प्रस्तावना / Introduction –

जिस भाषा ने दुनिया पर राजनितिक और आर्थिक रूप से राज किया हे और समाज पर राज किया है वह भाषा हे अंग्रेजी । लेकिन कोई भी प्राचीन भाषा निरंतर अपने आप को नहीं बचा पायी, उसमे निरंतर बदलाव होते रहे है । समृद्ध भाषा वही बनी हे जिसने आर्थिक और राजनितिक दॄष्टि से समाजपर राज किया हो। इसमें आज की तारीख में अगर कोई चीज जोड़नी हो तो वह टेक्नोलॉजी कह सकते है जिसकी भाषा मूल रूप से अंग्रेजी होती है।

अंग्रेजी भाषा आज ग्लोबल भाषा के तौर पर उभरी हे लेकिन वह कितनी शुद्ध मानी जा सकती हे, इसलिए अंग्रेजी का इतिहास खोजना जरुरी है। आज दुनिया के हर एक व्यक्ति को लगता हे की अंग्रेजी भाषा यह एक शुद्ध भाषा हे मगर ऐसा नहीं है वह पिछले ५०० सालो से विकसित हुई है।अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी के मूल रूप से दो प्रकार हमें पता हे एक “अमेरिकन अंग्रेजी” और दूसरी “ब्रिटिश अंग्रेजी”। इसका मूल कारन हे अमरीका की खोज यह यूरोपीय व्यापारियों द्वारा की गयी और अमरीका में उन्होंने अपना व्यापार पिछले ५०० सालो से बढ़ाया है जिसका परिणाम हमें अंग्रेजी भाषा अमरीका में देखने को मिलती है।

भारत में अंग्रेजी भाषा को देखने का नजरिया कुछ अलग हे, जो लोग अच्छी अंग्रेजी बोल सकते हे वह लोग मुख्यतः समाज के ऊपरी स्तर से आते है और जिन लोगो की अंग्रेजी गलत हे वह निचली जाती से आते है। इसका मतलब हमारी अंग्रेजी अच्छी नहीं है यह भाव निचली जाती के पढ़े लिखे लोगो में निर्माण होता हे इसलिए कॉर्पोरेट जगत में वह लोग पीछे रह जाते है। अंग्रेज भारत में १६ वी शताब्दी में व्यापार के उद्देश्य से आए और अपने व्यापार को सुलभ बनाने के लिए भारत में अंग्रेजी को प्रसारित किया। जिसका फायदा उस समय समाज के “कुलीन” कहे जाने वाले लोगो द्वारा ज्यादा उठाया गया ऐसा देखा जाता है।

History of American English/अमेरिकन अंग्रेजी का इतिहास –

अमरीका का दर्शन पूरी दुनिया को पंधरवी सदी में अपघात स्वरुप हुवा था। यूरोप और पूर्वी एशिया को जोड़ने वाला जो मार्ग था उसे सिल्क रोड कहते हे वह तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य के अधीन था। यूरोपियन व्यापारियों का भारत तथा एशिया देशो में व्यापार इसी रास्ते से होता था। एशियाई अरब देशो में इस्लाम का उदय यह ईसाई संघर्ष से शुरू होता है, जिसमे तुर्की यह इस्लाम का नेतृत्व करता है। जिसका नतीजा जो धर्म युद्ध ईसाई और इस्लाम में देखने को मिला इससे यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला रास्ता यूरोप के लिए बंद कर दिया गया।

यह समय तक इस्लाम आर्थिक और सामाजिक दॄष्टि से यूरोप से काफी आगे रहा था मगर यूरोप में सामाजिक क्रांति के तहत धर्म और सत्ता का विभाजन माध्यम वर्ग कहे जाने वाले व्यापारियों द्वारा दिया गया। जिससे विज्ञानं की खोज तथा आधुनिक शिक्षा का विकास दुनिया के बाकि देशो से अधिक हुवा।गैलिलिओ , कोपरनिकस, आइंस्टाइन तथा डार्विन ने दुनिया का सोचने की नजरिया ही बदल दिया था। जिससे यूरोप में टेक्नोलॉजी के माध्यम से यूरोप बाहर व्यापार करना शुरू किया जिसमे इंग्लैंड , स्पेन जैसे देश शीर्ष पर थे।

