट और अर्थव्यवस्था / World Economy and R & D –

जैसे की हमने देखा शिक्षा प्रणाली पर इन्वेस्टमेंट करना जरुरी हे इसी तरह अर्थव्यवस्था को स्वतंत्र और विकसित करना हे तो रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्चा करना होगा । नहीं तो कभी चीन की कंपनी और कभी अमरीका और बाकि विदेशी कम्पनिया भारत से पैसा कमा के अपने देश में लेके जायेगे बस दिखने को हमें जीडीपी बढ़ता दिखेगा मगर यह असली जीडीपी नहीं होगा इसके लिए संशोधन पर काम करना पड़ेगा।

आने वाले अगले दस साल में चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और अमरीका इसके विरोध में हमारा इस्तेमाल करेगा इसलिए हमें अमरीका पर निर्भर नहीं रहना हे तो खुद का संशोधन विकसित करना होगा। आज की भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति देखे तो हमारा इम्पोर्ट ज्यादा हे और एक्सपोर्ट कम हे यह हमें बढ़ाना होगा इसके लिए विदेशी कम्पनिया भारत में लाकर उसका उत्पादन पूरी दुनिया में एक्सपोर्ट करने से हमारी समस्या का समाधान नहीं होगा यह थोड़ी देर के लिए एक भ्रम है।

रिसर्च और डेवलपमेंट और भारत की कम्पनिया / R & D and Indian Companies –

जैसे की हमने देखा विदेशी कम्पनिया रिसर्च और डेवलपमेंट पर कितना खर्चा करती है , आज हम देखते हे की टेक्नोलॉजी जीतनी तेजी से बदल रही हे उस हिसाब से भारत की कम्पनिया कब तक सरकार की नीतियों से खुद को सुरक्षित रखेगी ।क्यूंकि जैसे ही हमने मार्किट को खुला कर दिया उसी दिन से बिज़नेस में खुली स्पर्धा शुरू हुई हे और अगर हर क्षेत्र में विदेशी कम्पनिया पैसे के दम पर अपना कब्ज़ा करने लगी तो भारत की कंपनियों को उनसे स्पर्धा करना मुश्किल हो जायेगा।

हम केवल उनके सपोर्टिंग रिसोर्सेज की तरह इस्तेमाल किये जायेगे। इसलिए भारत की कंपनियों को शिक्षा प्रणाली में और कंपनी के संशोधन क्षेत्र में ध्यान देने की जरुरत है। आज हम देखते हे की टेक्नोलॉजी क्षेत्र में , ऑटो क्षेत्र में और धीरे धीरे हर क्षेत्र में विदेशी कम्पनिया खुद के लिए पॉलिसीज को बदलने की कोशिश करेगी और यह देशी कंपनियों के लिए एक सन्देश होगा।

मेथड्स ऑफ़ रिसर्च और डेवलपमेंट / Methods of R & D –

  • एक्सपेरिमेंट
  • सर्वे
  • इंटरव्यूज/ फोकस ग्रुप्स
  • लिटरेचर पुनर्संशोधन
  • केस स्टडीज

रिसर्च और डेवलपमेंट से समाज में हुए बदलाव / R & D and Human Society –

जैसे ही शिक्षा और संशोधन में क्रांती हुई इसके बाद दुनिया में पहले शैक्षणिक बदलाव हुए और उसके बाद राजनितिक बदलाव हुए जिससे लोकतंत्र पूरी दुनिया में प्रस्थापित हुवा यह सब रिसर्च और डेवलपमेंट का करिश्मा था। जिसने एक के बाद एक संशोधन दुनिया को दिए जिसमे लाइट बल्ब , हवाईजहाज , मोटर कार , इंजन , कंप्यूटर , मोबाइल यह सब रिसर्च और डेवलपमेंट की बदौलत हो पाया है ।

इसका इस्तेमाल हम हमारे जीवन के हर समय करते रहते है। बदलाव यह कुदरत का नियम हे इसलिए समय के साथ हम अगर बदलने की कोशिश नहीं करते तो हम बाकि दुनिया से काफी पीछे रहते हे। इसका सबसे बड़ा उदहारण हे मध्य पूर्व देश जो अपने कल्चर में बदलाव करना नहीं चाहते है या यु कहे की वहा के शासक समाज में बदलाव नहीं चाहते। इसलिए वह बाकि दुनिया से पिछड़ रहे है।

जो देश यह बाते समझ रहा हे वह देश आर्थिक दृष्टी से स्वतंत्र हो रहे हे और जो देश रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्चा नहीं कर रहे वह दूसरे देशो पर निर्भर हो रहे है। इससे दूसरे देश फिर से उन लोगो पर पैसे के दम पर शाशन करेंगे। आज टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही हे की संशोधन में अरबो रुपये खर्च कर रहे हे एक दूसरे पर प्रभुत्व पाने के लिए।

निष्कर्ष / Conclusion –

यहाँ हमारा उद्देश्य आपको रिसर्च और डेवलपमेंट का महत्त्व आज के दिन हमारे लिए क्या हे यह हमारा मकसद था इसलिए यहाँ हमने हर तरीके से आपको रिसर्च और डेवलपमेंट के बारे में बताने की कोशिश की है। हमारी शिक्षा प्रणाली में रिसर्च और डेवलपमेंट के बदलाव कैसे लेना जरुरी हे यह हमने देखा । इससे यही बात सिद्ध हो रही हे की भारत में वह सभी क्षमताए हे जिससे हम दुनिया की सबसे शक्ति शाली अर्थव्यवस्था बन सकते है।

दूसरे देशो के निवेश पर अर्थव्यवस्था को मजबूत दिखाना यह एक थोड़े समय के लिए भ्रम पैदा करता है। चीन ने जैसे अमरीका का आर्थिक और राजनितिक फायदा उठाने के लिए एक लम्बी रणनीति बनाई उसी तरह से हमें चलना होगा क्यूंकि हमारे टैलेंट विदेशी कम्पनिया बढ़ाने से हमें फायदा कम और नुकसान ज्यादा हे।

हमारे यहाँ IIT और IIM जैसी सरकारी खर्चे पर चलने वाली सस्था में जो विद्यार्थी तैयार होते हे वह विदेशी कंपनियों के लिए काम करते हे यह हमें बदलना होगा और देश के विकास में यह टैलेंट कैसे काम करेगा इस रणनीति पे चलना होगा। इसके लिए हमें पहले हमारी शिक्षा प्रणाली में बड़े पैमाने पर बदलाव करने पड़ेगे और शिक्षा सामान्य लोगो तक पहुचानी होगी।

अमरीका की प्राइवेट एजुकेशन पालिसी हम जैसे की वैसे भारत में नहीं चला सकते क्यूंकि हमारी देश के लोगो की उत्पन्न क्षमता बहुत कम हे इससे हमारी टैलंट फैक्ट्री डैमेज हो जाएगी और इसका फायदा विदेशी कम्पनिया उठाएगी। आशा करता हु की रिसर्च और डेवलपमेंट के बारे में हम कुछ अलग जानकारी आपतक पहुचाने में सफल रहे।

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