अफ्रीका, एशिया तथा अमरीका खंड पर यूरोपीय व्यापरियों द्वारा समुद्री मार्ग से भ्रमण शुरू हुवा जिसमे आधुनिक प्राइवेट आर्मी यह इसकी विशेषता थी जिसने पूरी दुनिया की बड़ी बड़ी सेना को बड़ी आसानी से हराया। यूरोपीय लोग इन देशो से कच्चा माल अपने देश में लाकर उसका उत्पादन पुरे दुनिया में बेचते थे तथा इन कॉलोनी का इस्तेमाल खुद के फायदे के लिए करते रहे। जिसके लिए अंग्रेजी भाषा का महत्वपूर्ण रोल रहा है। १९ सदी तक अमरीका में अफ़्रीकी लोगो को गुलाम के तौर पर बड़ी संख्या में अमरीका लाया जाता था तो उनकी भी भाषा के उच्चारण इस अंग्रेजी भाषा में मिश्रित होने लगे इसतरह से अमरीकन अंग्रेजी भाषा का जन्म हुवा।

History Of British English/ब्रिटिश अंग्रेजी का इतिहास –

अंग्रेजी भाषा यह आज दुनिया की अंतरराष्ट्रीय भाषा मानी जाती हे जो संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से दुनिया के सभी देशो को एकसाथ जोड़ती है। वैसे तो दुनिया में कई सारी भाषाए हे मगर बहुत कम भाषाए खुद का लिखित साहित्य निर्माण करने में सफल हुई है। बोली भाषा की बात करे तो भारत में हर पचास किलीमीटर पर अलग भाषा देखने को मिलती हे परन्तु इसकी कोई लिपि नहीं होती है। पंधरा वी सदी से पहले ब्रिटेन पर यूरोप के अन्य देशो से आक्रमण होते रहे हे उसका ही प्रभाव देखे तो अंग्रेजी में… यूरोप की अन्य भाषा के शब्द मिश्रित हुए हैऔर मूल अंग्रेजी भाषा इस तरह से आज जो हम ब्रिटिश अंग्रेजी देखते हे यह वह हे।

  • २९ प्रतिशत लैटिन शब्द
  • २८ प्रतिशत फ्रेंच शब्द
  • २६ प्रतिशत जर्मन शब्द
  • १७ प्रतिशत अन्यभाषा के शब्द
  • और मूल भाषा अंग्रेजी के शब्द

इस तरह से हमें भ्रम हे की अंग्रेजी भाषा बहुत ही पुराणी हे और बहुत शुद्ध हे मगर आपका यह भ्रम बहुत ही गलत है। दुनियाभर में अंग्रेजी भाषा कैसे विकसीत हुई तथा पूरा यूरोप कई राजवंश शासक के प्रभाव में कैसे रहा ? यह जानना जरुरी है। लेकिन रोमन साम्राज्य का प्रभावशाली इतिहास और सुक्रात , प्लेटो ,एरिस्टोटल जैसे दार्शनिक का पुरे यूरोप पे प्रभाव रहा है। पूरी दुनिया में किसकी संस्कृती सबसे पुरानी हे इसपर बड़े विवाद हे पर भाषा यह ऐसी चीज हे जो आपकी संस्कृती समृद्ध हे या नहीं यह दर्शाती हे।

अंग्रेजी यह लैटिन अथवा तमिल भाषा जैसी पुराणी नहीं हे मगर वह पिछले ५०० सालो से दुनिया पर आर्थिक और राजनितिक तौर पर राज कर रही है। टेक्नोलॉजी की दॄष्टि से देखे तो अंग्रेजी भाषा के बगैर टेक्नोलॉजी को समझना काफी मुश्किल काम हे इसलिए दुनिया के किसी भी देश को टेक्नोलॉजी को समझने अंग्रेजी भाषा को जानना जरुरी होता है। भारत के बुद्धिजीवी आज दुनिया के सभी स्तर पर देखने को मिलते हे इसका प्रमुख कारन हे अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व होना।

Developed Economy & Language /प्रगत अर्थव्यवस्था और भाषा का संबंध –

भारत और चीन की अर्थव्यवस्था पंधरा वी सदी तक बहुत समृद्ध थी और यहाँ की भाषा भी समृद्ध थी, मगर यूरोपियन लोगो ने समुद्री प्रवास के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार की शुरुवात की और अच्छे आधुनिक जहाज तैयार किये। तुर्की के यूरोप और एशिया का मुख्य रास्ता रोकने के कारन यूरोपीय व्यापारियों को अमरीका की खोज हुई जहा की कुदरती सम्पदा का इस्तेमाल उनके द्वारा व्यापार के बढ़ाने के लिए किया गया। वसाहतवाद में माध्यम से बहुत सारे संस्कृती और भाषा से उनका परिचय हुवा इससे उन लोगो ने केवल व्यापार नहीं किया उस कल्चर का अध्ययन भी किया।

यूरोपीय व्यपारियो द्वारा जब दूसरे देशो में केवल व्यापार करने के बजाय वहा की संस्कृती का अध्ययन करना शुरू किया तथा अपनी भाषा को उस समाज में प्रस्थापित किया। इस समय तक अंग्रेजो को लगता था की उनकी संस्कृती दुनिया की सबसे पुराणी संस्कृति है मगर उन्हें समझ में आया की हमारे कल्चर से भी समृद्ध कल्चर चीन और भारत का हे। मगर यूरोप की शिक्षा क्रांति १५ वी सदी की सबसे बड़ी क्रांति थी जिसका परिणाम आज हम देखते हे उसीको जागतिकीकरण कहते हे। औद्योगिक क्रांति , कंप्यूटर क्रांति और मोबाइल क्रांति यह हमें पश्चिमी और अमरीका के वजह से देखने को मिली यह वास्तविकता हमें भूलनी नहीं चाहिए।

आज बात करे तो यूरोप और अमरीका के पास प्रगत विज्ञानं हे जो भारत और चीन उससे पिछले पचासो साल पीछे रहे हे तथा अमरीकी डॉलर यह अंतर राष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाता है । चीन ने वह कमिया दूर की हे मगर हमने अभी तक पश्चिमी देशो पर निर्भर रहना बंद नहीं किया हे। इसकारण इंटरनेट हो या मोबाइल हो या आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस हो यह सब यूरोप की तकनीक पर पूरी दुनिया निर्भर हे इसलिए अंग्रेजी भाषा का प्रभुत्व आज भी हम देखते है जो कंप्यूटर प्रोग्राम की भाषा पर निर्भर होता हे जो अंग्रेजी भाषा है ।

English literature/ अंग्रेजी किताबे और उसका ज्ञान का दायरा –

अगर आपको अंग्रेजी नहीं आती तो आप का ज्ञान का दायरा जागतिक स्थर का नहीं रहता यह वास्तविकता हमें समझनी होगी। आप कोई भी इनफार्मेशन के बारे में इंटरनेट पर खोजे हिंदी से ज्यादा ज्ञान आपको अंग्रेजी भाषा में देखने को मिलेगा। इसका मतलब जानते हो ? पुस्तक प्रकाशन और इंटरनेट – टेक्नोलॉजी यह सब पर अंग्रेजी भाषा का प्रभुत्व है। अंग्रेजी भाषा में दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञान उपलब्ध हे , जो किसी भी दूसरी भाषा में आप को नहीं मिलेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से लेकर ऑक्सफ़ोर्ड तक सभी प्रतिष्ठित संशोधन शिक्षा संस्थान यह अंग्रेजी भाषा में शिक्षा प्रदान करता है।

MIT जैसा अमरीका का शिक्षा संस्थान दुनिया की सभी संशोधन से ज्यादा बुद्धिजीवी निर्माण करने वाला शिक्षा संस्थान हे यह हमें देखना होगा। टेक्नोलॉजी के लिए जो कंप्यूटर और इंसान के संवाद के लिए भाषा बनाई गई हे वह भी मुख्य रूप से हमें अंग्रेजी भाषा में देखने को मिलती है जैसे सी, “पायथॉन” और “जावा” लैंग्वेज जैसी तकनीक केवल अंग्रेजी में देखने को मिलती हे जिसके लिए अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जर्मनी, चीन और रशिया यह देश अंग्रेजी भाषा के बगैर टेक्नोलॉजी को विकसित करने की कोशिश आज कर रहे हे परन्तु आज भी अंग्रेजी संशोधन दुनियाभर में बेहतरीन माना जाता है।

दुनिया के किसी भी देश का बुद्धिजीवी व्यक्ति हे और वह अंग्रेजी नहीं जानता तो उसके ज्ञान का दायरा अंतराष्ट्रीय स्तर का नहीं बनता यह आज की वास्तविकता है। इंटरनेट के विकास के कारन अंग्रेजी प्रसिद्द किताबे दुनियाभर में पढ़ी जाती है और खरीदी जाती है जो अव्वल दर्जे के ज्ञान से भरी होती हे। इसे कोई नकार नहीं सकते भले हम अंग्रेजी की कितनी भी आलोचना करे मगर उसकी अहमियत हमारा कृति से देखने को मिलती है। भारत में बड़े पदों के जॉब्स हासिल करने के लिए अंग्रेजी भाषा पर प्रभुत्व होना एक महत्वपूर्ण प्रोफाइल होता है।

Colonization & English Language / साम्राज्यवाद और अंग्रेजी भाषा –

अंग्रेजो ने लगबघ आधे दुनिया पर राज किया उद्देश्य व्यापार था , मगर हर जगह की संस्कृति का उन्होंने अच्छा अध्ययन किया और उसका संकलन किताबो के रूप में किया। भारत में जब अंग्रेज पहली बार आये तो खुद के साथ एक सेना लाये जो तोपों और बंदूकों से लेस थी। भारत में उस समय लड़ाईया तलवारो और तीर से चलती थी। इसका मतलब वह अपने साथ technology लेके आये। साम्राजयवाद दूसरे महायुद्ध तक बहुत ही शक्ति शाली था मगर दूसरे महायुद्ध के बाद कमजोर होने लगा मगर जिन देशो पर अंग्रेजो ने राज किया वह अंग्रेजी भाषा का प्रभाव बहुत गहरा था।

हम देखते हे भारत की कोई भी भाषा जिसमे में अंग्रेजी भाषा के शब्द मिश्रित हुए दिखते हे उदा. मोबाइल , मशीन , इत्यादि अगर वह शब्द भाषा से निकाल दे तो नयी पीढ़ी के बच्चो को खुद की भाषा समझ में नहीं आएगी।अंग्रेजो ने पश्चिमी शिक्षा प्रणाली लार्ड मेकाले उस समय के ब्रिटिश अधिकारी द्वारा भारत में लायी गयी और नए विश्वविद्यालय भारत में स्थापित किये गए जिसका सबसे पहले फायदा भारत की उन जातियों ने किया जो पहले इस शिक्षा निति का पुरजोर विरोध कर रहे थे।

भारत का बाकि निचली जाती का समाज अनपढ़ और हजारो सालो से कोई शिक्षा न पाने वाला समाज था जो विषमता भरे जाती में बटा हुवा था। ऐसे निचले समाज को शिक्षा का महत्त्व समझने के लिए काफी समय लगा तब तक उची जातियों ने अंग्रेजी व्यवस्था में अपने आप को प्रस्थापित किया और इसका आर्थिक लाभ भी हासिल किया था, भले वह अंग्रेजो की कितनी भी आलोचना करे मगर उन्होंने अंग्रेजी व्यवस्था का भरपूर फायदा उठाया । इसलिए दुनिया की रोमन साम्राज्य देखे अथवा भारत का मौर्या साम्राज्य कहे भाषाए लिखित रूप से तथा बोली भाषा में जिन्दा रखना काफी कठिन होता हे यह देखने को मिलता है।

Globalization & English / वैश्वीकरण और अंग्रेजी भाषा –

१९९० के बाद रशिया और अमरीका के बीच शीत युद्ध ख़तम हुवा जो एक विचारधारा का संघर्ष था जो एक साम्यवादी व्यवस्था और पूंजीवादी व्यवस्था चलाता हे। अमरीका ने लोकतंत्र का एक कैपिटलिस्ट मॉडेल दुनिया के सामने रखा था और रशिया ने कम्युनिज्म का मॉडेल रखा था जो पूंजी वाद को विरोध करता था। चीन ने इस शीत युद्ध में रशिया का साथ देने की बजाय खुद के आर्थिक मॉडल को सुधारने के लिए अमरीका का साथ दिया और अपनी अर्थव्यवस्था विकसित करने का काम किया। जिससे समाजवादी व्यवस्था के साथ पूंजीवादी कुछ सिद्धांत इस्तेमाल करके नयी आर्थिक व्यवस्था बनाई जिसमे अंग्रेजी भाषा का काफी महत्त्व रहा है ।

चीन ने ७० के दशक में अमरीका में अपने बुद्धिजीवी लोगो को अंग्रेजी भाषा का तथा टेक्नोलॉजी का अध्ययन करने के लिए भेजा और इसका इस्तेमाल देश में टेक्नोलॉजी बढ़ाने के लिए किया। चीन की अर्थ व्यवस्था आज बगैर अंग्रेजी के महत्त्व के अपनी सोशल और टेक्निकल व्यवस्था बना चूका है जिसमे फेसबुक से लेकर गूगल तक वह खुद अलग से बना चूका है। साम्यवाद और पूंजीवाद का संघर्ष दूसरे विश्वयुद्ध के बाद शुरू हुवा और लगबघ चालीस साल चला जो १९९० में इसका अंत हुवा। यह दौर था वैश्वीकरण का जो १९९० के बाद जोर पकड़ने लगा जिसका मूल साधन था टेक्नोलॉजी जो अमरीका के पास थी।

जिन देशो ने अमरीका और यूरोप की आर्थिक निति का विरोध किया उसको इसकी कीमत चुकानी पड़ी है उदहारण के लिए पूर्वी खाड़ी देश की हालत देख सकते है। आज हम देखते हे पूरी दुनिया अमरीका और यूरोप के टेक्नोलॉजी पर निर्भर हुई हे और अंत में अंग्रेजी भाषा पर निर्भर हुई हे। चीन ने इससे अपने आप को और अपनी भाषा को अलग रखने की कोशिश की हे इसके लिए उन्होंने ऐसी शिक्षा निति शुरुवाती दिनों में अपनायी जिससे वह अपने विद्यार्थियों को पश्चिमी देशो में पढ़ने के लिए भेजते रहे और वहा से अच्छी शिक्षा चीन में लाकर उसमे से एक चीन की विकसित शिक्षा प्रणाली बनाई जिसके परिणाम हमें आज देखने को मिलते है जो अंग्रेजी भाषा का प्रभाव वह लगबघ प्रतिबंधित हे ऐसा माना जाता है।

Information-Tech. & English / इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और अंग्रेजी भाषा –

दुनिया के किसी भी देश का एजुकेशन सिस्टम अंग्रेजी भाषा के ज्ञान के बगैर अधूरा हे इसका कारन हे इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी का सारा ज्ञान और इन्वेंशंस यूरोप और अमरीका ने किये है। किसी भी देश को अपडेट रहना हे तो उसे अंग्रेजी साहित्य पर निर्भर रहना पड़ता हे। इसका महत्वपूर्ण कारन था कैपिटलिस्ट डेमोक्रसी जिसमे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मॉडल इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी के विकास में महत्वपूर्ण कारन बना।

रशिया और चीन ने साम्यवादी मॉडेल देश चलाने का स्वीकार किया। रशिया अमरीका के तुलना में बहुत पिछड़ गया इसका कारन था व्यवस्था चलाने का मॉडेल। चीन ने अपना साम्यवादी मॉडल तो नहीं छोड़ा मगर शीत युद्ध में उसने तटस्थ रहनेका निर्णय लिया और अपने विकास भी ध्यान दिया। दुनिया में आज की तारीख में चीन ही ऐसा देश हे अंग्रेजी भाषा पर निर्भर नहीं हे और आने वाले दस साल में वह अमरीका को विकास के मामले में पीछे छोड़ देगा।

अबतक आप ने देखा की अंग्रेजी भाषा का इतना महत्त्व क्यों हे ? यह हमारे जीवन का वास्तव बन चूका हे, कोनसी भी उच्च शिक्षा लेनी हो तो हमें अंग्रेजी पर प्रभुत्व होना जरुरी हो गया है। हमारी समस्या हे हम ग्रेजुएट बन जाते हे फिर भी हमें अंग्रेजी भाषा बोलने नहीं आती। आगे हम उसके कारन देखेंगे।

Problem of Learning English/अंग्रेजी भाषा सीखने की समस्या और समाधान –

हम हमारी बोली भाषा बगैर शिक्षा के सिख जाते हे , न हमें उसका व्याकरण से मतलब होता हे या न हमें उसकी शुद्धता पे ज्यादा ध्यान देने की जरुरत होती हे। तो फिर हमें ग्रेजुएट होने के बाद भी अंग्रेजी क्यों नहीं आती ? इसका सबसे महत्वपूर्ण कारन हे हम अंग्रेजी के व्याकरण पर ज्यादा ध्यान देते हे न की उसके शब्दकोष पर। जितना आपका किसी भाषा का शब्दकोष बढ़ेगा उतना आप अंग्रेजी को समझने में सक्षम बन जाते है । शब्दकोष बढ़ाने के लिए हमें पढ़ना होगा और अपना शब्द कोष बढ़ाना होगा। अंग्रेजी भाषा हमारे समाज में एक स्टेटस सिंबल बन चूका हे और अगर हम सोचते हे हम निचले स्टेटस के हे तो यह एक मानसिक विश्वास बन जाता हे की यह भाषा हमारे लिए नहीं है।

अंग्रेजी भाषा के सन्दर्भ में हमारा माइंड सेट बदलना होगा तभी हम अंग्रेजी बोल और लिख सकेंगे। एक बार अंग्रेजी भाषा पर आपका प्रभुत्व बन जाये तो विकास के सभी मार्ग खुल जाते हे यह वास्तव हे। इंटरनेट की इस दुनिया में आप कितना भी अंग्रेजी को नकारे मगर बगैर इस भाषा के आप विकास नहीं कर सकते। इ कॉमर्स हो , डिजिटल मनी हो , या अन्य कोई तकनीकी साधन बगैर अंग्रेजी के आप को यह ग्यान अवगत करना मुश्किल बन जाता हे। इसलिए अंग्रेजी भाषा यह बोलने से ज्यादा अवगत होती हे चाहे वह कितनी भी गलत बोली जाती हो वह विकसित होती है तथा हमारे बोलने के लिए एक आदत बन जाती है।

ऐसा नहीं हे की बगैर अंग्रेजी के आप टेक्नोलॉजी में विकसित नहीं हो सकते , मगर संशोधन के मामलो में यूरोप और अमरीका यह देश काफी विकसित माने जाते हे तथा उनकी सामाजिक और धार्मिक स्वतंत्रता का कल्चर यह उनकी सफलता का कारन रहा है। बाकि धर्मो ने खुद को बदलने के लिए विरोध दर्शाया मगर ईसाई धर्म ने अपने विचारधारा में समय के साथ बदलाव किए इसलिए वह विज्ञानं और शिक्षा में बाकि दुनिया से ज्यादा विकसित हुए। जिसे सामाजिक और राजनितिक बदलाव कहते हे वह यूरोप और अमरीका में हुए और बाकि देशो में यह आज भी नहीं होते।

Mother Language & English Language/हमारी मातृभाषा और अंग्रेजी भाषा –

अंग्रेजी का कितना भी प्रभाव हमारे जिंदगी पे बढ़ जाये हमारी मातृ भाषा का महत्त्व कभी कम नहीं हो सकता यह हमें समझना होगा। जैसे आर्थिक दृष्टी से विकास करने के लिए प्रोफेशनल नॉलेज जरुरी होता हे मगर जिंदगी अच्छी जीने के लिए बाकि ज्ञान होना जरुरी होता हे वैसे ही व्यवहार में अंग्रेजी जरुरी हे इसका मतलब यह नहीं की हमारे जीवन से मातृ भाषाका महत्त्व कम हो गया हे। हमें समाज के ऊपरी स्तर पर ऐसे देखने को मिलता हे की वह ज्यादा समय अंग्रेजी भाषा में बोलने के लिए देते हे वही जैसे जैसे निचले स्तर पर हम आते हे वैसे हम देखते हे की प्रादेशिक भाषा ज्यादा बोली जाती है।

इससे हमें यह देखने को मिलता हे की अंग्रेजी भाषा भारत में भाषा की बजाए एक स्टेटस बन चूका हे जिसमे समाज के उचे स्तर का एक अनपढ़ भी अच्छी अंग्रेजी बोलता हे मगर निचले स्तर का पढ़ा लिखा जिंदगी भर कभी अंग्रेजी नहीं बोल पाता। भारत में दक्षिणी राज्यों के लोग हिंदी भाषा से ज्यादा अपनी प्रादेशिक भाषा को ज्यादा महत्त्व देते हे परन्तु अंतरराष्ट्रीय स्थर पर देखे तो अंग्रेजी भाषा बोलने के मामलों में दक्षिणी राज्यों के लोग ज्यादा सफल होते हे यह वास्तविकता हमें समझनी होगी।

भारत में सभी समाज की मातृ भाषा यह साधारणतः घर में बोली जाती हे मगर इसके साथ साथ अंग्रेजी को भी महत्त्व दिया जाता है, यह हम समाज में एलीट वर्ग के सन्दर्भ में कह रहे है। भारत में सामाजिक तौर पर निचले स्थर के लोग यह अंग्रेजी सिखते हे परन्तु उतना अच्छा अंग्रेजी नहीं बोल पाते जितना एलीट वर्ग के लोग बोल सकते है। भारत की राजनीती और शिक्षा पर एलिट समाज का प्रभाव होने के कारन अंग्रेजी यह भारत में सामाजिक व्यवस्था का एक प्रमुख अंग बन चूका है जो जाती व्यवस्था से जुड़ा हुवा है।

निष्कर्ष / Conclusion –

भविष्य के युद्ध यह टेक्नोलॉजी के शक्ति से लाडे जाएगे और जिस देश के पास सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी होगी वही दुनिया पर आर्थिक और राजनितिक दॄष्टि से राज करेगा। इसलिए जिस टेक्नोलॉजी की हम बात कर रहे हे वह मुख्य रूप से अंग्रेजी भाषा में बनाई गयी हे चाहे वह कंप्यूटर की भाषा हो अथवा अपने मोबाइल की भाषा हो वह अंग्रेजी भाषा में है।वैसे तो अंग्रेजी भाषा यह दुनिया की सबसे पुराणी भाषा नहीं हे तथा वह सबसे शुद्ध भाषा भी नहीं हे परन्तु वह यूरोप में निर्माण हुए माध्यम वर्ग की व्यापारी सफलता के कारन वह भाषा वसाहतवाद के माध्यम से दुनियाभर में पहुंची है।

हमने देखा कि अंग्रेजी भाषा का इतना महत्त्व क्यों हे , उसका इतिहास जाना इससे हमें यह सीखने को मिला की जिस भाषा का ज्ञान सबसे ज्यादा चलन में होता हे उस भाषा का प्रभुत्व समाज जीवन पर होता हे। वैश्वीकरण ने अंग्रेजी भाषाको महत्वपूर्ण बना दिया हे और आनेवाले डिजिटल युग में हमें यह सत्य स्वीकारना होगा। भाषा पर राजनीती हम बहुत देखते हे मगर जो लोग अंग्रेजी का विरोध करते हे उनके बच्चे विदेश में पढ़ने जाते हे। यह हमें समझना होगा। इसलिए हमने अंग्रेजी भाषा के सन्दर्भ में आपके लिए जीतनी महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर सकते थे वह प्रयास किया है।

अंग्रेजी भाषा का महत्त्व हम टेक्नोलॉजी से जान सकते हे तथा ग्लोबल भाषा के रूप में इसे देखते हे। दुनिया में किसी भी देश को टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ना हे तो बगैर अंग्रेजी भाषा के हम सफल नहीं हो सकते। अंग्रेजो की वसाहतवाद के समय एक विशेषता हमेशा से रही हे की वह किसी भी देश में व्यापार के लिए गए हो वहा के इतिहास तथा कल्चर का उन्होंने अध्ययन किया और उसको अंग्रेजी भाषा में संग्रहीत किया जिसका फायदा आज हमें हो रहा है। इसतरह से हमने अंग्रेजी भाषा के इतिहास का अध्ययन इस आर्टिकल से आपके सामने रखी है।

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